दानी की कहानी - 21 Pranava Bharti द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • जंगल - भाग 1

    "चलो " राहुल ने कहा... "बैठो, अगर तुम आयी हो, तो मेमसाहब अजल...

  • दीपोत्सव

    प्रभु श्री राम,सीता जी और लक्ष्मण जी अपने वनवास में आजकल दंड...

  • बैरी पिया.... - 47

    शिविका जाने लगी तो om prakash ne उसका हाथ पकड़ लिया ।" अरे क...

  • राइज ऑफ ज्ञानम

    ज्ञानम (प्रेरणादायक एवं स्वास्थ्य ज्ञान)उपवास करने और मन्दिर...

  • नक़ल या अक्ल - 74

    74 पेपर चोरी   डॉक्टर अभी उन्हें कुछ कहना ही चाहता है कि तभी...

श्रेणी
शेयर करे

दानी की कहानी - 21

दानी की कहानी

--------------

दानी कुछ ज़्यादा ही संवेदनशील थीं | अपनी सब बातें भी बच्चों से साझा करतीं |

उन्होंने अपनी तीसरी पीढ़ी से अपनी बेटी की एक बात शेयर की |

एक दिन उनकी बड़ी बेटी रीनी ऑफिस से अपनी गाड़ी से घर आ रही थी |

वह घर के मेन गेट से गाड़ी अंदर रख ही रही थी कि बगीचे में लगे हुए पेड़ पर से एक डव पक्षी का बच्चा न जाने कैसे उसकी गाड़ी के आगे के टायर से टकरा गया |

पक्षी के मुख से हल्की सी चीं की आवाज़ सुनकर उसने ज़ोर से चीखकर ब्रेक लगाए और गाड़ी का दरवाज़ा खोला लेकिन उसमें से बाहर निकालने की उसकी हिम्मत नहीं हुई |

दानी बाहर बरामदे में ही टहल रही थीं ,रीनी की आवाज़ सुनते ही लगभग भागते हुए आईं |

जबकि उन्हें चलने में काफ़ी दिक्कत होती थी फिर भी वे जितनी जल्दी हो सकता था ,रीनी के पास आईं |

रीनी गाड़ी में बैठी हुई रोने लगी थी | दानी ने ही तो सब बच्चों को सिखाया था कि पशु-पक्षियों पर करुणा रखनी चाहिए |

रीनी को लगा ,न जाने उसने कितना बड़ा अपराध कर दिया | वह गाड़ी में से बाहर ही नहीं निकल रही थी |

ज़ोर-ज़ोर से रोए जा रही थी | उसका ध्यान डव के बच्चे पर ही था ,कहीं वह मर तो नहीं गया ?

दानी ने उसे बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला | दानी को तकलीफ़ हो रही थी कि उन्होंने बच्चों के मन में इतनी गहराई से पशु-पक्षियों पर दया करने के विचार भर दिए हैं कि

यदि बच्चों से कुछ अनजाने में भी हो जाता है तो उसकी पीड़ा वे अपने सिर पर ओढ़ लेते हैं |

अच्छी बात थी लेकिन इतना कि उनकी बेटी रीनी लगातार रोए ही चली जा रही थी |

इसी वर्ष उसे गाड़ी मिली थी ,अभी कुछ दिन ही हुए थे | वह ड्राइविंग स्कूल से सीखी थी |

फिर उसके पापा ने उसकी प्रेक्टिस करवाई थी |

"अच्छा बेटा ! इसे ऐसे ही तड़पने दोगी क्या?" दानी उसे गाड़ी से बाहर निकालने के इरादे से बोलीं |

"हाँ,माँ ! इसको देखना भी तो पड़ेगा ---"

बड़े सहमते हुए रीनी गाड़ी से बाहर निकली |

डव का बच्चा हिल-डुल तो रहा था लेकिन उड़ नहीं पा रहा था |

घर में से टोकरी लाई गई | दानी ने बच्चे को धीरे से टोकरी में रखा |

तब तक घर के और छोटे बच्चे भी आ गए थे |

वे सब चिल्लाने लगे 'मम्मा ने डव के बच्चे को मार दिया ---'

रीनी को फिर गिल्ट महसूस होने लगा और फिर से उसकी आँखें आसू टपकने लगीं |

दानी टोकरी अपने कमरे में लेकर आ गई और छुटकी से रीनी दीदी के लिए पानी लाने को कहा |

रीनी बहुत गिल्ट महसूस कर रही थी |

अभी ऐसी स्थिति नहीं थी कि दानी रीनी को समझा पातीं |

थोड़ी देर में मुँह हाथ धोने के बाद रीनी कुछ स्वस्थ सी महसूस कर रही थी |

रीनी ने दानी से कहा कि वह पूरी रात जागकर इस चिड़िया की देखभाल करेगी |

टोकरी में पानी की कटोरी और एक छोटी सी प्लेट में कुछ बने हुए चावल रखकर ऊपर से बंद कर दिया था |

रीनी ही घर के सारे बच्चे पूरी रात रीनी दीदी के कमरे में बैठे रहे |

दो दिनों तक यही कार्यक्रम चलता रहा | सब छोटे बच्चों को एक खेल मिल गया था |

जब बच्चे के पंख फड़फड़ाए तब जाकर कहीं रीनी की आँखों से आँसू टपकने बंद हुए |

दानी ने समझाया कि यदि हम जान-बूझकर किसीको कोई चोट पहुँचते हैं ,वह गलत है |

किसी भी चोट खाए हुए पक्षी या पशु को रोने से नहीं ठीक किया जा सकता |

उसके लिए उसे ट्रीटमेंट देना पड़ता है |

माँ डव पूरे दिन-रात अपने बच्चे को देखने के लिए बार-बार आती रही |

जब बच्चे को टोकरी से बाहर निकाला गया तब कहीं जाकर सबकी जान में जान आई|

रीनी व सभी बच्चे डव के बच्चे को अपनी माँ के साथ जाते देखते हुए बहुत खुश हुए |

अब सभी बच्चों के मन में पशु-पक्षियों के प्रति और भी करुणा का भाव भर आया था |

डॉ. प्रणव भारती