मीरा बेगम Chandani द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मीरा बेगम

मीरा बेगम

जानकी: बस रवि कब तक ये अंताक्षरी और डमशेरास खेलेंगे?

पूर्वी: यु आर राइट। क्यूं ना हम सिप इट या फ़िर स्पिन ध बोटल खेले?

कुशल: में तैयार हूं। पर ये बताओ गर्ल्स के सिप टकीला का होगा या वाइन का??

स्वाति: कुश? फ़िर से ड्रिंक? नो वेयस। स्पिन ध बोटल ही सही रहेगा वैसे भी शाम को पार्टी में तुम सब ने थोड़ी थोड़ी पी है अब और नहीं।

रवि: ठीक है। में भी तैयार हूं। लगता है सार्थक को नहीं खेलना। वो अपने फोन में व्यस्त है।

सार्थक: नहीं यार। लेट्स प्लेय। वो कुछ जरूरी काम कर रहा था।

रवि: ठीक है फ़िर सबको यही खेलना है तो हम स्पिन ध बोटल स्टार्ट करते है। पर डेर जो भी मिलेगा वो सब को करना पड़ेगा। और सच तो खैर ... कोन बोलेगा पता नहीं। में तो डेर ही दूंगा। चलो शुरू करे।

*

पहली बार बोटल स्पिन की तो सवाल की दिशा जानकी की तरफ़ और जवाब की दिशा कुशल की और थी।

जानकी: कुशल!!!! ट्रुथ या डेर?

कुशल: ट्रुथ ही भाई डेर हमसे ना होगा। इतनी रात सुमसान जंगल के बीच ये रिसोर्ट। में जानता हूं आप सबको आप लोग मुझे डेर के बहाने जंगल भेज दे। तो ट्रुथ।

जानकी: स्वाति से पहले तुम्हारी कितनी गर्ल फ्रेंड थी?

कुशल: यार क्यूं ब्रेकअप करवाना चाहती हो हमारा तुम?

जानकी: जवाब दो।

कुशल: ३

स्वाति: मुझे कोई गेम नहीं खेलनी में जा रही हूं अपने रूम में।

रवि: कम ओन स्वाति डोंट बी सो ड्रामेटिक। वो पास्ट था कुशल को। हम सब उसे जानते है वो दो साल से सिर्फ तुमसे प्यार करता है। बैठो चलो। अभी तो गेम स्टार्ट हुआ है।

*
स्वाति सबके सामने ज्यादा बोली नहीं पर नाराज़ हो कर ही वो रवि की बात मान कर बैठ गई। अब स्पिन किया तो सवाल की दिशा रवि की तरफ़ और जवाब की दिशा स्वाति की तरफ़ थी। स्वाति पूरे गुस्से में थी।

रवि: सिस्टा। बोलो ट्रुथ या डेर?

स्वाति: डेर।

रवि: पक्का सोच लो। करना पड़ेगा।

कुशल: स्वाति नादानी मत करो। ये मस्ती में कुछ भी करने को बोलेगा।

स्वाति: जस्ट शट अप। में करूंगी ओके।

रवि: ठीक है फिर सुनो, इस रिसोर्ट के पिछले हिस्से में जहां पुल है उसके बगल में एक आऊट हाऊस है। वहां आज सुबह भी मुझे जाना था देखने पर मुझे रिसोर्ट के स्टाफ ने जाने से रोका और कहा यहां जाना मतलब ख़तरा मोड़ लेना। और कुछ में पुछू उसके पहले ही वो दौड़ कर भाग गया। अब तुम वहां जाओ अपने फ़ोन से वीडियो कॉल अभी ओन करो और हमे दिखाते रहना सब। ऑल थे बेस्ट सिस्टा। करोगी या हार माननी है?

स्वाति: में जाऊंगी।

कुशल: रवि तु पगला गया है क्या? उसे बहन कहता है और ऐसे ख़तरे से भरी जगह क्यूं भेज रहा है? हम यहां ग्लोबल वार्मिंग के प्रोजेक्ट का रीसर्च डाटा इकठ्ठा करने आए है ना के हंटेड प्लेस को एक्सप्लोर करने या उनपे कोई डॉक्यूमेंटरी बनाने।

रवि: तु चिल मार। वहां कुछ नहीं होगा ऐसा। जाने दे उसे।

कुशल: ठीक है में उसके साथ जाऊंगा।

स्वाति: कोई जरूरत नहीं। में जा रही हूं अकेले।

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स्वाति के मना करने के बावजूद कुशल उसके पीछे गया। मेंने (सार्थक) उंट दोनों के जाने के बाद रवि को बोला के ये उसने सही नहीं किया पर उसने ये बात मज़ाक में ली और हमने गेम चालु के दिया वापस।

स्वाति को हम वीडियो कॉलिंग के ज़रिए देख सकते है। वो धीरे धीरे आऊट हाऊस तक तो पहोच गई थी पर वहां ताला लगा हुआ था। इसमें भी रविने उसे तोड़ने की सलाह दी और स्वाति ने पास के गार्डन से पत्थर उठा कर ताला तोड़ा। कुशल ने बहोत समझाया पर स्वाति नहीं मानी।

ताला तोड़कर वह दोनों अंदर गए। वहां लाईट्स नहीं थे। पर गार्डन की और पूल एरिया की रोशनी थोड़ी थोड़ी अंदर आती थी। और स्वाति और कुशल के फ़ोन की टोर्च से काफ़ी हद तक सब नज़र आ रहा था।

आऊट हाऊस की चारों दीवारों पे ब्लडी मैरी की और कोई नर्तकी की तस्वीरें थी। कमरें में बहोत सारे बक्से थे। किसी में घुंघरू थे तो किसी में कपड़े। किसी में ज़ेवर थे तो किसी में बहोत सारे आइने। समझ नहीं आ रहा था। आख़िर इस कमरे में ऐसा डरावना क्या था?

*

रवि: मेंने पहले ही कहा था कुछ नहीं होगा बस फ़ालतू में हमें रोक रहे थे। में तो कहता हूं हम सब वहां जा के देखते है कहीं ऐसा तो नहीं के वहां कोई ख़ज़ाना है इस लिये वहां जाना बेन किया हो। चले फ्रेंड्स?

में (सार्थक): आप सब जानते हो बल्डी मेरी की कहानी?

जानकी: नहीं। मुझे नहीं पता। कौन थी वो?

में : कहां जाता है की, यूरोप में पुराने ज़माने में एक अजीब सी प्रथा थी जिसके तहेत हर एक कुंवारी लड़की को हाथ में ऐनक मतलब शीशे और मोमबत्ती को ले कर शीशे में देखते हुए उल्टी सिडिया चढ़नी होती थी। उस दौरान शीशे में लड़की को अपने होने वाले पति का चेहरा नज़र आता था पर अगर उस वक़्त कंकाल या खून से लथपथ व्यक्ति दिखे इसका मतलब लग्न में कोई बाधा आने वाली है या कुछ अनहोनी या फ़िर लड़की का सुहाग उजड़ने वाला है ऐसा मानते है वहां। मेरी ने भी ये प्रथा की थी और उसे शीशे में दिख गया था के उसके जीवन में कोई अनहोनी होने वाली है इस लिए उसने आत्महत्या कर ली। और उस दिन से उसकी आत्मा भटक रही है। कहां जाता है के दुनिया के किसी भी कौने में रात को ३ बजे अगर आप हाथ में शीशा और मोमबत्ती लिए अगर ३ बार बल्डी मेरी का नाम लो तो वो वहां हाज़िर हो जाती है और उसके बाद मौत का खेल ...

रवि: वॉट रबिश? ऐसा कुछ नहीं होता। आप लोगों को डरना है ना फ़िर ठीक है डरते रहो। में जा रहा हूं वैसे भी ये नियति है देखो ३ बजने में १० मिनिट शेष है। में भी देखूं कैसे आती है ब्लडी मैरी।

हम सब ने बहोत समझाया पर वो नहीं माना। कुशल और स्वाति अभी भी वहीं थे और अब वो भी वहां था। उसने हाथ में मोमबत्ती जलाई और दूसरे हाथ में शीशा पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से चिलाने लगा।
ब्लडी मैरी
ब्लडी मैरी
बल्डी मैरी.....

आओ मेरे सामने आओ कहां हो तुम? कोन सा खज़ाना छुपा है इस जगह में? सच बताओ में तुमसे डरता नहीं हूं। वो बोल रहा था और अचानक रूम में रोशनी रोशनी हो गई। एक नर्तकी अपने नृत्य के पहरवेश में पेर में घूंघरू बांधे और सज और सवरके उन तीनों को और आई और उसने कहां, "चले जाओ। ये गलती मत करो। वो किसीको नहीं छोड़ेगी। मानो मेरी बात जाओ यहां से वरना जान से हाथ धो बैठोगे। जाओ.... "

वो बोल ही रही थी के हम तीनों ने मतलब मेंने, जानकी ने और पूर्वी ने देखा, रवि हाथ में जो शीशा पकड़े खड़ा था उसने सफ़ेद गाउन, सफ़ेद बाल वाली वो डायन साफ नज़र आ रही थी। उसकी बड़ी बड़ी आंखें थीं। आंखों की आसपास खून लगा हुआ था। मुंह के दो दांत मानो कोई नौकिला चाकू हो उतने बड़े और भयानक थे। वो रवि की और घूर रही थी। रवि अभी भी फोन में वीडियो कॉल चल रही थी इस लिए हमारी और देख रहा था उसका ध्यान ही नहीं था के....

शीशे में से उसने एक हाथ में कुशल को और दूसरे हाथ में स्वाति को उठा कर आऊट हाऊस के बाहर फ़ेंक दिया। वो नर्तकी पता नहीं कहां गायब हो गई और रवि के साथ जो हुआ वो देख कर हम सब की रूह कांप उठी थी। हम सब मजबूर थे। कुशल और स्वाति की हालत देख कर समझ गए थे के वहां जा के रवि को बचाना असंभव था क्यूंकि रवि ने उस डायन को चुनौती दे कर बुलाया था।

उसने दोनों हाथों से दबोच कर रवि को शीशे के अंदर लिया और उसे ज़मीन पर गिराया और उसे अपने मुंह से खाने लगी जैसे ही उसका ध्यान रवि के हाथ में जो फोन था उसपे गया तुरंत हमने वीडियो कॉल बंध कर दिया और पूरी रात वहीं हनुमान चालीसा करते बैठे रहे।

सुबह होते है हम सब रिसोर्ट के स्टाफ के साथ वहां गए रवि की ना लाश थी ना ही कोई अता पता। कुशल और स्वाति वहीं बाहर गार्डन एरिया के पास बेहोश पडे थे।

हम सब बहोत दुखी थे। हम कुछ बोलते या पूछते उसके पहले रिसोर्ट के मेनेजर ने एक ऐसी हकीकत बताई जो सुनके हमारे होंश उड़ गए।

*
दरअसल ये आऊट हाऊस १० साल पहले एक नर्तकी का घर था। जो आज भी बिल्कुल उसी हालत में है जैसे वो छोड़ के गई। यहां एक वीरान जंगल था। ये नर्तकी बस्ती और गांव से करीब १० किलोमीटर की दूरी पर रहती थी क्यूंकि गांव के सरपंच ने उस नर्तकी और उसके पेशे का बहिष्कार किया था। वो जब गांव में रहती थी तब रोज़ उसके यहां महफ़िल लगती थी और गांव के सारे मर्द उसे देखने और मदीरा पान करने जाते है। सब ने मिलकर एक दिन उसे गांव से निकल जाने को कहा। वह उस दिन वहां से निकलकर इस वीरान जंगल में आके बसी। नाच उसका पेशा ही नहीं उसका शौख और आदत भी थी। महफ़िल तो अभी भी लगती थी और लोग अभी भी आते थे बस पहले से कम लोग आया करते थे।

कई बार उसके घर में उसने कई मर्दों को पनाह भी दी थी। इसी वजह से लोग उसके घर को तवायफ का कोठा भी बोलते थे। एक दिन गांव वालों ने मिलकर उसका घर जलाने का निश्चय किया। और इस काम को अंजाम देने वो ठीक रात के ३ बजे आ कर इस नर्तकी मीरा बेगम के घर को जलाने लगे। बाहर आग की लपटे जल रही थी और अंदर वो अपने बचने का रास्ता सोच रही थी। चारों ओर लोगों का ढेर था। बाहर जाने का कोई मार्ग नहीं था। उसे तब ही नानी की सुनाई हुई वो बचपन की बल्डी मैरी की कहानी याद आई। ठीक रात के तीन बजे थे। बचपन से ही वो नानी से भूतों की कहानी सुनती आई थी। उसकी छोटी उम्र में ही माता पिता चल बसे फिर वो नानी के साथ ही पली बड़ी। मीरा बेगम बड़ी उग्र स्वभाव की थी। उसे नानी की वो कहानियों के पात्र अपने से मिलते जुलते लगते थे। कहां जाता है के उसने बचपन में भी नानी के लाख़ मना करने के बावजूद उस बल्डी मैरी का आह्वाहन किया था उस बुलाया था और घंटो उससे यूं बातें की थीं मानो कोई पुरानी सखी हो। उसने मोमबत्ती जलाई और जल्दी से शीशे में देखते हुए ब्लडी मेरी को पुकारा। और बल्डी मेरी तुरंत उस शीशे में उसके सामने आ गई।

मीरा बेगम ने जो कुछ बाहर घट रहा था वो सब जब ब्लडी मेरी को बताया तब उसने कहां , "तुम फ़िक्र मत करो बहन। ये जगह ये घर तुम्हारा है और हमेशां रहेगा। तुम्हारे शरीर को तो जलाने से में इन लोगों को नहीं रोक सकती प्र तुम्हारी रूह इस घर में ही रहेगी। यहां से जिसने तुम्हे निकालना चाहा या तुम्हे परेशान किया उसको पेहले मेरा सामना करना पड़ेगा। उस दिन गांव वाले ये मान कर चलें गए के मीरा बेगम इस घर के साथ राख हो जाएगी। पर वहां दूसरे दिन वैसे ही मीरा बेगम के घर की इमारत खड़ी थी। कुछ लोगों को तो मीरा बेगम दिखती भी थी। सब समझ गए थे के यहां और कोई नहीं पर मीरा बेगम की आत्मा बसती है। उसके बाद जंगल का वो रास्ता ही सबने बंध कर दिया। ३ साल पहले रिसोर्ट बनाने का मुझे विचार आया और ये जगह मुझे उचित लगी क्यूंकि आसपास के इलाके में कोई और इतना बड़ा रिसोर्ट नहीं है। ये घर हमारे इस रिसोर्ट के बीच में पड़ता था पर जब आसपास के लोगों ने हमें बताया तो हमने इसे वैसा ही रहने दिया और आसपास अपना रिसोर्ट बनाया। ये घर बंध ही है। कोई अंदर नहीं जाता।

में (सार्थक): मेनेजर सर आपकी सारी बात समझ आई पर हमें ये नहीं समझ आ रहा के आपको कैसे पता के उस दिन उस मीरा बेगम नर्तकी ने बल्डी मैरी की हेल्प मांगी थी?

मेनेजर: वो मुझे इस लिए पता है क्यूंकि में मीरा बेगम ख़ुद हूं।

हम सब बेहोश हो गए और जब होंश में आए तब देखा के हमारे सामने होटेल का मेनेजर खड़ा और होटल स्टाफ था।

मेनेजर: आप लोगों को बताया था ना उस आऊट हाऊस में मत जाना। फ़िर वो क्यूं खोला? अरे वहां कुछ ऐसा है जो हम भी नहीं जानते पर इस गांव के लोगों ने हमें वो घर खोलने को मना किया है और आप सब अंदर गए थे?

हम सब समझ गए के आख़िर उस आऊट हाऊस की मीरा बेगम और ब्लडी मैरी की क्या रहस्यमय कहानी थी। उस दिन हम सब रिसोर्ट से चले गए पर हमें बेहद अफ़सोस रह गया के हमने हमारा अच्छा दोस्त रवि खो दिया।

***