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ममी से सच्चा प्यार

ममी से सच्चा प्यार

और अगर कल मैं मर गई तो?

तो क्या! मैं दूसरी शादी कर लूंगा।

सच कह रहे हो?

पागल लड़की जान हो तुम बे। तुम्हें कुछ नहीं होगा। देखो मैंने जुगाड कर लिया है भगवान से कि वो हम दोनों को इस दुनिया से साथ में ही ले जाए फ़िर कोई प्रोब्लम नहीं।

पर ऐसा होता तो नहीं ना शौर्य।

अरे ध्यानी तुम क्यों इतनी फिक्र करती हो के मरने के बाद क्या होगा? ज़िंदगी आज में जीना सीखो।

आज में ही जीनी है पर कल क्या करूंगी तुम्हारे बिना वो फिक्र रहती है।

तो इस लिए मुझे रोज़ पूछती हो है ना? अच्छा चलो तुम बताओ मैं मर गया तो तुम...

शश्श... ऐसा सोचना भी मत। मैं आज की सती सावित्री हूं। छीन लाऊंगी तुम्हें वापस पर ख़ुद से अलग नहीं होने दूंगी।

मैं भी कभी तुमसे दूर हो ही नहीं सकता। वो बिस्तर में तुम्हारा सुबह की चाय देना, नहाते वक्त टॉवल, मेरे हर रोज़ के कपड़े तैयार करना, वो भी मैचिंग कपड़े पहनना जैसे हमारे ये पेशेंट्स हमें नोटिस कर रहे हो। फिर हर रोज़ मेरी पसंद का खाना बनाना। सबको घर आके साथ में एक ही प्लेट में खाना खाना, साथ में टहलने जाना और फ़िर रात को फ्रूट खा कर बहोत सारी बातें करते सो जाना। घर हो या क्लिनिक में तुमसे एक मिनिट दूर नहीं रहेता। तो मरने के बाद का नज़ारा मै सोच भी नहीं सकता। आज के बाद ऐसे ख़्याल भी मत लाना दिमाग में। तुम्हारे बिना एक दिन भी जीना मुम्किन नहीं है।

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ऊपर होने वाले संवाद ध्यानी और शौर्य के बीच में हो रहे थे। और ये लगभग रोज़ होता था। ध्यानी और शौर्य दोनों पति पत्नी थे। दोनों साथ में डॉक्टर बनने की पढ़ाई कर रहे थे तब ही से दोनों के बीच में अच्छा रिश्ता था। पढ़ाई करने के बाद दोनों ने साथ ही में क्लिनिक भी शुरू किया फिर शादी करके घर बसाया।

दोनों अलग अलग कास्ट के होने के कारण दोनों में से किसी के घर वालों ने भी उन्हें सपोर्ट नहीं किया उल्टा रिश्ता तोड़ दिया। बहोत मुश्केलियों का सामना करने के बाद दोनों की शादी हुई थी। दोनों ने तय किया था की उन्हें बच्चा नहीं चाहिए जिंदगीभर अकेले ही जीयेंगे। ताकि जो उनके साथ हुआ वो कल जाकर उनके बच्चों के साथ भी ना हो। अकेले रहने के कारण शादी के १५, एक दूसरे को जानने के पूरे २० साल और दोनों की करीब ४० साल की उम्र हो जाने के बावजूद दोनों में बहोत ज्यादा प्यार और लगाव था। हमेशा वो लोग नवविवाहित जोड़े के जैसे ही लगते थे। दोनों को एक दूसरे के साथ की इतनी आदत लग गई थी कि एक मिनिट भी एक दूसरे से दूर नहीं रहते थे।

एक दिन दोनों रोज़ की तरह साथ में क्लिनिक जा रहे थे और शौर्य को अचानक दिल का दौरा पड़ा एक डॉक्टर होने के कारण वो समझ गया के उसे क्या हो रहा है। उसने ध्यानी से कहा कि कल अगर मैं ना रहूं तो तुम कुछ उल्टासिधा नहीं करोगी। मेरा शरीर नहीं रहेगा पर मेरी आत्मा हमेशा तुम्हारी अंदर जिंदा रहेगी। हमारा प्यार कभी मरेगा नहीं वो अमर रहेगा... इतना बोलने के बाद शौर्य मर गया। ध्यानी उस वक्त गाड़ी चला रही थी उसे अजीब जरूर लगा क्योंकि इतने सालों से ऐसी जीने मरने की कसमें और बातें वो करती थी शौर्य नही और आज ये सब.. अचानक शौर्य बोलता बंद हो गया तो ध्यानी ने उसे बुलाया शौर्य ने उसे कोई जवाब नहीं दिया। ध्यानी बहोत डर गई। उसे लगा शौर्य मज़ाक कर रहा है। पर जब उसने चेक किया तो पता चला शौर्य के प्लसिस गायब थे और सांसें थम गई थी। वो उसे तुरंत अपने क्लिनिक ले गई बहोत कोशिश की पर शौर्य को बचा नहीं पाई। उसकी आंख से आंसू रुक ही नहीं रहे थे। शाम तक वो वहीं क्लिनिक में रही। शाम होते ही शौर्य को विल चेयर पर बिठाकर गाड़ी से घर वापस लाई। घर के अंदर शौर्य का एक हाथ अपने कंधे पर रख बैलेंस करके उसे लेकर आई। उसे सामने पड़ी कुर्सी में बिठाया और उससे बातें करने लगी।

"मैंने कहा था ना तुम्हारे बिना मैं एक दिन भी नहीं जी सकती। और मैंने सच ही कहा था। और मैं जानती हूं कि तुम भी मेरे बिना नहीं रह सकते तो हम कभी अलग नहीं होंगे यही रहेंगे साथ साथ। हां।"

सुबह से शाम हो गई थी पर ध्यानी की आंखों से आसूं उसी रफ्तार से बह रहे थे। पर उन चंद घंटों में ध्यानी ने बहोत कुछ सोच लिया था। अब बारी उसपे अमल करने की थी। ध्यानी आधी पागल हो चुकी थी। शौर्य की मौत ने उसका मानसिक संतुलन हिला दिया था। ध्यानी ने ग्रीस के मिस्त्र में ममी डोम के यहां फोन किया और जरूरी जानकारी एकठ्ठा की।

शौर्य और ध्यानी जानवरो के ही डॉक्टर थे। ध्यानी ने पशु और जानवरो के चमड़े को तैयार किया। चंदन, भस्म आदि लेप एवम जरूरी रसायनिक पदार्थ लगाकर शौर्य के शब को सहजकर अपने घर के अंडर ग्राउंड वाले रूम में उसे रख दिया। वो खुद भी वहीं रहने आ गई।

१५ सालों से साथ रहने के कारण दोनों ने काफ़ी पैसा कमा लिया था की एक अकेली पागल को कमाने की जरूरत नहीं थी। ध्यानी शौर्य को छोड़कर कही नहीं जाती थी। कभी कभी जरूरी सामान लाने जाती तो शौर्य को अपने साथ लेकर जाती गाड़ी में।

ध्यानी ने बजाय शौर्य के शरीर को जलाने के उसे एक ममी बनाकर घर में अपने पास रखा था। धीरे धीरे ध्यानी पूरी पागल हो चुकी थी। शौर्यवौर ध्यानी का प्यार था या उन रसायनों का कमाल पर शौर्य की बॉडी बिल्कुल गली नहीं थी। उल्टा आश्चर्य की बात ये थी के शौर्य के बाल और नाखून आज भी बढ़ रहे थे।

आज दोनों को इस तरह साथ रहते पुरे छ साल बीत चुके। ध्यानी आज भी रोज सुबह उठकर शौर्य को बेड में चाय देती है, उसकी पसंद का नाश्ता खाना सब बनाती है। आज भी वो शौर्य से बातें करती है। उसे पूछती है की कल अगर मैं मर गई तो तुम्हारा क्या होगा? सामने शौर्य बस मुस्कुरा देता है।

जी हां। ध्यानी छ सालों में पूरी पागल हो चुकी थी। पर कई बार आसपास के लोगों ने दोनों को छत पर रात के समय बातें करते सुना है। ध्यानी के साथ कई बार रात को शौर्य अपने हाथों से सच में खाना भी खा लेता था। अब शौर्य जिंदा था, ध्यान मुद्रा में था, उसकी आत्मा थी या एक ममी की कुछ सालों बाद इतनी शक्तियां बढ़ जाती है ये तो कोई नहीं जानता।

ध्यानी जिंदा है या शौर्य के साथ रहकर वो भी एक ममी बन गई है ये तो कोई नहीं जानता पर एक बार क्लिनिक पर काम करने वाली नर्स ध्यानी के घर किसी जरूरी काम से कुछ सालों बाद गई थी तो उसने देखा ध्यानी भी जिंदा लाश की तरह ही बन गई है। दिखने में तो वो आज भी बेहद खूबसूरत लगती थी पर पूरी पागल बन चुकी थी। उस नर्स ने शौर्य को तो नहीं पर किसी मर्द को जरूर देखा था जो सोफे पर बैठकर टीवी देख रहा था और जिसने ध्यानी को आवाज देकर कौन आया है ध्यानी ये पूछा भी था तब ध्यानी ने हसकर उस नर्स का नाम बताया था। और नर्स को ये भी बोला था की शौर्य आज भी एक मिनिट मेरे बिना नहीं रहते। ना मैं उनके बिना जी सकती हूं। ये सब देख वो नर्स तो उसी पल वहां से भाग निकली थी। पता नहीं ध्यानी जिंदा थी या वो भी ममी बन वहां रह रही थी अपने शौर्य के साथ।

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