कोफीन वाला जॉम्बी Chandani द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

श्रेणी
शेयर करे

कोफीन वाला जॉम्बी

कोफीन वाला जॉम्बी

सब भीड़ में खड़े यही सोच रहे थे कि शेठ जमनादास की बॉडी कोफिन से गायब कैसे हो गई? पर भीड़ में खड़ा ही कोई था जो सब जानता था। और शायद ये भी के आगे क्या होने वाला था।

*

कुछ दिन पहले कि ही बात है जमनादासजी को बरेली से फ़ोन आया था उनके बेटे गौरव गुप्ता का। पिछले १० साल से जमनादासजी अकेले ही अपनी जमशेदपुर की लेब संभाल रहे थे। न बेटा ना पत्नी न कोई रिश्तेदार। सब ने उनसे नाता तोड़ दिया था। पर अकेले ही रहकर जमनादासजी ने करोड़ों रूपए कमाने वाला एक खास एक्सपेरिमेंट किया था। पर उन पैसों को खर्च करने वाला कोई नहीं था। न किसीसे रिश्ता रखना चाहते थे वो। उन्हों ने तय किया था की उनका ये जो खास आविष्कार है वो किसी और को पैसों से बेचने की जगह इंडियन रिसर्च एन डेवलपमेंट विभाग को मुफ़्त में दे देंगे। को उनका आविष्कार क्या था और उससे क्या होने वाला था वो तो शायद कोई नहीं जानता था। क्योंकि ये सब उन्होंने अकेले ही किया थी। पर हां वो जहां रहते थे जमशेदपुर में वहां एक औरत थी जिसका नाम सकीना था उसे इसके बारे में काफ़ी कुछ मालूम था। सकीना बेगम तलाकशुदा थी और जमशेदपुर के हरियारपुर इलाके में अकेली ही रहती थी।

गौरव गुप्ता ने अपने पिताजी को फ़ोन करके उन्हें बताया की वो उन्हें लेने आ रहा है। बहोत प्यार से बात की। जमनादासजी बहोत खुश भी थे। वैसे भी उनका आविष्कार पूरा हो गया था जिसके लिए वो घरवालों से इतने दूर रह रहे थे। सोचा था वही कही बस जायेंगे पर बेटे का सामने से फ़ोन आना उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। थोड़ा दुख भी था क्योंकि सकीना बेगम से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई थी। पर खुशियों को नज़र लगते देर कहां होती है। तीन दिन बाद जमनदासजी अपनी लेब से घर आ रहे थे तब रास्ते में एक कार एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई। कोई अपना तो था नहीं पर सकीना बेगम ने फ़ोन करके उसके बेटे को बताया। क्योंकि सकीना बेगम को याद था की जमनादासजी ने बताया था कि पांच दिन बाद उन्हें लेने गौरव उनका बेटा आने वाला है। पर जैसे ही ये खबर सुनी गौरव और उनकी पत्नी अनसुयाजी को बड़ा सदमा लगा। और एक दिन बाद बरेली से उनके कुछ रिश्तेदार, गौरव और अनसुयाजी यहां जमशेदपुर आए और जमनादासजी के शरीर को कॉफिन में ले गए। पर सवाल ये था के उनका वो करोड़ों का आविष्कार कहा था। क्योंकि बरेली लौटने से पहले वो खुद सरकार को वो सौंपने वाले थे। पर उसके पहले ही चल बसे। अब वो कहां और किसके पास होगा कोई नहीं जानता।

एयरपोर्ट पर पहुंचकर जब कॉफिन का वज़न कम लगा तो चेक करने पर पता चला कि अंदर बॉडी तो है ही नहीं। सबको यही समझ नहीं आ रहा था की आख़िर जमनादासजी की बॉडी गायब कैसे हो गई। फ्लाइट में कॉफिन न बदल गया था ना ही जमशेदपुर से लाने में कोई दिक्कत हुए थी फिर बॉडी अपने आप गायब कैसे हो गई?

पुरे हफ़्ते जमनादासजी की बॉडी को ढूंढा गया पर कुछ हाथ नहीं लगा और अब तो सबने उम्मीद भी छोड़ दी। एक महाराज के बताने के अनुसार उनकी पुरानी शर्ट को जलाकर उसे अग्नि दाह दे दिया ताकि आत्मा को शांति मिल सके। पर खेल कुछ और ही चल रहा था।

कानपुर का मिटबाई इलाका तांत्रिक बाबा और कालाजादु करने वालो का घर और उद्गम माना जाता है। वहां के एक प्रसिद्ध सिद्ध तांत्रिक बाबा के पास एक दिन गौरव गुप्ता एक कॉफिन लेकर गया।

गौरव: बाबा मुझे मेरे दोस्त असीम ने आपके बारे में बताया था। सुना है और मुर्दों को भी जिंदा कर सकते हो कुछ वक्त के लिए। मुझे आपकी मदद चाहिए बाबा।

सिद्ध बाबा: तो उस दिन तुम्हीं ने मुझे फ़ोन करके पूछा था ना के क्या मैं ये कर सकता हूं? बच्चे तुम्हें हमारी काबिलियत पर शक है?

गौरव: नहीं बाबा। बस यकीन नहीं हुआ की कैसे होगा ऐसा इस लिए बाबा। बस आप इसे जिंदा कीजिए आपको मुंह मांगी किंमत मिल जाएगी।

सिद्ध बाबा: वो सब मेरे दाएं हाथ का खेल है। पर उसके पहले ये बताओ के ये कॉफिन में कोन है, तुम्हें उससे क्या चाहिए और तुमने कैसे सब किया?

गौरव: बताता हूं सब बाबा। दरअसल कॉफिन में मेरे पिताजी है शेठ जमनादासजी। पिछले १० सालों से वो हम सबको छोड़कर जमशेदपुर पता नहीं क्या कर रहे थे। हम यहां जी रहे है या मर गए वो पूछने तक एक फ़ोन नहीं करते थे वो। बस बहोत बड़े साइंटिस्ट जो थे बस कोई खोज करने जा रहा हूं बोलकर निकल पड़े। एक फूटी कोड़ी नहीं थी हमारे पास। इसे में हमने अपना चलाया। मां टूट चुकी थी उसे संभाला। और १० साल बाद कुछ दिन पहले मेरा एक दोस्त सरकारी रिसर्च एंड फोरेंसिक दोनों डिपार्टमेंट में काम करता है उसने कहा के तेरे पापा सरकार को कुछ रिसर्च पेपर सबमिट करने वाले ही उस पर कोई तो काम चल रहा है। वो ज्यादा तो नहीं जानता था पर उसने इतना बताया के करोड़ो का काम मुफ़्त में दे देने वाले है। क्योंकि उनको पैसे नही चाहिए बस लोगों की मदद करनी हे। पर मेरे दोस्त ने बताया की अगर वो रिसर्च पेपर विदेश में बेचे जाए तो करोड़ो कमा सकते हे।

आप ही बताइए बाबा भला कोन बाप ऐसा करता है? मैंने ही उनका एक्सीडेंट करवाया और मरवा दिया साले को। ऐसा बाप मरने के बाद ही फायदा हो सकता है। पर मैंने बहोत ढूंढा पर वो रिसर्च पेपर कही नहीं मिले। न सरकार के पास ना वो रहते थे वहां न वो लेब में जहां वो अपना आविष्कार किया करते थे। मैंने ही एयरपोर्ट पर पैसे खिलवाके कॉफिन की लाश को दूसरे कॉफिन में शिफ्ट करवा दिया। एक हफ्ता मैंने उसे मेरे दोस्त के यहां गोदाम में रखवा दिया। उसके अलावा ये राज़ कोई नहीं जानता। बाबा मैं अमर बनना चाहता हूं इस मुर्दे को जिंदा कर पूछिए के कहां है वो रिसर्च पेपर। और आखिर क्या था उनका रिसर्च।

सिद्ध बाबा: ठीक है लड़के तुम बहार इंतजार करो मैं यहां अपना काम करता हूं।

सिद्ध बाबा कॉफिन को खोलते उससे पहले कॉफिन अपने आप खुल गया। जमनादासजी खुद सामने आए और बाबा को कहा मेरे बेटे को बुलाइए कुछ कहना हे मुझे। सिद्ध बाबा चौक गए थे क्योंकि उनके पास ऐसा कोई तंत्र मंत्र था ही नही जिससे मरा आदमी फ़िर जिंदा हो सके तो फ़िर उनके सामने जमनादासजी कैसे? गौरव उन्हें देख खुश हो गया और बाबा को धन्यवाद करने लगा क्योंकि उसे लगा ये सब सिद्ध बाबा का चमत्कार है। पर दरअसल सिद्ध बाबा तो लोगों को लुटता था। उनके राज़ जान कोई तोड़ बता कर मुर्दा आदमी जिंदा हुआ और उसने बताया ये कह देता था।

सिद्ध बाबा के कुछ बोलने से पहले ही जमनादासजी ने बोलना शुरू किया।

जमनादासजी: हैरानी नहीं हो रही होगी ना तुम्हें मुझे यहां देखकर। क्योंकि तुम्हें लगता है इस कपटी पाखंडी ने मुझे जिंदा किया पर ऐसा हरगिज़ नहीं है। मरा आदमी कोई तंत्र मंत्र से जिंदा नहीं हो सकता। पर विज्ञान ये जरूर कर सकता है। जानते हो कैसे? जैसे मैं अभी तुम्हारे सामने खड़ा हूं।

गौरव: मतलब?

जमनादासजी: मतलब ये बेटा की मुझे मरे १० दिन हो गए है। आज मेरा आखरी दिन है यहां। जानते हो मैंने क्या ख़ोज की है? मैंने एक ऐसा लिक्विड बनाया है जो अगर इंसान को भनक लग जाए के ये उसके आखरी पल है और उसे वो इंसान पी ले तो मरने के दस दिन बाद वो चाहे तो इंसान बनकर या भूत या कैसी दैवी शक्ति या किसी खास मकसद से बनाए किसी जोम्बी की तरह या गायब रहकर खुदको अपने उन लोगों के आसपास रख सकता है जो उनके मरने के बाद गिरगिड़ के आंसू बहाते है तो कोई सुख के या कोई हक्कित में दुखी होता ही ये इंसान ख़ुद नज़रों से देख सकता है। और उसके बाद अपने अंतिम यानी दसवें दिन किसी मतलबी नहीं पर अपने को अपनी सारी जायदाद सौंप सकता है। और अपने बाकी अधूरे काम पूरा कर सकता है। समझे? ये तो हुआ एक। तुम्हारे दोस्त को मेरा दूसरा और मुख्य आविष्कार पता ही नहीं था जिसने तुम्हें ये बताया भी नहीं।

मेरा दूसरा आविष्कार था कृत्रिम गर्भ बनाना। आजकल बहोत सारी महिलाएं मां बनना तो चाहती है पर अपना फिगर खराब नहीं करना चाहती। मेरा ये आविष्कार उन सबके लिए आशीर्वाद है। मेरा एक्सीडेंट होते ही मैं समझ गया किए मेरे अंतिम पल है और अभी मेरा मकसद पूरा नहीं हुआ था। मैंने तुरंत बेग में से अपना फॉर्मूला निकालकर ख़ुद ही पे आजमाया और मैं सक्सेस भी हुआ। तुमने कॉफिन बदला मुझे गोदाम में रखवाया पर रात होते ही मैं वहां से निकालकर ट्रेन से सीधा जमशेदपुर आया।

यहां सकीना बेगम की मदद से मैं सीधे रिसर्च टीम के पास पहुंच गया। उन्हें बताया की मैं मर चुका हूं और मेरे फॉर्मूला की वजह से उनके सामने बैठा हूं। सकीना ने इस बात की पुष्टि भी करवाई। और कृत्रिम गर्भ वाला फॉर्मूला भी उन्हें सौंपा। सरकार को मेरा काम बेहद पसंद आया और उन्हों ने मुझसे पूछा की मेरी कोई आखरी ख्वाइश। मैंने उन्हें बस यह कहा की जिस तरह ये जॉन्बी बनकर दस दिन की मुद्दत मुझे मिली इस फॉर्मूला को मेक्सिम्म लोगों को दिया जाए जब उन्हें ऑक्सीजन दिया जा रहा हो या डॉक्टर को लगे वेंटीलेटर निकलते ही वो मर जाएंगे। ताकि मेरी तरह कोई और भी अपने बेटे की करतूत अपनी आंखों से देख सके।

***