नौकरानी की बेटी - 44 RACHNA ROY द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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नौकरानी की बेटी - 44

चेतन को देख कर आनंदी को बहुत ही अच्छा लगा क्योंकि उसकी आंखों में सच्चाई थी।


आनंदी ने खाना खाने के बाद कहा चेतन मैं कल तुम्हारे टुरलिप स्कूल में आ रही हुं।
तुमने जो जज्बा इतने कम उम्र में दिखाया है ये काबिले तारीफ है।

चेतन ने कहा मैम मैं अपनी कोशिश से इसको बड़ा किया है और आगे भी करूंगा।।

अन्वेशा ने कहा हां मां जानती हो मैं हमेशा चेतन को कहती हुं कि कहा तुम इन बच्चों के लिए इतने सपने देख रहे हो? चेतन कहता है कि ये ही उज्जवल भविष्य है बेजूवान है पर बहुत कुछ करने की जज्बा है इनमें।।

आनंदी ने कहा हां बिल्कुल सही कहा, और बहुत अच्छा काम कर रहे हो।अगर कोई भी जरूरत हो बोलना।।

चेतन ने कहा जरूर मैम।आप कल आईये।

आनंदी ने कहा हां ज़रूर।

फिर अन्वेशा चेतन को लेकर चली गई।।

कृष्णा ने कहा आनंदी चेतन अच्छा लड़का है।
आनंदी ने कहा हां मां उसकी आंखों में सच्चाई देखी है।

अन्वेशा लौट आई और बोली मां चेतन कैसा लगा?
आनंदी ने कहा हां अच्छा है।शायद तुम्हारे लिए बना है।
अन्वेशा ने कहा क्या मां आप भी ना।। शर्मा गई क्या? अन्वेशा ने कहा नहीं मां। आनंदी ने कहा अच्छा ठीक है मैं उन बच्चों के लिए कुछ करना चाहती हुं।चल हम अभी मार्केट चलेंगे। अन्वेशा ने कहा हां ठीक है।
फिर आनंदी अपने रूम में चली गई।अपना बैग लेकर निकल गई। अन्वेशा ने कहा क्या क्या लेना है। आनंदी ने कहा सब कुछ ही जैसे कपड़े, जूते, कम्बल, चादरें, और खाने पीने का सामान, पढ़ाई लिखाई का सामान। अन्वेशा ने कहा ठीक है चलें। फिर दो तीन घंटे तक सारी शापिंग करने के बाद दोनों घर लौट आए। कृष्णा ने कहा अरे वाह आनंदी ये सब उन बच्चों के लिए क्या? आनंदी ने कहा हां मां उनके लिए ही है। क्योंकि वो मासूम कुछ बोल नहीं पाते। उनकी इच्छाओं को अब मैं पुरा करूंगी। कितने ऐसे बच्चे भी हैं जिनके मां बाप ने छोड़ दिया ये समझ कर की ये पागल है। इनके साथ रहने से लोग क्या कहेंगे पर मां मुझे लगता है कि चेतन ठीक कहता है उनमें ही तो भविष्य है। तारें जमीन पर।


आनंदी सोचने लगी किअन्वेशा की मेडिकल की पढ़ाई भी कुछ समय और बाकी था। आनंदी ने पूछा क्या सोचा तूने? अन्वेशा ने कहा क्या सोचना मां मैं वापस आऊंगी।
अन्वेशा ने सोच लिया था कि डाक्टर बनने के बाद वो इंडिया वापस जायेंगी।
आनंदी ने कहा चेतन ने कुछ कहा।।
इस बारे में चेतन से भी उसने कहा था पर चेतन अभी स्टीक उत्तर नहीं दिया ये अन्वेशा ने कहा।


दूसरे दिन आनंदी और अन्वेशा पहुंच गए एक नये माहौल में चेतन के स्कूल।
आनंदी ने देखा कि चेतन किस तरह से उन विकलांग बच्चों में जान डालने की कोशिश में लगा है।
कहीं कोई बाल खेल रहा है कहीं कोई पढ़ाई-लिखाई,कही कला करता दिखाई देता है।

आनंदी इन सबको देख कर रो पड़ी थी।

फिर सभी चेतन के आफिस में जाकर बैठ गए।

आनंदी ने कहा बेटा मेरा रोम रोम खिल उठा ये देख कर ये बच्चे कैसे तुम्हारे साथ है और कितना प्यार करते हैं।।

आनंदी ने पर्स में से एक लाख रुपए का चेक निकल कर चेतन को दिया।
ये एक छोटा सा चेक है।
चेतन ने कहा मैम धन्यवाद आपका।।

आनंदी ने कहा क्या इनके माता-पिता वापस ले जाते हैं?

चेतन ने कहा हां मैम।

चेतन ने एक कार्ड देते हुए कहा कि ये कला प्रतियोगिता का आयोजन होगा।
इसी रविवार को।
आप सभी आईये।।

आनंदी ने कहा हां ज़रूर।

आनंदी ने अन्वेशा को कहाअच्छा मुझे काम है मैं निकलती हुं।अन्वेशा तुम वापस आ जाना।
अन्वेशा ने कहा हां मां।


आनंदी वहां से समर्पण एनजीओ में गई और कुछ जरूरी काम करने लगी।

आनंदी ने वहां की हेड मरियम से कहा कि अब यहां के बच्चों को एक अच्छे स्कूल में दाखिला करवाना होगा।
मरियम ने कहा हां पर हमारे पास पैसे।।

आनंदी ने कहा उसकी चिंता मत करो सब कुछ हो जायेगा।

फिर वहां से आनंदी घर आकर रीतू से फोन पर बात करने लगी।
आनंदी ने कहा कि अब वार्षिक उत्सव आने वाला है मेरे हर एक बांच में ये उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जायेगा।

आनंदी ने कहा मां मुझे कुछ दिनों के लिए कनाडा जाना होगा।

कृष्णा ने कहा अच्छा।
आनंदी ने कहा अगले महीने है।

फिर आनंदी ने आॅल लाइन के अनुसार सारे बांच की तैयारी काम बहुत ही अच्छे से किया जा रहा था।


बच्चे ने अपनी प्रतिभा बहुत ही अच्छी तरह से दिखाया था।

आनंदी भी बहुत प्रभावित हुईं और सभी को बहुत प्रोत्साहित भी किया।

आज आनंदी के मेहनत से ही समर्पण एनजीओ हर एक शहर में खोला गया था और विदेश में भी इसका विकास किया जा रहा था।


आज ही वार्षिक उत्सव होने वाला है।

आनंदी बहुत ही खुश हैं और वो एक सुंदर साड़ी भी पहनी है।

सभी लंदन में एक बड़े से बेककिट हाॅल में एकत्रित हो गए।

फिर सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो गई थी।
सभी जगह से आनॅलाइन सभी ने कनेक्ट कर लिया।

और फिर एक -एक करके प्रोग्राम शुरू हो गया था।


सभी ने बहुत ही अच्छा कार्यक्रम आयोजित किया।
खुब सारी तालियों की गूंज पुरे देश में फ़ैल गया था।

आनंदी को बहुत ही अच्छा लगा कि सभी ने समर्पण का नाम ऊंचा किया है।



प्रोग्राम के अन्त में आनंदी ने कहा कि आप सभी को तहेदिल से शुक्रिया अदा करतीं हुं।

समर्पण एनजीओ के पुरे टीम को मैं बहुत सारी बधाई देना चाहती हुं।


आप सभी ने बहुत ही खूबसूरती से काम किया है।
आशा करतीं हुं कि आगे भी आप सभी युही मिलकर काम करोगे।

आनंदी ने कहा कि मैं समर्पण को बहुत ऊंचाई पर देखना चाहती हुं।


फिर सभी को खाना खाने के लिए आमंत्रित किया गया।

फिर सभी खाना खाने बैठ गए।


आनंदी, अन्वेशा, रीतू, शैलेश,शना, कृष्णा सभी खाना खाने लगे।



फिर सभी वापस आ गए।
आनंदी ने समर्पण एनजीओ के निदेशक के माध्यम से सभी बांच में सभी को आकर्षित गिफ्ट दिया गया।


सभी बच्चो ने आनंदी को विडियो कालिंग कर के बहुत सारे धन्यवाद दिया।


इसी तरह आनंदी के कनाडा जाने का टाइम भी आ गया


आनंदी तेरी पैकिंग हो गई क्या? कृष्णा ने ये पुछा?

आनंदी ने कहा हां मां,बस अभी निकलना है।

कृष्णा ने कहा अरे नाश्ता तो कर लें।

आनंदी ने कहा हां जल्दी से दे दो।।

आनंदी ने कहा अरे मां अन्वेशा कहा है?


कृष्णा ने कहा अरे तैयार हो रही है।

फिर अन्वेशा आ गई और बोली मां मैं जा रही हुं एयरपोर्ट।

आनंदी ने कहा अच्छा ठीक है।।
कृष्णा के पैर छूकर आशीर्वाद लिया है

और फिर आनंदी कनाडा की फ्लाइट के लिए निकल गई।

अन्वेशा और आनंदी नीचे पहुंच गए तो देखा कि चेतन खड़ा हुआ था और फिर उसने कहा हेलो मैम।।

आनंदी ने कहा और कैसे हो?
फिर सभी आनंदी के साथ गाड़ी में बैठ गए और एयरपोर्ट के लिए निकल गए।

लंदन एयरपोर्ट पहुंच कर ही सारी फारमालिटज हो गई और आनंदी ने चेतन और अन्वेशा को बाईं किया और आगे बढ़ गई।

अन्वेशा और चेतन वापस आ गए और फिर चेतन बोला अरे रो क्यों रही हो?
अन्वेशा ने कहा और क्या अब तो अकेले सोना होगा।
चेतन ने हंस कर कहा अरे यार बच्ची हो क्या तुम तो हमेशा से अकेले ही सोती आई हो।
अन्वेशा ने कहा अच्छा अब चलो घर मे नानी अकेली है।

फिर दोनों ने गाड़ी में बैठ कर बातें करने लगे।

फिर घर पहुंचते देर हो गई।
कृष्णा ने कहा अरे अन्वेशा आज देर हो गया।

अन्वेशा ने कहा हां हां नानी मां।मै किसी जरूरी काम से फंस गई है।


क्रमशः