नौकरानी की बेटी - भाग 9 RACHNA ROY द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

नौकरानी की बेटी - भाग 9

आनंदी को सरकार द्वारा स्कालरशिप भी प्राप्त हो गया और अब आगे।




रीतू बोली आनंदी मै आज इतनी खुश हुं कि क्या बताऊं मैं विक एंड में एक पार्टी दूंगी तुम्हारे लिए।
आनंदी ने कहा थैंक यू दी। मैं कभी भी आप को निराश नहीं करूंगी खुब मेहनत करूंगी।
रीतू ने अपना हाथ आनंदी के सर पर रख कर बोली गाड बेल्स यूं डियर।

फिर रीतू अपने आफिस का काम करने लगी और आनंदी भी अपनी पढ़ाई में लग गई वो दिन रात एक करके अपनी पढ़ाई पूरी करतीं रहती थी।

स्कूल में भी आनंदी का परफोर्मेंस देख कर उसे सीधे नवीं कक्षा में प्रवेश मिल गया जिसमें आनंदी को एक गोल्ड मेडल भी प्राप्त हुआ और साथ में डिजिटल सर्टिफिकेट भी मिला।

ये सुनकर कर रीतू के अपार्टमेंट में भी सबने मिलकर आनंदी को बधाई दी और रीतू तो खुशी के मारे रो पड़ी।

दिल्ली में घर के सभी सदस्यों को बताया गया अनु एकदम आश्चर्य हो गई थी और राजू को पुरा यकीन था आनंदी के उपर।।।

फिर इस तरह एक -एक दिन इसी आशा और विश्वास के साथ बीत रहा था।

आनंदी धीरे धीरे-धीरे अंग्रेजी में बात करने लग गई और अब उसे लैपटॉप भी चलाना अच्छे से आ गया था।
आनंदी ने कोचिंग क्लास भी जोय्न कर लिया था

फिर आनंदी का फाइनल एग्जाम भी आ गया और उसके सारे पेपर भी बहुत अच्छी तरह से हो गया था।
आनंदी का फाइनल एग्जाम का रेजलट भी आ गया।
इस बार भी पूरे स्कूल में उसका १००प्रतिशत नम्बर आए थे उसे गोल्ड मेडल भी प्राप्त हुआ।

आनंदी जब घर पहुंच गई और फिर उसने रीतू को फोन कर के सब बताया तो रीतू भी आफिस से छुट्टी कर के आ गई और फिर दोनों ने मिलकर घर में फोन करके कृष्णा वाई को बताया। कृष्णा तो खुशी से रोने लगी।

फिर रीतू ने एक पार्टी रखी जिसमें आनंदी को सबसे मिलवाया और सब लोग कुछ ना कुछ आनंदी के लिए लाए थे। आनंदी खुशी से झूम उठी थी।
फिर आनंदी का एक नया सफर शुरू हुआ वो अब कक्षा दसवीं की छात्रा थी।

रीतू ने जोर देकर कहा कि ,आनंदी आगे भी इसी तरह मेहनत और लगन से पढ़ाई कर के अपनी मां का सपना पूरा करना होगा तुझे ।
आनंदी ने कहा हां दीदी जरूर, ये कह कर रीतू के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

सबके जाने के बाद आनंदी और रीतू ने डिनर किया और आनंदी ने थैंक यू कहा।
फिर आनंदी ने सबका उपहार खोला और सबने
बहुत ही खूबसूरत तोहफा दिया था जो कि आनंदी के काम आने वाला था।

सुबह से ही आनंदी का डेली रूटीन बन गया था डे टू डे कन्वरर्सेशन उसके बाद रेडी टू गो टू स्कूल।

इस साल आनंदी को बोर्ड का एक्जाम देना था तो इसलिए वो दिन रात मेहनत करती रहती थी। स्कूल में भी सारी टीचर्स उसको हमेशा प्रोत्साहित करते रहते थे।

रीतू ने कहा आनंदी दसवीं कक्षा का फार्म बहुत सावधानी से भरना होगा हां। आनंदी बोली हां दीदी मैम ने आज समझाया था।

रीतू बोली अच्छा चल ठीक है, सोने चले कल फिर तैयारी करनी होगी।

सुबह उठते ही आनंदी जल्दी से नाश्ता कर के तैयार हो गई आज स्पोर्ट्स डे है इसलिए उसने ग्रीन हाउस टी-शर्ट और टाउजर काले रंग का पहना था ।जूते भी स्पोर्ट्स वाले थे। आनंदी ने एक चोटी किया था और फिर वो स्कूल चली गई।

स्कूल पहुंच कर ही एस्मबली फिर क्लास में पहुंच कर लैक्चर शुरू हो गया। आनंदी सारा लैक्चर को बड़े ध्यान से सुनती और फिर नोट भी करती थी।

हेड सर क्लास में आ गए। सभी बच्चे विश किए और फिर उन्होंने आई जी सी एस ई बोर्ड परीक्षा के बारे में जानकारी देनी शुरु किया।

इंटर नेशनल जनरल सटिफिकेट आफ सेकेंडरी एजुकेशन एक कंटेंट रिच प्रोगाम है,जो छात्रा को आगे की पढ़ाई के लिए तैयार किया जाता है। ये सब बच्चों को समझा कर फिर हेड सर चले गए।

उसके बाद मिस मरिया सभी बच्चों को फार्म भरने के लिए दिया। आनंदी भी बहुत ध्यान से सब चेक कर के फार्म भर दिया।

फिर लंच ब्रेक के बाद सभी खेल के मैदान में पहुंच कर सभी बास्केटबॉल खेलने लगे ।

स्पोर्ट्स टीचर थामस सर ने सबको बास्केटबॉल खेलना सिखाया।

आनंदी भी खेलते खेलते-खेलते सिख गई उसने बहुत सारा गोल भी किया।

इस तरह आनंदी का लंदन में एक- एक दिन बीत रहा था वो जी जान से मन लगाकर पढाई कर रही थी।
रीतू बोली अरे आनंदी क्लास दसवीं के बाद ग्यारहवीं कक्षा में प्रवेश करेगी, तो तू कौन सा विषय लेगी?
आनंदी ने कहा दीदी मैं तो मैथ ही लूंगी। रीतू बोली हां तभी तू उसी विषय से आई एस की तैयारी कर पायेगी।

आनंदी ने कहा हां दीदी मैं पूरी कोशिश करूंगी।
क्रमशः