नौकरानी की बेटी - 40 RACHNA ROY द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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नौकरानी की बेटी - 40

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गई ।और फिर सैर को निकल गई।। वापस आ कर तैयार हो गई आनंदी और उसने मोबाइल पर तारिख देख कर कहा अरे मुंबई में आए हुए आज छः महीने बीत गए।

आनंदी ने कहा देखो मां आज मेरा समर्पण एनजीओ कहा से कहा पहुंच गया।
छः महीने में बहुत कुछ बदल सा गया।
समर्पण एनजीओ में मैंने बच्चों को हर तरह की सुविधाएं देने की कोशिश किया एक घर जैसा माहौल मिलें।

कृष्णा ने कहा हां आनंदी मैं जानती हूं बेटा।
आनंदी ने कहा बस अन्वेशा की हाई स्कूल का परीक्षा परिणाम घोषित हो जाएं तो मुझे भी चैन मिलें।


कृष्णा ने कहा हां बेटा अब तो उसको लंदन भी जाना है।
आनंदी ने कहा हां मां अब मुझे भी अवकाश मिलेगा फिर सभी लंदन चलेंगे और वहां अन्वेशा की आगे की पढ़ाई शुरू करवाना है।

अन्वेशा कालेज से आ गई और फिर बोली मां इस बार रेजल्ट एक महीने बाद आयेगा।

आनंदी ने कहा हां अन्वेशा मैंने लंदन की एयर टिकट बुक करवाने दिया है।

शायद दो महीने बाद हमें जाना होगा।
अन्वेशा ने कहा हां ठीक है मां,पर तुम्हारा समर्पण एनजीओ।
आनंदी ने कहा आज समर्पण एनजीओ के लिए सभी एक हो कर काम कर रहे हैं।
मुझे नहीं लगता कि मेरे पीछे कोई दिक्कत होगा।
वैसे भी चार साल बाद वापस आना है।

अन्वेशा ने कहा हां ठीक है।
कृष्णा ने कहा चलो खाना खा लेते हैं।
फिर सभी ने ख़ाना खा कर सो गए।



इसी तरह दिन बीतने लगे।

आनंदी का किरदार और बढ़ गया था।
क्योंकि वो एक बहुत ही सफल और लोकप्रिय अफसर बन गई थी सभी का दुःख, तकलीफ़ वो दूर करने में लगीं रहती थी।

मुम्बई की दुनिया बहुत ही मनोरम था । आनंदी को अब लगने लगा था कि अब कुछ समय के लिए आराम करना है खुद के लिए भी जीना है।


इसी तरह दिन निकलने लगें।

समर्पण एनजीओ में बहुत ही अच्छे से सब कुछ चल रहा था अब कोई भी बच्चा अनाथ और अशिक्षित नहीं रहा था क्योंकि आनंदी ने ये ठानी थी कि समर्पण को बहुत ऊंचाई तक लेकर जाना है।


आज आनंदी को समर्पण एनजीओ के सफलता के लिए हमारे देश के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किया जाएगा। ये चर्चा हर जगह पर हो रही थी।

आनंदी को सम्मानित करने के लिए बहुत बड़ी हस्तियों का जमावड़ा लगा था।

अन्वेशा और कृष्णा भी समय से पहले ही पहुंच गए थे।

आनंदी को स्टेज पर बुलाया गया और प्रधानमंत्री ने आनंदी को एक गोल्ड मेडल पहना दिया और पांच लाख रुपए का चेक भी दिया गया।

आनंदी ने कहा कि अब मुझे ये महसूस हो रहा है कि मैं अकेली नहीं हूं आज समर्पण एनजीओ को बहुत ही ऊंची बुलंदी पर पहुंचा कर मैं बहुत निश्चित हूं आज शायद मैं चैन से सो सकती हुं।
धन्यवाद।।

फिर काफी देर तक आनंदी का इंटरव्यू भी हुआ और फिर वहां खाना पीना सब करने लगे।

आनंदी भी कृष्णा और अन्वेशा के साथ डिनर करने गए।
बहुत सारी फोटो शूट करवाया गया।

आनंदी की आंखों पर खुशी के आंसु झलक रही थी।
फिर अन्वेशा ने कहा मां आपका जबाव नहीं।।

फिर सब घर लौट आए।
अन्वेशा ने आनंदी के गले से वो मेडल ले कर अपने गले में डाल दिया।

आनंदी हंसते हुए बोली अन्वेशा पता है कितने ऐसे ही गोल्ड मेडल मिला है मुझे ,और अब मैं चाहती हूं कि तुम्हें भी मिले।

अन्वेशा ने कहा हां मां जरूर मिलेगा।


आनंदी ने कहा हां बेटा मुझे यकीन है कि तुम एक सफल डाक्टर बनोगी।


कृष्णा ने कहा अरे दो बज रहे हैं चलो सो जाते हैं।





आज अन्वेशा का रेल्जट। आने वाला है ये बात आनंदी ने कृष्णा से पूछा?

कृष्णा ने कहा हां ठीक है।
आनंदी ने कहा पर मां अन्वेशा कहीं नहीं दिख रही हैं।

कृष्णा ने कहा अरे आज सो रही है।
आनंदी अच्छा पर हमेशा वो जल्दी उठकर तैयार हो जाती है।

आनंदी ने कहा हां, मैं देखती हूं।

फिर आनंदी अन्वेशा के रूम में जाकर देखती है और कहती हैं लाडो उठ बेटा।

अन्वेशा ने कहा मां मुझे बहुत डर लग रहा है इसलिए मैं सो रही थी।

आनंदी ने कहा डरते वो जिसके हौसले बुलंद नहीं होते हैं।


अन्वेशा ने कहा हां मां पर मुझे पता नहीं क्या होगा।
आनंदी ने कहा जल्दी से तैयार हो कर नाश्ता करने आ जाओ।

आनंदी ने कुछ फोन कालऍ करने चलीं गईं।

फिर नाश्ते के टेबल पर अन्वेशा आ गई और फिर बोली अरे नानी क्या बनाई हो?

कृष्णा हंस कर बोली अरे तेरी पसंद के पुरन पोली बनाईं हूं पर तू तो खाएंगी नहीं गर्म गर्म घी के साथ।।

अन्वेशा ने कहा किसने कहा की नहीं खाऊंगी।
आनंदी ने कहा हां चलो अब खाते हैं।
फिर सब ने खा लिया। सभी हंसने लगे।

आनंदी ने अन्वेशा तेरा रोल नंबर देना।
अन्वेशा ने अपना रोल नंबर दे दिया।
आनंदी डाईंग रूम में अपना लैपटॉप ले कर बैठ गई और फिर बोली कि रीतू दी मेरे लिए हमेशा से लकी रही है वो हमेशा रेजल्ट देखा करती थी।

अन्वेशा ने कहा हां ,मां मुझे मासी ने बताया था।

फिर आनंदी ने देखना शुरू किया।

और फिर आनंदी ने एकदम से कहा कि फर्स्ट रेंक होल्डर अन्वेशा।

अन्वेशा को खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
और फिर उसके सारे दोस्त उसके घर पर आकर उसको बधाई देने लगें। आनंदी का घर पुरे बच्चों से भर गया था। आनंदी ने मां जल्दी से सबके लिए नाश्ता लगवा दिजिए वो कुक से बोल दिजिए। कृष्णा ने कहा हां ठीक है तू चिंता मत कर मैं अभी लगवा देती हुं।
फिर सभी को कोल्ड ड्रिंक पीने को दिया गया। और फिर डाइनिंग टेबल पर सब तरह का नाश्ता लग चुका था। बड़ा पांव, समोसे, कचौड़ी,केक, फुस्ट , काजू बादाम, फिर कुछ मिठाई भी। सभी बड़े मन से खाने लगे। अन्वेशा भी बहुत खुश हो गई। फिर सभी दोस्त चले गए।

आनंदी की आंखों पर खुशी के आंसु झलक रहे थे।
फिर आनंदी ने रीतू को फोन पर ये खुशखबरी सुनाई।

रीतू ने कहा हां जिसकी मां की सफलता के चरचे अभी तक हो रहे हो तो उसकी बेटी भी ऐसी होगी।

फिर आनंदी ने अन्वेशा से एक पार्टी देने का वादा किया।

अन्वेशा बहुत ही खुश हो कर दूसरे दिन कालेज चली गई।

आनंदी भी खुश हो कर अपने आफिस और समर्पण एनजीओ में मिठाई बंटवाया।


आनंदी ने तो ये वेरा उठाया था कि कोई भी अब अनपढ़ नहीं रहेगा उसके लिए आनंदी को बहुत सारे कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा।


अन्वेशा के टाप पोजीशन आने की खुशी में अपने सारे दोस्तों को पार्टी में आने का न्योता दे दिया। अन्वेशा ने कहा अगले संडे को पार्टी रखी गई । सभी दोस्तों ने कहा अन्वेशा तुम्हारी मां सुपर बूमेन और एक अच्छी मां भी है।
अन्वेशा ने कहा हां,सो लकी यार।।


अब अन्वेशा के शापिंग शुरू हो गए थे। ऐसा कृष्णा ने कहा। आनंदी ने कहा हां मां याद है हम तो एक एक चीज के लिए तरस कर रह जाते थे और हम नहीं चाहते कि अन्वेशा भी तरसे।पर उसे हर सही ग़लत का ज्ञान भी हो तभी वो एक अच्छी डाक्टर बन पाएंगी।

क्रमशः