नौकरानी की बेटी - 39 RACHNA ROY द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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नौकरानी की बेटी - 39

आनंदी का इंटरव्यू भी हुआ अगले दिन ही अख़बार की पहली हेड लाइन में आनंदी की फोटो और बहुत सारी बातें छापी गई थी।

अन्वेशा बहुत ही खुश थी उसने अपनी पीगी बैंक में से पैसों से आनंदी के लिए एक बड़ा सा केक लाई।

आनंदी को खुशी का ठिकाना नहीं रहा उसने केक काटा और सब को खिलाया।
आनंदी ने जीवन जीने का उद्देश्य और जज़्बा दोनों को मान्यता दिया।
फिर कहीं भी किसी के साथ कुछ गलत होता देख आनंदी तत्पर होकर उसे बचाती और अपने पैरों पर खड़े होना भी सिखा देती थी।
उसका एक ही उद्देश्य था कि हर इन्सान को जीने का अधिकार है और एक सादगी भरा जीवन जीना चाहिए।



दो महीने बाद ही आनंदी को मुम्बई में शिफ्ट होना है।दो महीने कब निकल गए पता ही नहीं चला।

इसी तरह आनंदी के जीवन का एक एक पड़ाव चल रहा था अब आनंदी का पोस्टिंग मुम्बई में हो गया।

आज आनंदी अन्वेशा और कृष्णा मुम्बई के लिए निकल रहे थे।


एयरपोर्ट पर पहुंच कर आनंदी ने अन्वेशा को बताया कि देखो यहां पर ऐसी हलचल हुआ था जब मैं एक समय हवाई जहाज से लंदन जा रही थी रीतू दी के साथ।
और मुझे खुद पर यकीन था कि एक दिन मैं कुछ कर जाऊंगी।

अन्वेशा ने कहा हां मां मुझे भी खुद पर विश्वास है।
मुझे सब कुछ याद है मां जब मैं रास्ते पर रोती हुई आपको मिली थी।

आनंदी ने कहा हां बेटा पर वो सब याद मत करो मैंने तुम्हें जन्म नहीं दिया तो क्या पर तुम बिल्कुल मेरे जैसी हो।

फिर हवाई जहाज पर बैठ गई कुछ देर बाद नाश्ता मिल गया।

फिर एक नई उम्मीद नई मंजिल के साथ आनंदी और कृष्णा अन्वेशा सभी मुम्बई में पहुंच गए।


एक घंटे बाद ही आनंदी एक नये बंगले में पहुंच गई।

नवी मुंबई में एक बहुत ही शानदार बंगला मिला था आनंदी को।

अन्वेशा ने कहा मां मुझे बहुत ही अच्छा लगा रहा है।
आनंदी ने कहा हां बेटा अब तुम्हें यहां पर एक अच्छे कालेज में दाखिला मिल जायेगा।

फिर तुम भी धीरे धीरे मुम्बई की हो जाओगी।
अन्वेशा ने कहा हां मां पर मैंने सुना है कि पुना में पढ़ाई का ज्यादा चांस है।

कृष्णा ने कहा बेटा आ जाओ नाश्ता लग गया है।

ये बंगला बहुत ही खूबसूरती के साथ डोकोरेशन किया गया था।


फिर सभी ने नाश्ता किया और फिर सोने चले गए।

दोपहर का लंच और शाम के चाय और नाश्ता करने के बाद आनंदी ने दो तीन मेल किया।
कल से जोय्न करना था। बड़ी जगह बड़ा पोस्ट।


आनंदी ने कहा कि अब मुझे यहां भी समर्पण एनजीओ खोलना होगा।
आनंदी के अपार्टमेंट के बाद ही बीच था जहां बहुत सारे स्टाल लगाए गए थे।

हर रोज मार्निंग वाक के लिए निकल जाती थी।
अन्वेशा को बहुत ही अच्छा लग रहा था।

फिर इसी तरह आनंदी को मुम्बई में आये दो महीने हो गए।

आनंदी ने बहुत ही अच्छे से मुम्बई में आकर भी सब कुछ बहुत जल्दी से सम्हाल लिया। उसे यहां पर भी उच्च पदस्थ मिला था। और आनंदी उत्साहित हो कर काम भी कर रही थी।।

शाम के समय आनंदी अपने अपार्टमेंट से जुड़े हुए समस्याओं का समाधान करने के लिए रोज एक मिटिग करती थी। सभी लोग आनंदी से बहुत प्रभावित भी हुए थे। आनंदी ने वहां पर ही लड़कियों को अपनी आत्म रक्षा के लिए टाईकोनडो क्लास भी शुरू करवा दिया। जहां पर हर शाम को वहां की लड़कियों को अपनी आत्म रक्षा कैसे करनी चाहिए ये सिखाया जाता था।
इस बात के लिए आनंदी को सोसाइटी की तरफ से सुपर बूमेन का खिताब मिला।

आनंदी की पीए जुही भी बहुत अच्छी तरह से सब काम किया करती थी।


आनंदी को हर रोज किसी न किसी काम के लिए मुम्बई में कहीं ना कहीं जाना पड़ता था।

और समर्पण एनजीओ को पुरी तरह से सफलता हासिल करवाने में आनंदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
अब सभी के मुंह में समर्पण एनजीओ के नाम था और समर्पण के लिए काम करना चाहते थे।

मुंबई में भी बहुत ही जल्दी समर्पण एनजीओ खोलने की कोशिश करने की शुरुआत कर दी थी।

फिर एक दिन एक बहुत ही बड़े जगह पर आनंदी ने समर्पण एनजीओ खोलने का निर्णय लिया।
उस जगह पर काम भी शुरू हो गया था।
अन्वेशा भी अपनी पढ़ाई को लेकर बहुत ही उत्साहित थी उसे अपनी मां का सपना पूरा करना था इसके लिए वो आगे की पढ़ाई लंदन से करना चाहती थी।

इसके लिए उसे पता था कि मुश्किल तो है पर नामुमकिन कुछ भी नहीं है।

कृष्णा ने कहा अन्वेशा बेटा तुम्हारी लगन तो बिल्कुल तुम्हारी मां के जैसी है।
अन्वेशा को ये पता था कि कब उसे आनंदी ने अपना नाम दिया और कहा से कहा पहुंचा दिया।
उसे अपनी मां पर गर्व था।

आनंदी ने कहा अन्वेशा कल समर्पण एनजीओ का उद्घाटन है वो भी तेरी नानी के हाथों से।

अन्वेशा ने कहा वाह क्या बात है।
नानी आप तो ग्रेट हो।।

कृष्णा ने हंस कर कहा अरे बाबा मैंने तो कुछ भी नहीं किया।
आनंदी ने कृष्णा को गले लगा कर कहा अरे मां अगर आज आपने मुझे अच्छी परवरिश और अच्छी शिक्षा नहीं दी होती तो मैं आज वही होती जहां से हम आएं हैं।

मां मुझे तुम पर गर्व है कि तुम खुद लोगों के घर काम किया पर मुझे कभी भी उस काम के लिए मजबुर नहीं किया। और फिर रीतू दी को तो मैं कभी भी भुल सकती हुं।

उनका ये उपकार जिंदगी भर नहीं चुका पाऊंगी।

अन्वेशा ने कहा ओह मम्मी आप फिर से इमोशनल हो गई।
कृष्णा ने कहा चलो खाना खा कर सो जाते हैं।
आनंदी ने कहा हां मां चलो।


फिर अगले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर करके तैयार हो गए।
सभी ने साड़ी पहना था।
अन्वेशा ने सब खरीदारी की थी।

फिर आनंदी और कृष्णा अन्वेशा गाड़ी में निकल गए।

अन्वेशा ने कहा मम्मी ये जगह कहा है?
आनंदी ने कहा अरे बाबा पनवेल में है काफी बड़ी जगह है।

फिर एक घंटे बाद ये लोग वहां पहुंचे तो देखा सब तैयारी हो गई थी।
जुही वहां पहले से मौजूद थीं।
जुही बोली अरे मैम बहुत ही खूबसूरत लग रही है।
चलिए सब।।

आनंदी ने कहा जुही नाश्ता सब तैयार हो गया है।
जुही बोली बिल्कुल मैम सब कुछ ठीक है।

कृष्णा आगे बढ़ गई और फिर कैंची से उसने रिवन काटा और सब ने ताली बजाकर स्वागत किया।

सभी अन्दर पहुंच गए।
अन्वेशा बोली मां बहुत बड़ी जगह है।

कुछ देर बाद प्रेस वाले आ गए और फिर आनंदी का इंटरव्यू लेने लगें।
फिर काफी भीड़ हो गई थी।
सभी को नाश्ते का डिब्बा दिया गया।
काफी देर बाद आनंदी कृष्णा अन्वेशा ने नाश्ता किया।
आनंदी ने एक छोटी सी पुजा रखवाया था।
सब कुछ बहुत अच्छी तरह हो गया।
कुछ देर बाद ही अन्वेशा को रीतू मासी का विडियो कालिंग आ गया।
अन्वेशा ने पुरी जगह दिखाया।
रीतू ने कहा आनंदी मुझे यकीन था कि तुम एक दिन जरूर इतनी कामयाब होगी जो एक इतिहास रची जाएगी।
आनंदी ने रोते हुए कहा दीदी आज मैं जो कुछ भी हुं वो सिर्फ आप की वजह से।

फिर रीतू ने विडियो कालिंग बन्द कर दिया।


आनंदी ने कहा मां मुझे तो देर होगा कुछ इन्टरव्यू लेना है आप लोग घर जाओ।

अन्वेशा ने कहा हां मां ठीक है।
प्रदीप ड्राइवर आकर बोले मैम आप दूसरे गाडी में आ जाईए।
आनंदी ने कहा हां भाई आप बड़ी गाड़ी लेकर जाना।
फिर अन्वेशा और कृष्णा वहां से निकल गए।

आनंदी ने अपने नए समर्पण एनजीओ के लिए कुछ इम्प्लाइज के लिए पेपर में ऐड दिया था।

फिर एक एक करके केन्डीडेट आने लगें।

काफी समय बाद आनंदी घर के लिए निकल गई।

घर आकर ही आनंदी एक दम थक गई थी और फिर जाकर सो गई।


क्रमशः