पिंजरे कि चिड़िया Yayawargi (Divangi Joshi) द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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पिंजरे कि चिड़िया

पाऊं मे जंजीर आज भी है
जिसका नाम संस्कार है
ये हमारी कोई सुरक्षा नहीं
ये उनका अंहकार है
बेमतलबी सवाल तेरे
जवाब बने बहस मेरे
बोलना बना बदतमीजी
ऐसी एक चिड़िया कि कहानी


"मुंह चलना बंध कर ।
चुप होजा ख़तम कर
तू नादान है नासमझ है
बुरे भले कि कहा परख है
वो तेरा इस्तमाल करेगा
फिर कूड़ा फेक देगा
ये पिंजारा हिफाजत करेगा
दाना पानी भी मिलेगा
बस सलाखों के पीछे रहना है
हँसना है गाना है पर
पिंजारा ना तोड़ ना है
टुटा तो हमारे नाम का क्या
हमे मिलते सन्मान का क्या
एक चीडा आएगा
तुझे उडा ले जाएगा
तू अकेले मत उड़ना
उसके साथ डोरी
अपनी बांधे रखाना
वो जहां उड़े तू भी उड़ सकेगी
उसका आसमा तू भी देख सकेगी


चिडियां बोली,
पर वो तो उसका आसमान होगा मेरा नहीं..!
पर एक चिड़ा है
जिसे मे जानती हूँ
उसके आसमा को मे अपना मानती हूँ
बाँध दो डोरी उसके साथ
शायद हो जाऊ मे आज़ाद।



दिए खोलने पर सिखाने को उड़ान
उसका मिला ये नतीजा
मुँह फट वापस पिंजरे मे चली जा
डोरी बंधेगी उससे जिसे हम कहेगे
आसमा चाहे कोई भी हो तेरा चीडा हम चुनेगे
बहस करना छोड़ दे
मुँह अपना बंध कर
चुप होजा खत्म कर
नादान है नासमझ है
जैसा हम कहे ऐसा कर
ये तो ना सिखाया था
ना थी ऐसी उम्मीद
ये सिला दिया भरोसे का
जो दिया मौका पंख फैलाने का
अब तु ना उड़ेगी
ना देखिगी आसमान
एक खिडकी का टुकड़ा
ओर हसना गाना पिंजरे मे
ये हि है तेरी छोटी दुनिया
अरे देख उन चिड़िया को
वो भी कहा उडा करती है
वो भी ऐसे हि बूढ़ी होती है

पर

एक दिन चिड़िया उड़ेगी
पिंजरा साथ ले उड़ेगी
जंजीरो से कटेगी
सलाखे टूटेगी
पंख खुद देंगे परवाज उड़ान को
पंख है कोमल चिडा है दूर
पर ये चिड़िया उड़ेगी ज़रूर
अपनी ज़िन्दगी जियेगी जरूर

-Yayawargi



जींदगी एक कहानी है
डेली शॉप सी
जिसकी हर कहानी के दो पेहलु होते है
हमें अक्सर एक किरदार कि और से कहानी पता होती है
वो हि नायक होता है उसे नायिका से हि प्यार होता है..
पर जीवन मे के हर इंसान नायक है अपनी कहानी का
वो जिसे प्यार करें वो हि है नायिका,
पर हर किरदार कि भी अपनी है कहानियाँ...
पर जब मेरी बयां करी कहानी तुम्हारी कहानी से मेल नहीं खाती...
इसका मतलब ये तो नहीं के मे गलत हूँ.. मेरी बातें गलत है
तुम मेरी नज़र कहानी नहीं देखते
जितनी नज़र उतनी कहानी, जितने किरदार उतने पहलु,
जितनी गलत उतनी सही

मेरी कहानी


-यायावरगी

बिन मंजिल सफर मेरा
कहा जाना है केसे जाना है
किसका होना है क्यूँ होना है
ना जानू मे किसे पूछूँ
बस चलती रहु थमी -थमी
आँखो मे लिए हलकी नमी
कुछ राही मुझे मिले
थोड़ा बहुत दोनों खिले
हमेशा साथ का वादा किया
आधे रास्ते छोड़ आधा किया
लोग कहे वहाँ जा
सुकून दिखेगा
उस रास्ते पैसा मिलेगा
ऊपर नीचे
आगे पीछे दौड़ी थी मैं
आधे मुकाम पे हांफी थी मे
पर अब ना मंजिल है ना साथी है
ना रास्ता है ना राही है
ज़िंदा लाश सी जींदगी है
घसीटते कट रही है

-यायावरगी



कॉपी के आखरी पन्नो पे लिखे नाम
अब फेसबुक पे ढूंढे नहीं जाते
हमारे स्कुल के दिन वापिस नहीं आते

रिसेस में खाये चाट और बात के मज़े
मेक डी के ज़ायकों में छुपाये नहीं जाते
हमारे स्कुल के दिन वापिस नहीं आते

एक बेंच पे दोस्तों के बिच खींची पेन्सिल की सरहदे
अब दूरियों की लकीर हाथो से मिटा नहीं पाते
हमारे स्कुल के दिन वापिस नहीं आते

सर मेम के निक नेम एक अलग ही नफरत और प्रेम
भला सोशल मिडिया पे ट्रॉल्लिंग किए नहीं जाते
हमारे स्कुल के दिन वापिस नहीं आते

किसी की एक जलक का लुफ्त और उसके ना आने गम
गुड़ मॉर्निंग से गुड नाइट के मेसेजस में पाए नहीं जाते
हमारे स्कुल के दिन क्योँ वापिस नहीं आते !


@yayawargi