शाम को तेन और मधुरिमा के लिए एक भोज का कार्यक्रम आर्यन के घर पर रखा गया।
आर्यन की मम्मी ने ख़ुद फ़ोन कर - कर के साजिद, मनप्रीत, सिद्धांत और मनन को तो बुलाया ही, आगोश और मधुरिमा की मम्मियों को भी न्यौता दे डाला।
अब इतने बड़े फ़िल्मस्टार की मां ख़ुद फ़ोन करके निमंत्रण दें तो भला कौन फूल कर कुप्पा न हो जाए।
ये तो अच्छी- खासी पार्टी ही हो गई।
मज़ेदार बात ये थी कि कुछ समय के लिए आर्यन भी यहां आया हुआ था।
आर्यन की कॉलोनी का आलम ये था कि शाम को ज़रा सी देर के लिए अगर आर्यन गली के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने के लिए बाहर निकल आए तो एक- एक करके लड़के उससे हाथ मिलाने और उसके साथ फ़ोटो खिंचवाने के लिए कतार लगाने लगते।
कल ज़रा सी देर के लिए पास के एक जिम में चला गया था तो वहां भी यही हाल रहा। बल्कि आर्यन के साथ वहां वर्कआउट के लिए आए सारे लड़कों ने ग्रुप फ़ोटो भी खिंचवाया जिसे आज जिमओनर एंलार्ज करके दीवार पर लगवाने के लिए फ़्रेम भी करा चुका था। अपनी टीशर्ट उतार कर बाइसेप्स दिखाता आर्यन ख़ुद उनके बीच में खड़ा था।
और आज इस पार्टी से तो घर में रौनक ही लग गई। ऐसी चहल - पहल तो आर्यन के घर में बहुत दिनों बाद देखने को मिली।
लेकिन इस पार्टी में थोड़ी देर बाद एकाएक मनन भी ख़ास बन गया जब सबको पता चला कि मनन अब जल्दी ही शादी करने वाला है।
दरअसल बात इस तरह निकली कि उस दिन मधुरिमा को लेने एयरपोर्ट पर जाते समय साथ में मनन क्यों नहीं आया?
और तब कुछ शरमाते हुए ख़ुद मनन ने ही ये राज खोला कि उसी दिन तो उसकी रिंग सेरेमनी थी।
मिठाइयों की प्लेटें तो सामने फैली- बिखरी पड़ी ही थीं, बधाईयों की बौछार अब शुरू हो गई।
मनन का चेहरा लाल सुर्ख हो गया।
मधुरिमा बोल पड़ी- लो, एक पार्टी और तय हो गई। तेन उसका मुंह देखने लगा... फ़िर कुछ हंसते हुए बोला- पहले एक पार्टी के पकवान तो ख़त्म कर लो!
तेन के मुंह से "पकवान" जैसा शब्द सुन कर सबको सुखद अचंभा हुआ जिसे सबके चेहरे को देखकर ख़ुद तेन ने ही भांप लिया।
तेन ने सबको बताया- ये शब्द मुझे आगोश ने सिखाया था... दिल्ली में जब हम ट्रेनिंग में थे तब रोज़ रात को मैस में डिनर टाइम पर आगोश पूछता था आज पकवान क्या है? यानी विशिष्ट मिठाई क्या है?
आगोश की मम्मी तेन की बात सुन कर कुछ मायूस सी हो गईं। शायद उन्हें बेटे की याद आ गई।
आर्यन की मम्मी ने उनकी सहसा घुमड़ आई उदासी को पहचान कर झट से बात बदल डाली, बोलीं- ये आर्यन एक तो पहले से ही इतना आलसी था और अब मुंबई में इसने एक नौकर और रख लिया है, नौकर क्या, इसका पीए ही है। तो अब ये और भी आलसी हो गया है... इतना लापरवाह हो गया है कि बाथरूम में नहा कर निकलेगा तो अपना गीला अंडरवियर तक वैसे ही पड़ा छोड़ देगा...
- क्यों रे, वहां तेरी चड्डी भी पीए ही उतारता है क्या? सिद्धांत बोला तो सब हंस पड़े।
आर्यन बोला- मम्मी ग़लत कह रही हैं... मैं चड्डी पहन कर नहाता ही नहीं।
सब हंस पड़े।
- अच्छा, आज गीला अंडरवियर किसने छोड़ा था बाथरूम में? मम्मी ने अपने को ग़लत सिद्ध होते देख कर कहा।
... अरे वो तो पानी के टब में गिर पड़ा था। आर्यन बोला।
मनप्रीत बोल पड़ी- अरे आंटी, ये कौन सी नई बात है, साजिद तो जब और जहां भी कपड़े बदलने खड़ा होता है कभी बदले हुए गंदे कपड़े उठाता ही नहीं।
साजिद बिना बात के बहस में अपना नाम घसीट लिए जाने पर तिलमिला कर बोला- अच्छा, तूने घर में कोई पिल्ला पाला है न, जो मेरे पीछे- पीछे मेरे कपड़े उठा- उठा कर तुझे लाकर देता है?
साजिद की कल्पना पर एक ज़ोरदार ठहाका लगा। मधुरिमा की मम्मी बोल पड़ीं- छोरे ने आइडिया तो बढ़िया दिया है, घर में कुत्ता- बिल्ली रखो तो उसे ये ही ट्रेनिंग दे दो।
- अरे बेटा, तू कब तक सेक्रेट्री से काम कराएगा, तू भी तो अब शादी कर डाल। मधुरिमा की मम्मी ने आर्यन को लक्ष्य करके सबको सुनाते हुए ज़ोर से कहा।
जवाब सिद्धांत ने दिया- अरे आंटी, आप तो हमारे यार की दुकान चौपट ही करवा दोगे... फ़िल्म तभी चलती है जब हीरो कंवारा हो। शादीशुदा लड़कों को तो बड़ेभाई और बापू के रोल मिलते हैं।
... अभी तो इसके अफेयर्स चलने के दिन ही हैं... मनन बोल पड़ा।
- क्यों, चल रहा है क्या तेरा चक्कर किसी के साथ? मधुरिमा की मम्मी ने पूछा।
- नॉट एट ऑल आंटी... आपको तो पता ही है मैं कितना सीधा- सादा लड़का हूं।
आर्यन की इस बात पर फ़िर से हंसी गूंजी, केवल मधुरिमा ने ज़रा कुछ अलग सी मुस्कान फेंकी। सिद्धांत और साजिद समझ गए और एक दूसरे की ओर देखने लगे।
रात को पार्टी के बाद आर्यन ने ख़ुद सबको अपनी गाड़ी से छोड़ा।
तनिष्मा को बिल्कुल उसी के बराबर का बड़ा सा गिफ्ट का डिब्बा मिला। आर्यन की मम्मी ने मधुरिमा को भी सोने के सुंदर से ईयररिंग्स दिए।
जब वो तेन को रुपयों का एक लिफ़ाफ़ा पकड़ाने लगीं तो तेन ने विरोध जताया और पीछे हटता हुआ बोला- नहीं- नहीं, नो नीड... मैं इनसे ही शेयर कर लूंगा!
तेन के ऐसा कहते ही साजिद बोल पड़ा- क्या तेन भाई, बेटी के खिलौने से खेल लोगे या कान में एक कुंडल लटका लोगे?
साजिद की बात पर फ़िर एक ज़ोरदार ठहाका लगा।
उठते- उठते आर्यन की मम्मी साजिद से बोलीं- ले मनन ने तो एक क्लास और पास कर ली, वो दुल्हन ला रहा है। तू अगली क्लास कब पास करेगा? तू पापा कब बन रहा है?
सिद्धांत साजिद की ओर देख कर ज़ोर से हंसा और फ़िर आंटी से बोल पड़ा- अरे आंटी, ऐसी बात याद मत दिलाइए, साजिद तो ये सुन कर डर से कांपने ही लग जाता है...
- अरे क्यों? इसमें डरने की क्या बात है? पापा तो बनेगा ही न, मनप्रीत को शान से ब्याह कर ही लाया है न, कोई भगा कर थोड़े ही लाया है! आर्यन की मम्मी ने कहा।
सिद्धांत और आर्यन इस बात पर ज़ोर से हंस पड़े। आंटी की समझ में नहीं आया कि इसमें हंसने की क्या बात है।
सिद्धांत धीरे से बोला... साजिद को अब्बू बनने का ख़्वाब देखते समय ख़ुद अपने अब्बू की छड़ी याद आ जाती है।
गनीमत रही कि आर्यन की मम्मी ने सिद्धांत की बात सुनी ही नहीं, वो मनप्रीत से कुछ बात करने में उलझ गईं। उन दोनों का ध्यान इन लड़कों की बातों पर था ही नहीं।
पर आर्यन ने सिद्धांत की बात सुन ली। उसने साजिद से कहा- यार देख, ये साला कुंवारा छोरा तेरे जैसे शादी- शुदा अंकल का मज़ाक उड़ा रहा है, तू अब्बू की छड़ी की चिंता मत कर... आज ही मनप्रीत भाभी को कहीं घुमाने ले जा, और इस सिद्धांत को मुंहतोड़ जवाब दे डाल।
... ऑर्डर - ऑर्डर! गंदी और ख़तरनाक बातें नहीं! मनन बोला।
अब तनिष्मा भी कुछ बोर होकर कसमसाने लगी थी। उसे शायद जल्दी से घर पहुंच कर अपना गिफ्ट पैकेट खोल कर देखने की उतावली थी। उसके तेवर देखकर महफ़िल बर्खास्त हुई।
सबको बहुत आनंद आया आज की पार्टी में।
मनन और सिद्धांत जब वहां से घर लौट रहे थे तो रास्ते में मनन ने सिद्धांत से कहा- यार देखना कुछ साल बाद प्रॉब्लम आयेगी ज़रूर!
- अरे क्यों? क्या हो गया? सिद्धांत को मनन की बात पर आश्चर्य हुआ कि वो किस प्रॉब्लम की बात कर रहा है! उसने कहा- क्या हो गया? तुझे कौन सी प्रॉब्लम दिख रही है?
मनन बोला- ओए यार, मैं मधुरिमा और तेन की बात कर रहा हूं। तनिष्मा देखने में बिल्कुल भी तेन जैसी नहीं लगती है।
- तो क्या हुआ? लड़कियां अपनी मम्मी की शक्ल पर नहीं जा सकतीं क्या? क्यों बेकार के पत्ते बिछा रहा है। सिद्धांत ने उसे झिड़क दिया। वो समझ गया कि मनन क्या कहना चाह रहा है।
- बेटा, मम्मी की शक्ल पर तो जा सकती हैं, पर तू ध्यान से देखना, तनिष्मा तो बिल्कुल आर्यन जैसी लगती है।
सिद्धांत ने गाड़ी चलाते हुए ही स्टेयरिंग पर से एक हाथ हटा कर ज़ोर से मनन की पीठ पर एक धौल जमाया!
दोनों हंसने लगे।
सिद्धांत बोल पड़ा- साले, तू बेकार में सोच- सोच कर दुबला मत हो, तेन को सब मालूम नहीं है क्या???