देव… एक डॉक्टर
देव, अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान है। पिता आर्मी ऑफ़िसर हैं। माँ भी एक डॉक्टर है। कोई दो महीने पहले उसके पिता को अचानक लकवा हो गया था। देव जो आर्मी जॉइन करना चाहता था। पिता के पास रुक गया और अब सरकारी अस्पताल में काम कर रहा है।
उसके माता-पिता ने उसे बहुत कहा था। अपनी नौकरी पर वो चला जाये पर वो नहीं गया। माता-पिता से इतना प्रेम करने वाले बच्चों को देखकर खुशी होती है। रोली और मेरे पति भी इसी श्रेणी में आते हैं। फ़र्क तो बस इतना ही है कि हम अपने बच्चों को कौनसी दिशा देते हैं।
देव सिर्फ़ अपने माता-पिता नहीं सबके लिए अच्छा है। अपने स्टॉफ हो या अनजान उसका व्यहवार बेहद अनुशासित व दया से भरा है।
बस यही छोटा सा परिचय है, मेरे पास देव का पर ऐसा लग रहा था कि ये छोटी सी मुलाक़ात, बड़ी सहायता मेरे मन में बड़ी जगह बनाने लगी थी।
किसी को पसन्द करने के लिए सबकी जरूरतें अलग-अलग होती हैं। मेरी तो एक ही ज़रूरत थी: एक इंसान जो दर्द की भाषा को समझ सके। जिसको बाहर से नहीं अंदर तक देख लेने की समझ हो। जो देना जानता हो, जिसे किसी बात को समझने में एक पल भी न लगता हो… ये सब देव में था।
उसका व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि लगता उसकी आंखो में देखती रहूँ। उसकी बातों से एक अजीब से ठंडक का अहसास होता था। लगता जैसे कोई मेरा अपना मेरी हर बात को समझ रहा है।