चेहरे की किताब Anant Dhish Aman द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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चेहरे की किताब

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चेहरे की किताब अक्सर धोखा खाया करती है ऐसा कहा करते है हमारे बड़े बुजुर्ग। चेहरे से किसी के चरित्र को नहीं देखा जा सकता है बात तो बिल्कुल सत प्रतिशत सत्य है।
किंतु इस आभासी दुनिया में चरित्र का आकलन करने योग्य भी कहाँ बचे है और जो कुछ बचे है वो आभासी दुनिया और चेहरे की किताब से कोसो दूर बसते है सही भी है शायद उनको और उनके ज्ञान का कदर भी ये आभासी दुनिया नहीं करती है किंतु कुछ विरले लोग है जो आभासी दुनिया में चरित्र का अवलोकन करते रहते है उन सभी विरले व्यक्तित्व को मेरा कोटी कोटी नमन है और निवेदन भी है चेहरे की किताब एक सुंदर व्यवस्था है जिससे हम पुरे विश्व के साथ बंधुत्व का भाव रख सकते है इसकी उपयोगिता की महत्ता को देखते हुए इसके दुष्प्रभावों से समाज को जागृत भी करने के काम करें।

चेहरे की किताब में चेहरे पे चेहरे बदलते है सभी हमें नहीं पता चेहरे का साथ अपने आप में कितने बदलते है सभी ।। जैसा चेहरा वैसा मिजाज रखते है लोग कटाक्ष और अलोचना से कितना डरते है लोग। चेहरे की किताब में भी पसंद, प्रेम, हँसी, आनंद और उदासी का स्थान दिया गया। प्रतिक्रिया देते कहाँ है लोग फुर्सत नहीं क्रिया से की प्रतिक्रिया किया जाए क्यों चेहरे के आलावा चरित्र तक पहुँचा जाए।

आभासी दुनिया के कारण कितने बर्बाद हो गए सामने हमारे परिवार समाज परिजन बैठे है किंतु आभासी दुनिया में सुबह से रात रात से सुबह हो गए। आपका समय जितना आभासी के लिए है उससे कहीं ज्यादा प्रत्यक्ष बैठे लोगों के लिए भी है आपका यह कर्तव्य है कि आप उसके साथ भी समय का सदुपयोग करें जिससे आपके प्रत्यक्ष लोगों का भी सम्मान हो।

किंतु हम भड़ास निकालते है हम नित नए दिन मित्र बनाते है और जरुरत पड़ने पर उपयोग कर फैंक आते है यह मित्रवत व्यवहार नहीं हो सकता है और कुछ लोग समाज को हीं जलाने का खबर खूब फैलाते है जिससे कितने आबाद घर बर्बाद हो गए औ रहो रहे है इसके लिए भी चिंतन करना आवश्यक है क्योंकि चेहरे के किताब का दुरुपयोग समाज को रसातल में डूबो सकता हैं।
कुछ लोग तो इस दुरुपयोग का मजा भी उठाते है शर्म नही रहा उन्हें और ना हीं समझ की दूसरो का घर जलाने और जलते देखने में जो हम मजा पाते है। उसके दुष्प्रभाव को भूल जाते है की आग की लपटे का कोई केन्द्र नही होता है हवा जिधर की ओर मिले वहीं आग का नाभिकीय केन्द्र बन जाता है ।।

एक अनुरोध करता हूँ चेहरे के किताब से ये वही चेहरे है जो आपके परिवार पड़ोस समाज राष्ट्र और विश्व के जिनके द्वारा ये संसार खिलखिलाता है इसे नुकसान पहुँचाने से अपने हीं दुख पाते है आभासी दुनिया का साक्षात्कार करो परिवार समाज राष्ट्र विश्व का कल्याण करो ये आभासी नही अपने है। अपने घर की विषमता को दूर करना हमारा फर्ज है इस चेहरे की किताब में चरित्र का चित्रण करो आभासी में अपनत्व का भाव पूर्ण करो ।।

चेहरे दर चेहरे बदलते रहे
जिवन रंग चढते रहे
सारे चेहरे अपने के हो
आँसू भी हो तो खुशी के आँसू हो।

यह भाव से हीं चेहरे के किताब को निखारा और संवारा जा सकता है हमें और आपकों हर हाल में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रुप से समाज को संवारने का काम करते रहना चाहिए जिससे समाज राष्ट्र और विश्व का कल्याण हो।

#अनंतधीशअमन