निहाल ने फाइल में लिखें मोबाइल नंबर पर कॉल की और करीम यानी अब्दुल से कहा " करीम जी आपके ऑपरेशन फीस का कुछ प्रतिशत जो हमने ऐस ए सिक्योरिटी जमा किया था उसे रिफंड करना था, आप ऐसे अचानक चले गए इसलिए हम उसे रिफंड नही कर पाए वरना मरीज को डिस्चार्ज करते समय हम वो पैसे रिफंड कर देते हैं, आप कल आकार अपने पैसे ले जाइए और अपना चेक अप भी करा लीजिएगा"|
सुभाष को पता था कि अब्दुल बहुत लालची है वह चेक अप कराने आए न आए लेकिन पैसे लेने जरूर आएगा |
अगले दिन अब्दुल आया अब्दुल पहले से काफी मोटा हो गया था और पुलिस से बचने के लिए उसने अपनी दाढ़ी और बाल सब बढ़ा लिए थे, जिसके चलते सुभाष भी उसे पहचान नहीं पाया था लेकिन शक जरूर था |
सुभाष ने उसे कुछ रुपए दिए और जांच करने के लिए बोला, निहाल और अमित ने अब्दुल को चेकअप रूम में लिटा दिया, कुछ देर जांच करने के बाद सुभाष और अमित ने कहा "करीम तुम्हारी आंखे अब बिल्कुल ठीक हैं,बस हम ये ड्रॉप डाल दें, तुम पांच मिनट लेटो फिर चले जाना" ये कहकर वो अपने केबिन में आ गए, अब्दुल भी कुछ देर बाद उठकर जाने लगा तभी पायल की आवाज आई जिसे सुनकर वह घबरा गया और जल्दी से भागकर दरवाजे के पास गया कि तभी एक आवाज आई, "अब्दुल.. क्या रे, कहां भाग रहा है.." ??
उसने पीछे मुड़कर देखा तो रज्जो गुस्से में खड़ी थी, उसका लाल चेहरा, सफेद आंखे और हवा में लहराते बाल, उसका ये डरावना रूप देखकर अब्दुल अपने गले में टटोलने लगा और इधर-उधर देखने लगा तभी वहां सुभाष आ जाता है और कहता है, "क्या ढूंढ रहे हो करीम….अरे नही करीम नहीं ...अब्दुल? कहीं यह तो नहीं" |
सुभाष के हाथ में ताबीज देखकर अब्दुल चिल्लाते हुए सुभाष के पास आता है पर रज्जो उसे पकड़ कर खींच लेती है और फर्श पर पटक देती है,वो जोर-जोर से तालियां बजाने लगती है, सुभाष अब्दुल से कहता है, "सच सच बता दे कि उस दिन जब तुम लोगों ने रज्जो की आंख का सौदा किया था उसके बाद क्या हुआ था" |
अब्दुल ने सामने खड़ी रज्जो को देखा जो अपने बदले की आग में जल रही थी, सुभाष ने फिर कहा, "देख अब्दुल.. अगर तू सच सच बता देगा तो तुझे रज्जो छोड़ देगी, वरना.." तभी रज्जो ने अब्दुल का हाथ पकड़ा और तोड़ दिया, वो दर्द से तड़प उठा और बोला," उस दिन जब मैं और शीला तुम्हें डॉक्टर के पास लाए थे, तो डॉक्टर से हमने छह लाख लेने को कहा, जिसमें तीन लाख उनके और तीन लाख हमारे हो जाएंगे और तुम्हें अंधी भी कर दें, यह बात सुनकर डॉक्टर साहब पहले तो मुस्कुरा दिए पर फिर हम दोनों को क्लीनिक से बाहर निकाल दिया " |
रज्जो यह सुनकर पागलों की तरह चिल्लाने लगी और अब्दुल की छाती पर बैठ गई, अब्दुल रज्जो से माफी मांगने लगा |
सुभाष रज्जो का यह रूप देखकर डर गया, रज्जो ने अब्दुल की एक आंख में अपनी उंगली घुसा दी और उसकी आंख निकाल ली, अब्दुल दर्द से तड़प उठा तो रज्जो हंसने लगी |
सुभाष ने डरते हुए बोला "इसे छोड़ दो अब रज्जो, इसे पुलिस के हवाले कर दूंगा और जाने अनजाने मैंने तुम्हारा दिल दुखाया हो तो मुझे माफ कर देना" तभी कमरे का दरवाजा खुला, बाबा महाकाल ने कहा," जा रज्जो जा.. तेरी मुक्ति का समय आ गया है, इसे छोड़ दे" | सुभाष के प्लान के हिसाब से निहाल बाबा को बुला लाया था |