मैं फिर आऊंगी - 10 - अंतिम भाग Sarvesh Saxena द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मैं फिर आऊंगी - 10 - अंतिम भाग

बाबा ने कुछ मंत्र पढ़े तभी रज्जो सुभाष को दर्द भरी आंखों से देखती रही और गायब हो गई, अब सुभाष समझ चुका था कि रज्जो के साथ कितना बुरा हुआ है और इस अब्दुल की वजह से रज्जो ने उसका पीछा किया | महाकाल बाबा ने बताया कि जल्द ही हमें रज्जो की अस्थियां ढूंढ कर उसका अंतिम संस्कार करना पड़ेगा |
सुभाष ने कहा "पर हमें कैसे पता चलेगा कि रज्जो की डेड बॉडी कहां है, और वैसे भी उसको मारे लगभग दो साल हो चुके हैं" |
बाबा मुस्कुराए और बोले, "तुम्हें क्या लगता है बेटा कि वह आत्मा अब्दुल को ऐसे ही छोड़ कर चली गई, नहीं रज्जो जानती है कि उसे आगे क्या करना है" |
सुभाष और महाकाल बाबा ने अब्दुल से रज्जो की डेड बॉडी के बारे में पूछा तो वह पागलों की तरह चिल्लाने लगा |

अगली सुबह सुभाष अब्दुल और पुलिस वालों को लेकर रज्जो के घर गया, सारे किन्नर घबरा गए और अब्दुल की आंख के बारे में पूछने लगे, उन्हें लगता था कि अब्दुल वफादार है दो साल बाद फिर से उनके साथ रहने आया है पर वो फिर चोरी के इरादे से आया था और फिर अब्दुल रज्जो के कमरे में जाकर उसके बेड को खिसकाने लगा, बेड के नीचे कुछ गड्ढे का निशान दिख रहा था, अब्दुल फावड़े से फर्श को तोड़ने लगा और कुछ देर खोदने के बाद उसमें एक गुप्त लॉकर निकला जिसमें रज्जो सब के जेवर और रुपए सुरक्षित रखती थी, पूरे घर में बदबू फैल गई, सारे किन्नर घबरा गए कि आखिर यह सब क्या हो रहा है तभी अब्दुल अपनी छाती पीट पीट कर रोने लगा, पुलिस वालों ने बख्शा खोला तो दंग रह गए, रज्जो के शरीर के टुकड़े उस में ठूंस ठूंस के भरे गए थे, जिनमें अब कीड़े मकोड़े और हड्डियां रह गई थी, सारे किन्नर रोने लगे | सुभाष की आंखें भी नम हो गई | पुलिस वालों को भी बड़ी हैरानी हो रही थी कि उसने कैसे इतनी बड़ी लाश के टुकड़े टुकड़े करके इस छोटे से बक्से में भरे | अब्दुल को गाड़ी में बिठाया गया और सब चले गए | सुभाष खड़ा रज्जो के दर्द को महसूस कर रहा था कि कैसे उसके शरीर के इतने सारे टुकडे करे गये होंगे तभी कोने में रज्जो खड़ी दिखाई दी, उसकी आंखों में आंसू थे, सुभाष कुछ कहता इससे पहले ही वह गायब हो गई |

अब्दुल जेल में बंद कर दिया गया, सुभाष ने महाकाल बाबा से रज्जो की आत्मा की शांति की पूजा कराई और उसका अंतिम संस्कार कर दिया, अब सब कुछ ठीक हो चुका था |

दो दिन बाद किन्नरों के घर में…

"अरी पुष्पा... रज्जो बहन के कमरे की सफाई तो कर दे, उस दिन से वैसे का वैसे ही पड़ा है" |
पुष्पा - "ना रे, मैं उस कमरे की सफाई नहीं करूंगी, मुझे तो बड़ा डर लगता है उस कमरे में जाते हुए" |
सुषमा - "ठीक है, मैं ही कर देती हूं.." |
सुषमा रज्जो का कमरा साफ करने के लिए कमरे के अंदर घुस गई तभी पुष्पा हांफते हुई आती है और कहती है," सुषमा बहन...अरे वो कमीना अब्दुल जेल से भाग गया, पुलिस वाले का फोन आया है कि अगर यहां आए तो उन्हें तुरंत बताएं"|
सुषमा - "अरे वो कुत्ता यहां आया तो उस कुत्ते के टुकड़े-टुकड़े कर के इसी गड्ढे में गाड़ दूँगी" |

यह कहकर पुष्पा झाड़ू लगाने लगी तभी उसने देखा अब्दुल की घड़ी बेड के नीचे पड़ी थी, उसने बेड के नीचे झांक कर देखा तो गड्ढा बिल्कुल भर चुका था जिस पर फ़र्श बनी थी, सुषमा हैरान हो गई कि कमरा तो बंद था फिर फ़र्श कैसे… , यह देखकर सुषमा अब्दुल को गाली देती हुई घड़ी को उठाकर फेंक देती है और थोड़ी देर गड्ढे के पास बैठती है तो उसे ऐसा लगता है जैसे उसके अंदर कोई है, सुषमा डर जाती है और कमरा बंद करके बाहर आ जाती है |

उधर सुभाष अपने क्लीनिक पर आराम से काम कर रहा होता है और रज्जो के कमरे की खिड्की अपने आप बन्द हो जाती है |

समाप्त |