द डार्क तंत्र - 19 Rahul Haldhar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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द डार्क तंत्र - 19


5th story ....


आत्मा की पुकार - 1

डॉक्टर ने कहा है अगले दिन घर जाने की
अनुमति मिलेगी । यह कुछ दिन मानो कई सालों
के जैसा गुजरा । दिल्ली के एक प्रसिद्ध प्राइवेट
हॉस्पिटल में बीते 96 घंटो से यमराज और मानव
के बीच लड़ाई चल रही थी । पर इस समय
विक्रांत की शारिरिक अवस्था ठीक है । घटना
को फिर खुल कर ही बताता हूँ ।
15 दिन के लिए हिमांचल प्रदेश के धर्मशाला
में एक काम के लिए गए थे विक्रांत व उसके छह
साथी । विक्रांत मतलब विक्रांत सिंह या डॉ. विक्रांत
सिंह , इनका काम बताऊं तो एक रूरल हेल्थ केयर
कैम्प ,पहाड़ी इलाकों के गांवों में जहां हॉस्पिटल
तो दूर साधारण स्वास्थ्य केन्द्र भी नही है । ऐसे
जगहों पर विक्रांत व उसने साथी मेडिकल पॉस
करने के बाद ही हर साल बरसात के मौसम में
जाकर इस कैम्प का आयोजन करते हैं ।
बरसात के मौसम को चुनने का एक कारण है
कि इसी समय ज्यादातर रोग लोगों में फैलते हैं ।
इस साल भी वो सभी गए थे । कैम्प का काम ठीक
से होने पर भी लौटते समय हुआ एक हादसा ।
वो सभी हर बार ऐसे दिन रवाना होते जिस दिन
बारिश थोड़ा कम होता जिससे ठीक से पहाड़ी
इलाके व दुर्गम खतरनाक रास्ते को आसानी से
पार किया जा सके । लेकिन इस बार भाग्य ने
साथ नही दिया पहले बूँद बूँद टपकने पर कुछ
दूर गाड़ी बढ़ने के बाद शुरू हुआ मूसलाधार
बारिश , ड्राइवर के सीट पर थे प्रीतम भैया ,
पूरे बीस साल का अनुभव था गाड़ी चलाने में
लेकिन फिर भी उस फिसलन वाले रास्ते में
एक मोड़ पर जब जिप्सी गाड़ी का टायर स्किट
हुआ तब वो भी नही सम्भाल पाए गाड़ी को
खाई में गिरने से ।
गाड़ी जब नीचे गिर रही थी पहाड़ के ढलान
पर दो बार धक्का लगा जिससे विक्रांत को
ब्लैकआउट हो गया था । होश आया बहुत सारे
आदमी व महिला तथा बच्चों के रोने की आवाज
सुनकर , आंख खुला तो देखा एक बड़ा सा
हवनकुंड तथा उसके चारों ओर कुछ काले
अर्धनग्न आदमी ; हाथ में डंडे के जैसा कुछ
लेकर नाच रहें हैं और उसी हवनकुंड के एक
ओर एक साथ बंधे हुए हैं कुछ बच्चों के शरीर तथा
दूर कहीं से सुनाई दे रहा है कुछ महिलाओं के
रोने की आवाज । तभी विक्रांत की नजर गई पास
ही एक तरफ वहां देखा कई सारे बच्चों के देहहीन
सिर वो सभी एक एक कर चिल्ला रहे थे । फिर
ब्लैकआउट ।
विक्रांत को फिर होश आया हॉस्पिटल के बेड पर ,
रुचिका मतलब अपने पत्नी से विक्रांत जाना कि
इसी बीच बीत चुका है 7 दिन, वह प्रायः कोमा
तक चला गया था I सौभाग्यवश ऐसा नहीं हुआ I
उसके सभी साथी व प्रीतम भैया सभी हादसे में
मारे गए I किसी एक अद्भुत शक्ति के कारण
उसका प्राण बच गया I सभी मृत शरीर के साथ
उसका शरीर भी मृत अनुमान किया था रेस्क्यू पार्टी
ने, लेकिन बाद में पता चला उसका ह्रदय अभी भी
धड़क रहा है I वहां से उसको दिल्ली लाया गया
और इस प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती किया गया I
इसके बाद बीत गया और देढ़ महीना,
अद्भुत है इतने गहरे खाई में गिरकर गाड़ी के परचक्के
उड़ गए और उसके सभी साथी भी काल के गाल में
समा गए पर विक्रांत के शरीर में चोट का कोई चिन्ह
भी नहीं केवल स्पाइनल कॉर्ड में थोड़ा सा चोट लगा I
डॉक्टरों ने अनुमान लगाया था उसे शायद होश नहीं
आएगा I कोमा ही उसका भविष्य है लेकिन फिर एक
बार सबको आश्चर्य करते हुए वह होश में आ गया I
शुरुआत में उसके दोनों पैर काम नहीं कर रहे थे
लेकिन डॉक्टर के देखरेख में क्रमागत फिजियोथेरेपी
के कारण पैरों में जान आ गए I
अब केवल एक पहर , उसके बाद ही छुट्टी पाएगा
विक्रांत, कितने दिन हुए घर की गार्डन को नहीं देखा,
सुगंध नहीं लिया खुद के हाथों से लगाए गये गुलाब
के फूलों की खुशबु , न जाने कितनी रात अपने बिस्तर
पर रुचिका को बाहों में लेकर नहीं सोया वह ,
बस कुछ देर और I
शाम को हॉस्पिटल से छुट्टी मिली विक्रांत को ,
इस समय रात के 11 बज रहे हैं I रुचिका गई थी
उसे घर लाने के लिए , घर आकर और भी स्वस्थ
महसूस कर रहा है वह I रुचिका ने उसके लिए उसका
फेवरेट शाही पनीर और गरम रोटी बना कर रखा था I
पास वाले घर के अंकल और आंटी उसे देखने आए थे
उनके साथ बात खत्म कर वही 10 बजे के आसपास
वह और रुचिका ने रात का खाना खाया था I
बिस्तर पर उसके पास ही लेटी हुई थी रुचिका ,
विक्रांत ने देखा बहुत ही गहरी नींद में सो रही है वह ,
विक्रांत को प्यास लगी थी उसने सोचा एक बार
रुचिका को बुलाए पर इन कुछ दिनों में इस लड़की
पर जो परेशानी बीती आज कई दिनों के बाद निश्चिंत
होकर सो रही है इसीलिए उसने नहीं जगाया I
खुद ही उठकर किचन में गया जैसे ही फ्रिज से पानी
की बोतल को निकाला उसी समय एकाएक पास
के नाइट लैंप में विक्रांत ने देखा वही ब्लैकआउट
के पहले वाले देहहीन बच्चों के कटे सिर , डाइनिंग
टेबल के बीच में जो फलों की टोकरी रहती है उसी
के भीतर , अभी तो उसने सोने से पहले देखा था कि
टोकरी में रुचिका ने सेबों को सजाकर रखा था
अब उसी जगह कटे हुए सिर कहां से आए ? तभी
उसके कान में सुनाई दिया वही अर्द्धनग्न पुरुषों
के वीभत्स आवाज , बच्चों के आंखों को देखकर लगा
मानो उससे कुछ कहना चाहते हैं I दृश्य इतना वीभत्स
है कि विक्रांत सह नहीं पाया फिर से ब्लैकआउट I.....
.........

छोटा बच्चा बेहोश पड़ा हुआ है व्योम ने धीरे से उसे
गोद में उठा लिया I व्योम के मुंह से आ रही है शराब
की गंध और पूरे शरीर से एक दुर्गंध , और कुछ देर
उसके बाद ही शुरू होगा वह पुराना खेल I
जंगल की इस तरफ ऐसी भी एक गुफा है बहुतों को यह नहीं पता I वैसे भी गांव में कितने लोग रहते हैं I आज है अमावस्या , कुछ देर बाद ही बजेगा रात के 3 , और ठीक उसी समय शुरू होगा व्योम का खेल I
गुफा में थोड़ी कठिनाई से अंदर जाने पर एक जगह दिखता है उसके ठीक बीच में सफेद और लाल रंग से वृत्त बनाए गए है वृत्त के चारों तरफ और एक काल्पनिक वृत्त को बनाकर बैठे हुए हैं बहुत सारे अर्धनग्न आदमी , और उसी वृत के बाहर और एक वृत्त बनाकर बैठे हुए हैं कुछ पूरी तरह नग्न महिलाएं , बीच वाले वृत्त के ठीक बीच में एक हवनकुंड बनाया गया है पर उसमें आग बहुत तेजी से नहीं जल रहा I उसी आग ने इस गुफा में एक प्रकाश रूपी परिवेश उत्पन्न किया है I उसी प्रकाश में दिख रहा है गुफा के अंदर एक तरफ कुछ लकड़ियों के ड्रम को बंद करके रखा गया है और उसके अंदर से बहुत ज्यादा दुर्गंध भी आ रही है I पर वृत्त
को बनाकर बैठे हुए पुरुष और महिलाएं एवं हवनकुंड
के सामने बैठा व्योम को इससे कोई मतलब नहीं है
क्योंकि शराब के नशे में और जिस भयानक खेल में
वह शामिल हुए हैं उसमें तो दिन - रात का ही ख्याल
उनको नहीं है तो दुर्गंध क्या है I व्योम अपने में ही
बड़बड़ा कर कुछ बोल रहा है , धीरे-धीरे उसने बच्चे
के कपड़े को खोला I कपड़ा खुलते ही समझ में
आया यह बच्चा एक छोटी लड़की है I उम्र शायद
8 या 9 होगा I वृत्त में बैठे एक आदमी की नजर
व्योम पर गई उसने देखा कि व्योम ने एक मुट्ठी सिंदूर
को लेकर उस छोटी लड़की के पूरे शरीर पर लगा
दिया एवं चिल्लाकर व्योम बोला " ह्रीं "....
उसके साथ वृत्त के दूसरे पुरुष व महिलाएं भी
चिल्ला कर बोले, " ह्रीं "..
भयानक से दिखने वाले उस गुफा के अंदर सबके
आवाज ने उसे और भी भयानक बना दिया I
व्योम ने बाएं हाथ के अंगूठे से पीले रंग का एक
चिपचिपा पदार्थ जैसा कुछ उठाया और अपने
अंगूठे को उस छोटी लड़की के गले से योनि तक
ले गया फिर अंगूठे को नाभि पर ले जाकर बोला, " फट ".
वृत्त में बैठे सभी पुरुष व महिलाओं के आंख बंद
होने पर भी ऐसा लगा मानो डर से लाल हो गए हैं
उनके शरीर में दौड़ा भय की एक लहर,,
अब हां अब वह समय आ गया है , व्योम ने हाथ में
उठाया एक छूरी और घोंप दिया उस छोटी लड़की
के कंधे के नीचे , उस छोटी लड़की का हाथ छटपटा
उठा I व्योम ने हवन कुंड में कुछ फूल डालकर
चिल्ला कर बोला, " स्वाहा "..
अब पुरुष वाले वृत्त से एक आदमी निकल व्योम
को प्रणाम करके हाथ में पकड़ा दिया एक धारदार
चॉपर , व्योम ने चॉपर को दाहिने हाथ में लेकर
कुछ देर और मंत्र पाठ किया फिर बाएं हाथ से
उस छोटी लड़की के बालों को पकड़ उसे हवा में
उठा लिया और गर्दन पर चॉपर से वार किया एक
ही क्षण में सिर धड़ से अलग , चारो तरफ फुंवारो
की तरह उड़ा लाल तरल , ताजा खून , वृत्त से आए
उस आदमी ने एक नरमुंड में वह खून लेकर पहले
व्योम को और फिर बाकियों में वितरण किया I
अब महिलाओं के वृत से निकल कर व्योम से लिपट
उसके गोद में बैठी नारायणी , वह आज वृत्त की
सबसे सुंदर व कामोत्तेजक महिला है I अब वह
व्योम के साथ यौन क्रिया करेगी I
बाकी सभी बाहर निकल गए I व्योम ने वही पीले
चिपचिपे पदार्थ को लेकर स्पर्श किया नारायणी के
नाभि पर और जुट गया एक दूसरे खेल में ,
' सुबह जल्दी ही होने वाली है इसीलिए जो करना
है उसको जल्दी से करना होगा I ' मन ही मन सोचा
व्योम ने ............

ll क्रमशः ll