हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग बारह) Ranjana Jaiswal द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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हाँ, मैं भागी हुई स्त्री हूँ - (भाग बारह)

(भाग बारह)

यह तो तय है कि बेटों से मुझे न तो अपनापन मिलेगा न सम्मान। वे मुझे देखकर खुद भी कुढेंगे और मुझे भी कुढाते रहेंगे। वे न अतीत से मुक्त हो पाएंगे न मुझे मुक्त होने देंगे, तो मैंने फैसला कर लिया कि मैं उनसे आरे सम्बन्ध तोड़ लूंगी। उनकी खुशी के लिए उनके बेहतर जीवन के लिए। उनके अनुसार मैंने उनका बचपन में साथ नहीं दिया तो वे मुझे बुढापे में सहारा नहीं देंगे। जाओ मेरे बेटों, मैंने तुम्हें आज़ाद किया। अपना दूध भी बख़्श दिया। तुम लोगों से कभी कोई सहारा नहीं माँगूँगी। मैं तो यही कोशिश करूँगी कि मेरी चिता में तुम लोग आग भी न दे सको। हमारा तुम्हारा रिश्ता पूर्व जन्म का था। इस नए जन्म में हम अजनबी होंगे। इस जन्म में

तुम्हारे माता पिता, भाई बंधु, नात रिश्तेदार सब हैं। मैं ही बस पूर्णतया अकेली हूँ। 

पर मैं स्वतन्त्र, सक्षम व शक्तिशाली स्त्री भी हूँ। मैं हार नहीं मानूंगी। अकेले ही आगे बढूँगी ...बढ़ती ही जाऊँगी और एक दिन अपने सच्चे पति (ईश्वर) की बाहों में समा जाऊंगी। 

हाँ, मरने से पहले अपनी कहानी जरूर लिख जाऊंगी, ताकि दुनिया जान सके कि भागी हुई स्त्री भी हाड़- मांस की इंसान होती है और वह तभी भागती है जब उसके पास भागने के सिवा कोई विकल्प न हो। 

मैं हर जन्म में भागी हुई स्त्री ही बनना चाहूंगी। 

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कोविड 19 की वजह से समय से पूर्व रिटायर होने वाली हूं। पेंशन नहीं मिलेगा । आय का अन्य कोई साधन नहीं। नए सिरे से नई नौकरी करने की हिम्मत नहीं । परेशान और चिंतित हूँ । दो साल से बेटे ने कोई बात नहीं की है । मैंने भी चुप्पी साध रखी है। कोई पहल करने को तैयार नहीं। आँख के ऑपरेशन के समय बेटे की अनुपस्थिति मुझे खल गयी थी। आपरेशन के बाद भी उसने खबर नहीं ली। इससे साफ पता चल गया कि उसे मेरी कोई परवाह नहीं, तो मैं भी कब तक उसकी परवाह करती?रिश्ते एकतरफा तो नहीं निभ सकते । 
दो साल से बेटा तो चुप था पर उसका बाप मुखर । वह मुझसे सम्बन्ध साधने की हर कोशिश कर रहा था। व्हाट्सऐप, फेसबुक हर जगह फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने से लेकर मेरे नात -रिश्तेदारों से पुनः रिश्ता बनाने का प्रयास -सब कर रहा था । उसकी मंशा साफ नहीं थी । सभी सोच रहे थे कि आखिर दूसरी बीबी और उसके बच्चों के साथ रहते हुए भी वह मर चुके रिश्ते को क्यों जिलाना चाहता है?क्या उसे कोई पछतावा है?या यह उसकी कोई नई साजिश है?
बहनों के हिसाब से मेरा सदाबहार सौंदर्य उसे ललचा रहा था । मित्रों के अनुसार वह मेरी ख्याति और सौंदर्य दोनों का लाभ लेना चाहता था। उसकी दूसरी पत्नी स्तन कैंसर के कारण अपना सौंदर्य खो बैठी थी, इसलिए भी वह इस तरफ आने की कोशिश कर रहा था। 
पर भाइयों का कहना था कि असल बात यह है कि बेटों से सम्बन्ध तोड़ लेने के कारण वह इस बात से चिंतित है कि मेरी संपत्ति का हकदार कौन होगा?कहीं मैं अपने किसी भाई-बंधु को वसीयत न कर दूँ। 
सभी कारण अपनी जगह सही थे पर दरअसल मैं ही किसी भी कीमत पर उससे पुनः नहीं जुड़ना चाहती थी। मेरी स्मृति में अभी तक उसकी कही बातें, उसके दिए ज़ख्म ताज़ा हैं। मैं कैसे भूल सकती हूँ कि उसने मेरे युवा सपनों को पैरों तले रौंद डाला। जिसने मेरी बाहों में ही सोने वाले मेरे मासूम बच्चों को मुझसे दूर कर दिया। पूरे समाज में मेरी छवि एक भागी हुई स्त्री की बना दी। बेटों की नजरों से मुझे सदा के लिए गिरा दिया। जिसने दूसरी स्त्री को मेरे हिस्से का प्रेम, सम्मान, अधिकार सब दे दिया। नहीं, मैं उसे कभी माफ़ नहीं कर सकती, इस जन्म में तो कदापि नहीं । 
आज भी वह कहाँ बदला है?वह मानता ही नहीं कि उसने कभी भी कोई गलती की है। एक -दो बार मैंने उसका फ्रेंड रिक्वेस्ट यह सोचकर स्वीकार कर लिया कि हजारों के बीच वह भी रहे, क्या फ़र्क पड़ता है। उससे मिलना- जुलना तो होगा नहीं। पर जब वह मेरे पोस्ट पर उल्टी- सीधी टिप्पड़ी करने लगा तो उसे ब्लॉक करना पड़ा। पता चल गया कि वह जरा -भी नहीं बदला है। वह तो सोशल मीडिया पर भी मुझे बदनाम करने की कोशिश में था। उसे यह बर्दास्त नहीं हो रहा था  कि मैं इतनी फेमस हूँ?वह मेरी वर्तमान की ख्याति के उजाले को अतीत की कालिमा से ढक देना चाहता था। 
अब भी वह तमाम चालें चल रहा है। मुझे पुराने प्रेम- गीत और पुरानी तस्वीरें भेजकर मेरे भीतर सो रहे प्रेम को जगाना चाहता है । वह सोचता है कि मेरी प्रेम कविताओं में वही है। उसे लगता है कि आज भी मैं वही भावुक, भोली किशोरी हूँ जो प्रेम की पुचकार से पिघल जाती थी। 
इस बार मैंने उसे कसकर फटकारा है कि टीनएज वाली हरकतें बंदकर अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी का ध्यान रखें। दो पत्नियों को साथ रखने का सपना मैं पूरा नहीं होने दूँगी। मेरी बात पर झल्लाकर वह फिर अपने असली रूप में आ गया है। उसने मुझे ताना दिया है कि मै गैर -पारिवारिक और गैर- सामाजिक हूँ। बेटों ने भी मुझे छोड़ दिया है क्योंकि उन्हें भी पता है कि मैं गलत हूँ। 
मैं गलत हूँ तो फिर मुझे छोड़ क्यों नहीं दे रहे सब?आखिर आधी से अधिक जिंदगी तो उनके बगैर गुजार ही ली है मैंने। 
पर वे मुझे छोड़ने को भी तैयार नहीं । 
इस बार पोते के माध्यम से बेटे ने फिर से सम्पर्क साधा है। पोते ने अपनी तोतली आवाज में अपने बर्थडे पर मुझे अपने घर बुलाया है। बेटा जानता है कि मूल से सूद ज्यादा प्यारा होता है।