टापुओं पर पिकनिक - 38 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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टापुओं पर पिकनिक - 38

ऐसा कभी होता नहीं था।
मम्मी इतनी सुबह उठ कर कभी आगोश को जगाने आती नहीं थीं।
इसीलिए जैसे ही मम्मी ने आगोश की चादर खींच कर उघाड़ी, वो अचकचा कर बोल पड़ीं- छी- छी... ये कैसे सो रहा है?
- बेटा, एसी तो बंद कर दिया कर... कहती हुई मम्मी जल्दी से कमरे से बाहर निकल गईं।
आगोश झटपट उठ कर पहले बाथरूम गया फिर कूदता हुआ मम्मी के पास आया।
- हां, ये तो बताओ जगाया क्यों?
- बेटा, तू दौड़ कर बाहर जा, ज़रा देख कर तो आ, अपने गैरेज के सामने ये पीली गाड़ी किसकी खड़ी है?
- पीली गाड़ी? आगोश ने आश्चर्य से कहा। फ़िर बोला- कोई आया होगा डैडी से मिलने।
... पर गाड़ी यहां क्यों पार्क करेगा? आगोश बाहर की तरफ़ भागा।
- उधर क्लीनिक वाले पार्किंग में जगह नहीं होगी, इसलिए कोई यहां गाड़ी खड़ी कर गया। मैं देखता हूं उधर, कौन है! पर गाड़ी है बड़ी शानदार! एकदम यूनिक।
- अच्छी है? मम्मी ज़ोर से हंसती हुई हाथ में मिठाई की एक प्लेट पकड़े आगोश की तरफ़ आईं।
मम्मी की खिलखिलाहट को आगोश अभी बौखलाया हुआ देख ही रहा था कि मम्मी बोलीं- अच्छी है न? तो ले, मुंह मीठा कर।
आगोश चौंका।
मम्मी ने बताया - ये तेरी है। कल रात को देर से आई। तू कल जल्दी ही सो गया था न, इसलिए मैंने जगाया नहीं। सोचा, सुबह- सुबह तुझे सरप्राइज़ दूंगी।
आगोश कुछ ज़्यादा ख़ुश नहीं दिखा। उसने मम्मी के हाथ से लेकर मीठे का टुकड़ा तो खा लिया पर कुछ विचित्र सी मुद्रा में डायनिंग टेबल पर जा बैठा। उसकी नींद भी अभी पूरी तरह खुली नहीं थी।
मम्मी बोलीं- मैं समझ गई। तुझे पसंद नहीं आई!
आगोश कुछ नहीं बोला।
मम्मी किसी अपराधी की भांति उसके करीब आईं और बोलीं- बेटा, सारी ग़लती मेरी ही है, तेरे डैडी तो कह रहे थे कि आगोश से ही चॉइस कराओ, पर मैंने ही कह दिया कि मुझे आगोश को सरप्राइज़ देना है। वो मेरी पसंद को रिजेक्ट थोड़े ही करेगा।
अब आगोश हंसा। बोला- ओहो मॉम, किसने कहा कि मुझे पसंद नहीं आई। शानदार है!
मम्मी फ़िर से चहकने लगीं, बोलीं- मुझे पता था तेरी कलर चॉइस का...
- कैसे? आगोश ने कुछ अचरज से कहा।
- क्यों, उस दिन तू नहीं कह रहा था कि आर्यन को एक बड़े टीवी सीरियल में काम मिल गया, अब तो वो थोड़े ही दिनों में गोल्डन- येलो कलर की गाड़ी में घूमेगा। मम्मी ने सफ़ाई दी।
आगोश मज़ाक के मूड में आ गया। बोला- ओह, तब तो अब आपके सामने सोच- समझ कर बोलना पड़ेगा, वरना ऐसे ही किसी दिन कोई लड़की भी लाकर मेरे सामने खड़ी कर दोगी, कि मुझे तेरी चॉइस का पता था...
मम्मी फ़िर से कुछ सीरियस होकर बोलीं- क्यों, तो क्या तू अपनी दुल्हन मेरी पसंद से नहीं लाएगा?
आगोश हंसने लगा।
- डैडी कहां हैं, उन्हें जाकर थैंक्स तो कह दूं। आगोश उठते हुए कहने लगा।
मम्मी एकदम से ख़ुश होकर बोलीं- हां - हां जा बेटा, कह दे, वो बहुत खुश होंगे, वो तो बेचारे तुझे कुछ गिफ्ट देते हुए भी डरते हैं... फ़ोन कर दे।
- फ़ोन क्यों? डैडी हैं कहां? क्या इतनी जल्दी क्लीनिक में जा बैठे?
मम्मी ने कुछ अचकचा कर धीरे से बताया- अरे बेटा, मैं तो तुझे बताना ही भूल गई। वो तो कल रात की फ्लाइट से एमस्टर्डम गए हैं।
आगोश का मूड एकाएक कुछ उखड़ गया। उसने फ़ोन हाथ में उठाया तो सही पर डैडी को किया नहीं। वह फ़ोन हाथ में पकड़े- पकड़े ही अपना लोअर उतार कर पटकता हुआ अपने कमरे के वाशरूम में घुस गया।
मम्मी भी कुछ मायूस सी होकर अपने कमरे में चली गईं।
आगोश ने लैट्रीन की सीट पर बैठे- बैठे ही आर्यन को फ़ोन मिलाया।
उधर से आर्यन की आवाज़ आई- इतनी सुबह- सुबह कैसे याद फरमाया ?
- हां यार, आज ज़रा जल्दी उठना पड़ा।
- क्यों?
- डॉन का तोहफ़ा कुबूल करना था।
- कैसा तोहफ़ा? कांग्रेचुलेशंस। बधाई हो।
- थैंक्स।
- मिला क्या तोहफ़े में?
- तेरे लिए गाड़ी।
- मेरे लिए? मेरे लिए क्यों? तुझे मिली है तो तेरे लिए होगी न। आर्यन ने कहा।
- मुझे मिली है तो क्या, जा मैंने तुझे दी। अब तेरी हो गई न। बस।
- पर ये तो बता, मिला किस बात के लिए तोहफ़ा? आर्यन ने पूछा।
- अरे यार छोड़ न, फ़िर किया होगा कोई गुल- गपाड़ा। और मुझे मेरा कमीशन दे दिया ताकि मैं मुंह बंद रखूं।
आर्यन हंसने लगा।
आगोश बोला- तू बता, कैसी रही यार तेरी मीटिंग कल वाली?
- स्टोरी- सैशन था। हम सब लोग एक साथ थे। आर्यन ने कहा।
- बाक़ी तो सब ठीक है, बस तू ज़रा उस बिल्ली से बचके रहना। आगोश ने कहा।
- बिल्ली? कौन बिल्ली? मैं कुछ समझा नहीं। आर्यन चौंका।
- अरे यार वही तेरी डायरेक्टर! वो निगलेगी तुझे...
आर्यन ज़ोर से हंसने लगा। बोला- अबे, मैडम तो कभी अकेले में मिलती तक नहीं हैं किसी से.. सबकी मीटिंग एकसाथ ही लेती हैं, पूरी टीम होती है एकसाथ।
- चल तो मैं धोता हूं अब, बाय!
आर्यन की फ़िर ख़ूब ज़ोर से हंसने की आवाज़ आई। बोला- साले, अंदर भी फ़ोन लेकर बैठा है!
आगोश ने फ्रेश होकर पहले मम्मी के साथ डायनिंग टेबल पर बैठ कर जम कर ज़ोरदार नाश्ता किया फ़िर अपने कमरे में जाकर फ़ोन पर बैठ गया।
उसने सब दोस्तों को फ़ोन पर ही बताया कि उसने नई कार खरीदी है और इस ख़ुशी में शाम को रूफटॉप में हम सब एकसाथ खाना खायेंगे। पार्टी !
केवल मधुरिमा ने थोड़ी ना- नुकर की, बाक़ी सब मान गए। लेकिन थोड़ा ज़ोर देने पर मधुरिमा भी आने के लिए तैयार हो गई।
इस बार की पार्टी की एक ख़ास बात थी। सबको रस ले- लेकर आगोश ने बताया कि आज की पार्टी डिनर- कम- ड्राइव है। इसलिए अपनी नई गाड़ी से आगोश बारी- बारी से सबको उनके घर से लेने आयेगा, फ़िर पहले तो सब एक साथ में एक लॉन्गड्राइव पर जाएंगे और उसके बाद डिनर होगा।
आगोश ने सबको बता दिया कि पार्टी के बाद आगोश सबको उनके घर भी छोड़ेगा। मज़ा आ गया!