टापुओं पर पिकनिक - 33 Prabodh Kumar Govil द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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टापुओं पर पिकनिक - 33

आगोश ने मधुरिमा के घर के कमरे का किराया देना शुरू कर दिया था मगर अभी स्थाई रूप से वहां कोई रहने आया नहीं था।
ज़्यादातर कमरा बंद ही रहता। कभी- कभी आर्यन और आगोश वहां जाते रहते थे।
मधुरिमा को भी उन लोगों का इंतजार रहता।
कभी- कभी मधुरिमा के पिता ज़रूर आगोश से पूछते थे कि उसके मेहमान वहां रहने के लिए कब से आयेंगे?
उधर आर्यन मानसिक चिकित्सालय के उस डॉक्टर के पास दोबारा अभी तक नहीं गया था और न ही उसने वहां भर्ती पागल नर्स की कोई और खोज खबर लेने की कोशिश ही की थी।
उसे समझ में नहीं आता था कि इस गुत्थी को कैसे सुलझाया जाए।
आर्यन और आगोश कई बार सोचते थे कि उस पागल औरत से थोड़ी तहक़ीकात करके शायद आगोश के पिता के क्लीनिक में चलने वाली गतिविधि का पर्दाफाश हो सके। पर सवाल ये था कि ऐसा कैसे किया जाए।
उन्हें लगता था कि डॉक्टर उसके अंडर इलाज करा रही किसी पागल महिला से बातचीत या पूछताछ की अनुमति उन्हें बिना किसी ठोस कारण के क्यों देगा?
आर्यन अक्सर उस रात की बात याद करता था जब वो वहां तैनात रहा था। उस दिन उस महिला के व्यवहार से उसे मन ही मन ये विश्वास हो गया था कि ये औरत पूरी तरह पागल नहीं है, हो सकता है कि उस पर किसी खास परिस्थिति में पागलपन का दौरा पड़ता हो। लेकिन इस बारे में डॉक्टर को आख़िर क्या और कैसे बताया जाए, ये उसकी समझ में नहीं आता था।
डॉक्टर को ये भी बताना तो पड़ता ही कि आर्यन उस औरत में दिलचस्पी क्यों ले रहा है।
किंतु आर्यन का ध्यान कुछ दिन के लिए इस बात से पूरी तरह हट गया।
उसने जिस टैलेंट हंट के लिए आवेदन किया था वहां से उसे सिलेक्शन प्रॉसेस में शामिल होने का निमंत्रण मिल गया।
सबसे पहले उसे अपना एक पोर्टफोलियो तैयार करना था जिसमें वह अपने साथ एक खूबसूरत लड़की चाहता था।
आर्यन ने कहीं पढ़ा था कि एक्टिंग या मॉडलिंग में ख़ूबसूरत लड़की की परिभाषा अलग होती है। यहां विभिन्न किरदारों को सजीव करने के लिए नापों पर आधारित देहयष्टि की ज़रूरत नहीं होती। न ही मादक अवयवों से काम चलता है।
फ़िलहाल उसे अपने साथ टीम के रूप में एक ऐसी लड़की चाहिए थी जिसकी ओर उसकी नज़र खिंचती हो। जिसे वह दिल से पसंद करता हो।
उसने मधुरिमा को इसी रूप में पसंद किया था।
इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ से मिलने पर उसे बताया गया कि उसे एक थीम पर आधारित काम तैयार करना चाहिए।
एक शाम एक रूफटॉप रेस्त्रां में बैठे आर्यन और आगोश शराब पी रहे थे कि सहसा एक युवती उनके पास चली आई। दोनों में से कोई भी उसे पहचाना नहीं किंतु यही सोच कर चुप रहे कि शायद ये दूसरे की परिचित हो।
- मैं यहां बैठ जाऊं? उसने पास आकर तपाक से कहा।
दोनों ही सकपका गए, पर कुछ कह नहीं सके। आर्यन ने इधर - उधर देखा। रेस्त्रां में ढेर सारी मेजें ख़ाली पड़ी थीं। फ़िर भी युवती उन्हीं की टेबल पर जम गई।
- मैंने आपको पहचाना नहीं! आगोश ने कुछ हिम्मत करके कहा।
- डोंट वरी, मैंने तो तुम्हें पहचान लिया ना!
अब आगोश कुछ घबराया। बोला- पर मैं आपको जानता नहीं।
- बच्चे, जानने में कितनी देर लगती है। तुम अपना नाम बताना, मैं अपना नाम बताऊंगी, और हो जाएगा हमारा परिचय!
- ओह, इसका मतलब आप भी हमें नहीं पहचानतीं?
आर्यन को अब कुछ क्रोध आ गया। वह एकाएक खड़ा हो गया और तमतमा कर बोला- क्या बदतमीज़ी है? वेटर, होल्ड हर... शायद ये पिए हुए हैं।
युवती हंसी।
आर्यन बोला- लीव इट यार, हम दूसरी टेबल पर चलते हैं।
- ओह नो ! आप क्यों जाएंगे? आज की शाम तो हम जहां जाएंगे, साथ - साथ जाएंगे! युवती आवाज़ में मादकता भर कर बोली।
- अजीब बेशरम है! आर्यन ने बुदबुदा कर कहा।
- कट! युवती ज़ोर से चीखी।
और सच में आर्यन व आगोश ने देखा कि कुछ दूरी पर तमाशबीन बने खड़े दोनों वेटर्स हाथ में कोई स्नैक्स की ट्रे नहीं, बल्कि कैमरा लिए खड़े हैं।
- ये क्या? आगोश बोला और उठ कर काउंटर पर जाने लगा। ऐसा लगता था मानो वह बहुत गुस्से में था और होटल के मैनेजमेंट से शिकायत करना चाहता था। काउंटर पर उसे कोई नहीं दिखा। वह पैर पटकता हुआ पलट कर वापस आ गया।
उसके वहां पहुंचते ही युवती जल्दी -जल्दी कदम बढ़ाती हुई लॉबी से गुज़र कर बाहर चली गई।
दोनों वेटर युवक भी न जाने कहां बिला गए।
आगोश और आर्यन का मूड ऑफ हो गया। बिल पे करके दोनों जल्दी से बाहर निकले और आगोश के घर की ओर चल दिए।
काफ़ी देर तक दोनों में से कोई कुछ न बोला।
कुछ देर बाद आगोश ही बोला- मैं तो समझा था कि तेरी कोई जानकर होगी इसलिए कुछ नहीं बोला, नहीं तो उसी समय एक रख देता उसके गाल पर!
- नो.. नो.. औरतों पर हाथ नहीं उठाया जाता! आर्यन बोला।
- अबे जा - जा, कौन सी पंद्रहवीं शताब्दी की बात कर रहा है! आज की अस्सी परसेंट औरतें तो ये ही ज़बान समझती हैं। सच कह रहा हूं, मैं तो तेरी पहचान वाली समझ कर ही रुक गया।
- बेटा, मेरी जानकर होती तो मेरे साथ गुलछर्रे उड़ाने की बात इस तरह सरेआम करती? और मैं खुद तेरा इंट्रो करवा नहीं देता? मैं तो ख़ुद हक्का- बक्का रह गया था उसकी बात सुनकर।
- यार, चक्कर समझ में नहीं आया। उसके साथ दो लौंडे और भी तो थे, कहीं...
- अरे लौंडे उसके साथ थोड़े ही थे, वो तो पहले से ही वहां घूम रहे थे। उस पगली ने उन्हें पकड़ा दिया था अपना लैपटॉप वाला बैग और कैमरा!
- भैया अब तो घर से निकलने से पहले पंडित से जन्मकुंडली दिखवा कर बाहर निकलना पड़ेगा, कि कहीं... कोई पगली तो नहीं दिखने वाली रास्ते में?
आर्यन हंसा। बोला- पंडित से ये भी पूछ लेना कि लड़की कपड़ों में मिलेगी या नंगी..
- सब मज़ा ख़राब कर दिया इतने बढ़िया ब्रांड का..! आगोश स्टेयरिंग को झटके से घुमाता हुआ बोला।