नौकरानी की बेटी - 18 RACHNA ROY द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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नौकरानी की बेटी - 18



आनंदी बहुत ही इमोशनल हो गई ये सुनकर की उसकी मां भी आ रही है।

रीतू ने कहा तुम ज्यादा सोचो मत बस अपनी मंजिल पर आगे बढ़ती जाओ।

सेकंड ईयर की पढ़ाई बहुत ही कठिन हो गया।
आनंदी ने कहा हां दीदी मैं जरूर अपनी पढ़ाई पूरी कर लुंगी।

फिर दो दिन की छुट्टी के बाद आनंदी की कालेज शुरू हो गई थी।


वो सारे लेक्चरर्स को बहुत ही ध्यान से सुना करती थी और हमेशा ज़बाब भी दिया करती थी।

जब भी खाली रहती तो लाइब्रेरी में जाकर किताबें पढ़ना शुरू कर देती है अब सिर्फ उसका एक ही खाहिश था आई एस अफसर बनने का।


इसी तरह आनंदी का द्वितीय वर्ष का एक्जाम टाइम टेबल आ गया था।


और सारे पेपर में एक भी गैप नहीं था। सोने का भी समय निकाल नहीं पा रही थी।

रीतू बहुत अच्छी तरह आनंदी के खाने पीने का ध्यान रख रही थी।


आनंदी के पांच पेपर ही होने वाला था। और सभी पेपर आनंदी के अच्छे ही गए। अब आनंदी कुछ दिन तक आराम करने वाली थी।

रीतू ने कहा अब तो एक महीने बाद ही सब लोग आ जायेंगे।
फिर तो तू कुछ समय मां के साथ बिता लेना। आनंदी ने कहा हां दीदी उसके बाद तो मेरा लास्ट ईयर होगा।


रीतू ने कहा फिर तो तेरी पोस्ट ग्रेजुएशन आ जाएगी।आनंदी ने पूछा दीदी क्या पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिला मिल जाएगा?

रीतू ने कहा हां आनंदी क्यों नहीं। आज तक तू हर एक्जाम एक बार में ही कर लिया तो आगे भी कर लेंगी।

आनंदी ने कहा हां दीदी अंग्रेज़ी में पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहती हुं?

रीतू ने कहा हां ज़रूर।।
आनंदी बोली दीदी आप मेरी कितनी मदद कर रही हों।
हमें यहां आएं आज सात साल बीत गए मानों कल की बात हो।

रीतू ने कहा हां समय तो ऐसे ही निकल जाता है।

फिर इसी तरह रीतू के मम्मी पापा राजू और कृष्णा वाई सब आ गए लंदन।

रीतू और आनंदी एयरपोर्ट जाकर इन लोगों को लेकर आए।

रीतू ने कहा कैसे हो सब।। अनु बोली हां अब अच्छी हुं तेरे बिना वहां मन ही नही लगता था।


रीतू ने कहा और कृष्णा वाई आप कैसी हो।

कृष्णा ने कहा बेबी अच्छी हुं।

रीतू ने कहा मिलिए आप सभी मेरी आनंदी से। गोल्ड मेडलिस्ट, और टापर स्टुडेंट।


राजू ने ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।

आनंदी ने कहा क्या दादा आप भी।

अमर ने कहा अरे आनंदी तू तो बदल गई है बिल्कुल।।तेरी अंग्रेजी कितनी अच्छी हो गई है।


राजू बोला हां एयरपोर्ट पर ही मैंने देखा दीदी के साथ आनंदी अंग्रेजी में बात कर रही थी।

रीतू बोली अरे आप सब फैश हो जाओ।
फिर हम साथ में खाना खाएंगे।


रीतू ने कहा आनंदी कृष्णा वाई को अपने कमरे में ले जाओ।

आनंदी ने मां को गले लगाया और फिर अपने कमरे में ले गई और फिर सब अपना गोल्ड मेडल दिखाने लगी।

सब लोग मिलकर खाना खा लिया।

कृष्णा वाई ने कहा बेबी अब से मैं सब खाना बना लूंगी और बाकी काम भी।

रीतू ने कहा हां पर सिर्फ खाना आप बनाएगी और बाकी काम सब मिलकर कर लेंगे।

अनु बहुत सारा समान ला कर रीतू को दे दिया।

रीतू ने कहा कल से मेरा आफिस रहेगा हम लोग शाम को निकलेंगे।

अमर ने कहा हां बेटा ठीक है।


फिर कुछ दिन बाद आनंदी का रेजल्ट आ गया इस बार वो फर्स्ट रैंक होल्डर बनीं थीं इस बार उसे गोल्ड मेडल भी प्राप्त हुआ था।

एक बार फिर आनंदी ने साबित कर दिया था कि एक नौकरानी की बेटी भी कुछ कर सकतीं हैं अगर उसे मौका मिले।


आनंदी एक बार फिर सफलता की सीढ़ी पर चढ़ जाती हैं और मिडिया वाले आनंदी का इंटरव्यू लेते हैं और आनंदी इस बात का भी जिक्र करती है कि आज वो अगर यहां तक पहुंच सकी है तो सिर्फ रीतू दीदी की वजह से। एक नौकरानी की बेटी को एक नई उम्मीद, नई मंजिल दिखाया तो वो रीतू दीदी ने दिखाया है।
रीतू भी आनंदी का इन्टरव्यू सुनकर रोने लगी।


आनंदी जब घर पहुंच गई तो उसने अपना रेजल्ट के बारे में बताया ये सुनकर सब बहुत खुश हो गए।

राजू ने आनंदी का इंटरव्यू सबको सुनाया।

अनु भी बहुत खुश हो गई।


शाम को रीतू घर आई तो हाथ में एक केक और कोल्ड ड्रिंक, बर्गर सब कुछ लाई थी।

आनंदी को देखते ही रीतू बोली चल जल्दी से केक काट ।।
आनंदी भी खुश हो गई और फिर केक भी काटा।
और सबने मिलकर एक गाना भी गाया।

"ऐ दिल लाया है बहार अपनों का प्यार क्या
कहना।"।


फिर सब केक, बर्गर खाकर कोल्ड ड्रिंक पीने लगे।

आनंदी ने अपना गोल्ड मेडल मां के गले में डाल दिया।ये देख सबने ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।

रीतू ने कहा आनंदी बस अब तेरा एक साल बचा है फिर तुम ग्रेजुएट हो जाओगी।

आनंदी ने कहा हां दीदी।।

रीतू ने कहा कल युनिवर्सिटी जाकर फार्म भर देना। और एक स्कालरशिप के लिए लैटर लिख देना।


आनंदी ने कहा हां दीदी कल हम सभी जायेंगे।
रीतू ने कहा वो राधिका का कैसा रहा? आनंदी ने कहा हां फर्स्ट आईं। और तेरा दोस्त जोन।
आनंदी ने कहा हां उसका भी अच्छा है पर वो आगे पढ़ने कनाडा जा रहा है।

रीतू ने कहा हां ऐसा अच्छा। स्कोप है वहां लड़कों के लिए।


फिर दूसरे दिन सुबह आनंदी अपनी मां के हाथ की पुरी और आलू पालक खाकर कालेज को निकल गई।

रीतू बोली वाह कृष्णा वाई मजा आ गया आप मेरे लिए पैक भी कर दो ।आज कैंटिन जाकर कुछ नहीं खाऊंगी।
कृष्णा ने कहा हां ज़रूर अभी देती हूं।
फिर रीतू भी नाश्ता करके साथ में लंच लेकर आफिस चली गई और फिर सबने नाश्ता किया।

आनंदी कालेज पहुंच कर फार्म भरने से लेकर लेटर लिखा और फिर जमा कर दिया।


अगले दिन से ही फाइनल ईयर शुरू हो गया।
आनंदी की सारी किताबें आॅनलाइन से आ गई जो कि रीतू ने मंगवा लिया था।


रीतू बोली अब एक आनर्स सब्जेक्ट रहेगा तेरा । आनंदी ने कहा हां दीदी मैथ ही लिया है।
रीतू बोली ओके गुड।।


आनंदी के कालेज फिर से शुरू हो गया था।
उसका दिनचर्या बिल्कुल बदल गया था।
इवनिंग क्लासेज प्रारम्भ हो गया था एक के बाद दूसरा नौ बजे तक चलता था। रात को आनंदी एक दम थक जाती थी।


रीतू भी समय निकाल कर अपने मम्मी पापा राजू को घुमाने लगी थी।
पर कृष्णा वाई हमेशा मना कर दिया करती थी कि नहीं मैं ठीक हूं।घर में ही रहुंगी ये कह देती थी कृष्णा वाई।
इस तरह तीन महीने बीत गए थे। राजू के भी छुट्टी खत्म हो गई थी।

आनंदी के कालेज में फाइनल एग्जाम शुरू होने वाले थे।

इधर अनु ,अमर सब वापस जाने की सोच रहे थे।

राजू बोला मम्मी आज दीदी से बोल कर हमारी एयर टिकट बुक करवा लो। वरना मेरा नुकसान हो जाएगा।

अनु ने कहा हां आज बात करती हूं।

आनंदी ने कहा अरे आप लोग चले जाएंगे।

अमर ने कहा हां आनंदी हमें जाना होगा।पर हां एक बात है कि तुमने हमलोगो का सर ऊंचा कर दिया है इसी तरह और ऊंचाई पर पहुंच जाओ।
आनंदी ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

आनंदी के कालेज से डेट सीट आ गई थी अगले हफ्ते से ही पेपर था।


रीतू जब घर आई तो अनु ने कहा बेटा हमारा एयर टिकट बुक करवाया? रीतू ने कहा हां मम्मी कल ही करवाया था मैं बताना भुल गई।
अमर बोले अच्छा ठीक है कब का मिला।
रीतू ने कहा सन्डे को है।

आप लोग आएं और कैसे समय बीत गया पता नहीं चल पाया।
अनु बोली अच्छा होता एक बार शैलेश से मिल लेते।
रीतू बोली अरे मम्मी वो एयरपोर्ट आयेंगे।
राजू बोला अरे वाह दीदी बहुत अच्छे।।


आनंदी ने कहा दीदी मेरी अगले हफ्ते से पेपर है।

रीतू ने कहा हां ठीक है मेरी गोल्ड मेडलिस्ट।।
आनंदी ने मुस्कुराते हुए कहा क्या दीदी।।


फिर सब मिलकर कृष्णा वाई के हाथ की बिरयानी खाएं और फिर सो गए।


अगले दिन आनंदी का कम्बाइंड स्टडी शुरू हो गया आज ऐनी डिसुजा के घर आनंदी जाने वाली थी पढ़ाई के लिए।

आनंदी अपना बैग लेकर ऐनी के घर स्कुटी से निकल गई।


इसी तरह रविवार भी आ गया। आनंदी बहुत गुमसुम सी बैंठी थी क्योंकि उसकी मां वापस जा रही थी।

फिर सब तैयार हो कर नाश्ता करके निकल रहे थे।

राजू बोला आनंदी इस बार भी रिकार्ड तोड मेहनत करेंगी ।। आनंदी ने कहा हां दादा।


फिर आनंदी मां के गले लगकर रोने लगी और सब निकल गए। आनंदी भी अपनी पढ़ाई करने बैठ गई।

रीतू भी कुछ घंटों के बाद लौट आई और बोली आनंदी सुन अब तुम्हें इसके साथ-साथ पोस्ट ग्रेजुएशन करना है और साथ में आईएएस की तैयारी शुरू करनी होगी कल तुम्हारे कुछ किताबें आ जाएंगे। क्योंकि अभी से तैयारी शुरू कर दो तो ज्यादा अच्छा होगा।

आनंदी ने कहा हां दीदी ठीक कहा आपने ,मैं लैपटॉप पर देख रही थी। रीतू बोली हां अब तुम्हें आगे बढ़ना है बस।।
आनंदी ने कहा हां दीदी।

फिर आनंदी के पेपर भी शुरू हो गई।


आनंदी की कुछ किताबें भी आ गई तो आनंदी समय निकाल कर उसको भी पढ़ना शुरू किया।
इसी तरह आनंदी के सारे पेपर बहुत ही अच्छे से हो गया।

रीतू ने कहा आनंदी तू अब पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ ही अपनी आईएएस की तैयारी में लग जा।
यु पी एस की तैयारी करने के लिए तुम्हें अप्लाई करना होगा। लैपटॉप से देख लो। और फिर मैंने सब किताबें मंगवा लिया है

आनंदी ने कहा हां दीदी एक कल्चर, भूगोल सर्टिफिकेट फिजिकल एंड ह्यूमन जियोग्राफी, इंडियन इकोनॉमी।

रीतू ने कहा हां ये सब पढ़ती जा। और दो साल में तेरा पोस्ट ग्रेजुएशन भी हो जायेगा उसके बाद की तैयारी काफी है तेरे लिए, क्योंकि तेरी काबिलियत पर कोई शक नहीं है तू कर लेंगी और तेरी छुट्टी हो गईआज से,

फिर आनंदी ने आईएएस की तैयारी जोर-शोर से शुरू कर दिया था वो दिन के चौदह घंटों तक पढा करती थी और नोट्स तैयार करने लगी थी।
आनंदी के लिए एक एक क्षण भी मूल्यवान था।


कुछ महीनों बाद फिर आनंदी के ग्रेजुएशन के परिणाम घोषित हो गया। आनंदी अपने युनिवर्सिटी में फर्स्ट रेंक होल्डर बनीं थीं उसे गोल्ड मेडल भी प्राप्त हुआ।


और फिर ग्रेजुएट डे के लिए सभी को गाउन पहन कर सटिफिकेट दिया गया। आनंदी को भी गाऊन पहना कर स्वागत किया गया।
इसी तरह आनंदी अपने युनिवर्सिटी ऑफ इंडिया फार यूनिटी में फर्स्ट रेंक होल्डर बनीं।
अब आनंदी को पोस्ट ग्रेजुएशन भी करना था वो भी दो साल का।

आनंदी ने तुरंत फार्म भरने के लिए काउंटर पर चली गई और इस बार भी आनंदी को स्कालरशिप भी प्राप्त हो गया क्योंकि उसके सार्वाधिक अंक आए थे।

आनंदी ने स्नातकोत्तर में अंग्रेजी विषय का चयन किया।
आनंदी के अच्छे नंबर थे इसलिए उसको डायरेक्ट एडमिशन मिल गया।
और अगले हफ्ते से ही उसके क्लास शुरू हो गई।
आनंदी ने अंग्रेजी विषय का चयन इसलिए किया क्योंकि वो और भी सीखना चाहती थी और वो ज्यादा से ज्यादा अंग्रेजी बुक पढ़ा करती थी और नोट्स तैयार करने लगी।

फिर इसी तरह उसका प्रथम वर्ष का एक्जाम शुरू हो गया। अंग्रेजी के ही पांच पेपर थे।


आनंदी ने खुद को साबित कर दिया और एक बार फिर आनंदी ने ही स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में गोल्ड मेडल मिला। अब दूसरा और अंतिम वर्ष था।


कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है ।

फिर आनंदी को प्रथम वर्ष का मार्क सीट और सर्टिफिकेट मिल गया।

रीतू ने आनंदी का मार्क सीट देखा तो बोली कि आनंदी आज मेरा तेरे ऊपर जो भी मेहनत किया वो सार्थक हुआ मुझे इसका यकीन था।

एक हफ्ते बाद ही आनंदी का स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की क्लास शुरू हो गया।

आनंदी का जोश और उत्साह एक पढ़ाई के प्रति जुनून देख कर उसके सहयोगियों ने भी युनिवर्सिटी में एक पार्टी रखी थी और खुब मस्ती, खाना पीना सब हुआं।


आनंदी ने अंग्रेजी में एक सुंदर कविता की रचना भी किया और वो रचना उसके युनिवर्सिटी के वार्षिक उत्सव के बुक में छपवाया गया इसके लिए भी आनंदी को एक शील्ड पुरस्कार में दिया गया।

रीतू की तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
वो बोली आनंदी कोई शब्द नहीं है क्या कहुं तुझे।

इसी तरह आनंदी अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी बहुत मेहनत से कर रहीं थी अब आगे उसका फाइनल एग्जाम भी आ गया था।

आनंदी अपनी तैयारी में लगी हुई थी।
आनंदी के सारे पेपर बहुत ही अच्छे से हो गया था।

एक महीने बाद आनंदी का रेजल्ट आने वाला था।

फिर आनंदी ने बिना आराम किये आई एस अफसर की तैयारी में लग गई।जोर शोर से शुरू कर दिया और दिन के चौदह घंटे तक पढा करती और नोट्स बनाने लगी और आन लाइन पर उसने अप्लाई कर दिया। एक पेपर जून में तो दूसरा पेपर सितम्बर में होने वाला था।


क्रमशः