में और मेरे अहसास - 34 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 34

 

हारी हुई बाज़ी हम जीत कर दिखा देगे l
तुम्हें और खुद को मुस्कुराना सिखा देगे ll

सुबह और शाम खुदा से दुआएँ कर के l
तेरी तक़दीर मे खुशियो को लिखा देगे ll

बहोत हों चुकी नादानी सुनो नादाँ जान l
जल्द ही तुझे दुनियादारी सिखा देगे ll

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मेरी खामोशीया की तुम वजह मत पुछो।
मेरी मासूमियत की तुम वज़ह मत पूछो ll

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मेरी हर सोच मे आप की सोच होती है l
बेवजह मेरी आंखे रोज बेपनाह रोती है ll

मिलन की तड़प इस तरह बढ़ जाती है l
तेरी ही तस्वीरें देख देखकर सोती है ll

जुदाई के ख्याल से भी डर जाते हैं l
पल की दूरी मेरे दिल का चैन खोती है l

ख्वाइश तुझे पाने की यू बढ़ी के l
तेरे ही सपने दिन रात संजोती है ll

तेरी बेइंतहा मुहब्बत की जुस्तजू मेरे l
दिल मे प्यार के ज़ज्बात बोती है ll

मेरे ख्यालो मे डूब कर लिखे गए l
ख़त मे तेरे अक्षर लेखन मोती है ll

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साथ तूफ़ाँ लाया है मौसम l
देख कैसा ये आया है मौसम ll

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अच्छा हो या बूरा वक्त गूजर ही जाता है l
कल की चिता छोड़ आज ही है सो जी ले ll

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पत्थर को खुदा मानने के लिए तैयार है l
पर अपनों पे भरोसा नहीं कर सकते हैं ll

भूखे इंसान को रोटी नहीं खिला सकते l
आंख मीचकर मंदिरों को भर सकते हैं ll

क्या फितरत पाई है कि अनदेखी और l
अनजान शक्ति से लोग डर सकते हैं ll

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खुशियो की राह में कौन खड़ा हुआ है l
जालिम पत्थर बन के कौन पड़ा हुआ है ll

जिंदगी जीने का अधिकार सब को है l
खामोशी से यहां कौन मढ़ा हुआ है ll

मुसलसल प्यार की गोद मे सोया l
इश्क मे सूली पे कौन चढ़ा हुआ है ll

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मुहब्बत से मुहब्बत हो गई है l
क्रम उम्र में शरारत हो गई है ll

पत्थर से मुहब्बत हो गई है l
नादानी मे बगावत हो गई है ll

तुम्हें एकबार देखने की तड़प है l
आशिकी मे शराफत हो गई है ll

नादाँ दिल से सुबह और शाम l
बात करने की आदत हो गई है ll

इश्क ने ग़ालिब मुफ़लिसी मे l
प्यार की इबादत हो गई है ll

दूर जाने का नाम भी न लेना l
जुदाई से नफरत हो गई है ll


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प्यार तो आज भी बेपनाह है
बस अब महसूस नहीं होने देते
ग़र दिल की धड़कनों को सुन सकोगे तो
आज भी दिल तुम्हारे लिए ही धड़कता है
ये और बात है कि जताते नहीं और दिखाते नहीं है l

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तुम्हें देख लिया, ईद हो गई l
चांद देख लिया, ईद हो गई ll

उम्मीदों की ज्योति रोशन हुईं l
यार देख लिया, ईद हो गई ll

तेरे होठो पे हसी क्या देखी l
प्यार देख लिया, ईद हो गई ll

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दुआ गर दिल से की गई हो तो कबुल होने मे वक़्त नहीं लगता है l
रिसता ग़र दिल से निभाया जाये एक उम्र कट जाती है हसते हुए ll

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तोड़कर बेड़िया ज़माने की आज मिलने आए हैं सनम l
तोड़कर जंजीरें ज़माने की आज खिलने आए हैं सनम ll

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एक लड़का हररोज गोलगप्पे खाता था l
शाम होती ही एक गोलगप्पा खाता था ll

कोई दिन तीखा कोई दिन मीठा खाता था l
बिना भूले हररोज गोलगप्पे खाता था ll

माँ से फोन पे बाते करता रहाता था l
खाने के लिए गोलगप्पा खाता था ll

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आज फिर पुकार रहा हू नाम तेरा माँ l
दुनिया के सितम से डर गया हू मैं माँ ll

तेरा लोरी सुनाना तेरा प्यार से डाटना l
तू नहीं तो तेरे याद से लिपट जाता हू माँ ll

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आहिस्ता आहिस्ता सीख रहे हैं मुहब्बत l
आहिस्ता आहिस्ता सीख रहे हैं शरारत  ll

तुम्हारे साथ बाते करना , हसना - हसाना l
आहिस्ता आहिस्ता सीख रहे हैं हिमाकत ll

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तेरी आखों से पीना चाहते हैं l
तेरी यादों मे जीना चाहते हैं ll

चांदनी भरी मदमस्त रातो मे l
तेरी बाहों मे डूबना चाहते हैं ll

आंख बंध करके किया है यकी l
तेरे वादो पे लुटना चाहते हैं ll

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प्यार तो कम न होगा l
यार तू गम न करना ll

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जहा भी जाएंगे हमारी l
दुआ तेरे साथ रहेंगी ll

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पास आके बेठे रहो ये लम्हा फिर मिले ना मिले l
थोड़ा सा मुस्कुराना सीखा दे फिर मिले ना मिले ll

कैद करके रखा तुम्हें देखने का अरमान दिल में l
आज फिर बगावत से उड़ा दिया फरमान दिल ने ll

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जिंदगी को जितना है तो चाल बदल l
बदलते पल सोचने का अंदाज बदल ll

जीत ही जाएगा एक दिन ग़म न कर l
दुनिया के लोगों के बारे में खयाल बदल l

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