फाँसी के बाद - 5 Ibne Safi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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फाँसी के बाद - 5

(5)

आर्लेक्चनू में प्रतिदिन कोई न कोई स्पेशल प्रोग्राम रहता था । आर्लेक्चनू के व्यवस्थापक इस बात को अच्छी तरह समझ चुके थे कि एक ही प्रकार के प्रोग्राम से तीसरे चौथे दिन ही उक्ताहट महसूस होने लगती है । इसलिये वह दूसरे-तीसरे दिन प्रोग्राम बदलते रहते थे और इस परिवर्तन में भी इसका विचार रखते थे कि कल जो प्रोग्राम प्रस्तुत किया गया था, उसी प्रोग्राम को आज कुछ नवीनता के साथ प्रस्तुत किया जाये ।

आज भी डांस ही का प्रोग्राम था – मगर शर्त यह थी कि डांस वाले हाल में वही लोग दाखिल हो सकते थे जिन्होंने हाल में दाखिल होने का टिकिट लिया हो । दूसरी शर्त यह थी कि टिकिट लेकर हाल में दाखिल होने वाला हर व्यक्ति स्टेज पर तीन मिनिट तक अपने नृत्य का प्रदर्शन करेगा । नारी और पुरुष का कोई प्रतिबंध नहीं था । जो डांस करना न जानता हो वह भी स्टेज पर जा सकता था । उन्हें फ्रांसीसी डांसर मादाम ज़ायरे डांस सिखायेंगी ।

हमीद ने अपने लिये दो टिकट प्राप्त किये थे । प्रोग्राम नौ बजे आरंभ होने वाला था और उसने सीमा को साढ़े सात का समय दिया था । विचार था कि आठ या सवा आठ बजे तक डिनर से अवकाश मिल जायेगा और फिर कुछ देर आराम करने के बाद वह प्रोग्राम में भाग ले सकेगा और यदि मूड आयेगा तो वह भी मादाम ज़ायरे के साथ अपने डांस का प्रदर्शन करेगा ।

उसने पांच बजे से ही तैयारी आरंभ कर दी थी । मगर हर समय यह डर लगा रहा था कि कहीं विनोद द्वारा कोई बाधा न उत्पन्न हो जाये । पर ऐसा नहीं हुआ । घर से रवाना होने से पहले विनोद उससे मिला था और यह कह कर कोठी से बाहर निकल गया था कि वह एक रिटायर्ड फौजी के साथ तार जाम जा रहा है ।

सारांश यह कि बन-संवर कर पूरी आज़ादी के साथ हमीद ठीक सात बजे आर्लेक्चनू पहुंच गया । साढ़े सात बजे तक लाउंज में रहा । फिर डाइनिंग हाल में बैठ गया । कोफ़ी मंगाई और हलकी हलकी चुस्कियों के साथ सीमा की प्रतीक्षा करने लगा ।

जिस प्रकार हवा का झोंका आता है और गुज़र जाता है, उसी प्रकार हज़ारों लड़कियां हमीद के जीवन में आकर चली गई थीं । हमीद ने न किसी के लिये बेचेनी महसूस की थी, न किसी के चले जाने के बाद उसका दिल तड़पा था – और न वह किसी लड़की का बंदी बन कर रहा था । पर सच्ची बात तो यह थी कि वह ख़ुद ही लड़कियों से जल्द ही घबड़ा जाता था और ख़ुद ही उन्हें छोड़ कर किसी नई लड़की की तलाश में लग जाता था । लड़कियों से ज़बानी छेड़छाड़ के आगे वह नहीं जाता था ।

सीमा उसके लिये नई ही लड़की थी । अधिक सुंदर तो नहीं थी, मगर उसकी दूसरी विशेषतायें किसी को भी अपनी ओर आकृष्ट कर सकती थीं – फिर वह तो हमीद था ।

सीमा हाल में दाखिल होती हुई नज़र आई । इस समय भी उसके वस्त्रों में सादगी थी और मेकअप भी अत्यंत साधारण-सा था । उसके साथ एक आदमी था जिससे वह हंस हंस कर बातें कर रही थी । यह वही आदमी था जिसको वह सीमा की कार ड्राइव करते हुए देख चुका था । सीमा का उससे इस प्रकार हंस हंस कर बातें करना हमीद को बुरी प्रकार खल रहा था, और यह भी महसूस कर रहा था कि वह आदमी उसे बुरी प्रकार घूर रहा था – वह सोचने लगा कि यदि अवसर मिला तो वह सीमा से उसके बारे में अवश्य पूछेगा । इस समय भी उसे यह याद नहीं आ रहा था कि उसने उस आदमी को कब और कहां देखा था, लेकिन फिर भी उसे ऐसा लग रहा था जैसे यह वही आदमी है जिसकी उसे तलाश है ।

उस आदमी के साथ सीमा हमीद की मेज तक आई - मगर वह आदमी बैठा नहीं, फौरन ही वापस चला गया और सीमा मुस्कुराती हुई हमीद के सामने बैठ गई और बोली ।

“कदाचित मुझे कुछ देर हो गई !”

“मैं उस वक्त तक आपका इन्तजार करता रहता, जब तक यह होटल बंद न होता ।” – हमीद ने स्वप्निल स्वर में कहा ।

सीमा की मुस्कान गहरी हो गई और हमीद यह सोच कर हर्षित हो उठा कि पहला ही तीर ठीक निशाने पर बैठा । इसलिये चहक कर बोला ।

“डिनर में आपके लिये कोई स्पेशल आइटम ?”

“जो भी आप पसंद करेंगे वही मेरे लिये स्पेशल आइटम होगा ।” – सीमा ने कहा ।

हमीद ने मीनू को देख कर बैरा को आर्डर दिया और फिर सीमा की ओर देखने लगा जिसकी नजरें हाल का निरिक्षण कर रही थी । उसने उसे सम्बोधित करके कहा ।

“रमेश आपसे मिला था ?”

“हाँ – मगर सरला के साथ । वह भी रनधा की गिरफ़्तारी पर हर्षित है ।”

“आपका ड्राइवर कितने दिनों से आपके साथ है ?” – हमीद ने पूछा ।

“ड्राइवर ?” – सीमा चौंक कर बोली – “मैं तो ख़ुद ही कर ड्राइव करती हूँ । ड्राइवर तो आम तोर से पिताजी के साथ रहता है ।”

“इस समय जो साहब आपके साथ आये थे......।”

“ओह ।” – सीमा हंसने लगी फिर बोली – “वह ड्राइवर नहीं है मगर वह यही पसंद करते है कि उनका व्यक्तित्व किसी पर न प्रकट किया जाये ।”

“क्या मुझे भी आप उनके बारे में कुछ बताना पसंद नहीं करेंगी ?”

“विवशता है कप्तान साहब ! मैं उन्हें बचन दे चुकी हूँ  ।” – सीमा ने कहा । - “बस इतना कह सकती हूँ कि वह एक बड़े आदमी है लेकिन आजकल अपने कारोबारी ममिलों के कारण अपने व्यक्तित्व को छिपाये रखना चाहते है और लोगों के सामने भी रहना चाहते है ।”

“इसका अर्थ तो यह हुआ कि वह मेक अप में थे ?”

“जी हा ।” – सीमा ने कहा ।

हमीद ने कुछ और पूछना उचित नहीं समझा । बैरा भी आकर मेज़ पर खाना लगाने लगा था । जब वह खाना लगा कर चला गया तो सीमा ने कहा ।

“मैं खुद आपसे मिलना चाहती थी ।”

“मैं अपनी खुश किस्मती पर अपने सितारों को मुबारकबाद दूँगा ।” – हमीद ने कहा ।

“आप मुझे बनाने की कोशिश कर रहे है ।” – सीमा कह कर हंसने लगे ।

“आपको तो अल्लाह ने अपने हाथों से बनाया है फिर मैं क्या बनाऊंगा ?” – हमीद ने कहा फिर फौरन पूछा – “मुझसे मिलने की इच्छा के पीछे मेरा सम्मान बढ़ाना या या मेरे योग्य कोई सेवा थी ?”

“देखिये कप्तान साहब ! अगर आप इस स्वर में मुझसे बातें करेंगे तो मैं उठ कर चली जाउंगी या फिर खामोश बैठी रहूंगी । आप मेरी हंसी उड़ा रहे है ।”

“बड़ी मुसीबत है ।” – हमीद ने कौर कराठ से नीचे उतारते हुये कहा – “मैं जब अपनी हार्दिक भावनाओं का प्रदर्शन करता हूँ तो लोग समझते है कि मैं उनकी हंसी उड़ा रहा हूँ और जब घरेलू किस्म की बातें करता हूँ तो लोग सोचते है कि मैं लड़कियों से बे तकल्लुफ होने की कोशिश कर रहा हूँ ।”

“लोग क्या कहते है और क्या सोचते है इससे मुझे कोई मतलब नहीं – मैं केवल अपनी बात कर रही हूँ । मुझे इस प्रकार का स्वर पसंद नहीं ।”

भोजन पच तो जायेगा न ?” – हमीद ने कहा ।

“अगर आप इसी प्रकार की बातें करते रहे तो कदाचित न पच सके ।”

“मगर मैंने तो सुना था कि भोजन करते समय होने वाली बातें चूरन का काम करती है ।” – हमीद ने कहा ।

“अवश्य – लेकिन शर्त यह है कि बातें सुखदायी हों ।”

“शेक्सपियर ने कहा था कि......।”

“उसने जो कुछ कहा था वह तीन सौ साल पहले कहा था ।” सीमा ने बात काट कर कहा – “आज की दुनिया दूसरी है ।”

“मगर कुछ सर्वकालिन सच्चाइयाँ भी होती है ।”

“सर्वकालिन सच्चाई केवल एक है और वह है व्यक्तित्व का प्रदर्शन ।”

“अगर इसको सच समझ लिया जाये तो फिर यह भी मानना पड़ेगा कि रनधा के सारे कारनामे उसके व्यक्तित्व के प्रदर्शन ही थे ।”

“व्यक्तित्व का प्रदर्शन इस प्रकार होन चाहिये कि संघर्ष न हो ।” – सीमा ने कहा – “यही संघर्ष अपराधों को जन्म देता है । - निसंदेह रनधा के सारे कारनामे उसके व्यक्तित्व के प्रदर्शन ही थे – मगर उसने कई क़त्ल किये – कितनों को लूटा और अपहरण भी किये ।”

कुछ देर के लिये ख़ामोशी छा गई । क्योंकि बेरा आकर प्लेटें हटाने लगा था । जब मेज साफ़ हो गई और बेरा चला गया तो हमीद ने कहा ।

“आपसे मैं तर्क करना नहीं चाहता, मगर आपसे मुझे कुछ बातें अवश्य कहनी हैं । लेकिन उससे पहले आपको यह बताना पड़ेगा कि आप मुझसे क्यों मिलना चाहती थी ?”

“बहुत सारी बातें थीं जो फिलहाल गुडमुड हो गई हैं, इसलिये थोड़ी देर बाद कह सकूंगी – हां, यह बताइये कि रनधा को फांसी कब होगी ?”

“आप यह क्यों जानना चाह रही हैं ?” – हमीद सतर्क होकर बैठ गया ।

“बता दूँगी – मगर पहले आप मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिये ।”

“जिस दिन रनधा गिरफ़्तार हुआ था यदि उसके पंद्रह दिन बाद गिरफ्तार हुआ होता तो हो सकता है कि स्थिति कुछ दूसरी होती – मगर चूंकि उसकी फांसी की तारीख नियत हो चुकी थी इसलिये इस मध्य उसने जो भी जुर्म किये हैं उनके लिये उस पर कोई मुक़दमा नहीं चलेगा, बल्कि फांसी की जो तारीख नियत की गई थी उसी तारीख को उसे फांसी हो जायेगी ।”

“वह तारीख कब है ?” सीमा ने पूछा ।

“कल की रात गुज़ार कर चार बजे सवेरे ।” – हमीद ने कहा – “मगर आप यह बात किसी से कहेंगी नहीं । यह सरकारी रहस्य है !”

सीमा ने कुछ नहीं कहा, बल्कि इस प्रकार संतोष की सांस खीचीं जैसे कोई बहुत बड़ा ख़तरा उसके सर से टल गया हो । फिर उसने पूछा ।

“कर्नल साहब तो हैं ना ?”

“अभी तो हैं । मगर कदाचित शीघ्र ही बाहर जाने वाले हैं ।”

इतने में माइक से आज के डांस के प्रोग्राम के सिलसिले में एलान होने लगा ।

“आपको डांस में दिलचस्पी है ?” – हमीद ने पूछा ।

“केवल इस हद तक कि मुझे हमेशा आंगन टेढ़ा दिखाई देता है ।”

“मगर मेरा विचार है कि आप भी जब तक नौ मन तेल न होगा.....।”

“मैं आपसे बहुत सारी बातें करना चाहती हूं, इसलिये थोड़ी देर के लिये अपने जेहन को खली छोड़ देना चाहती हूं ।”

“तो फिर उठिये – डांस वाले हाल में चलें ।”

“क्या आपको स्टेज पर अपने डांस का कमाल दिखाना है ?” – सीमा ने पूछा ।

“नहीं !”

“फिर ?”

“मादाम ज़ायरे के डांस का कमाल देखा जायेगा । इस तरह आपका बोझिल जेहन भी हल्का हो जायेगा ।”

“वास्तव में मैं सरला की प्रतीक्षा कर रही थी ।”

“क्यों ?”

“वह मेरी सहेली है ।”

“आपने भी किस बोर लड़की को सहेली बनाया है !” – हमीद ने मुंह बनाकर कहा ।

“वह मेरी बड़ी प्यारी सहेली है । वीना से भी अधिक ।” – सीमा ने कहा । फिर चौंक कर बोली – “अरे हां, वीना का कुछ पता चला ?”

“अभी नहीं ।”

“बड़े आश्चर्य की बात है । रनधा की गिरफ्तारी के बाद तो वीना को मुक्त हो जाना चाहिये था ।”

“यह आवश्यक नहीं था । इसलिये कि पुलिस न तो रनधा के हेड क्वार्टर का पता चला सकी और न ही रनधा ने कुछ बताया ।”

“आश्चर्य है – पुलिस तो सब कुछ उगलवा लेती है ।”

“केवल अपराधियों से – फांसी के अपराधी से नहीं !” – हमीद ने कहा – “रनधा को यातनाएं नहीं दी जा सकतीं ।”

“रनधा ने क़ानूनी सहायता नहीं मांगी ?” – सीमा ने पूछा ।

“रनधा ने अब तक मुंह ही नहीं खोला ।”

“कोई उससे मिलने गया था ?” – सीमा ने पूछा ।