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मे और महाराज - ( जासूसी _ १) 11

" आ............ तुम ?????"

" हा हम। जिनकी आप अभी अभी तारीफ कर रही थी।" अपने हर शब्द के साथ वो उसके करीब और करीब आ रहा था। राजकुमार के डर के मारे समायरा पीछे होती गई। वो इतनी पीछे हो गई थी की लगभग अपनी जख्मी पीठ के बल लेट गई और सिराज उसके ऊपर था।

" आ ह......." समायरा " ये क्या कर रहे हो ? पीछे हटो मुझे चोट लगी है।"

" हम क्यों पीछे हटे ? हम तो वो है ना जिन्हे किसी की भावनाओं की फिक्र नहीं । अगर किसे से मतलब है तो उनके जिस्म से है। जिन्हे जिस्म से मतलब हो वो भला आपकी चोट के बारे मे क्यो सोचे?" सिराज ने उसके चेहरे को छूते हुए कहा।

उसका हाथ वही रोक समायरा ने कहा " महाराज मेरा वो मतलब नहीं था।"

" अच्छा। तो बताएं क्या मतलब था आपका ? राजपरिवार को कोसने की सजा जानती है आप ? हम आपको १० साल के लिए कारागार मे भेज सकते है।" उसने समायरा के ऊपर से उठते हुए कहा।

"१० साल इसका कोई भरोसा नहीं। सच मे जेल भेज देगा सैम। कुछ सोच तुझे यहां से अपने घर भी तो जाना है।" समायरा ने सोचा " मेरे लिए मेरे महाराज दुनिया के सब से खूबसूरत पुरुष है। आपका तो हक है मुझ पर। में भला क्यों बुरा कहूंगी आपके लिए। मेरी घायल पीठ मे दर्द की वजह से मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। इसलिए गलती हो गई। मुझे माफ कर दीजिए।" उसने उठते हुए सिराज का हाथ थामे कहा।

अपना हाथ छुड़ाते हुए सिराज ने उस से पूछा, " क्या आपकी बड़ी मां अक्सर आप के साथ ऐसे पेश आती है ? "

" हा। जब से में वहा आई हू वो औरत वैसी ही है। बुरी नही नही बोहोत बुरी। यहां तक कि वजीर भी उन्हे कुछ नही कहते। हमेशा मेरी पिटाई करती है।" समायरा ने अपने कपड़ों को ठीक करते हुए कहा।

" हम कैसे मान ले ? क्या आप के पास कोई सबूत है अपनी बात साबित करने के लिए ?" सिराज ने पूछा।

एक सांस छोड़ समायरा ने कहा, " मेरे शरीर पर अनगिनत निशान है। चाबुक के। नए पुराने हर तरह के। आप देखना चाहेंगे?"

सिराज ने सिर्फ सर हिला कर हां मे जवाब दिया। अपनी चोली के बटन्स खुले होने की वजह से समायरा चद्दर ओढ़ बैठी थी। सिराज की हा सुनते ही उसने अपनी पीठ सिराज की तरफ की और चद्दर नीचे खींच ली।

" दिखे ? " समायरा।

सिराज ने उसकी पीठ और उन पर बने जख्मों को देखा। फिर समायरा की तरफ देखा " नहीं। आप काफी दूर है। साफ नहीं दिख रहे।"

" ओह।" वो उसके पास बैठी " अब दिखे"

" नहीं। अभी भी नही दिख रहे।" सिराज की नजर सिर्फ उसके चेहरे पर थी। इतने दर्द के बावजूद मानो ऐसा लग रहा था की उसे इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता। इतनी मजबूत एक नाजुक सी दिखने वाली लड़की। कमाल है।
समायरा अब बिल्कुल उसके पास बैठ गई थी इतना की अब अगर वो और एक कदम भी लेती तो सिराज की गोद मे बैठ जाती। " क्या अब दिखे? " उसने पूछा।

" नहीं।" उसकी ना मिलते ही समायरा पीछे मुड़ी, उसके ओठ सिराज से बस दो इंच की दूरी पर थे। अपने आप को सिराज के इतना करीब पा कर उसके हाथों से चद्दर छूट गई। पर कुछ भी गलत हो इस से पहले सिराज ने चद्दर पकड़ कर उसके चारो और घूमा दी। ना उसकी पलके झपकी ना उसने समायरा के शरीर को देखने की कोशिश की। उसकी नजर बस उसके चेहरे पर थी। वो पास आ रहे थे, धीरे धीरे । बोहोत पास।

" सैम। अंडे मिल..." राजकुमारी और राजकुमार को इतने पास देख मौली तुरंत पीछे मुड़ गई और वापस बाहर जाने लगी।

" रुको।" राजकुमार सिराज ने अपने आप को समेटा अपने दिल को पिछे खींचा। " ये दवाई है। राजकुमारी की पीठ पर लगा देना। नए पुराने सारे निशान चले जाएंगे।"

" जी राजकुमार।" मौली

सिराज बिना मुड़े वहा से चला गया।

" मौली क्या राज परिवार को शाप देने की सजा १० साल की जेल है ? " समायरा ने पूछा।

" हा ? मैने तो ऐसी किसी सजा के बारे मे नही सुना। आप को किसने कहा?" मौली।

" वो पागल राजकुमार। उसने फिर मुझे बुद्धु बनाया।"
यही सोचते सोचते समायरा की शाम बीत गई।

वही दूसरी और राजकुमार के अध्यन कक्ष मे,

" हमे बताए आप को राजकुमारी के बारे मे क्या पता चला ?" सिराज ने अपने मुख्य बटलर से सवाल पूछा।

" मेरे महाराज। आप के कहे मुताबिक मैने राजकुमारी के कक्ष की सारी सेविकाओं से बात की। मौली ही राजकुमारी का सारा काम करती है। वो रोज सवेरे सारी चीजों को दो तरह बाटती है। पहले हमारा दातुन वाला थाल तैयार होता है। फिर कुछ अजीब साधनोसे भरा थाल तैयार किया जाता है। कुछ दासियो का कहना है राजकुमारी जी ज्यादा तर उदास और गुमसुम रहती है। तो कुछ ने कहा उन्हे हंसना और खेलना पसंद है। कभी कभी वो बिलकुल एक राजकुमारी की तरह पेश आती है। लेकिन कभी कभी वो बिलकुल अजीब तरह पेश आती है मानो वो इस दुनिया की ही न हो। कुछ ने कहा राजकुमारी को नवाबी सादगी से भरे हुए रंग के कपड़े पसंद है। तो कुछ ने कहा उन्हे....."

" क्या हुवा ? कहिए ? " सिराज।

" कुछ का कहना है, उन्हे भड़क और खुले कपड़े पहनना पसंद है।" मुख्य बटलर।

" खबरदार। भूलिए मत आप हमारी पत्नी और इस महल की रानी के बारे मे बात कर रहे है।" सिराज ने गुस्से मे कहा। " राजकुमारी की हर बात की खबर हमे मिलती रहनी चाहिए। समझे।"

" जी मेरे महाराज। और एक बात थी, राजकुमारी की सेविका मौली महल मे कुछ ढूंढ रही है। क्या वो पता नही, लेकिन बोहोत लोगो ने उसे छानबीन करते देखा।" बटलर।

" ठीक है। आप जा सकते है।" सिराज
बटलर के वहा से जाते ही " रिहान। अब से हमारे अगले आदेश तक तुम खुद राजकुमारी पे कड़ी नजर रखोगे। फिलहाल उनसे दूर रहने मे ही हमारी भलाई है।"

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