मे और महाराज Veena द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

मे और महाराज

समर गढ़ का असीम साम्राज्य।
उसके वजीर शादाफ सींग की हवेली मे आज सुबह से कुछ ज्यादा ही हड़बड मची हुई थी।

उसने धीरे से अपनी आंखे खोली, " हे भगवान अभी भी यही फसी हुई हू। पता नहीं कब निकलूंगी यहां से। पर आज यहां लोग इतने कम क्यो है ?" "मौली कहा हो तुम ? "

" राजकुमारी आप जग गई। आज आप दोनो मे से क्या लेना पसंद करेंगी, दातुन या आपका बनाया नया साधन ? " मौली राजकुमारी की खास दासी है, जो बचपन से उनके साथ थी।

राजकुमारी शायरा वजीर शादाफ की दूसरी बेटी। दो महीनों पहले की बात है, जब उसने खुदकुशी करने कि कोशिश की थी। लगभग मर ही गई थी राजकुमारी जी, लेकिन जब दो दिनों बाद उन्होंने आंखे खोली तब से अजीब हरकते शुरू कर दी। हवेली की दीवारें जो कि पहले रक्षा के लिए थी। राजकुमारी की बार बार घर से भागने की कोशिश की वजह से कई फीट ऊंची कर दी गई थी। अब तो उनकी भाषा भी किसी को समझ मे नही आती।

" कितनी बार कहा उसे ब्रश केहते है। दो मुझे।" राजकुमारी ने ब्रश करते हुए अपनी बात जारी रखी " आज यहां इतने लोग कम क्यों है ?"

" मैने आपको बताया था ना, आठवें राजकुमार आज आपको देखने आ रहे है। सब लोग उन्ही के स्वागत की तयारी में लगे हुए है। दरबार मे।"मौली ने सर झुकाते हुए एक मलमल का कपड़ा राजकुमारी को थमाया जीस से उन्होंने अपना मुंह पोछा।

" मतलब पिछे की तरफ कोई नहीं होगा। नाही किसीको मुजपे नजर रखने की चिंता होगी। यही तो वो मौका है।" राजकुमारी ने वो कपड़ा मौली के हाथ में थमाया, और ख़ुद पिछे के बगीचे कि और चल पड़ी।

राजकुमारी हवेली की दीवार के पास आकर रुक गई। उसने यहां वहां नज़र घुमाई।

"ना कोई सीढ़ी है, ना कोई ब्लॉक। अगर यहां आग लगी तो कैसे भाग पाएंगे ये लोक। इस सदी के लोगो को तो अपनी सुरक्षा की कोई चिंता ही नहीं है। ऊपर से इतने भारी कपड़े।" तभी उसकी नजर मिट्टी से भरी टोक्रियो पर गिरी। उसने जल्द ही सारी मिट्टी निकाल कर एक ढेर बना लिया जिस पर से वो दीवार पर चढ़ी।

" राजकुमारी ऐसा मत कीजिए। मेरे मालिक को पता चला तो वो हम दोनों को नहीं छोड़ेगे।" मौली के स्वर गड़बड़ाए से लग रहे थे।

" मैने कितनी बार कहा मे तुम्हारी राजकुमारी नहीं हू। मुझे नहीं पता वो क्या करेंगे तुम्हारे साथ पर में उनके हाथ नहीं आने वाली मे तो यहां से जा रही हूं। बाय मौली।" राजकुमारी ने ऊपर से हाथ हिलाते हुए कहा।

लगता हैं इन्हे फिर से कुछ हो गया है। अपने दिमाग मे कुछ सोच कर मौली जल्दी से अंदर भागी।

राजकुमारी ने नीचे नजर डाली। दीवार वाकई उची थी। "अगर मे यहां से गिरी तो हड्डी नहीं हड्डियां टूटेगी" उसने सोचा फिर मन मे कुछ ठाना और दुर खड़े एक युवक को आवाज लगाई " हे हैंडसम, सुनना तो जरा।"


समर गढ़ का आठवा राजकुमार सिराज सींग वर्मा। राजा के चौथी बीवी की पहली संतान। केहते है बड़े राजकुमार और आठवें राजकुमार के बीच ही राजा बनने के असली लड़ाई शुरू है। दिखने मे खूबसूरत, लड़ाई मे खतरनाक सिर्फ़ हाथ ही नहीं दिमाग भी तेज है इनका। इसी तेजी से उसने पहले ही भाप लिया था कि हवेली कि दीवारों पे कुछ गडबड दिख रही है। यही वजह थी कि सामने के दरवाजे कि जगह उसने पीछे से आना पसंद किया।

" खूबसूरत। जब तक कुछ बोल नहीं रही थी तब तक तो बोहोत ख़ूबसूरत लग रही थी राजकुमारी। पर ये किस तरह की भाषा का प्रयोग कर रही है? और तमीज भी लग नहीं रही इनके बर्ताव में। चलो देखे।" राजकुमार ने सोचा ओर वो दीवार के पास पोहोच गए।

राजकुमारी शायरा या यूं कहे समायरा। बड़ी काली आंखे, छोटे ओठ छोटा गोलाकार चेहरा। खूबसूरती मे किसी से कम नहीं, जो देखे बस देखता रह जाएं।

"हे। हाय। सुनो अब मे यहां से कुदुंगी और तुम मुझे पकड़ लेना। समझे ?" उसने कहा।

सामने से कोई जवाब नहीं आया। उस लड़के ने उसे कुछ मिनिट घुरा और फिर वो कुछ सोचने लगा।

"बहरे हो क्या ? सुनाई नहीं देता तुम्हे कब से मदद मांग रही हूं?" अब उसके सब्र का बान टूट रहा था।

" में यह सोच रहा हूं। आप वहा क्या कर रही थी ?" उसने सवाल किया।

" नज़ारे देख रही थी। अब यहां फस गई हू आओ मदद करो।" उसे लगा उसका काम बस हो गया।

" एक मर्द और औरत को अपने बीच सही अंतर बनाएं रखना चाहिए। मेरा आपको पकड़ना गलत होगा।"

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Lajj Tanwani

Lajj Tanwani 1 साल पहले

Laloo Prasad Yadav

Laloo Prasad Yadav 1 साल पहले

Asha Thakrar

Asha Thakrar 1 साल पहले

Vishwa

Vishwa 2 साल पहले

Suresh

Suresh 2 साल पहले