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मे और महाराज - 4 ( सुहागरात-2)

" अब शायद आप जान चुके होंगे। प्यार किस के हिस्से मे है और रही हक़ की बात तो वो हम भी नहीं छोड़ने वाले।"

राजकुमार सिराज की बात बड़े राजकुमार अमन को कुछ जमी नहीं लेकिन उन्होने उस वक्त वहा से चले जाना ही सही समझा " फिलहाल हम जा रहे है। पर आप हमारी राजकुमारी की नाराजगी को आप के प्रति प्यार मत समझ लेना। वो कल भी हमारी थी, आज भी हमारी है और आने वाले कल मे भी हमारिही होंगी। हम नहीं चाहेंगे आप का दील उनकी वजह से टूटे।"

"क्या आप चाहेंगे के में बड़े राजकुमार का पीछा करु ? मेरे राजकुमार" रिहान ने हाथ जोड़े उन से पूछा।

" कोई जरूरत नहीं। हमे पूरा यकीन है भाई घर ही जाएंगे यहां से। हमारी प्रतीक्षा करो किसी को कमरे के अंदर मत आने देना। आज हमारी सुहागरात जो है।" इतना कह कर राजकुमार कमरे में जाने लगे।

कमरे के अंदर,

"मौली जवाब दो।" समायरा अभी भी मौली को गुस्से से घुरे जा रही थी।

" समायरा आप समजने की कोशिश कीजिए, राजकुमारियां इस तरह पति को सुहागरात के लिए आमंत्रित नहीं करती।" मौली की आवाज मे शरम और चिंता साफ सुनाई दे रही थी।

" तो कैसे आमंत्रित करती है? मुझे बताओ में बिल्कुल वैसे करूंगी।"

" अब में क्या समझाओ आप को? राजकुमारियां आमंत्रित नहीं करती। वो उनके आने का इंतेज़ार करती है।" तभी उन दोनों को किसी के आने की आहट सुनाई देती है। " लगता है राजकुमार आ गए। तमीज से पेश आएगा। आज आपकी सुहागरात है याद रखिए गा अगर राजकुमार नाराज हूए तो वो हमे यहां से निकाल देंगे।" समायरा ने एक आज्ञाकारी बच्ची की तरह हा मे गर्दन हिलाई।

राजकुमार के कमरे में आते ही मौली ने उन्हे अभिवादन किया। बदले मे राजकुमार ने उसे कमरे से बाहर जाने की आज्ञा की। गलती से पैर समायरा की बांधी रस्सी से ना टकराए इसलिए मौली आराम से नीचे देख चल रही थी। जिसे राजकुमार के तीक्ष्ण बुद्धि ने पकड़ लिया। मौली के बाहर जाते ही उसने कमरे पर एक नजर डाली और उसे समायरा की शरारत का पता चल गया।

राजकुमार ने दो कदम आगे बढ़ाए और एक बड़ी छलांग के साथ वो सीधे राजकुमारी के पलंग पर जा गिरे। वहा जाते ही उसने राजकुमारी को अपनी बाहों में खींच लिया। जिस से उसका घूंघट खुल गया।

" तुम!!!!!! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की?" उसने उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश की पर असफल।

" ये क्या तरीका हुआ अपने पति से बात करने का? "

" पति! पति माय फुट! ओह मतलब तुम वो घमंडी आठवें राजकुमार हो। तो वहा उस दिन तुम मेरा मजाक उड़ा रहे थे। तुम्हे तो मे.....।" उसने जैसे ही हाथ उठाया राजकुमार ने उसका हाथ पकड़ बिस्तर पर पटक दिया।

" शाही परिवार से बतमिज्जी की सजा जानती है आप। चलिए आज पहला दिन है हमने आप को माफ किया। अब हम हमारी सुहागरात मनाते है।" उसने उसकी चूनर जैसे ही उतारी राजकुमारी के तेवर बदल गए।

" आ। रुकिए रुकिए। " उसकी आवाज मे नरमी लौट आई थी।

" क्यों ? अभी कुछ देर पहले तो आप काफी उत्सुक थी हमारे लिए। अब क्या हुआ ?" राजकुमार ने उसकी आंखो मे देख पूछा।

" मे अपने पीरियड्स मे हू। तो अभी ये नहीं कर सकती।"

" अब इसका क्या मतलब हुआ।" वो समझ नहीं पाया।

" मेरा मतलब मेरे वो दिन चल रहे है, जब हम एक साथ सो नहीं सकते।" आखिर में राजकुमार ने अपनी पकड़ छोड़ी। समायरा ने अब जाकर चैन की सांस ली।

" हम जानते थे। आप बस नाटक कर रही थी। आप को पता था बड़े राजकुमार कमरे के बाहर है। इस बार हम इस बात को छोड़ रहे है। अगली बार अगर आपने अपनी किसी गंदी हरकत मे हमे खिचा तो इसका इंजाम आप के लिए अच्छा नहीं होगा।" इतना कह वो बिस्तर से उठा, उसने चूनर राजकुमारी पर फेंकी और कमरे से जाने लगा।

" ये... मतलब क्या है तुम्हारा। किसे गंदा कहा तुमने??? तुम्हे तो मे...." वो उसकी तरफ दौड़ी उसे ये भी याद नहीं था कि उसी ने नीचे एक रसी लगाई है जिसे खीचते ही ठंडे पानी का बर्तन ऊपर से गिरता। उसी का फंदा उसी पर गिरा और वो वहीं बेहोश हो गई।

यहां एक तरफ राजकुमार अमन के महल मे शायरा की कहीं बातो की वजह से उन्होने शराब की पूरी महफ़िल जमा रखी थी। उसके साथ बिताए हुए हर पल बड़े राजकुमार के लिए किम्मती थे। पर वो समझ नहीं पा रहा था, की राजकुमारी की नाराजगी कैसे खत्म की जाए। आठवें राजकुमार उन्हे कभी अकेला मिलने नहीं देंगे राजकुमारी से ऐसे मे उसे समझाना ना मुमकिन सा हो गया था।
तभी अंधेरे मे से वहीं दो लोग वापस आए,
"राजकुमार। लगता है आपको हमारी जरूरत है।"

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