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मे और महाराज - ( चुम्बन ) 10

समायरा को उसके सवाल का जवाब मिले इस से पहले राजकुमार ने वहा से चलने के आदेश दे दिए थे। जैसे ही दोनो मुड़े और चबूतरे के बाहर कदम रखा वही उनकी मुलाकात बीस साल की खूबसूरत लड़की से हुई। जो की एक उम्मीद भरी नजर से राजकुमार सिराज को घुरे जा रही थी। उसे देखते ही समायरा दो कदम पीछे चली गई।

" मौली। ये कौन है ? कितनी खूबसूरत है।" उसने मौली के कानो मे कहा।

" सैम ये राजकुमारी आर्या है। सेनापति जी की एक लौती बेटी। राजकुमार और इनका बचपन साथ साथ यही राजमहल में बीता है।" मौली।

" ओ। अब पता चला इस बूढ़ी औरत को मुझसे इतनी तकलीफ क्यो थी? देखो इसे, में अगर राजकुमार की जगह होती तो इसी से शादी करती।" फिर समायरा ने कुछ सोचा " मौली चलो इन दोनो को कुछ अकेला वक्त देते है। यहां से चलते है।"

" राजकुमार मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए।" आर्या।

" कैसी हो आर्या ? " अमाने तरीके से सिराज ने पूछा।

" आपके बिना ठीक नहीं थे। लेकिन अब बोहोत अच्छे हैं। आप हमसे मिले बिना क्यो जा रहे थे ? क्या हम इतने बुरे है के आप हमसे हालचाल पूछना भी जरूरी नहीं समझते ?" आर्या ने अपनी आंखे पोछी।

" बेदर्द। खैर चलो मौली चलते है।" समायरा जैसे ही आगे बढ़ी सिराज ने उसे पीछे की तरफ अपनी बाहों मे खीच लिया। " आर्या इनसे मिलिए ये हमारी पत्नी है। राजकुमारी शायरा। इनकी तबियत बिगड़ी हुई है, इसलिये हमे जल्द यहां से चले जाना चाहिए।"

" हमारा प्रणाम स्विकार कीजिए दीदी। परेशानी के लिए हम माफी चाहते है।" आर्या।

" नहीं नहीं। में बस थोड़ी थकी हुई हू। तो में मौली के साथ चली जावूंगी आप आराम से बाते कीजिए। किसी जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। बाय ।" समायरा ने फिर आगे बढ़ने की कोशिश की पर असफल। सिराज ने उसे कस कर पकड़ रखा था। उस के इस तरह के जवाब से वो कुछ खास खुश नहीं था। उसने उसका हाथ दबाया।

" हमसे कोई गलती हो गई हो तो हमे माफ कर दीजिए। लेकीन इस तरह हमे अकेला मत छोड़िए। हमे आपके इस रवये से तकलीफ होती है।" इतना कह सिराज ने अपने ओठ समायरा के ओठो से जोड़ दिए। उनका ये चुम्बन देख राजकुमारी आर्या रोते हुए वहा से चली गई। उतने वक्त मे समायरा ने सिराज के चुंगल से छूटने की बोहोत कोशिश की लेकिन सिराज ने वो चुम्बन तब तोड़ा जब आर्या वहा से चली गई। उसके जाते ही सिराज ने समायरा को दूर फेंका।
समायरा फिर उसकी तरफ आगे बढ़ी उसने राजकुमार को चाटा मारने के लिए हाथ उठाया। सिराज ने उसका हाथ पकड़ उसे घूमा कर अपनी तरफ खींचा। फिर वो उसके कानो तक झुका, "हमने क्या कहा था रथ मे, अगर गलती हुई तो सजा मिलेगी ये पहली गलती थी इसलिए हमने आपको माफ किया। और हम पर हाथ उठाने की गलती कभी मत करना वरना अभी बस अकड़ उतारी है। हम राजकुमार है हमे कपड़े उतरवाने मे भी देर नहीं लगेगी।" उसकी इस तरीके की बातो से समायरा की आंखे मानो भर आई।

उसकी आंखो में इस तरह अपने लिए नफरत देख सिराज अपनी कही बातो पर पछता रहा था। वो बुरा नही है, लेकिन उसे हर तरीके से राजकुमारी को परखना होगा ताकि वो सुरक्षित रहे।

पूरे रास्ते रथ मे समायरा ने एक भी बार सिराज को नहीं देखा। महल पोहचते ही वो मौली के साथ सीधे अपने कक्ष मे चली गई।

" मौली हमारे पास जो दवाइयां है ले आवो। मुझे पीठ मे बोहोत दर्द हो रहा है।" समायरा।

" सैम बड़ी मां ने विदाई के वक्त हमारी सारी दवाइया छीन ली थी। अभी हमारे पास कुछ नहीं है। तुम चाहो तो में राजकुमार को कह वैद जी को बुला लूं।" मौली।

" कोई जरूरत नही है। उसकी मदद से अच्छा दर्द है। एक काम करो पहले ये उपर का टॉप खोलने में मदद करो मेरी फिर किचन से थोड़ा गरम पानी ले आना। हम पीठ को सेक दे देंगे फिर दर्द कम हो जायेगा और जख्म पर चंदन लगा देना ठीक है? " समायरा ने पूछा।

" हा। समझ गई।" मौली

मौली ने ब्लाउज के हुक खोलने मे उसकी मदद की उसके बाद वो किचन मे चली गई। समायरा बिस्तर पर सीने के बल लेटे हहुए मौली का इंतजार कर रही थी।
तभी अचानक दरवाजा खुलने की आवाज से उसने समझ लिया के मौली आ गई।

" पता है मौली राजकुमार जैसे लड़को के साथ कभी शादी नही करनी चाहिए। उन्हे ना किसी की भावनाओ से कोई मतलब नहीं होता। उन्हे बस औरत का जिस्म चाहिए फिर उसकी मर्जी हो या ना हो उन्हे इस बात से कोई मतलब नहीं। क्या हुआ ? तुम सेक क्यो नही रही ? गरम पानी नहीं मिला क्या ?" वो जैसे ही मौली को देखने पीछे मुड़ी राजकुमार को अपने पास पाकर चौक गई।
" आ............ तुम ?????"

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