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दुर्घटनाओं से सबक लें

दुर्घटनाओं से सबक लें

‘‘बड़ी दुर्घटनाएँ छोटी-छोटी भूलों का परिणाम होती है’’


एक विमान हादसे से 72 लोग मारे गये। इस हादसे के कारण का पता करने के लिए जाँच दल ने सभी पहलुओं पर गौर किया और पाया कि उस दिन विमान के ऊपर से बर्फ साफ करने वालों ने तापमान का अनुमान गलत लगाया था, जिसके कारण विमान के पंखों पर बर्फ रह गई और इसी कारण बड़ा हादसा हुआ। क्या आप जानते है कि अपने समय का सबसे बड़ा जहाज टाईटेनिक क्यों डूबा था ? वर्तमान खोजों से यह साबित हो चुका है कि उसकी बाहरी दीवार को जोड़ने वाली ‘‘रिपीट’’ कमजोर थी, जो बर्फ से टकराते ही उखड़ गई। उक्त दोनों घटनाओं और न जाने कितनी घटनाओं के लिए वे छोटी-छोटी चीजे जिम्मेदार है, जिन्हें हम बिल्कुल महत्व नहीं देते। बड़ी दुर्घटनाओं में एक या अनेकों छोटी-छोटी गलतियाँ दिखाई देती है। इसका तात्पर्य यह कि घटनाएँ अचानक नहीं घटती उनके पीछे पूर्व की छोटी-छोटी गलतियाँ दिखाई देती है, जो घटनाएँ एक साथ मिलकर बड़ा परिणाम देती है।
जीवन में भी यही सब होता है कोई व्यक्ति किस तरह उन्नति करेगा ये उसके द्वारा दिये गये प्रयासों पर निर्भर करता है। एक छात्र के जीवन में फेल होना दुर्घटना से कम नहीं है परन्तु इसके लिए भी सत्र के प्रारंभ से अंत तक उसकी गलतियाँ ही कारण के रूप में होती है। इसी प्रकार अविवाहिता के लिए प्रेम सम्बन्ध टूटना या विवाहिताओं के लिए तलाक जैसी नौबत आना भी जोड़े में से किसी एक या दोनों के द्वारा की गई गलतियों के कारण होता है। अक्सर लोगों की ट्रेन छूटते आपने देखा होगा कि ये अपने आप में लापरवाही का नतीजा होता है, परन्तु इससे बड़ी दुर्घटना तो तब होती है जब समय से नहीं पहुँच पाने कारण मिलने वाली नौकरी, ठेका या अन्य लाभकारी काम हाथ से छूट जाते है।
यदि आपको अपने मित्र से रिश्ते खत्म करने हो तो उसकी थोड़ी-थोड़ी उपेक्षा कीजिए उसकी बातों को गलत कहिए। उसके सामने उसकी बुराई करिये धीरे-धीरे मित्रता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत चलकर आप अपने दुश्मन को भी दोस्त बना सकते है, परन्तु याद रहे ये बहुत कठिन रास्ता है जरा-सी चूक आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। समाज साफ दिल के लोगों को पसन्द करता है। इसलिए हंसमुख, मिलनसार और उदार लोग समाज में आदर पाते दिखते है। आप ऊँची उड़ान भरना चाहते है तो नकारात्मक गुणों को छोड़कर उड़ान प्रारंभ करें। सकारात्मक होने का यदि दिखावा करेगें तो कभी न कभी दुर्घटना निश्चित होगी।
वास्तव में दुर्घटनाएँ हमें जीने की कला सिखाती है, वे कहती है कि अपनी गलतियाँ सुधारकर आगे बढ़ो नहीं तो मेरा होना निश्चित है। आप उन्नति की प्रतिक्षा हो, रास्ते में या उसके शिखर पर परन्तु आपको रोज अपने आप से पूछना चाहिए कि आज मैंने क्या गलत किया ? अगले दिन उस गलतियों को सुधारने का प्रयास करें। सफलता आपके कदम चूमेगी। अनेक लोग प्रगति के पथ पर सिद्धांतो के साथ दिखते है, परन्तु शिखर पर उन्हें भूल जाते है। जिसके कारण उन्हें शिखर से नीचे उतरते हुए भी देखा जाता है।
अनुभव यह कहता है कि मनुष्य दूसरों के बताने से कम स्वयं की गलतियों से अधिक सीखता है। ऐसे में हमें हमेशा इस बात को ध्यान रखना चाहिए कि जीवन में ‘‘रिप्ले’’ या ‘‘पाज’’ नाम की कोई चीज नहीं है। इसलिए अनेकों आस्थावान लोग धर्म गुरूओं के प्रवचन को जीवन में उतारना चाहते है, परन्तु ऐसे प्रवचनों में भी युवाओं के स्थान पर गलतियों से चोट खाये बुजुर्ग ही अधिक होते है और यह भी है कि ‘‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’’ या ‘‘आगे पाठ पीछे सपाट’’ जैसी उक्तियों को चरितार्थ करने वालों का भी भारी जमावड़ा होता है। जीवन में दूसरों की बातों को भी उतना ही महत्व दे जितना आप अपने विचारों को देते है उनसे भी जीवन में आप गलतियों से बच सकते है। इसलिए कबीरदास जी कहते है ‘‘निदंक नियरे राखिए।’’ अक्सर आपको अच्छा कहने वाले आपकी प्रगति में बाधक होते है क्योंकि वे आप की गलतियों को जो आप भी नहीं जानते आपके सामने जाहिर नहीं करते और शायद अब आप तो जानते ही है कि गलतियों को जाने बगैर आप बड़ी दुर्घटना की ओर बढ़ रहे है। इसलिए अब अपने आप से पूछें मैं कहाँ गलत हूँ और दूसरों से भी जाने कि आप कहाँ गलत है ?
" सावधानी हटी और दुर्घटना घटी । "

आलोक मिश्रा "मनमौजी "


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