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भगवान बेचने वाला

भगवान ले लो .....भगवान, रंग-बिरंगे भगवान...., फैंसी भगवान..... ,भगवान ले लो...। हाथठेले वाला हाथठेले पर मूर्तियां सजा कर और जोर जोर से आवाज लगाता है। उसके भगवान बहुत ही चटक रंगों से रंगे हुए मिट्टी के बने हुए हैं । इस ठेले पर जाति और धर्म का भेद समाप्त हो जाता है । जहाँ उसके पास शंकर-पार्वती हैं , वही ईसा मसीह भी है। जहां वह बाबा की चौखट बेच रहा है, वही बुद्ध भी बिक रहे हैं । सब अपने-अपने पूजा घरों में अलग-अलग तरीकों से पूजे जाएंगे परंतु आज वह सब एक साथ एक ही वाहन पर बिकने को तैयार हैं । भगवान बेचने वाले के लिए भगवान की कोई परिभाषा मायने नहीं रखती । वह तो सोचता है उसकी मूर्तियाँ ही असली भगवान है क्योंकि वही तो उसके पूरे परिवार के भरण-पोषण का एकमात्र जरिया है वह एक बार फिर जोर से हाका लगाता है भगवान ले लो.... भगवान .....,सभी धर्मों के भगवान ......ले लो.. ...,रंग-बिरंगे भगवान... ले लो ....। एक व्यक्ति ठेले के पास रुकता है । बड़े गौर से मूर्तियों को देखता है ठेले वाले को आशा है कि शायद कोई मूर्ति खरीदेगा। ठेलेवाला बोला "आपको क्या चाहिए राम-सीता दिखाऊं । "नहीं " वो बोला; उसने कोने में रखी एक मूर्ति को बड़े आदर के साथ उठाया और माथे पर लगाया फिर मूर्ति को उसने उतने ही आदर के साथ वापस रख दिया ठेलेवाला बोला "यह लेंगे आप पैक कर दूं।" वह बोला " नहीं भाई मैं बेरोजगार हूँ । भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि आज कोई काम मिल जाए।" इतना कहकर वह चलता बना भगवान बेचने वाला सोचने लगा कि क्या उसकी मूर्तियों में ऐसा कुछ कर सकने की शक्ति है यदि ऐसा ही है तो मैं भी इन्हीं से प्रार्थना करता हूं कि आज यह सब बिक जाए।
एक साहब आए और मूर्तियों को उलट-पुलट कर देखने लगे । फिर बोले "यह तो कच्ची मिट्टी की बनी है । " भगवान बेचने वाला बोला " हां हां साहब यह मिट्टी की बनी है । " वह बोला " यह कौन सी कंपनी की है ? " ठेलेवाला उसका मुंह देखने लगा वो फिर बोला " मैंने पूछा कौन सी कंपनी की है ?" ठेलेवाला बोला " साहब हमने बनाई है । " वह खरीदार अब मूर्ति को हाथ में लेकर उसका मोलभाव करने लगा ; सौ से चल कर बात चालिस पर अटक गई । आखिर ग्राहक ने अपनी मनमानी कर ही उसने चालिस में मूर्ति ले ली । ठेले वाले ने अखबारी कागज में मूर्ति को लपेट कर धागे से बांध कर ग्राहक को देते हुए कहा " साहब आप इसे पूजा घर में रखिएगा । " ग्राहक कड़क कर बोला " मैं पूजा- वूजा नहीं करता मैंने तो बस सजावट के लिए मूर्ति ली है । " ठेलेवाले को महान आश्चर्य हुआ उसने पूछा "आप पूजा नहीं करते । " ग्राहक बोला " बताया ना नहीं करता मैं नास्तिक हूँ , नास्तिक ; तुम ही बताओ इनको पूजने से कुछ होता है क्या ?" वह और कुछ भी बोलने वाला था । ठेलेवाला बीच में बोल पड़ा "साहब भगवान के बारे में ऐसा नहीं बोलते पाप लगता है पाप । " ग्राहक बोला " बस यही डर ही तो भगवान के अस्तित्व का आधार है; खैर तुम नहीं समझोगे ।" वह आगे बात नहीं करना चाहता था । अपनी मूर्ति ली और चला गया ठेलेवाला सोचने लगा क्या दुनिया में ऐसे लोग भी होते हैं इस विषय में ऐसा क्या है जो वो समझ नहीं सकता।
वह फिर जोर से चिल्लाकर हाका लगाने लगा भगवान ...... ले लो....., भगवान ....पूजा के ......भगवान , ....सजावट..... के भगवान, भगवान ... .ले लो..... भगवान । तभी एक सज्जन चिल्लाने लगे " यह क्या लगा रखा है ? भगवान ले लो भगवान ले लो भगवान भी कभी बिकते हैं ? तुम को तमीज -तमीज है कि नहीं ? बड़ा आया भगवान बेचने वाला । " सज्जन बहुत गुस्से में थी ठेलेवाले के चिल्लाने से शायद उनकी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंची थी । उनका बस चलता तो ठेला ही उलट देते मगर उसमें भगवान थे । ठेलेवाला धीरे से बोला " मैं आपसे माफी मांगता हूँ । लेकिन क्या करूं इन से मेरा परिवार चलता है । इन्हें बेचना मेरा शौक नहीं, मेरी मजबूरी है। मूर्ति ले लो चिल्लाने से बिक्री कम होती है। तो भगवान ले लो चिल्लाने लगा ।" सज्जन कड़क कर बोले " तुम जानते हो इससे भगवान का अपमान होता ही है । हम जैसे लोगों का दिल भी दुखता है । ठेलेवाला जवाब देने लगा " साहब मैं किसी का दिल नहीं दुखाना चाहता । मैं तो मूर्तियाँ बेचता हूँ । भगवान बेचने की हैसियत मेरी कहाँ ? भगवान बेचने का काम तो बड़े-बड़े धर्मगुरु करते हैं । बिना हाका लगाए ,उनसे कोई मोलभाव नहीं करता ;उनसे कोई नहीं पूछता भगवान क्यों बेच रहे हो । " सज्जन बड़ बड़ने लगे और वैसे ही बड़ बडाते हुए चले गए। भगवान बेचने वाले को लगा केवल भगवान का नाम लेने से भी किसी की धार्मिक आस्थाऐं आहत हो सकती हैं क्योंकि कुछ लोग शायद भगवान पर एकाधिकार चाहते हैं । अब ऐसा लगता है कि देश में एक सौ पच्चीस करोड़ भगवान की आवश्यकता है । सबका अपना अलग भगवान । सब का भगवान के प्रति अपना नजरिया है किसी का भगवान मूर्ति में बसता है तो किसी का निराकार होकर लोक में विचरण करता है। किसी का भगवान ईमान सिखाता है तो किसी का शायद मारना काटना। किसी का भगवान मेहनत करना सिखाता है तो किसी का बेईमानी करना ।
विचारों की तंद्रा टूटी तो उसने फिर से हाका लगाया भगवान ले लो ..... भगवान..... आपके अपने ..... भगवान.... भगवान ....ले लो ....।मुझे लगने लगा कि शायद मुझे ही नहीं पूरी मानव जाति को भगवान बेचने वाले के साथ आगे जाना चाहिए पर क्या आपके पास समय और सहनशक्ति है।

आलोक मिश्रा "मनमौज"


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