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गोलियाँ

दो देशों के बीच कई वर्षों से युद्ध चल रहा था । दोनों ही देश तबाही की कगार पर थे । विश्व समुदाय दो भागों में बंटा था । सभी देशों के अपने - अपने हित थे । हथियार बेचने वाले देश और कंपनियाँ दोनों ही देशों को हथियारों की खेप निरंतर भेज रहे थे । दोनों तरफ के सैनिकों के हाथों मे एक से हथियार होते । हथियार भेजने वाले देश इन देशों को मदद के नाम पर अनाज, दवा और कपड़े आदि भेजते रहते । विश्व समुदाय में ऐसी हास्यास्पद स्थितियाँ अक्सर ही देखी जाती है याने वर्तमान व्यवस्था के अनुसार सब कुछ सामान्य ही था । बस दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था समाप्त हो चुकी थी । मुख्य शहर लगभग तबाह हो चुके थे । "गोमटी " अपने परिवार का मुखिया है । इन स्थितियों में मृत्यु के ड़र के साथ जीना कठिन था । अब इस परिवार को लगता है कि खंड़हर शहर से तो शायद जंगल ही अधिक सुरक्षित हो । गोमटी को अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए सपरिवर पलायन ही सही लगने लगा । अब वे छुपते -छुपाते , बचते- बचाते पलायन कर सुदूर जंगल में एक छोटी सी झोपड़ी बना कर रहने लगे ।
यह जगह युद्ध क्षेत्र से दूर दोनों ही देशों के लिए कम महत्व की है । यहाँ गोमटी और उसके परिवार को ऐसा नहीं लगता कि वे किसी विशेष देश के नागरिक है । अब वे अपनी समान्य आवश्यकता आस-पास के जंगल से पूरी करते । कुछ अस्त्र-शस्त्र जो रास्ते में मरे हुए सैनिकों के पास से उन्होंने उठाए थे , अब उनके पास सुरक्षा के लिए थे । उन्होंने इन शस्त्रों का प्रयोग कभी नहीं किया था परन्तु आवश्यकता पड़ने पर कर सकते थे ।
आज रात उन्होंने कुछ कंद खाए और सोने ही वाले थे कि कहीं दूर इंजन के चलने की आवाज सुनाई दी । वे इस आवाज को पहचानते थे । ये एक सैनिक जीप की आवाज थी जो पास आ रही थी । घुप अंधेरा और शांत जंगल मे यह आवाज उन्हें ड़राने के लिए काफी थी । कुछ ही क्षणों में जंगल के बीच से दो हेड़लाईट भी साफ दिखने लगी । ये छोटा सा परिवार मुखिया गोमटी , पत्नी और सोलह साल की पुत्री भय से कांपने लगा । यह तो निश्चित ही है ये सैनिक है और सीधे झोपड़ी की ओर ही बढ़ रहे है , बस ये नहीं मालुम वे किस देश के है । जीप नाले के पास आकर रूक गई ,नाले से जीप आगे नहीं आ सकती । गोमठी ने जीप की रोशनी में तीन सैनिकों के होने का अंदाजा लगाया । परिवार के सभी लोग शस्त्र उठाने लगे । अब सभी के हाथों में बंदूकें थी । सैनिकों को भी नाले के दूसरी ओर झोपड़ी में हलचल का आभास हो गया । उन्होंने भी झोपड़ी की ओर बंदूकें तान दी । अब जीप के बंद हो जाने से घुप्प अंधेरा । तीन सैनिकों के लिए झोपड़ी की मोर्चेबंदी करना कठिन काम तो था नहीं । झोपड़ी में गोमठी का परिवार सैनिकों की तरह बंदूक तो उठा सकता था लेकिन आज तक किसी ने चलाया नहीं था। ऐसा लगने लगा कि यह शांत जंगल कुछ ही समय में छोटे से युद्ध मैदान में बदल जाएगा ।
काफी देर तक दोनों पक्ष एक दूसरे की ओर बंदूकें ताने खड़े रहे । सैनिकों ने मोर्चा सम्भाल लिया था , उन्होंने आवाज दे कर सावधान किया और बताया कि वे किस देश के है । गोमटी परिवार अब दुश्मन देश के सैनिकों को सामने पा कर और अधिक भयभीत हो गया । वे अपने दुश्मन देश के सैनिकों से रहम की अपेक्षा कर भी कैसे सकते थे ? अब परिवार के पास लड़ने या मरने का रास्ता ही शेष बचा था । सैनिकों को यह अंदाज नहीं था कि वे कौन है और कितने । वे युद्ध नीति जानते थे अतः उसके अनुसार ही मोर्चे पर ड़ट गए ।
दोनों ओर तनाव था और जंगल का सन्नाटा .....।गोलियाँ अब चलीं कि तब चलीं ...... बंदूकें तनी रहीं .....। सैनिक धीरे-धीरे झोपड़ी की ओर बढ़ने लगे । दो नाले के पास रूके झाड़ियों में और एक धीरे से आगे बढ़ा । गोमटी कड़क कर बोला " रूक जाओ वर्ना मारे जाओगे । " बढ़ता हुआ सैनिक ठिठक कर जोर से बोला " तुम्हें ड़र नहीं लगता , तुम भी मारे जाओगे ।" गोमटी चीख कर बोला " तुम्हारी एक गोली तुम्हारा विनाश कर देगी ।" सैनिक बातों मे उलझा कर झोपड़ी की ओर धीरे-धीरे बढ़ता हुआ बोला " बातों से ही लड़ोगे या गोली भी चलाओगे ।" बातचीत के अंदाज से सैनिक को आभास हो गया था कि सामने एक नागरिक परिवार है परन्तु किस देश का यह कहना मुस्किल है ।
अब सैनिक सीधे झोपड़ी की ओर बंदूक तान कर आगे बढ़ने लगा । गोमटी और सैनिक इस अंधेरे में भी एक दूसरे को देख सकते थे । आमने - सामने थे दोनों , तनाव चरम पर था । अब एक क्षण गवांना भारी पड़ सकता था । गोमठी ने बंदूक का घोड़ा दबा दिया ..... पिट-पिट ...। सैनिक ने भी गोली चलाने का प्रयास किया ......पिट -पिट ....। बस पिट-पिट ...पिट- पिट की आवाजें सन्नाटे को भंग कर रहीं थी ,कोई गोली नहीं चली । तनाव के बीच दोनों आमने - सामने खड़े हँस रहे थे । सैनिक बोला "हमारे पास गोला बारूद है ही नहीं । हम रास्ता भटक गए थे । " गोमटी और उसके परिवार को तो पहले से ही मालूम था उन के पास गोलियाँ नहीं है । तनाव के बीच गोमठी और उसका परिवार खिसियानी सी हँसी हँस रहा था । गोमटी धीरे से बोला " दुनिया की किसी भी बंदूक में गोली न हो तो दो दुश्मन हमारी तरह ही एक दूसरे से हँस कर मिल सकते है । "
झोपड़ी में उस परिवार के साथ तीनों सैनिक कुछ देर बैठे । जब जाने लगे तो गोमटी से बोले " मित्र हमें आज हुआ यह बिना गोलियों का युद्ध हमेशा याद रहेगा ।

आलोक मिश्रा "मनमौजी"

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