तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 3 harshad solanki द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 3

"ओह! सोरी मेडम..." माफ़ी माँगते हुए राहुल ने शर्म से अपनी नज़रें दूसरी और घुमा ली. मेडम को यूँ घूरते वक्त वह यह बिलकुल भूल गया था कि वह कभी उसकी टीचर हुआ करती थीं और उम्र में भी वह उससे बड़ी थीं.
"अभी भी वैसे के वैसे ही हो." सरारत भरी आँखे नचाते हुए मेडम आगे बोली. मेडम की बात सुन राहुल बेहद शर्मिंदगी से पानी पानी हो उठा. उसके चहरे के भाव देख मेडम खिलखिला कर हंस पड़ी. मेडम को यूँ हँसते देख राहुल ने उनके सामने देखा. अपनी गलती पर मेडम ने ज़रा भी बुरा नहीं लगाया है यह जान उसको थोड़ा अच्छा लगा पर अब भी वह मेडम से आँखे मिला नहीं पा रहा था.
चाय नास्ता ख़त्म कर राहुल बिल पे करने के लिए चला. वह स्टोल के मालिक के सामने बिल पे करने के लिए कतार में खड़ा था. उसके मनोचक्सु के सामने दस साल पुराणी सारी यादें चलचित्र बनकर गुजरने लगी.
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पहली बार जब उसने क्लास में मेडम को नजदीक से देखा था, तभी से उनके इस हसीन चहरे ने उसके मन को मोह लिया था. तब से उसने जब भी मौका मिला था मेडम को देखने का कोई मौका जाने नहीं दिया था. उसके दिमाग में पुरानी सारी यादें ताज़ा हो उठी.
2007 की वः साल थी. राहुल के पप्पा एक सरकारी कर्मचारी थे और उनकी पोस्टिंग उस वक्त सिलवासा में थी. राहुल सिलवासा की एक प्राइवेट सास्वत स्कूल में उस वक्त सायद नौवी क्लास में पढ़ रहा होगा. वह बचपन में ज्यादातर अन्य लड़कों की तरह अन्दिसिप्लिंद था और ऐसा कोई महिना नहीं गुजरा था जिसमे दो तीन बार से कम उसकी सरारतों की सिकायत उसके घर तक न पहुंची हो. वह पढ़ाई में भी कमजोर था. जिससे उसके मम्मी पापा बहुत चिंतित रहते थे कि इस लड़के का भविष्य में क्या होगा.
वे कुल पांच दोस्त थे. एक मंडे को एक दोस्त, जो स्कूल के त्रस्ती का लड़का था और स्कूल की सीक्रेट बातें पता कर लाता था, ने बताया की उनके स्कूल में पढ़ाने के लिए दो नयी मेडम आने वाली हैं. और उनकी हिंदी वाली मेडम लम्बी छुट्टी पर जा रही हैं. "क्या वे नयी मेडम सड़ु तो नहीं हैं?" राहुल ने पूछा. "नहीं वे ब्यूटीफुल और यंग हैं." उस दोस्त ने उत्तर दिया. जो सुन राहुल और बाकी के दोस्तों के मन की कलि खिल गई. "तब तो अच्छा हुआ. अब ये बूढ़ी और पकाऊ मेडमो से छुट्टी मिलेगी." अपनी पेंट की दोनों जेबों में हाथ डालकर उछलते हुए राहुल ख़ुशी से बोला. उनके बाकि साथी भी ख़ुशी के मारे नाच उठे. स्कूल में नयी मेडम के आने की खबर से वे सारे दोस्त बेहद खुश थे. इस अच्छी खबर को एन्जॉय करने के लिए उस दिन सभी दोस्तों ने रीसेस में जमकर पार्टी करने का फैसला किया. सभी दोस्तों ने अपने पास जो भी पॉकेट मनी थी निकाल ली. उस दिन राहुल के पास सो रुपये थे, जो उसके पापा के दोस्त ने पिछली साम को ही उसे दिए थे और उसकी मम्मी को भी इसके बारें में पता नहीं था. वे सारे रुपये उसने नयी मेडमो के आगमन की ख़ुशी में कुर्बान कर दिए. पर उनके अन्य दोस्तों की जेब से दस बीस रुपये से ज्यादा न निकले. यह देख कुछ पलों के लिए राहुल का जी जला था पर अब क्या करें! जब चिड़िया चुग गई खेत? जरा देर के लिए तो उसने अपने सो रुपये वापस ले लेने की सोची पर फिर अपने दोस्तों के बीच इज्जत खराब हो जाएगी, यह सोच उसने अपना फैसला बदल लिया. कुल मिलाकर एक्सो साथ रुपये इकठ्ठे हुए थे. जिससे पांचो ने मिलकर नयी मेडमो के आगमन की ख़ुशी में जमकर पार्टी की.
पर जैसे ही वे रीसेस ख़त्म कर क्लास में पहुंचे, उसकी क्लास टीचर ने आने वाली टेस्ट के आन्स्वर पेपर की फीस के दस रुपये मांगे. जिसके बारें में उसने लास्ट सेटरडे को ही सभी स्टुदंट्स को बता दिया था. उसके अन्य दोस्तों ने पैसे निकालकर दे दिए. पर राहुल को मेडम की दांट सुन्नी पड़ी, क्यूंकि वह इसके बारें में बिलकुल ही भूल गया था. उसके पास जो सो रुपये थे वह भी उसने नयी मेडमो के स्वागत की पार्टी में खर्च कर दिए थे.
घर पहुंचकर उसने अपनी मम्मी से आन्स्वर पेपर की फीस के दस रुपये मांगे. पर मम्मी के मुख से यह सुनकर वह सहम गया की उस पैसे में से दे देना चाहिए था न! जो कल अंकल ने तुम्हे दिए थे! सायद पापा ने मम्मी को उस रुपये के बारें में बता दिया होगा. सोचते हुए वह अपनी जेब व्यर्थ में ही टटोलने लगा. पर अब वह मम्मी को क्या जवाब दे? वह ऐसा तो बिलकुल नहीं कह सकता था की वे रुपये तो उसने नयी मेडम के आगमन की ख़ुशी की पार्टी में कुर्बान कर दिए! उसका चेहरा पीला पड़ गया. "पैसे नहीं मिल रहे हैं!" उसने बड़े दुःख से मम्मी को बताया. जिसके बाद उसे पैसे न संभाल कर रखने के लिए मम्मी की जमकर दांट सुननी पड़ी.
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अब वे पांचो दोस्त रोज़ नयी मेडम के आने की राह देखने लगे. वे मेडम के क्लास में सरारत करने के लिए बेताब हुए जा रहे थे. उन्होंने यह मान लिया था की नयी मेडम अच्छी होगी और सरारत करने पर उन्हें थोड़ी बहुत पनिशमेंट से ज्यादा कुछ नहीं करेगी. कम से कम प्रिंसिपल और मम्मी पापा तक सिकायत तो नहीं पहुंचेगी. पर महीना गुज़र जाने के बावजूद न तो कोई नयी मेडम का निशाना दिखा या न कोई मेडम छुट्टी पर गई. धीरे धीरे वे नयी मेडम को भूल गए और स्कूल रूटीन में व्यस्त हो गए. तभी अगले महीने की पहली तारीख को एक नयी मेडम का स्कूल में आगमन हुआ. राहुल ने उसे प्रेयर होल में जाते देखा. यह नयी मेडम वास्तव में उसको सुन्दर और आकर्षक लगी. स्कूल एसेम्बली में प्रिन्सिपल नयी मेडम का इन्त्रोदक्षण दे रहे थे. नयी मेडम का नाम क्या हैं? क्या वह उनकी क्लास में पढ़ाने आने वाली हैं या नहीं? यह जानने की अन्य लड़कों की तरह राहुल को भी बेताबी थी. पर कमनसीबी से उस सुबह उसको जूते पहनकर न आने वाले स्टुदंट्स की कतार में प्रेयर होल के बाहर लोबी में खड़ा रहना पड़ा था. इसलिए वह मेडम के इंट्रो से वंचित रह गया. पर बाद में उसे अपने दोस्तों से पता चला की वः मेडम फर्स्ट और सेकेण्ड क्लास के बच्चों को पढ़ाने वाली हैं. इससे वे सभी दोस्त बहुत दुखी हुए. उनकी सारी हवा निकल गई. पर आने वाली टेस्ट ने उनके दुःख को भुला दिया.
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ऐसे ही कई दिन गुज़र गए. किसी वजह से एक मंडे की एक्स्ट्रा छुट्टी के बाद राहुल अगले ट्यूसडे को स्कूल पहुंचा. रीसेस तक सब कुछ रूटीन चला. पर रीसेस के बाद उसे एक सरप्राइज़ मिलने वाला था. पर यह सरप्राइज़ उसके लिए अच्छा साबित होगा या बुरा? यह तो नियति तै करने वाली थी.
क्रमशः
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