तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 4 harshad solanki द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तुम मुझे इत्ता भी नहीं कह पाये? भाग - 4

ऐसे ही कई दिन गुज़र गए. किसी वजह से एक मंडे की एक्स्ट्रा छुट्टी के बाद राहुल अगले ट्यूसडे को स्कूल पहुंचा. रीसेस तक सब कुछ रूटीन चला. पर रीसेस के बाद उसे एक सरप्राइज़ मिलने वाला था. पर यह सरप्राइज़ उसके लिए अच्छा साबित होगा या बुरा? यह तो नियति तै करने वाली थी.
रीसेस ख़त्म कर उसके सारे दोस्त आज पहले ही क्लास में एन्टर हो चुके थे और वह लास्ट में रह गया था. जैसे ही वह जरा देरी से क्लास में पहुंचा, वह दरवाज़े में ही ठिठक कर रह गया. नयी मेडम क्लास में खड़ी थीं! वह देखता ही रह गया. मेडम की अनुमति लेकर क्लास में अन्दर दाखिल होना भी वह बिलकुल भूल गया. जब क्लास में अन्दर आने के लिए मेडम ने उसे आँखों से इशारा किया, तब जाकर उसे कहीं होंश आया और वह शर्म से सर जुकाए अपनी जगह पर जा कर बैठ गया. उसने अपनी बगल वाली सीट पर बैठे लड़के को धीरे से पूछा: "यह मेडम?" "कल भी आई थी." उसे जवाब मिला. राहुल ने स्कूल टाइम टेबल देखा. यह हिंदी का पीरियड था और हिंदी वाली पुराणी मेडम की जगह पर यह मेडम हिंदी का क्लास ले रही थी. उसे याद आया की उनकी हिंदी वाली मेडम छुट्टी पर जाने वाली थी. 'तो क्या उसकी जगह पर अब यह मेडम हिंदी की क्लास लेगी?' यह सोच से उसका मन रोमांच से भर उठा.
अचानक उसका ध्यान अपने बिखरे हुए बालों पर गया. वह चोंक पड़ा! उसने तिरछी आँखों से मेडम की और देखा. मेडम का ध्यान उसकी और नहीं था. वह खुश हुआ. "अच्छा हुआ. मेडम मुझे इस हुलिए में नहीं देख रही हैं, वर्ना वह मेरे बारें में क्या सोचती?" मन में ही वह बोला. उसने जल्दी से उँगलियों से अपने माथे के बाल ठीक किये और अपनी सीट में वह सीधा बैठ गया. मेडम कुछ पढ़ा रही थी पर उनका ध्यान पढ़ाई के बजाए मेडम में ही रमा था. पता नहीं क्यूँ पर मेडम के चहरे से उसकी आँखे और उसके खयालों से मेडम हट ही नहीं रहे थे. उसने अन्य लड़कों को देखा. बहुत से लड़के उसीकी तरह पढ़ाई में कम और मेडम में ज्यादा रूचि ले रहे थे. पर इससे न जाने क्यूँ वह मन ही मन जलने लगा. पढ़ाते पढ़ाते मेडम ने कोई प्रश्न पूछा और जो स्टुदंट्स उत्तर जानते हैं उसे उंगली उठाने के लिए कहा. काफी स्टुदंट्स ने अपनी उंगली ऊपर उठाई. पर राहुल हेरान रह गया,. उसे मेडम ने क्या पूछा था यहीं समज नहीं आया था. मेडम ने सभी स्टुदंट्स की और नज़र घुमाई. पर राहुल शर्म के मारे उनकी नज़रों का सामना कर न पाया. उसे अपनी विफलता पर बेहद शर्म आने लगी. मेडम पर उसकी इम्प्रेशन क्या पड़ी होगी? इस सोच से उसे अपने आप पर नफ़रत हो आई.
स्कूल ख़त्म कर वह घर पहुंचा. पर उसके खयालों से मेडम जा नहीं रही थी. जैसे उनका दिल और दिमाग मेडम के कबज़े में चला गया न हो! बाकि का दिन वह गुमसुम सा बना रहा. आज की मेडम की क्लास ने उनके अन्दर बहुत कुछ बदल दिया था. यह बदलाव उसकी ज़िन्दगी को एक नया मोड़ देने वाला था, इस बात की उसे ज़रा भी भनक न थी.
प्याला था भरा हुस्न ए नशे का जिसमे हम खो गए,
पता न चला कुछ हमें कब हम उसमे डूब गए.
*********

यूँ तो राहुल सुबह में मम्मी के बार बार जगाने पर मुश्किल से बिस्तर छोड़ता था, पर अगली सुबह वह जल्दी जाग गया. ठीक से तैयार हो वह वक्त पर स्कूल पहुंचा. उसने अपने दोस्तों से थोड़ी दूरी बना ली और क्लास में भी काफी दिसिप्लिंद बर्ताव करने लगा. उसने दोस्तों के साथ आना जाना भी छोड़ दिया था और वह अकेले ही घर से स्कूल तक साइकल लेकर आने जाने लगा था. वह अब पढ़ाई में ध्यान देने लगा था और होम वर्क भी वक्त पर पूरा कर लिया करता था. वह अब एक दिसिप्लिंद स्टुदंट बन गया था.
नयी मेडम की क्लास में वह चुपके चुपके से उसका दीदार किया करता पर उनकी नज़रों से हमेशा वह बचकर ही रहता. जब से नयी मेडम का आगमन हुआ था, क्लास के लड़के उनके ही बारें में बाते किया करते थे. कई बार वे मेडम के बारें में गन्दी जोक भी पास किया करते. पर राहुल को स्कूल का कोई भी लड़का मेडम के बारें में किसी भी प्रकार की बातें करे यह जरा भी पसंद नहीं आता और वह मन ही मन उन लड़को पर गुस्सा होता और उन्हें गालियाँ देता रहता था. जब तक उसने मेडम को नहीं देखा था तब वह भी अपने दोस्तों के साथ अन्य लड़कियों के बारें में ऐसी ही गन्दी जोक और बातें किया करता था. पर जब से उसने मेडम को देखा था वह सब कुछ भूल गया था. मेडम के बारें में ऐसी 'गन्दी सोच' की तो वह मन में कल्पना भी नहीं कर सकता था. उसने तो अन्य लड़कियों के बारें में भी ऐसा सोचना बंध कर दिया था. और जब से उसने इस हसीं चहरे को देखा था, अन्य कोई भी हसीं चहरा उसे भा नहीं रहा था.
जब से देखा हैं नज़रों ने आप को,
इनको और कुछ नज़र नहीं आता,
ना जाने कैसा किया है जादू आप ने,
कोई और चेहरा इसको नहीं भाता.

क्लास में अन्य लड़के मेडम से बात करने का कोई भी मौका जाने नहीं देते थे वहां राहुल मेडम से जरुरत से ज्यादा एक शब्द भी नहीं बोलता था. मगर उसे उनका बोलना, चलना, बैठना, खड़े रहना इत्यादि उनकी हर शारीरिक गतिविधि बहुत भाती थी और वह बड़े गौर से उन्हें देखता रहता था. जब वह हस्ती तब उनके गालों में पड़ते डिम्पल, जब खिड़की से आता हवा का जोंका उनकी खुली बालों की लतों को उड़ाकर उनके चहरे पर बिखेर देता तब उनका उँगलियों से अपनी बिखरी जुल्फों को ठीक करना, कभी अपने खुले बालों को आगे अपने सीने पर लहराते हुए स्टुदंट्स की सीट पर जा जा कर उनका कोपियाँ चेक करना, उनकी सारी अदाए राहुल के मन से आह निकलवा देती थी.
आफ़त तो है वो नाज़ भी अंदाज़ भी लेकिन,
मरता हूँ मैं जिस पर वो अदा और ही कुछ है।

एक दिन नयी मेडम ने क्लास में स्टुदंट्स के साथ बातों बातों में बताया की वह भी उसकी तरह स्टुदंट ही है और कोलेज के फर्स्ट यर में पढ़ती है. राहुल को यह सुन कर बहुत अच्छा लगा की वह उससे उम्र में बहुत ज्यादा बड़ी न थीं.
**********

पर उसके यह आनंद भरे दिन बहुत लम्बे न चले. ऐसे ही तीन चार हप्ते बीत गए और पुरानी हिंदी वाली मेडम वापस आ गई. और नयी मेडम का क्लास में आना एकदम बंध हो गया. सभी लड़के नयी मेडम को भूल गए पर राहुल का मन बिलकुल न बदला. भले ही नयी मेडम क्लास से चली गई हो पर उनके मन में वह बस गई थी. अब नयी मेडम सिर्फ स्कूल एसेम्बली में ही दिखाई देती थी वो भी दूर से. राहुल बेचैन हो उठा.
हर लम्हां हर लम्हां तेरा ही ख़याल आता है,
हर लहजे में तेरा ही नाम आता है,
कैसे छुपाऊ मैं अपने दिल की बात,
तेरी हर एक अदा पे हमें प्यार आता है.
क्रमशः
इस लव स्टोरी में मेरी स्व रचित शायरी के अलावा अन्य गुमनाम लेखकों की शायरियों एवं फिल्म के डायलोग्स का भी इस्तेमाल किया गया हैं. उन शायरियों के गुमनाम शायरों एवं कल हो न हो और ओम शांति ओम फिल्म को उसके डायलोग्स के लिए हार्दिक धन्यवाद.
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