नौकरानी की बेटी - भाग 2 RACHNA ROY द्वारा मानवीय विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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नौकरानी की बेटी - भाग 2

नौकरानी की बेटी भाग एक में आपने पढ़ा था कि आनंदी के लिए खुशखबरी लाई थी उसकी मां -अब आगे।

आनंदी ये सुनकर कर खुशी से झूम उठी और बोली मां मुझे पुरा यकीन था कि रीतू दीदी की वजह से मैं आगे पढ पाऊंगी। कुछ बन जाऊंगी । तुमको फिर ये सब काम नहीं करना होगा मां। कृष्णा बोली हां मुझे गर्व है तुम पर।
अच्छा अब कुछ खा ले सुबह से कुछ नहीं खाया तुमने। फिर मां बेटी खाना खाते हैं और फिर सो जाते हैं। कुछ देर बाद कृष्णा का मोबाइल फोन बजता है । आनंदी जल्दी से फोन उठाती है और बोलती है- हेलो । उधर से रीतू बोलती है- हां आनंदी,आनंदी बोली अरे रीतू दीदी ये आपका नवंबर है? रीतू बोली हां ये मेरा ही नंबर है उसे सेव कर लेना। आनंदी बोली हां दीदी। रीतू बोली हां सुन शाम को आ रही है ना? आनंदी बोली हां दीदी आऊंगी। रीतू बोली अच्छा ठीक है चल शाम को मिलते हैं।

आनंदी ने जल्दी से फोन में रीतू का नंबर सेव कर लिया।
और फिर खाना खा कर सो गई और शाम को राजू के घर पहुंच गए।

अनु बोली अरे कृष्णा पहले चाय और पकौड़े तल ले। कृष्णा वाई बोली हां मैम। कृष्णा रसोई में चली गई।

आनंदी रीतू को खोजने लगी। तभी रीतू बाहर से आ गई और बोली आनंदी चल मेरे कमरे में। आनंदी बोली हां दीदी जरूर। फिर आनंदी रीतू के कमरे में पहुंच गए और
रीतू ने कहा ये देख तेरे लिए खरीदारी की हुं,देख ले लम्बाई और रंग पसंद है कि नही, लंदन में जाएगी तो वहां ये सब पहनेंगी। आनंदी बोली अरे दीदी आप जो भी लाई हो अच्छा ही लाई हो। रीतू बोली अरे आनंदी तू भी ना, देख ले। फिर आनंदी सारी चीज़ें देखने लगी। रीतू बोली हां इसमें सब जरूरत का सामान है और कल एक सूट केस भी आएगा। आनंदी बोली अरे वाह !दीदी। रीतू बोली अरे ज्यादा समय नहीं है हां, अगले हफ्ते निकलना होगा।
आनंदी बोली दीदी इतना खर्च हो रहा है आपका। रीतू बोली अरे वाह, दीदी बोलती है और खर्चे की बात करती है।तू अपने पैसों से ही पढ़ेंगी,तुझे स्कालरशिप मिलेगा । आनंदी बोली हां दीदी और ये सब सामान बहुत ही खूबसूरत है। फिर आनंदी खुब रोने लगी और रोते हुए बोलने लगी दीदी आपने हाल नहीं छोड़ा और मुझे हमेशा कितना उत्साहित करती रही, मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं भी आगे पढ़ पाऊंगी।
रीतू बोली अब बस कर सब अच्छा होगा। फिर आनंदी ने पूछा कि क्या मैं वहां सातवीं कक्षा में ही पढ़ाई करूंगी?
रीतू बोली नहीं अब एक लिखित परीक्षा के बाद ही आठवीं कक्षा में पढ़ेगी। आनंदी बोली अच्छा ठीक है दीदी। फिर रीतू ने सारा सामान समेट कर अलमारी में रख दिया। और आनंदी नीचे चली गई।
इधर रसोई में आकर आनंदी ने कहा मां कुछ काम है क्या? कृष्णा वाई ने कहा नहीं सब हो गया है। फिर कृष्णा ने सब खाना टेबल पर लगा दिया और अपने टिफिन बॉक्स में खाना भर कर अनु को बोल कर दोनों चली गई।

घर पहुंच कर आनंदी ने सारी बात बताई की रीतू दीदी ने कितना कुछ खरीदारी किया है उसके लिए। कृष्णा बोली रीतू बेबी की अच्छी समझ और उसका अपनापन एक नौकरानी की बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। रीतू बेबी हमेशा खुश रहे। भगवान उसको सफलता दे।
कृष्णा बोली अच्छा चल अब जल्दी से खाना खा ले।
आनंदी ने कहा कि मां हमें तो अगले हफ्ते में निकलना है ऐसा दीदी ने कहा। कृष्णा वाई बोली अरे बहुत जल्दी जाएगी तू मेरी लाडो। आनंदी बोली मां तुम मुझे कमजोर मत होने देना मैं खुब पढुगी और एक दिन बहुत बड़ी आई एस अफसर बनुगी।
कृष्णा बोली हां ज़रूर।चल मैं खाना परोसती हुं। फिर दोनों खाना खा कर सो गए।

सुबह फिर दोनों राजू के घर पहुंच गए और सब लोग अपना काम कर रहे थे। अनु बोली कृष्णा जल्दी से नाश्ता तैयार कर दो हमें निकलना है। कृष्णा वाई बोली हां मैम बस अभी बनाती हुं। फिर कृष्णा ने आलू दम और पुरी जल्दी -जल्दी से तैयार करने लगी। और फिर नाश्ता टेबल में लगा दिया।राजू , रीतू और सदस्य भी नाश्ता करके अपने अपने काम पर लग गए। राजू तैयार हो कर स्कूल चला गया ।
रीतू ने आनंदी से कहा चल अब कुछ लैपटॉप पर काम कर लेते हैं। आनंदी ने कहा अच्छा दीदी मैं कुछ देर बाद आती हुं। फिर आनंदी ने रसोई में आकर कृष्णा वाई की मदद करने लगी और काम खत्म करके रीतू के पास गई।

आनंदी ने कहा दीदी क्या करना है। रीतू बोली अपना एक प्रोफाइल बना लैपटॉप पर। फिर रीतू ने जैसा निर्देश दिया वो वैसा ही करने लगी और फिर आनंदी का प्रोफाइल तैयार हो गया और उसमें आनंदी का फोटो भी लग गया।आनंदी ये देख खुश हो गई और फिर बोली दीदी कितना कुछ है इस लैपटॉप में। रीतू बोली हां अब जल्दी- जल्दी सब सीख ले। लंदन में जाकर मेरे पास ज्यादा समय नहीं रहेगा। आनंदी ने कहा हां दीदी ठीक है। एक बात बताईए कि मैं वहां किधर रहुंगी?।रीतू बोली अरे गुड़िया तू मेरे साथ रहेंगी।मेरा वहां एक घर है।हम दोनो एक साथ ही निकललेगे । तुझे मैं स्कूल छोड़ने के बाद अपने आफिस जाऊंगी। फिर हम छुट्टी के बाद मिलेंगे। आनंदी बोली दीदी क्या वहां का टाइम अलग है? रीतू बोली हां कुछ ज्यादा फर्क नहीं होता है बस छ घंटे का अंतर होता है,, जैसे मान ले लंदन में 6:00 बजे हैं तो इस समय भारत में क्या समय होगा ? आनंदी बोली दीदी आप ही बताइए ना? रीतू हंस कर बोली देखो यदि लंदन में सुबह के 6.00बजे हैं तो भारत में इस समय सुबह 11.30 का समय होगा ।बस इतना ही फर्क है अब समझी । आनंदी ने कहा हां दीदी अब धीरे धीरे आदत हो जायेगी।

फिर आनंदी नीचे आ गई और कृष्णा का भी सब काम हो गया था अनु ने कहा ये तेरा पगार ले। कृष्णा वाई बोली हां मैम। मैंने किरन मैम का काम छोड़ दिया और अब से आपके पास ज्यादा समय दुंगी।
अनु बोली अच्छा ठीक है तेरा पगार बढ़ा दिया जाएगा। खाना लेकर जाना। कृष्णा बोली हां मैम ले लिया। और फिर दोनों घर चले गए।
आनंदी घर पहुंच कर ही सारी बात बताई कि रीतू ने क्या कहा। कृष्णा वाई सुनकर बहुत खुश हो गई और बोली चलो पहले खाना खा लो। दोनो खाना खा कर फिर सो गए।
फिर शाम को जल्दी राजू के घर पहुंच गए। रीतू बोली अरे आनंदी आज तेरा सूटकेस आ गया है। चल कर जल्दी से सारा सामान समेट कर सूटकेस में लगा ले। आनंदी बोली हां दीदी जरूर।
अनु बोली कृष्णा जल्दी -जल्दी नाश्ता बना देना और फिर थोड़ी छत की सफाई कर दे। कृष्णा वाई ,हां मैम बोलते हुए रसोई में चली गई और जल्दी- जल्दी बर्तन धोने लगी और फिर नाश्ता बनाने लगी।

आनंदी रीतू के साथ उसके कमरे में जाकर कर सूटकेस में अपना सारा सामान जो रीतू ने खरीदा था सब रखने लगीं और फिर रीतू ने दिखाया की ये सूटकेस कैसे गाड़ी की तरह चलता है चार पहियों पर। आनंदी ये देख खिलखिला कर हंसने लगी। और फिर बोली अरे वाह दीदी ये तो बड़ा कमाल का है। रीतू बोली हां।

रीतू का फोन आ गया और वो बात करने लगी। फिर आनंदी नीचे चली गई और रसोई में कृष्णा के काम में मदद करने लगी। फिर कृष्णा ने नाश्ता टेबल पर लगा दिया और फिर दोपहर का भोजन बना कर छत पर सफाई करने चली गई।

अनु नाश्ता करते समय रीतू से बोली अभी क्या जरूरत है वापस जाने की, रीतू बोली अरे मम्मी आज नहीं तो कल जाना ही होगा। अनु बोली अब साथ में इसे भी ले जा रही हो? कुछ ऊच -नीच हो गया तो।।वो तो ठहरी एक नौकरानी की बेटी।। रीतू बोली मम्मी कभी तो कुछ अच्छा बोला करो। आनंदी की क्या गलती है? इस समाज ने उसको बनाया है एक काम करने वाली बाई की बेटी।हम सब ने मिलकर ऐसी सोच बनाई है पर हमें ये सोच बदलनी चाहिए कि एक लड़की जो, कुछ करना चाहती है कुछ बनना चाहती है उसका हौसला अफजाई करना चाहिए ,ना कि उसको एक नौकरानी ही समझना चाहिए। कृष्णा वाई एक नौकरानी है तो जरूरी नहीं की उसकी बेटी भी नौकरानी ही बनेगी, ऐसा सोच बदलनी चाहिए मम्मी। आप देख लेना आनंदी जीवन में बहुत आगे जाएगी और एक मिसाल कायम करेगी,आनंदी एक अब्बल दर्जे की आई एस अफसर बनेगी।अनु बोली हां चल ठीक है। जो तुझे ठीक लगे वहीं कर।
कृष्णा बोली मैम सब हो गया सफाई,हमलोग चलते हैं। अनु बोली अच्छा ठीक है खाना लिया। कृष्णा बोली हां मैम।
फिर दोनों चली गई। घर पहुंच कर ही आनंदी के चेहरे मे खुशी झलक रहा था ,वो झूम उठी और फिर सारी बात मां को बताने लगी। कृष्णा वाई बोली हां मुझे पता है कि रीतू बेबी तुझे अकेले नहीं छोड़ेंगी पर हमेशा एक डर सा बना रहेगा। आनंदी बोली अरे मां तू बिल्कुल चिंता मत करो मैं रोज फोन करूंगी। कृष्णा बोली हां ठीक है चल खाना खा ले। फिर दोनों खाना खा कर सो गए।
और फिर कुछ देर बाद आनंदी जल्दी उठकर कर पढ़ने लगीं। फिर कृष्णा भी उठ गई और बोली चल अब चलते हैं वरना देर हो जायेगी। आनंदी बोली हां मां चलो।
राजू के घर पहुंच कर ही कृष्णा जल्दी से चाय बनाने किचन में चली गई। अनु ने कहा कृष्णा चाय के साथ ब्रेड पकौड़े बना दे। कृष्णा बोली हां मैम बस, अभी बना देती हुं।
अनु ने कहा आनंदी तू अब परदेश चली जाएगी वहां पर रीतू का सारा काम कर देना। आनंदी बोली हां मैम, जरूर। तभी रीतू सुनकर गुस्से से बोली अरे वाह मम्मी क्या मैं आनंदी को काम करवाने के लिए ले जा रही हुं?

अनु बोली अरे आनंदी तो जा रही है तो कुछ तेरा काम कर देगी। रीतू बोली अरे मम्मी वहां तो सब अपना- अपना काम करते हैं। कोई भी किसी काम नहीं करता है। आनंदी वहां पढ़ने जाएगी ये सब करने नहीं।।
कृष्णा ने जल्दी से नाश्ता तैयार कर दिया। और टेबल पर नाश्ता लगा दिया। और फिर सब खाने बैठ गए,रीतू ने कहा क्या पकौड़े बने है कृष्णा वाई।।

फिर कृष्णा रात के खाने में अंडा बिरयानी और दही रायता बना कर रायते को फ्रिज में रख दिया।
और बोली मैम रायता फ्रिज में रखा है खाते समय निकाल लिजियेगा। अनु बोली अच्छा ठीक है तूने, खाना लिया । कृष्णा बोली हां मैम ले लिया हम अब चलते है
ये बोल कर कृष्णा और आनंदी घर लौट गए।
आनंदी घर आते ही बोली मां जल्दी से खाना दे दो। कृष्णा ने कहा हां चल जल्दी खा कर सो जाते हैं। फिर आनंदी को कृष्णा ने बिरयानी परोस दिया और खुद भी ले लिया। आनंदी बोली अरे वाह मां बहुत स्वादिष्ट बिरयानी बना है ।फिर दोनों खाना खा कर सो गए।

दूसरे दिन राजू के घर पहुंच गए तो देखा घर में पुजा होने वाली थी। रीतू बोली अरे आनंदी रविवार को हमलोगो का फाल्इट है।दोपहर को निकलना होगा। आनंदी ने कहा अच्छा दीदी।
अनु बोली अरे कृष्णा आज पहले चाय बना दे फिर मटर की कचौड़ी, आलू दम, हलवा, ये सब बनेगा।घर में पुजा है।सारे मेहमान भी आयेंगे तो उसी हिसाब से खाना बना देना। कृष्णा बोली अच्छा मैम नाश्ता क्या बनेगा? अनु बोली लस्सी, साबूदाने की खिचड़ी बना दे। कृष्णा बोली अच्छा ठीक है।
कृष्णा जल्दी जल्दी बर्तन धोने लगी और फिर चाय बना कर टेबल में रख दिया और फिर साबूदाने की खिचड़ी बनाने लगी। आनंदी ने फ्रिज में से दही निकल कर रखा और कृष्णा ने दही की लस्सी बनाकर शीशे के गिलास में डाल कर टेबल में लगा दिया और साबूदाने की खिचड़ी भी सबको प्लेट में निकाल कर दे दिया।
अमर बोले आज घर में पुजा रीतू के लिए रखा गया है। फिर एक -एक करके सारे मेहमान आ गए और पुजा में बैठ गए।

कृष्णा अब दोपहर के भोजन की तैयारी करने लगी। उसने दम आलू बना कर, मटर की कचौड़ी तलने लगी और हलवा भी बन चुका था।

अनु बोली कृष्णा जल्दी से सारा खाना पार्क में लगा दे। अशोक सारा टेबल सजा दिया है। कृष्णा बोली अच्छा ठीक है। फिर आनंदी और कृष्णा मिलकर सारा भोजन टेबल पर बहार लगा दिया और प्लेट,गिलास, कटोरी सब सजा दिया फिर सारे मेहमान आकर खाना खाने लगे।सबने बड़े चाव से खाना खा लिया और फिर धीरे धीरे सब मेहमान चले गए।

अनु बोली कृष्णा तू ज्यादा खाना लेकर जा और शाम को मत आना कल सुबह आ जाना। कृष्णा बोली अच्छा ठीक है
फिर कृष्णा खाना अपने बाक्स लेकर अनु मैम को बोल कर जाने लगी घर पहुंच कर कृष्णा ने कहा आनंदी वहां जाकर अच्छी तरह से पढ़ाई पूरी करना हां। आनंदी बोली हां मां मैं खुब मेहनत करूंगी और फिर देखना मां तुम्हे मैं अपने पास ले आऊंगी। कृष्णा वाई बोली हां अभी तू खुब मन लगा कर पढ़ना बस और कुछ नहीं सोचना। आनंदी बोली अरे मां तू बिल्कुल चिंता मत करो मैं रोज फोन करूंगी तुमको।
कृष्णा बोली अच्छा चल ठीक है खाना खा ले। फिर आज शाम को तो राजू के घर नहीं जाना है। फिर दोनों खाना खा कर सो जाते हैं। कुछ समय बाद आनंदी उठ कर अपनी पढ़ाई करने लगती है। और सोचने लगी कि अब रविवार आने वाला है और मुझे उड़ना है।
फिर कृष्णा उठ गई और घर का काम करने के बाद चाय बना कर पीने लगी। आनंदी बोली मां क्या बढ़िया चाय बनाई हो। कृष्णा हंस कर बोली अच्छा रात में क्या बनाऊं? आनंदी बोली मां आज गोभी का पराठा और टमाटर की चटनी बना दो। कृष्णा बोली अच्छा ठीक है वहीं बनाती हुं। फिर कृष्णा जल्दी से टमाटर की चटनी और गोभी का पराठा बनाने लगी।
फिर आनंदी और कृष्णा खाना खाने बैठे, आनंदी बोली मां क्या स्वादिष्ट पराठा बना है मैं तो चार खाऊंगी। फिर दोनों खाना खा कर सोने चले गए।

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर दोनों राजू के घर पहुंच गए। कृष्णा पहुंचते ही रसोई घर में जाकर साफ सफाई करने लगी और फिर बर्तन धोने लगी और तभी अनु आकर बोली कृष्णा जल्दी से चाय और नाश्ता बना दे। कृष्णा ने कहा हां, मैम बस अभी करती हुं। नाश्ते में क्या बनेगा? अनु बोली आज जीरा आलू और मूली के परांठे बना दे। कृष्णा बोली अच्छा ठीक है।
रीतू हंस कर बोली अरे आनंदी अब चलने की तैयारी कर लें हां रविवार को हमलोगो को निकलना है। आनंदी बोली हां दीदी सब तैयारी हो चुकी है। लंदन जाने के लिए।।


दोस्तों इस कहानी को आगे पढ़ने के लिए इसका तीसरा भाग पढ़े।