भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 8 Brijmohan sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 8

8

स्वतंत्रता का नया सूर्योदय

भारत को पूर्ण स्वतंत्रता मिले अभी दो दिन ही हुऐ थे I

पूरे देश में गावं गावं शहर शहर उल्लास उमंग की लहर हिलोरे ले रही थी I हर शहर गाँव में स्वतंत्रता सेनानियों का गाजे बजे के साथ भव्य पैमाने पर स्वागत सत्कार किया जा रहा था जिनके संघर्ष व बलिदान के फल स्वरुप हमारे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई I शिव पंडित का देश के अनेक शहरों गावों में सम्मानित किया जा रहा था जिसकी ख़बरों से अख़बार भरे रहते थे I अपने गावं के शिव पंडित के सम्मान की खबरे पढ़ कर व सुनकर गाँव वाले ख़ुशी से उछले जाते थे I उनका सीना गौरव से फूला नहीं समता था I

दूसरे दिन प्रातः का समय था I उस गावं में ऐक नया सूरज उदित हुआ था I

ऐक दिन पूर्व इस गावं के पांच, सरपंच व अन्य सम्माननीय लोगो की ऐक महत्वपूर्ण बैठक की गई थी जिसमे गहन विचार विमर्श के बाद कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिऐ गऐ थे I आज का दिन उनके क्रियान्वयन का दिन था I सारा गाँव दुल्हन की तरह सजाया गया था I आसपास के सभी गावों में भी सजावट की गई थी I

राम मंदिर के सामने ऐक अत्यंत सजी धजी ५१ बैलों से जुती बैलगाड़ी खड़ी थी I वे बैल अत्यंत रंग बिरंगे वस्त्रो से सजे हुऐ थे I सारे गावं में जगह जगह तिरंगे झंडे लहरा रहे थे I

कुछ समय बाद राम मंदिर में गाव के महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने प्रवेश किया I उन्होंने अन्दर जाकर पंडितजी को हार फूलो से लाद दिया I वे सब पंडितजी को अपने साथ लेकर बाहर निकले I

उपस्थित समुदाय ने नारा लगाया ऐ

“ महात्मा गाँधी जिंदाबादऐ जिंदाबाद “

“भारत माता की जय “

“स्वतंत्रता सेनानी पंडित शिव जिंदाबाद, जिंदाबाद “

तब शिवजी को ५१ बैलो से सजी बैलगाड़ी में बिठाया गया I

वह विशाल जन सैलाब गाँव के स्कूल में स्थित विशाल मैदान की ओर नारे लगाते हुऐ बढ़ चला I

इस जुलुस में सबसे आगे ऐक बैंड देशभक्ति की धुन बजाते हुऐ चल रहा था I

“कदम कदम बढ़ाऐ जा ऐ

ख़ुशी के गीत गाऐ जा

ये जिंदगी है देश की,

तू देश पर लुटाऐ जा “

इसी गाने को बैंड के पीछे चल रही शिव की युवा ब्रिगेड बड़े जोश से दोहरा रही थी I

उनके पीछे युवक युवतियां मनोहारी नृत्य करते हुऐ चल रहे थे I सबसे पीछे गावं के महत्वपूर्ण व्यक्तियों का समूह नारे लगIते हुऐ चल रहा था I जुलुस के ठीक बीच में शिव पंडित की ५१ बैलो से सजी बैलगाड़ी मंथर गति से चल रही थी I पूरे रास्ते भर विशाल जनसमुदाय सभी लोगो पर पुष्पवर्षा कर रहा था I

यह जनसैलाब का जुलुस गाता बजता नाचता गाँव के विशाल मैदान पर जा पहुंचा I

वहा ऐक जनसभा का आयोजन हुआ I

पंडितजी ने प्रमुख अतिथि के रूप में जवाहरलाल नेहरु, महात्मा गाँधी व भारत माता के चित्रों पर फूलमाला भेंट की I फिर समस्त उपस्थित विशिष्ठ व्यक्तियों ने पंडितजी का पुष्पहारो से सम्मान करना प्राम्भ किया जो बड़ी देर तक चला I प्रमुख सरपंच ने अपना स्वागत भाषण पढना प्रारंभ किया जिसके प्रमुख अंश इस प्रकार थे :

“ आज का दिन हमारे लिऐ ऐक नयो सूरज उग्यो है I आज हमारो हिरदो उल्लास उमंग से भर्यो है I पंडितजी के कारण हमारा अIखI गावं और हमारो माथो समूचा देश में ऊँचो हुई गयो है I पंडितजी की अIखI देश में परसंसा हुई री है, रे म्हारा भाई होण ! अण उनके पीछे हमारा गावं और हमारो भी नाम चमकी रियो है I म्हारा भाई होण, म्हारे ऐक बात केते घणी शर्म आवे अण दुःख हुई रियो है कि हम गवार अनपढ़ गाव वाला होण से आप सरीखा विद्वान देश का सपूत को घनो अपमान हुयो है I हम निपट गंवार अनपढ़ है पण आपका छोटा भई होण समझिने हमारे माफ़ करजो I पंडितजी ! हम सब गावं वाला हिरदा से आपसे माथो नवा नवा ने माफ़ी माँगा हां I आशा है कि आप बड़ा दिल वाला हो, आप हमारे माफ़ करोगा और प्रेम कृपा बनाई रखोगा I सभी अन्य महत्वपूर्ण लोगो ने इसी माफीनामे को रिपीट किया व पंडितजी के पैर छुकर माफ़ी मांगी I

अंत में पंडितजी खड़े हुऐ व कहने लगे, “उपस्थित आदरणीय सरपंचजी ऐ पांचो ऐ भाइयो व बहनों ! मै तहे दिल से आप सबका स्वागत करता हू I आज का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है जब गाँधीजी के त्याग व तपस्या के फलस्वरूप हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई I भाइयो! मै गांधीजी का ऐक अदना सिपाही हू I जो महान सम्मान आपने मुझे दिया व आशीर्वचन कहे मै उसके लायक कतई नहीं हू I वास्तव में इस सम्मान के लिऐ आप सब बधाई के हक़दार है जिनके लिऐ ही गांधीजी ने दिनरात संघर्ष किया I मै आपका छोटा भाई हूँ, आपका सेवक हूं I मेरे कार्यो से आपको दुःख व परेशानी झेलना पड़ी इसके लिऐ मै दिल से आपसे क्षमा प्रार्थी हूँ I मेरे ह्रदय में आप सभी के लिऐ प्यार ऐवं सम्मान है I वास्तव में मुझे माफ़ी देने का अधिकार अब आप सबको है I पंडितजी के ऐसे उदार व स्नेहपूर्ण वचन सुनकर सभी उपस्थित लोंगो की आँखों से अनवरत अश्रुधार बह चली I सभी उपस्थित पंच व सरपंच उन्हें गले लगाकर फफक फफक कर रोने लगे I वे पश्चाताप व स्नेह के आंसू थे I पंडितजी ने आगे कहा,

“भाइयो हमारा कम अभी समाप्त नहीं हुआ है I हमें अभी बापू के बहुत से सपने पूरे करने हैं,

सभी नागरिको के लिऐ समान अवसर ऐवं सभी को समान अधिकार,सभी को पूरा सम्मान,

छुआछुत निवारण ऐवम गरीबी उन्मूलन आदि अनेकों अधूरे काम पुरे करना है I देश को स्वर्ग बनाना है I

मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि इस महत्वाकांक्षी कार्य के लिऐ आप सभी का सहयोग व आशीर्वाद मुझे अवश्य मिलेगा I पंडितजी व अन्य सभी लोगो की आँखों में प्रेमभरे आंसू थे I

इसके बाद गीत संगीत व नृत्य का कार्यक्रम शुरू हो गया I अनेक गायकों ने देशभक्ति के गीत प्रस्तुत किये I अंत में ऐक महत्वपूर्ण घोषणा हुई: “कल स्वतंत्रता संग्राम से सम्बंधित अति महत्वपूर्ण नाटको का मंचन किया जाऐगा I”

“भारतमाता जकी जय “

“गांधीजी की जय “

“ पंडित शिव जिंदाबाद “ के नIरो के साथ सभा विसर्जित हुई I