Bharat ke gaawo me swatantrata sangraam - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 1

(ऐक अनकही दास्तान )

1

ग्रन्थ की विशेषताएं:
यह लघु उपन्यास ग्रामीण भारत में स्वतंत्रता व गांधीजी के आन्दोलन के प्रति अलख जगाने की लोमहर्षक अनकही दस्तान है I

२ स्वतत्रता सेनानी द्वारा हरिजन उत्थान का प्रयास करने पर जाति वालो, ग्रामीणों द्वारा भारी अपमान कारण, उन पर हमला करना व पंचायत में पेशी कर गाँव से निष्कासन तक की चुनौती का सकट उत्पन्न करना

३ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिऐ गांधीजी के महत्वपूर्ण आंदोलनों का संक्षिप्त विवरण

३ स्वतंत्रता प्रप्ति पर स्वतंत्रता सेनानी से सभी पंचों सरपंचों व ग्रामीणों द्वारा माफी मांगना व इक्यावन सजे धजे बैलो वाली बैलगाड़ी पर बिठाकर जुलुस निकालकर अभूतपूर्व रूप से सम्मानित करना ।

४ शहीदे आजम भगतसिंग, चंद्रशेखर आजाद व रानी लक्षमीबाई के संघर्ष पर आधारित नाटक ।

लेखक: ब्रजमोहन शर्मा “दाधीच” ऐम.ऐस.सी. बी.ऐड. आयुर्वेद रत्न, ज्योतिष, योग व accupressure, वास्तु विशेषग्य

 


ग्रामीण भारत में स्वतंत्रता आन्दोलन (ऐक अनकही दास्ता)

 

भूमिका

मित्रो,

यह लघु उपन्यास भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रति ग्रामीणों में जाग्रति फैलाने के प्रयास की ऐक अनकही दास्तान है जिसमें गाधीजी के सत्याग्रह व हरिजन उत्थान के कार्यक्रम के प्रचार प्रसार के लिऐ कार्यकताओं को जाति अपमान, ग्रामीणों की हिंसा तथा पंचायत द्वारा दण्डित करने के संकटो का सामना करना आदि अनेक सच्ची दास्तान का वर्णन किया गया है I इसके साथ ही मैंने शहीदे आजम भगतसिंग, चंद्रशेखर आजाद तथा वीरागना रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष पर आधारित नाटक प्रस्तुत किऐ है।

प्रिय पाठको !मैं कोई साहित्यकार नहीं हूँ किन्तु आपके समक्ष अपने अनेक ग्रंथो व उपन्यासों के द्वारा अनुदघाटित सत्य को जन सामान्य के समक्ष लाने का प्रयास कर रहा हूँ ।

इस लघु उपन्यास में मैंने अनेक क्रांतिकारियों के रोमांचक नाटको को पेश किया है ।

मित्रो, गूगल का हिंदी ट्रांसलेटर अत्यंत त्रुटिपूर्ण है जो लेखक को खीज से भर देता है किन्तु उसका कोई उपाय नहीं है, कृपया ग्रामर की त्रुटि मेरी नहीं वरन सॉफ्टवेर की है, अतः क्षमा करे ।

 


रैली
शिव पंडित ऐक छोटे से गांव मे रहते थे । वे ऐक मंदिर मे पुज।री थे ।

वे निपुण वैद्य व ज्योतिषी थे । सच पूछा जाऐ तो वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । वे गांधीजी के स्वतंत्रता आंदोलन व हरिजन उत्थान के अग्रणी कार्यकर्ता थे ।

वे गांव गांव में गांधीजी के संदेश को फैलाने का प्रयास कर रहे थे । यह बड़ा दुष्कर कार्य था । ग्रामीण लोग बड़े पुराने विचारों के होते हैं, वे हर नऐ विचार का पुरजोर विरोध करते है । शिव ने कुछ उत्साही युवकों की बाकायदा ऐक ब्रिगेड बना रखी थी I वे समय समय पर रैलियां आयोजित करते रहते थे व लोगों में देशप्रेम की भावना जाग्रत करने का प्रयास करते थे ।

उस दिन प्रातःकाल का समय था । गांव के लोग जोशीले नारे सुनकर अपने अपने घरों से बाहर निकल आऐ । गाँव की गलियों में नारे लगाते हुऐ युवकों का ऐक जुलूस निकल रहा था । पंडित शिव उस रैली को गाइड कर रहे थे । सबसे आगे ऐक युवक तिरंगा झंडा लिऐ हुऐ जोशीले नारे लगा रहा था ।

 

चित्र क्र २
कतार में चल रहे अन्य युवक उन नारों को दोहरा रहे थे ।

‘भारत माता की जय ’

‘महात्मा गांधी की जय ’

‘अंग्रेजों भारत छोड़ो ’

आदि अनेक नारे लगाये जा रहे थे । वे सभी युवक जोश से भरे हुऐ थे ।

ग्रामीण, आदमी,,,औरतें व,बच्चे उस जुलूस कों उत्सुकता व कौतुहल से देख रहे थे ।

ऐक बूढ़ा गामीण चिलम का कष खींचकर धुआं छोड़ते हुऐ बोला,

‘’ इनी जुलूस निकालबा से कइं अंग्रेज यहां से भागी जावेगा । यो पंडत भी

भी भारी पागल है । ’

दूसरा चिलम का कश खींचते हूऐ बोला,‘ अरे इनको असली गुरू तो गांधी बाबो है जो

ऐक धोती पहनी ने अण लाठी ली ने केवे, ‘अंग्रेज होण यहां से भागी जाओ ।’

सब बड़े जोर से हंसते हैं ।

तीसरा बोला,‘ भैया, देवी मां ने अंग्रेजों को वरदान दियो है: सारे संसार में राज करो रे अंग्रेज होण। जुलूस से चिल्लाने से कइ भी नी होय”।

तब ऐक अन्य ग्रामीण चिढ़ते हुऐ सब को डांटते हुऐ चिल्लाया,” अरे जरा चुप रेव रे,मजे लेन दो रे ।

अंग्रेज यहां रेवे या जावे हमारो कइ बिगड़ी रयो हे ? अपन तो तमाशा देखो रे “।

इतने में दूर से दो पुलिस वाले रैली की ओर तेजी से दौड़ते हुऐ दिखाई दिऐ ।

वे बड़ी तेजी से अपने डंडे हवा में घुमा रहे थे । उन्हे देखते ही सारे युवक इधर उधर भाग कर जा छिपे किन्तु पंडित वहीं खड़े रहे। ऐक पुलिसमेन उन्हें गिरफ्तार करते हुऐ बोला,‘पंडितजी आपको हमारे साथ चलना होगा ।’ पंडितजी बिना किसी हीले हवाले के उनके साथ रवाना हो लिऐ ।

सब जानते थे कुछ दिन जेल मे रहने के बाद रैलियां और आंदोलन फिर से शुरू हो जाएंगे । रैलियों व जेल का यह सिलसिला अनवरत चलता रहेगा ।

 


वैद्य व ज्योतिषी
शिवा ऐक ज्ञानी पंडित होने के साथ साथ ऐक कुशल वैद्य व ज्योतिषी भी थे। ऐक दिन ऐक ग्रामीण कालू की भैंस गुम हो गई। वह दो दिनों से बड़ा परेशान था। उसने हर जगह दूर दूर तक अपनी भैंस को ढूंढ लिया था किन्तु उसे हर जगह निराशा ही मिली। थक हार कर उसने पंडित की शरण ली। पंडित के मंदिर के सामने वह पिछले ऐक घंटे से बैठा उनके दैनिक पूजा पाठ से निवृत्त होने का इंतजार कर रहा था।

पंडितजी ने उससे पूछा,“क्यों कालू क्या बात है? बड़े परेशान लग रहे हो “।

कालू ने सिर पर हाथ रखते हुऐ कहा, “ कई बतांऊ पंडितजी हूँ तो बरबाद हुइग्यो । दो दिन से म्हारी भैंस जाणे कां निकलीगी। ढूंढी ढूढी ने परेशान हुइग्यो हूं।

पंडित बोले “ऐ कालू ! पिछली बार थारी भैंस कब दिखी थी ?”

कालू ने कहा, “ रविवार, भुंसारे” I

पंडितजी ने बताऐ समय की प्रश्न पत्रिका बनाई ।

अध्ययन के पश्चात् उन्होने कहा, “कालू आज शाम को तेरी भैंस मिल जाऐगी “I

कालू ने आश्वस्त होते हुऐ पूछा, “ कठे मिलसी ?”

पंडितजी ने फिर से अध्ययन करके कहा,”तालाब के किनारे “

शाम को कालू अपनी भैंस के साथ खुश होकर लौट रहा था।

ऐक व्यक्ति ने उससे पूछा, अरे कालू भैंस कहॉं मिली ?

“तालाब के किनारे पंडितजी ने पेले से ही बताई दियो थो I

ऐक दिन ऐक मरीज पंडितजी के पास इलाज के लिऐ आया ।

उसे बहुत दिने से खांसी व बुखार था । शिव ने उसकी नाड़ी देखी । फिर उन्होने उसकी हस्त रेखा का अध्ययन किया । शिवा ने कहा “तुम्हे टीबी है। तम्बाखू छोड़ देना। रोज दवा लेना नही तो

तुम्हारे जीवन को खतरा है।”

उस व्यक्ति ने तम्बाखू छोड़ दी और वह दवा का नियमित सेवन करने लगा I तीन माह के बाद वह ठीक हो गया।

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