Freedom struggle in villages of India - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

भारत के गावों में स्वतंत्रा संग्राम - 2

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१८५७ का गदर
देश की आम जनता के साथ हिंदुस्तान के रजवाडो व अंग्रेजी सेना के भारतीय सैनिको में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह पनप रहा था। अंग्रेज चाहे जिस राजा का राज्य बिना कारण बताऐ छीन लेते थे। अंग्रेजो ने ऐक नया कानून पास कर किसी भी संतानहीन राजा के राज्य को अपने शासन में मिलाने का कानून पास कर दिया व अनेक सूबो व राज्यों पर अपना अधिकार कर लिया।

चित्र क्र 3
इस कानून के कारण झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, फिरोजशाह आदि अनेक लोगो ने अंग्रेजो के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया I उधर अंग्रेजी सेना के सैनिको में भयानक विद्रोह पनप रहा था । उन्हें शंका थी कि बन्दूक में भरने के लिऐ जो कारतूस उन्हें दिऐ जा रहे थे उनमे गाय ऐव सूअर के मांस की चर्बी लगी होती थी । बन्दुक में लोड करने के लिऐ उन कारतूसो को चबाकर खोलना होता था I गाय की चर्बी हिन्दुओं के लिऐ, तो सूअर की चर्बी मुसलमानों के लिऐ सर्वथा निषिद्ध थे I जब सैनिक अपने अंग्रेज ऑफिसरो से इसकी शिकायत करते तो उनका बुरी तरह अपमान किया जाता I उन्हें जेल में बंद कर दिया जाता I उनके इस अपमान से आहत होकर ऐक सिपाही मगल पाण्डे ने अपने अंगेज ऑफिसर पर आक्रमण करके उस घायल कर दिया।

इस पर अंग्रेज अफसरों ने उसे व उसके साथियों को बुरी तरह पीटा व अपमानित करते हऐ जेल में ठूस दिया।

चित्र क्र 4
इस घटना के बाद १८५७ के गदर की शुरुआत हो गई व कुछ भारतीय सैनिको ने अपने अंग्रेज ओफिसरो पर हमला करके उन्हें मार डाला। उन्होंने अपने साथियो को जेल से छुडा लिया व पूरी छावनी पर कब्ज़ा करके दिल्ली की ओर कूच कर दिया। रास्ते में आने वाली कुछ अंगेज छावनियो पर कब्ज़ा करके अंग्रेज अफसरों को मारते हुऐ वे आगे बढ़ते रहे I रास्ते में आने वाली कुछ अंग्रेज छावनियों से उनके साथ और अनेक सैनिक उनके साथ जुड़ गऐ I इन सैनिको ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया व बहादुरशाह जफर को अपना बादशाह घोषित करके दिल्ली के सिंहासन पर बैठा दिया। यहा से फैली चिंगारी ने पूरे देश में भयानक ज्वाला का रूप ले लिया I

अंग्रेजी शासन ने झाँसी राज्य का वारिस ना होने की स्थिति में उसे अपने सामाज्य में मिलाने की घोषणा कर दी । किन्तु रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजो के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने प्रारंभ में रानी ने अंग्रेजो को कड़ी टक्कर दी व उनके छक्के छुड़ा दिऐ । किन्तु ग्वालियर के राजा के धोखे व अंग्रेजों के अपेक्षा छोटी सेना होने के कारण अंत में रानी वीर गति को प्राप्त हुई I

अंग्रेजो ने १८५७ के क्रांतिवीरो को बड़ी निर्दयता से कुचल दिया व लाखों सैनिकों व अनगिनत साधारण लोगो को फांसी पर चढा दिया। इस तरह अंग्रेजो के विरुद्ध १८५७ के विद्रोह का अंत हआ।

इसके बाद देश में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत हुआ व देश सीधा इंग्लैंड की महारानी के द्वारा संचालित होने लगा I

बंगाल विभाजन
सन १९०५ में अंग्रेजो ने हिन्दुओ व मुस्लिमो के बीच दरार डालने के लिऐ बंगाल को दो भागो में बाँट दिया :

मुस्लिम बहुल भाग को पूर्वी बंगाल व शेष को पश्चिम बंगाल नाम दे दिया गया I अंग्रेजो के इस विध्वंसकारी कृत्य के विरोध में पुरे देश में क्रोध की अग्नि फ़ैल गई I

उस समय देश में अंग्रेजो के विरुद्ध आन्दोलन फ़ैलाने में तीन नेताओ के नाम प्रसिद्द थे : 1 बाल गंगाधर तिलक ( महाराष्ट्र ), २ विपिनचंद्र राय ( बंगाल ),३ लाला लाजपतराय (पंजाब ).

कांग्रेस में भी दो दल बन गये : गरम दल व नरम दल I

गरम दल उग्र आन्दोलन का पक्षधर था जिसका नेतृत्व बल गंगाधर तिलक कर रहे थे I अंग्रेजो ने वन्देमातरम गाने व भारत माता की जय के नारे तक लगाने पर पाबन्दी लगा दी थी I

तिलकजी लोगो में देश प्रेम की भावना जाग्रत करने के लिऐ महाराष्ट्र से केशरी पत्र का प्रकाशन कर रहे थे I

किन्तु सरकार ने केशरी पर प्रतिबन्ध लगा दिया I तिलकजी ने आम लोगो की ऐकता को मजबूती देने के लिऐ हर गांव शहरो में बड़े पैमाने पर गणेशोत्सव धूम धाम से मानना शुरू कर दिया I वे इन आयोजनों के जरिये आम लोगो में भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन की अलख जगा रहे थे I तिलकजी ने भारत की जनता को ऐक बड़ा ही जोशीला नारा दिया, “ स्वतंत्रता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, मै इसे लेकर ही रहूँगा” I

आम जनता बंगाल विभाजन से आहत होकर अंग्रेजो के विरुद्ध हड़ताल प्रदर्शन करने लगी I

शिव पंडित ने गावो में ग्रामीणों को जाग्रत करने के लिऐ रेलियो व जुलूसो का आयोजन किया I

जलियावाला कांड
रोलट ऐक्ट के तहत अंग्रेजी सरकार ने पंजाब के प्रमुख नेताओ को गिरफ्तार कर लिया I

१३ अगस्त १९१९ को अमृतसर के जलियावाला बाग में जनता के नेताओं द्वारा ऐक बड़ी सभा का आयोजन हुआ I

इस सभा में बहुत बड़ी संख्या में पुरुष, महिला व बच्चे उपस्थित हुऐ I

वे सभी अंग्रेजी सरकार की आम जन विरोधी निरंकुश नीतिओ का शांतिपूर्वक विरोध करने के लिऐ उपस्थित हुऐ थे I

अचानक ऐक अंग्रेज ऑफिसर जनरल डायर ने अपने बंदूक धारी सैनिको के साथ पूरे सभास्थल को चारो और से घेर लिया I उसने बिना किसी चेतावनी दिये वहां उपस्थित निर्दोष लोगों पर गोलीबारी का निर्देश दे दिया I

वहां उपस्थित लोगो में भारी भगदड़ मच गई I लोग बेहताशा चीखते चिल्लाते हुऐ चारो और गोलियो की बौछार से बचने के लिऐ भागने लगे I किन्तु चारो और के मार्ग अवरुद्ध थे I अपने प्राण बचने के लिऐ लोग दीवारों पर चढ़ने लगे I अनेक लोग पेड़ो के पीछे व अन्य जगहों पर छिपने का प्रयास करने लगे किन्तु वे हर जगह गोलियो का शिकार हो रहे थे I कोई अन्य छिपने की जगह न पा वे मैदान के बीच में बने ऐक बड़े कुऐ में दनादन ऐक के ऊपर ऐक कूदने लगे किन्तु म्रत्यु हर जगह वहशी की तरह उनका पीछा कर रही थी I देखते ही देखते पूरा मैदान लाशो व बुरी तरह से घायल रोते बिलखते हाय हाय करते स्त्री,पुरुषो व मासूम बच्चो से भर गया I पूरे मैदान में खून की नदिया बह चली I वह बड़ा वीभत्स द्रश्य था I

पुरे देश में इस भीषण नरसंहार के विरुद्ध गुस्से की लहर फ़ैल गई I

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