क्लीनचिट - 16 Vijay Raval द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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क्लीनचिट - 16

अंक - सोलह/१६

अधिक मात्रा में ब्लड बह रहा था। मल्टी ओर्गेंस की इंज्यूरी होते हुए भी अत्यधिक पीड़ा से पीड़ित स्थिति में भी अदिती ने डॉक्टर को इशारा करके कहने की कोशिश करी कि उसे लिखने के लिए काग़ज़ और पेन दीजिए। फटाफट कागज़ औैर पेन दिए तब दर्द से कराहती अदिती ने मुश्किल से कागज़ पर सिर्फ़ एक शब्द लिखते ही उसके हाथ में से पेन गिरी और अदिती बेहोशी में।

अदिती ने लिखा हुआ शब्द था,

"आलोक"

प्राइमरी ऑब्जर्वेशन करते हुए डॉक्टर के ध्यान में आया कि बांए पैर और दाहिने हाथ में फ्रैक्चर है औैर रीढ़ के साथ साथ सिर के भाग में भी छोटी बड़ी चोटें दिखाई दे रही थी। निरंतर ब्लड औैर ऑक्सीजन की सप्लाय के बीच ४ एक्सपर्ट डॉक्टरों ने वन बाय वन सर्जरी की शुरुआत करी।

तो इस ओर स्थिति की गंभीरता को देखते हुए होटल के ओनर ने स्ट्रिक्टली ऑर्डर दिए कि अदिती के किसी भी रिलेटिव्स का एज़ सून एज कॉन्टैक्ट करो औैर वो जहां कहीं भी हो वहां से किसी भी हालत में हो सके उतने कम समय में हॉस्पिटल तक पहुंचाने औैर सब रिस्पांसिबिलिटी को ध्यान में रखकर युद्ध स्तर पर काम शुरू करने के कड़े निर्देश दिए।

होटल के एम. डी. ने अदिती का मोबाइल लेकर सर्च करके देखा तो कॉल लॉग में सबसे पहला नंबर स्वाति का था इसलिए वाे नंबर डायल किया...

मोबाइल स्क्रीन पर दिल्ली का लैंड लाइन नंबर देखकर आश्चर्य के साथ कॉल रिसीव करते थे बोली, 'हेल्लो।'
'हेल्लो.. मैडम मैं होटल क्राउन पेलेस दिल्ली से मि. राजीव कपूर बोल रहा हूं। मुझे अदिती मजुमदार के बारे में कुछ बात करनी है, क्या मैं जान सकता हूं आप अदिती के कोई रिलेटिव्स है या कोई ओर, आपका नाम जान सकता हूं?'
'जी मैं स्वाति मजुमदार उनकी सिस्टर बोल रही हूं। क्या बात करनी है?'
'आप अभी कहां से बोल रही है?'
'जी, मुंबई से.. पर बात क्या है.. आप येे सब क्यूं पूछ रहे हो?'
'जी मैडम बात कुछ ऐसी है कि अभी आधे घंटे पहले होटल में एक गंभीर हादसा हुआ है उसमें अदिती मैडम को काफ़ी सीरियस इंज्यूरीस हुई है.. औैर...'

अभी बात पूरी हो उससे पहले ही स्वाति चीखते हुए बोली,
'ओह... नो नो नो हेल्लो.. व्हेर इज़ शी नाउ? आई वॉन्ट टु टॉक टु हर प्लीज़। अब वो कैसी है? उनको फ़ोन दो प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़.. ओह.. माय गॉड,'
इतना बोलते ही स्वाति टूट गई।

'प्लीज़ मैडम रिलैक्स.. कंट्रोल योरसेल्फ प्लीज़ मैडम। लिसन केरफुली.. हेल्लो... हेल्लो..'

हिचकियां लेते लेते स्वाति बोली,
'हां.. हां.. बोलिए प्लीज़ अब वो कैसी है, वो पहले बताइए प्लीज़ज़जज़ज़... मुझे उनसे बात करनी है अभी प्लीज़...' स्वाति अपने रोने पर काबू नहीं रख पाई।

'स्वाति जी, मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं, सबसे पहले आप मेरी बात शांति से सुनिए प्लीज़। अपने आपको संभालिए। अभी अदिती मैडम को हॉस्पिटलाइज किया गया है। वाे बेहोश है। उन को काफ़ी सारी गहरी चोटें आई हैं। अपोलो अस्पताल में एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम उनकी ट्रीटमेंट कर रही है। आप चिंता मत कीजिए। हम आपको मुंबई से दिल्ली अपोलो अस्पताल तक पहुंचाने की पूरी तैयारी में है। आप कब तक निकल सकती है येे बताइए। मैं अभी आपकी फ्लाइट टिकट्स कन्फर्म करवाता हूं। देखिए मैं ऐसा करता हूं कि मुंबई-दिल्ली फ्लाइट शेड्यूल की लिस्ट आपको सेंड करता हूं औैर मेरा नंबर भी। आप मुझे जितनी जल्दी हो सके रिप्लाइ दीजिए प्लीज़ मैडम।'

स्वाति ने कॉल कट किया।

स्वाति का दिमाग सुन्न पड़ गया। हाथ पांव ठंडे हो गए। पसीना आने लगा। गला सूख गया। बड़ी मुश्किल से थोड़ी देर बाद स्वस्थ होने की कोशिश करी, बाद में लंबी सांस भरकर इनकमिंग कॉल नंबर डायल करके कहा..
'मि. राजीव कपूर?'
'यस मैडम,'
जो भी फर्स्ट फ्लाइट में कनफर्मेशन मिलता है आप मुझे कॉल कीजिए मैं एयरपोर्ट के लिए रवाना हो रही हूं। नेम स्वाति मजुमदार, एज २२। आपके औैर कोई ऑल्टरनेट कॉन्टैक्ट नंबर है तो वो भी सेंड कर दीजिए औैर अदिती की सिचुएशन की कांस्टेंटली अपडेट देते रहिए।'
इतना बड़ी मुश्किल से बोलने के बाद भी रोना चालू ही था।

'जी, मैडम, आप चिंता कीजिए। हम अपनी तरफ़ से आपकी सहायता करने में कोई कमी नहीं रखेंगे। हम अदिती मैडम को सिर्फ़ हमारे एज़ ए कस्टमर नहीं बल्कि हमारे एक फ़ैमिली मेम्बर जैसी ही सब सुविधा का खयाल रख रहे हैं।'

अनुभवी होटल मैनेजमेंट के इमोशनली टच के साथ परफेक्ट टाइमिंग औैर कलेवर फ़ूल प्लानिंग की मदद से ४ से ५ घंटे मेें स्वाति अपोलो हॉस्पिटल में अदिती पर चल रहे ऑपरेशन थियेटर के बाहर उसके पर अचानक टूट पड़े अप्रत्याशित आफ़त के परछाईं के असर में एकदम सुधबुध खोकर अग्नि परीक्षा के समान एक एक पल की प्रतीक्षा में एक पुतले के समान चुपचाप बैठी रही।
विक्रम मजुमदार के दिल्ली स्थित दो-चार करीबी मित्र भी स्वाति के साथ खड़े पैर उसके साथ खड़े थे।

मुंबई से निकलते ही स्वाति ने मॉम, डैड को लास्ट अपडेट तक की सब डीटेल्स, ऑल कॉन्टैक्ट् नंबर्स भेजने के बाद विक्रम मजुमदार और देवयानी मजुमदार ने फर्स्ट फ्लाइट में बुकिंग कन्फर्म करवा कर रवाना होने का लेटेस्ट अपडेट स्वाति को थोड़ी देर में जानकारी देते हैं, अंत में इतनी बात हुई थी।

अदिती के साथ हुई दुर्घटना की जानकारी मिली उस क्षण से लेकर अभी तक बह रहे अविरत बहते आंसुओं से आंखों में फैली दुःख की लालिमा से उसकी दोनों आंखें लाल होकर अदिती के पीड़ा की गहराई जानने के लिए नीचे धंस गई थी।

एकदम विचार शून्य औैर अचानक आघात की अवस्था में से बाहर आने के पहल करते हुए पापा के मित्र से कुछ पूछने जाए तभी..

स्वाति के सेल की रींग बजी
'हेल्लो.. स्वाति, पापा हीयर।'
'ओओओओ.... पापा.. दीदी.. को बचा लीजिए.... प्लीज़..'

सिर्फ़ इतने शब्द बड़ी मुश्किल से बोलते ही स्वाति का गला भर आया औैर विक्रम के दोस्तों ने सांत्वना दी औैर स्वस्थ होकर बात करने के लिए बोला, स्वाति बोली, 'हां, पापा।'
'लिसन स्वाति, राइट नाउ वी आर इन फ्लाइट। बस थोड़ी ही देर में फ्लाइट टेक ऑफ होगी। नाउ यू बी टोटली कुल एंड ब्रेव। डॉन्ट फॉरगेट धेट आफ्टर ऑल यू आर ए डॉटर ऑफ़ एन आर्मी मैन। डॉन्ट वरी डॉक्टर्स एन्ड मेरे फ्रेंड्स के साथ सब बातें कर ली है। तुम्हारी मम्मी को फोन दे रहा हूं। अपनी मॉम से बात करो।'

रोते हुए हिचकियों के साथ स्वाति बोली, 'ममा.......... अदि....'
खुद पूरी तरह से ठीक है ऐसे टोन में देवयानी बोली,
'बेटे हम सब तुम्हारे साथ है। अदिती को कुछ नहीं होगा। हम कल मिल रहे हैं औैर विक्रम के फ्रेंड्स औैर फैमिली भी वहीं पर ही है। सबकुछ पहले जैसे एकदम नॉर्मल हो जायेगा। प्लीज़ कंट्रोल योरसेल्फ ओ.के.'
इतना बोलकर कॉल कट करते ही देवयानी के आंसुओं का बांध टूट गया।

रात को करीब ८ बजे के बाद डॉक्टर्स द्वारा फर्स्ट स्टेज की सब सर्जरी की संतोषजनक काम पूरा होने के बाद अदिती को ऑपरेशन थियेटर से आई.सी.यु. की ओर शिफ्ट करने के लिए जब बाहर लाए तब बेहोश अदिती के साथ उसके मल्टी ओर्गेंस को लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम के साथ जुड़े हुए करुण दृश्य को देखते ही स्वाति ख़ुद एक दबी हुई चीख के साथ चक्कर आते ही बेहोश होकर गिर पड़ी।

डॉक्टर ने एक्जामिन करने के बाद थोड़ी देर में स्वाति होश में आनेके बाद बड़ी मुश्किल से अपना रोना रोककर पास में खड़ी हुई डॉक्टर्स टीम की हिम्मत करके मुश्किल से इतना पूछ पाई,

'हाऊ शी इज़ नाऊ?'

डॉक्टर ने स्वाति की हालत देखकर कहा कि.. 'डॉन्ट वरी नाऊ शी इज़ आउट ऑफ़ डेंजर। ऑल सर्जरीज़ आर सक्सेसफुल।' डॉक्टर ने सोचा कि अभी से क्रिटिकल सिचुएशन, उसके बाद की ट्रीटमेंट और भविष्य में रखने सब सावधानियों की डीटेल्स में विचार विमर्श स्वाति के पेरेंट्स के करना ठीक लगा।

स्वाति ने पूछा..
'सर, ऑपरेशन से पहले उसने कुछ कहा था? कोई मैसेज?'
स्वाति के सवाल के जवाब में डॉक्टर ने कहा..
'धी लास्ट सम मिनट्स बिफोर ऑफ़ ऑपरेशन अदिती ने इशारा करके कहा कि उसको कुछ लिखना है तो हमने उनको पेन और पेपर दिया, तो उन्होंने सिर्फ़ एक ही शब्द लिखा औैर फ़िर बेहोश हो गई।'
इतना बोलने के बाद डॉक्टर ने अदिती ने लिखा हुआ अंतिम अक्षर लिखा खून के दाग़ वाला काग़ज़ दिखाया, जिसमें अदिती ने लिखा था..

"आलोक"

"आलोक" बस इतना पढ़ते ही स्वाति की सिचुएशन आऊट ऑफ कंट्रोल हो गई। उसे लग रहा था कि उसका दिल धड़कना बंध कर देगा या दिमाग की नसें फट जायेगी।
स्वाति ने ने गहराई में जाकर सोचा कि, खून से लथपथ औैर इतनी असह्य तन की पीड़ा को नकारकर अंदर के मन औैर मस्तिष्क को सिर्फ़ आलोक ही याद रहा? उस पल की मनःस्थिति की तेज़ पीड़ा का चरम कौनसे शब्दों में मूल्यांकन करना? न पापा, न मम्मी, या न तो मैं, मौत के सामने की लड़ाई म के अंतिम पलों में भी अदिती को सिर्फ़ आलोक ही याद आया?

स्वाति ने अपनी समझ औैर अनुभव के आधार पर जहां तक विचारशक्ति की मर्यादा हो तब तक मनोमंथन करने के बाद भी आलोक का व्यक्तित्व अदिती के पूरे अस्तित्व पर किस हद तक हावी होगा उसका अंदाज़ा लगाने में असफल रही। अब स्वाति के रोने मेें रुकावट मुमकिन नहीं था।

कल रात को डिनर लेते लेते अदिती के साथ जो कन्वर्सेशन हुआ था उसका शब्दशः शब्दचित्र स्वाति के नज़रों के सामने उभरकर आने के बाद बस निरंतर सोचती ही रही कि ऐसा तो क्या हुआ होगा कि अदिती अपनी कितनी अनुभूति, पागलपन, उत्साह बहुतायत भ्रम की परिस्थिति के आवेगों को अपने होठों तक लाते हुए अटक गई औैर तब उस बातों के साथ क्या क्या निगल लिया होगा?

कौन होगा येे आलोक? कहां होगा? कहां ढूंढू? किसे पूछूं? ऐसे मानसिक परिस्थिति में विचारों का द्वंद युद्ध कब तक स्वाति के मस्तिष्क में निरंतर चलता रहा।

स्वाति ने अदिती के मोबाइल में से सभी कॉन्टैक्ट्स, कॉल लॉग, मैसेजेस, गैलरी औैर मेल्स तक सबकुछ दो से तीन बार सर्च करके खंगाल दिया लेकिन आलोक नाम की कोई संज्ञा या अनुसंधान कुछ भी नहीं मिला।

नेक्स्ट डे इवनिंग टाईम तक विक्रम औैर देवयानी दोनों हॉस्पिटल् आ पहुंचे। अभी तक अपने स्वाभाविक मनोबल से फिजिकली औैर मेंटली दृढ़ रहे हुए विक्रम भी आईसीयू में मल्टी लाइफ सपोर्टर्स सिस्टम के साथ जुड़ी हुई अदिती की दयनीय पोजिशन देखकर टूट गए। देवयानी औैर स्वाति एक दूसरे गले लगकर बहुत रोए।

विक्रम के गले लगकर फूट फूट कर रोते हुए स्वाति बोली,
'पापा....... मेरी अदि, मेरी अदि को बचा लीजिए पापा। पापा हम अदि को वर्ल्ड के बेस्ट हाॅस्पिटल में करते हैं। कुछ भी कीजिए पापा मुझे मुझे मेरी अदि....'

विक्रम औैर देवयानी दोनों ने स्वाति की असहनीय मानसिक अशांति को शांत करने के लिए थोड़ी देर उसे रोने दिया बाद में उसके सिर पर हाथ फेरते हुए विक्रम बोले,
'बेटा, जाे कुछ भी हुआ है, समझो औैर स्वीकार कर लो कि येे निमित्त मात्र था। औैर रही बात अदिती की तो तुम दोनों के बीच, एक दूसरे के प्रति जो मानव सहज सब अनुभूति का जाे सर्वोत्तम संयुक्त समीकरण की ईश्वर ने जाे रचना की है, उसे देखकर मैं अपने पूरे आत्मविश्वास से इतना ज़रूर कहूंगा कि अदिती को कुछ भी नहीं होगा। क्योंकि तुम्हारे जिस्म अलग है लेकिन जान तो एक ही है। तुम को एक ऐसे वृत्त के स्वरूप में रचना करके जोड़ा है कि उस वृत्त की रचना का प्रथम औैर अंतिम दोनों के केन्द्रबिंदु के बारे में सिर्फ़ तुम दोनों को औैर ईश्वर को ही पता है। औैर अदिती जितनी शारीरिक पीड़ा सहन कर रही है उससे भी कुछ अधिक मात्रा में तुम मनसिक पीड़ा का सामना तुम कर रही हो। तुम दोनों के एक दूसरे के सुख को मल्टिप्लाय औैर दुःख को डिवाइड करने की गणित की विद्या के सामने ऊपरवाले की गिनती गलत ही साबित होगी, धेट आई एम स्योर।'
इतना बोलते हुए विक्रम का स्वर भारी हो गया औैर गला भी भर आया।
उसके बाद
आई. सी. यू. के हेड इंचार्ज द्वारा कंसल्टिंग डॉक्टर को मिलने के विक्रम ने समय मांगा तो उन्हें रात के ८ बजे मीटिंग का समय दिया।

अदिती की सर्जरी के दौरान ४ एक्सपर्ट डॉक्टर की टीम में से सबसे मोस्ट सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अनिल अग्रवाल के सामने उनकी चेंबर में विक्रम, देवयानी औैर स्वाति के साथ विक्रम के दो करीबी दोस्त भी बैठे थे।

अनिल अग्रवाल ने अपने परिचय के साथ बातचीत का दौर शुरू करने से पहले विक्रम को बोला कि...
'सी मि. विक्रम लेफ्ट लेग एण्ड राइट हैंड में फैक्चर था वो हमने सर्जरी से सक्सेसफुली कवर कर लिया है। सम इंज्यूरीस अलसो इन स्पाइनल कॉर्ड। वो भी फर्धर ट्रीटमेंट के दौरान ऑलमोस्ट ठीक हो जाएगा। बट मोस्ट..'
इतना बोलकर डॉक्टर ने विक्रम के सामने संकेत करके इशारा किया कि उनकी वाइफ औैर डॉटर की प्रेजेंस में आगे की सीरियस मैटर का खुलासा करना है या नहीं। विक्रम समझ गए इसलिए बोले,
'डॉन्ट वरी, कांटीन्यू..'
इसलिए थोड़ा रुककर डॉक्टर बोले कि...
'सम लिटिल बट नॉट सीरियस माइक्रो इंज्यूरीस इन हेड। धेन आफ्टर आई थिंक मे बी पॉसिबल सम क्रिटिकल सिचुएशन अबाउट माइंड एण्ड मेमोरी इश्यू मे बी क्रिएट इन फ्यूचर।
औैर सब से बड़ी बात वाे इस वक़्त कोमा में है। जब तक वाे फुल्ली कॉन्शियस पोजिशन में नहीं आ जाती तब तक हमारे लिए कुछ भी प्रिडिक्शन करना इंपॉसिबल होगा।
वी ऑल डू अवर बेस्ट।'

इतना सुनते ही स्वाति औैर देवयानी सुन्न हो गए। विक्रम ने स्वस्थता से डॉक्टर को पूछा,
'टेल मी फर्स्ट एट प्रेजेंट नाउ ऑन घिस मोमेंट इक्सेक्टली व्हाट्स धी सिचुएशन? हम अदिती को मुंबई कितने दिनों के बाद शिफ्ट कर सकते है?'

रिप्लाइ देते हुए डाक्टर ने कहा कि..
'देखिए सर, हेड में जो इंज्यूरीस है उसको छोड़ के बाकी जो सब इश्यूज है उसमे मैक्सिमम दो या तीन महीने में कॉम्प्लीटली १००% रिकवरी हाे जायेगी। बट फुल्ली कॉन्शियस आने के बारे में तो वो जब कुछ बोल पायेगी या कुछ रिएक्ट कर पायेगी तब हम कुछ कह सकते हैं। अगर शायद कोई मिरेकल हुआ तो एक हफ्ते में भी हाे सकता है। बट ओवरऑल नाउ सिचुएशन इस वैट एण्ड वॉच। आप अदिती को आफ्टर मिनिमम एट टु टेन डेज में मुंबई शिफ्ट कर सकते हैं।'

२० से २५ मिनट्स की फर्धर ट्रीटमेंट के बारे में डिस्कसन के बाद सब चेंबर के बाहर आए।

थोड़ी देर के बाद अदिती ने बेहोश होने से पहले सिर्फ़ एक शब्द "आलोक" लिखा हुआ काग़ज़ मम्मी, पापा को अधीरता के साथ दिखाते हुए स्वाति ने पूछा,.
'पापा, आलोक नाम के किसी व्यक्ति के बारे में अदिती ने आपको कभी कुछ बताया था?'

'ना, बेटा किसी आलोक नाम के कोई व्यक्ति के बारे में कुछ डिस्कस नहीं हुआ।'
'लेकिन पापा, मम्मी मुझे तोयही नहीं समझ आ रहा कि जब अदिती को अन इमेजिन पेन होता हाे औैर पीड़ा की अवमानना करके उस पल उसे हम मे से कोई औैर सिर्फ़ वो आलोक नाम के व्यक्ति को ही क्यूं याद करती है? ऐसे तो कैसे आलोक नाम के उस व्यक्ति के साथ इतनी हद तक जुडी हुई होगी कि उसने अपने आभासी अंत के एक पल की ओर ध्यान दिए बिना ही अदिती ने खुद मुश्किल से आ रही सांसों के बीच भी आलोक की परवा करी?'

'आलोक' सिर्फ़ इस एक वर्ड का इतना वज़न है कि अदिती ने अपनी पीड़ा को भी मात दे दी। मेरा अनुमान ऐसा है कि आलोक जाे कोई भी है लेकिन, अदिती के लिए संजीवनी साबित होगा।'इतना विक्रम बोले।

उसके बाद स्वाति ने उस रात डिनर टेबल पर अदिती के साथ जो कन्वर्सेशन हुआ था वाे डीटेल्स में मॉम, डैड को कहकर सुनाने के बाद तीनों ने भूत, वर्तमान औैर भविष्यकाल के सभी पहलुओं पर बारीकी से चर्चा करने के बाद सब से पहले अदिती की आगे की लेटेस्ट ट्रीटमेंट औैर आलोक का कोई निशान पाने के लिए कोई ठोस आधार की जानकारी के बारे में सोचने का विचार किया।

चौथे दिन के दोपहर के १२:४५ बजे के आसपास स्वाति औैर देवयानी अदिती के बेड के पास बैठे थे। देवयानी समय बीतने के लिए कोई मैगज़ीन के पन्ने पलट रही थी औैर स्वाति भविष्य में आनेवाले दिनों की कल्पना में खोई हुई थी तभी... अदिती के कुछ संचार होने के आसार दिखते ही स्वाति बोली,

'अदि.. अदि.. प्लीज़ ओपन यॉर आईज.. अदि अदि..'
देवयानी ने अदिती की हथेली अपनी दोनों हथेलियों लेकर धीरे से लाड़ करने लगी। कितनी देर तक दोनों अदिती के एकदम बेजान औैर शुष्क औैर मासूम चेहरे की ओर निःसहाय औैर लाचारी से देखकर आंसु बहाते रहे।

करीब एक घंटे बाद अचानक ही स्वाति की नज़र अदिती के चेहरे की ओर गई तो उसके मुंह में से एक तीखी चीख निकल गई तो देवयानी ने भी घबरा गए औैर अदिती के चेहरे की ओर देखा तो.. अदिती की आंखें खुली हुई थी। दोनों की आंखें खुशी के आंसुओं से छलक गई।

'अदि.. अदि.. बोल अदि.. ए अदि।'
लेकिन अदिती की नज़र छत पर ही स्थिर होकर चिपकी हुई थी। बहते हुए आंसुओं के साथ स्वाति ने अदिती के दोनों गालों को अपनी हथेली में लेकर उसके चेहरे को अपने चेहरे के सामने लाने का प्रयत्न करते हुए बोली,
'अदि कैसी हो तुम? क्या हो रहा है तुम्हें? येे देखो मम्मी भी यहां है तुम्हारे पास येे देखो। पापा भी अही पर ही है अभी आते ही होंगे।'

एकदम भीगे हुए आवाज़ में देवयानी सिर्फ़ इतना ही बोल पाई, 'बेटा..'

स्वाति ने तुरंत ही विक्रम को कॉल बताया तो तुरंत ही हॉस्पिटल आ पहुंचे औैर उसके साथ साथ डॉक्टर अनिल अग्रवाल भी अपनी टीम के साथ आकर अदिती को एग्जामिन करने के बाद बोले, 'इट्स मिरेकल, इतनी गहरी चोट के बावजूद भी सिर्फ़ चार दिनों में इतना इम्प्रूवमेंट नामुमकिन है। आई कांट बिलीव धीस। पर मेरे लिए अभी औैर कुछ ज़्यादा प्रेडिक्ट करना थोड़ा मुश्किल है। अगर ये मिरेकल कंटिन्यू रहा तो मेरे मेडिकल साइंस के एक्सपीरियंस के मुताबिक शायद एक या दो दिन में १०% मोर इम्प्रूवमेंट के चांसेस है। अदिती नाउ ओन्ली केन सी। शी कांट रिएक्ट बाय फिजिकली एण्ड मेंटली। लेट्स सी।'

निरंतर अदिती की ओर देखते हुए स्वाति बस आंसु बहाती रही और ऐसी ही स्थिति के साथ साथ दिन भी निकलते रहे औैर आज उस भयानक दुर्घटना के ७ दिन पूरे होकर ८ वे दिन की रेगुलर विजि़ट के राउंड में डॉक्टर अग्रवाल ने विक्रम, देवयानी औैर स्वाति की मौजूदगी में अदिती के साथ कम्यूनेट करने का ट्राय काटते हुए कहा,.
'हेल्लो अदिती, गुड मॉर्निंग, हाऊ आर यू नाउ? फीलिंग बैटर?'

सबकी नजरें बैचेनी से अदिती के चेहरे पर स्थिर हो गई जैसे कि अभी कोई रिएक्शन का इंडीकेशन आयेगा ऐसी अधीरता से भरी लालसा से कि कोई दैवी चमत्कार होने के पल के इन्तज़ार में सभी स्टैच्यू बन गए।

अदिती की नजरें सामने की दीवार पर एकदम स स्थिर थी। थोड़ी देर तक अदिती की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो डॉक्टर ने अदिती से पूछा,.
'हेल्लो अदिती येे देखो पापा तुम्हें मिलने आए है।'
तब अदिती ने डॉक्टर की बाई ओर खड़े हुए विक्रम के सामने देखते ही... सब की आंखें हर्षोल्लास के आंसुओं से भीग गई। स्वाति ने अपने दोनों हाथ अपने गाल पर रखकर चुपचाप रोने लगी।

औैर आपकी मम्मी भी है इस तरफ़ देखो। डॉक्टर के ऐसा बोलते ही वहां एकदम सबके पीछे खड़ी हुई देवयानी की तरफ़ नज़र घुमाई।

'औैर बताओ स्वाति किधर है?'
ऐसा पूछा तो बेड की दाईं ओर के कोने में खड़ी स्वाति की ओर देखते ही स्वाति ने बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किए हुए अपने इमोशन्स से टूट रहे रोने के बांध को रोकने के लिए दोनों हथेलियों से अपने मुंह को दबाने का असफल प्रयास किया तो विक्रम और देवयानी वो दोनों सांत्वना देने के लिए स्वाति के गले लग गए। सशक्त मनोबल वाले विक्रम भी कुछ पलों के लिए अस्वस्थ हो गए।

'सी मि. विक्रम ओन्ली वन वीक के शॉर्ट पीरियड में इतना बड़ा इम्प्रूवमेंट किसी चमत्कार से कम नहीं है। लाखों या करोड़ों केसेस में कोई एक ऐसी घटना घटती है।
मुझे लगता है अदिती के किस्से में दवा से ज़्यादा दुआ काम कर गई। अब हम ५०% सक्सेस हाे गए हैं ऐसा समझ लीजिए। नाउ वी केन स्टार्ट लेटेस्ट फिजियोथेरेपी ट्रीटमेंट एण्ड इट्स मोस्ट इम्पोर्टेंट।'

धन्यवाद के साथ विक्रम बोले, 'येे सब आपकी काबिलियत औैर कुशल अनुभव का नतीजा है मि. अग्रवाल। आई एम वेरी मच थेंकफूल टु यू एण्ड यॉर एंटायर टीम एण्ड होमली एटमॉस्फियर बाय अपोलो हॉस्पिटल मैनेजमेंट स्टाफ। डॉक्टर आई थिंक कल या परसों हम अदिती को मुंबई शिफ्ट कर सकते हैं।'
'ओ श्योर.. व्हेन यू आस्क। ऑल अरेंजमेंट विल बी अरेंज बाय होटल मैनेजमेंट। 'वन्स अगेन थैंक यू डॉक्टर।'

नौ दिनो के बाद अदिती को मुंबई की न्यूरोलॉजिस्ट ट्रीटमेंट के लिए प्रसिद्ध औैर आधुनिक हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया।

आगे अगले अंक में....


© विजय रावल

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