मैं इतिहास बोल रहा हुॅ Alok Mishra द्वारा हास्य कथाएं में हिंदी पीडीएफ

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मैं इतिहास बोल रहा हुॅ

मैं इतिहास बोल रहा हुॅ


मैं इतिहास बोल रहा हुॅ । मै वो इतिहास हुँ जो शायद आप का हो सकता है,किसी जीवित या अजीवित वस्तु का हो सकता है या किसी जमीन के टुकड़े का हो सकता है । मैं वो हुॅ जो हमेशा जीवित रहता है और हमेशा ही बनता रहता है । आप हमेशा ही एक लकीर पर जीते है यह लकीर भविष्य की ओर सरकती रहती है जिससे मेरा विस्तार लगातार ही होता रहता है । वर्तमान केवल वह पल है जिसे आप अभी जी रहे है । इस पल के बाद वो आपका इतिहास होता है । आप मुझे संजोए या न संजोए परन्तु मैं आपके साथ होता हुॅ , हमेशा आप के साए की तरह । मैं आपके व्यक्तिगत इतिहास की बात कर रहा हुॅ । आप जब अपने संजोए गए इतिहास का खंगालेंगे तो उसमें सब खुशनुमा तस्वीरें ही हो सकती है परन्तु न संजोए गए इतिहास के रूप में मैं आपकी बुरी और दुखद यादों के रूप में कहीं न कहीं आपके साथ अवश्य हर रहुॅगा । आप चाहे या न चाहे मैं तो आपका साथ कभी छोड़ने वाला नहीं हुॅ ।


मैं व्यक्तियों से ऊपर उठ कर समाज ,देश और सभ्यताओं का भी होता हुॅ । किसी देश , समाज या सभ्यता में घटी हुई घटनाओं और उनके उन्नति या पतन की कहानी आप मेरी ही जुबानी सुनते है । अतीत में कैसे लोग थे ,कैसी परम्पराऐं और कैसे राजा यही बताने के लिए मैं हमेंशा ही मौजूद होता हुॅ । अब यहाॅ प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या मैं हमेंशा सही होता हुॅ ? मुझे लगता है यदि मुझे कोई चारण या भाट लिखे तो आपको उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए । यदि आप मुझे सही तरह से जानना चाहते है तो मेंरे उन प्रेमियों को पढ़े जो तठस्थ है । मेरे लिए प्रमाणिकता का बहुत महत्वपूर्ण है परन्तु कभी कभी मैं जनश्रुति के रूप में भी जीवित रहता हुॅ । भले ही इन जनश्रुतियों को अनेंक लोग इतिहास न माने लेकिन कहीं न कहीं वे होती तो है अप्रमाणिक इतिहास ही ।


अब एक प्रश्न और आ खड़ा होता है कि यदि आपको आपका इतिहास पसंद न हो तो क्या करें ? आप अपने भविष्य को वर्तमान के कर्मोंं द्वारा बदल सकते है । क्या वैसे ही आप मुझे भी बदल सकते है ? याने देखा जाए तो आप मुझे और भविष्य दोनों को ही बदल नहीं सकते बल्कि बना सकते है, अपने वर्तमान के कर्म से । फिर उसका क्या जिसके लिए आपने कोई कर्म किया ही नहीं और वो इतिहास हो गया । अब आप कुछ भी कर लें मैं नहीं बदलने वाला । हो सकता है कि कुछ लोग सोचें कि इतिहास की पुस्तकों में ही कुछ बदलाव कर देते है इससे इतिहास बदल जाएगा । ऐसे लोग भूल रहे है कि वे स्वयम् भी इस कर्म के कारण ही इतिहास में दर्ज हो जाऐंगे और आने वाली पीढियों को उनके किस्से भी मैं ही सुनाऊगा । वे सोच सकते कि इतिहास के प्रमाणिक दस्तावेजों ,इमारतों और सबूतों से छेड़ - छाड़ करके वे इतिहास बदल सकते है । उनका सोचना भी गलत है । उनकी सारी करस्तानियों के किस्से भी मेंरे पास दर्ज हो रहे है ।


अब कुछ ऐसे लोग भी है जो आज किसी खास आग्रह के कारण मुझे बदलनें की सनक लिए घूम रहे है । वे सैकड़ों और हजारों साल के इतिहास को बदलना चाहते है जिसका वे हिस्सा न थे । जब वो सब घट रहा था तब न वो वहाॅ थे और न हम , फिर उसके अच्छा या बुरा होने से उन्हें या हमें क्यों फर्क पड़ना चाहिए । ये ऐसे लोग है जिन्हें मेंरी कोई समझ नहीं है ।उन्हें ऐसा लगता है कि मुझ में छुपे तत्थयों को वे अपने लाभ के लिए प्रयोग कर सकते है । उन्हें न आपसे मतलब है और न मुझ से ; उन्हें तो केवल और केवल अपने लाभ से मतलब है ।


मै इतिहास बोल रहा हुॅ ; आपको सावधान करना चाहता हुॅ कि यदि आप इतिहास बदलना चाहते है तो आप भी जल्दी ही इतिहास हो जाने वाले है ।


आलोक मिश्रा