पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 7 Abhilekh Dwivedi द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

पृथ्वी के केंद्र तक का सफर - 7

चैप्टर 7

बातें और खोज।

जब मैं लौटकर आया तो रात का भोजन तैयार था। मौसाजी बड़े चाव से उसका मज़ा ले रहे थे। जहाज के खान-पान ने वैसे भी उनकी अंतड़ियों को खाड़ी बना दिया था। अभी का भोजन डैनिश था जो कुछ खास नहीं था लेकिन उनकी खातिरदारी ने खाने का मज़ा दोगुना कर दिया था।
विज्ञान से सम्बंधित कुछ बातें हुईं और एम०फ्रिड्रिक्सन ने मौसाजी से पुस्तकालय के बारे में राय जानना चाहा।
"पुस्तकालय?" मौसाजी ने तेज़ आवाज़ में कहा, "मुझे तो ऐसा लगा जैसे भिखारी के घर में बेवजह के संस्करणों को संग्रह किया गया है।"
"क्या?" एम०फ्रिड्रिक्सन भी चीख उठे, "हमारे पास बहुमूल्य काम से जुड़े बेशकीमती आठ हजार संस्करण हैं; कुछ स्कॅन्डिनेवियन भाषाओं में और इनके अलावा कुछ कोपेनहेगन से नए प्रकाशित हुए।"
"आठ हजार संस्करण! कहाँ रखे थे?" मौसाजी ने पूछा।
"पूरे देश में है प्रोफ़ेसर हार्डविग। हम भले आइसलैंड में हैं लेकिन हम सब पढ़े-लिखे हैं। यहाँ हर किसान, मजदूर, मछुआरा पढ़ और लिख सकते हैं और हमारा मानना है कि किताबों को संदूक में बंद करने के बजाय, जहाँ तक सम्भव हो उसे बाँटें। इसलिए शायद हमारे यहाँ किताबें पुस्तकालय लौटने के बजाय, हाथोंहाथ अपना सफर पूरा करती हैं।
"तो जब विदेशी आते हैं, उनको दिखाने के लिए कुछ नहीं होता?"
"उनका खुद का पुस्तकालय होता है और हमारी कोशिश ये है कि हमारा कमज़ोर तबका भली-भाँति शिक्षित हो। खैरियत से, यहाँ के लोगों को पढ़ने में रुचि भी है। हमने 1816 में साहित्यिक और यांत्रिक संस्थान की स्थापना की, जिसके सदस्य कई बड़े विद्वान हैं। हम लोगों को शिक्षित करने के लिए किताबें प्रकाशित करते हैं और वही किताबें हम सभी के लिए उपयोगी होती हैं। आपकी आज्ञा हो तो क्या मैं आपका भी नाम उन विद्वान सदस्यों में शामिल करना सकता हूँ?"
मौसाजी पहले से ही यूरोप के कई ऐसे संस्थानों के सदस्य थे, उन्होंने एम०फ्रिड्रिक्सन की प्रार्थना का स्वागत और स्वीकार किया।
"और अब," उन्होंने आभार प्रकट करते हुए कहा, "अगर आप मुझे बताएँ कि कौन सी किताब आपको चाहिए, तो मैं शायद आपकी मदद कर सकूँ।"
मैं मौसाजी को ध्यान से देख रहा था। कुछ एक-दो मिनट के लिए वो संकोच में थे, शायद कहना नहीं चाह रहे थे; क्योंकि राज़ खुलने का डर था। लेकिन कुछ सोचने के बाद उन्होंने निश्चय कर लिया।
"एम०फ्रिड्रिक्सन," उन्होंने बेपरवाह और निश्चिंत लहजे में कहा, "इन सभी बेशकीमती चीज़ों में अगर आर्न सैकन्युज़ेम्म के कुछ हों, तो वो लेना चाहूँगा।"
"आर्न सैकन्युज़ेम्म!" रिकिविक के प्रोफ़ेसर ने कहा, "आपने 16वीं शताब्दी के सबसे विलक्षण विद्वान का ज़िक्र किया है जो महान प्रकृतिवादी, रसायनविद और यायावर थे।"
"जी, वही।"
"आइसलैंड के सबसे प्रतिभाशाली जो यहाँ के विज्ञान और साहित्य से जुड़े थे।"
"आपने सही कहा।"
"जिनका कोई सानी नहीं।"
"जी, आप सही कह रहे हैं, लेकिन उनसे जुड़े दस्तावेज कहाँ हैं?"
"वो हमारे पास नहीं है।"
"आइसलैंड में भी नहीं?"
"आइसलैंड ही नहीं, कहीं भी नहीं है।" फ्रिड्रिक्सन ने उदास होते हुए कहा।
"ऐसा क्यों?"
"विरोध करने की वजह से आर्न सैकन्युज़ेम्म को कैद कर लिए गया था और 1573 में जल्लाद द्वारा उनसे जुड़ी चीज़ों को नष्ट कर दिया गया था।"
"अच्छा, उम्रकैद!" मौसाजी ने बुदबुदाते हुए कहा।
"आपने सही कहा।"
"हाँ, अब सारी कड़ियाँ जुड़ गयीं; अब सब समझ में आ गया कि क्यों आर्न सैकन्युज़ेम्म को अपने बेहतरीन काम को रहस्यमयी लिपि में छुपाना पड़ा, एक राज़ की तरह।"
"कौन सा राज़?"
"एक राज़, जो," मौसाजी सकपकाने लगे।
"आपने क्या कोई बहुमूल्य पाण्डुलिपि खोजा है?"
"नहीं-नहीं, मैं बस अपने खयालों में बहक गया था।"
"कोई बात नहीं। अन्य विषयों में मुझे लगता है आप यहाँ के खनिज संपदा को बिना परखे इस द्वीप को नहीं छोड़ेंगे।"
"बात तो सही है लेकिन मेरे पास समय कम है। वैसे भी मुझसे पहले काफी विद्वानों यहाँ आए होंगे।"
"जी बिल्कुल, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है।" एम०फ्रिड्रिक्सन ने कहा।
"आपको ऐसा लगता है?" मौसाजी ने अपनी आँखों में संतोष को छुपाते हुए सवाल किया था।
"जी हाँ, आपको पता नहीं अभी यहाँ कितने अनजान पहाड़, हिमनदी, ज्वालामुखी हैं जिन्हें अभी जानना बाकी है। मैं यहीं से आपको दिखता हूँ, उस क्षितिज पर योण्डेर की पट्टी पर, स्नेफल्स दिखेगा।"
"अरे हाँ, स्नेफल्स!" मौसाजी ने जवाब दिया।
"सबसे ज़्यादा जिज्ञासा पैदा करने वाला ज्वालामुखी, जिसके खोह को शायद ही किसी ने देखा हो।"
"मृत है?"
"500 सालों से भी ज़्यादा पहले से मृत है।" उनका तुरंत जवाब आया।
"वैसे," उन्होंने अपनी खुशियों को दबाते हुए कहा, "मुझे बहुत मन है कि भूविज्ञान रहस्यों से जुड़ी बातों में मैं इस सेफल-फेसेल पहाड़, क्या नाम बताया आपने इसका अभी?"
"स्नेफल्स, महाशय!"
ये सारी बातें लैटिन भाषा में हो रही थी इसलिए मुझे कुछ भी समझने में ज़रा भी परेशानी नहीं हुई। मुझे तो विश्वास नहीं हुआ जिस चतुराई से मौसाजी ने अपनी सारी योजनाओं और खुशियों को छुपाए रखा। मैं ज़रूर कहूँगा कि उनकी इस बनावटीपन से मुझे उनमें एक धूर्त राक्षस ज़रूर दिख रहा था।
"हाँ, वही।" उन्होंने कहना जारी रखा, "आपका सुझाव मुझे पसंद आया है। मैं स्नेफल्स तक पहुँचने के साथ अगर सम्भव हुआ तो उसके खोह में भी उतरने की कोशिश करूँगा।"
"मुझे अफसोस होगा।" एम० फ्रिड्रिक्सन ने कहा, "मेरा काम मुझे आपके साथ आने नहीं दे शायद, हालाँकि ये मेरा सौभाग्य होता अगर मैं आपके साथ इसमें समय बिताता।"
"नहीं-नहीं, कोई बात नहीं है।" मौसाजी ने कहा, "मैं किसी को परेशान नहीं कर सकता। वैसे मैं शुक्रगुज़ार हूँ आपका। आप खुद इतने बड़े विद्वान हैं, आपकी मौजूदगी मुझे निस्संदेह बहुत काम आती, लेकिन इन सबसे पहले ज़रूरी है आपका काम।"
अपनी अंदर की मासूमियत में हमारे मेजबान इस कथन की विडम्बना नहीं समझ सके।
"आपके इस योजना के लिए मेरी तरफ से हर स्वीकृति है।" उस आइसलैंडर ने अपना कहना जारी रखा, "शुरुआत आप ज्वालामुखियों को जानने से करें। फिर आपको कई जानकारियाँ मिलेंगी। लेकिन आप स्नेफल्स जाएँगे कैसे?"
"समुद्र के रास्ते, खाड़ी को पार कर। सिर्फ उसी दिशा से हम तुरंत पहुँच सकते हैं।"
"जी, बिल्कुल। लेकिन वो होगा नहीं।"
"क्यों?"
क्योंकि उसके लिए रिकिविक में अभी कोई जहाज नहीं है।"
"फिर क्या करें?"
आप तट से लगी सड़क से जाइये। लम्बी है लेकिन दिलचस्प भी ज़्यादा है।"
"तब तो मुझे सहायक चाहिए।"
"मिल जाएगा; मेरा अपना आदमी है।"
"जिसपर मैं बेफिक्र होकर भरोसा कर सकूँ।"
"हाँ, जहाँ स्नेफल्स स्थित है वहीं का वो निवासी है। चतुर और वाजिब आदमी जिसके साथ आपको भी मज़ा आएगा। वो डैनिश भाषा में भी निपुण है।"
"मैं कब उससे मिल सकता हूँ? आज?"
"नहीं, कल से पहले वो यहाँ नहीं मिलेगा।"
"कल पक्का करते हैं।" मौसाजी ने कहकर एक लम्बी सांस ली।
दोनों ने एक दूसरे को आभार प्रकट किया और बातें खत्म हुई। रात के भोजन तक मौसाजी ने आर्न सैकन्युज़ेम्म का इतिहास, उसके पत्रों से जुड़े रहस्य, सब जान चुके थे। उनको समझ आ गया था कि उनका मेजबान उनकी रोमांचक यात्रा में साथ नहीं होगा और दिशानिर्देश के लिए सलाहकार रहेगा।