Saint's guidance books and stories free download online pdf in Hindi

संत का मार्गदर्शन

आत्मकथ्य

नवनिर्माण

जीवन में मंथन से

अनवरत् सृजन

सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मान-सम्मान

प्राप्त करने हेतु

मानव कर रहा है सतत् प्रयत्न

जीवन में धर्म से कर्म

बनाता है कर्मवीर

मोह-माया, दुख और सुख हैं

हमारी छाया,

जीवन रहे व्यस्त

निरन्तर रहे सृजनशील

और रहे प्रयासरत्

धैर्य सहित आत्म-मंथन में

ऋतुओं का आगमन और निर्गमन

होता ही रहेगा

और मानव जीवन की दिशा

प्राप्त करता ही रहेगा।

जीवन का आधार

मेहनत, ईमानदारी, लगन,

तप, त्याग और तपस्या,

सत्य, अहिंसा, सदाचार,

सहृदयता और परोपकार

इनका नही है कोई विकल्प।

ये सभी हैं हृदय में

स्पंदन के प्रणेता।

इनके होने से ही

मन कहलाता है मंदिर।

सत्य की होती है पूजा

पाप और पुण्य का निर्णय

जीवन में सही लक्ष्य और

सही राह चुनने की

अपेक्षा व प्रतीक्षा हो

ऐसा लो मन में संकल्प।

मनसा-वाचा-कर्मणा

जीवन का एक रूप बनेगा।

जीवन में सफलता का आधार

और इनके चिंतन-मनन व प्रेरणा से

होता है जीवन का समग्र विस्तार।

उपरोक्त स्वरचित कविताएँ मेरे जीवन का आधार हैं और इनकी भावनाएँ मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। मानव अपने जीवन की पहली श्वांस से मृत्यु की अंतिम श्वांस तक संघर्षरत् रहकर अपनी कल्पनाओं को हकीकत में परिवर्तित करने हेतू प्रयासरत् रहता है। मैंनें कभी खुशी कभी ग़म के बीच जीवन के चौसठ बसंत बिताकर अभी तक के जीवन में जो कुछ देखा सुना और समझा उन्हें प्रेरणादायक घटनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। यह रोचक होने के साथ-साथ प्रेरणास्पद भी रहे, ऐसा मेरा प्रयास है। --- राजेश माहेश्वरी

संत का मार्गदर्शन

एक ग्रामीण इलाका जो कि शहरी विकास से बहुत दूर था, प्रतिवर्ष गर्मी के दिनों में सूखे से प्रभावित होता रहता था जिससे वहाँ के निवासी तो कष्टप्रद जीवन तो जीते ही थे इसके साथ ही साथ उन्हें पशुधन की भी हानि उठानी पडती थी। एक दिन एक संत वहाँ पर आये और उन्हें जब इस कठिनाई का पता हुआ तो उन्होने इसे दूर करने का बीडा उठा लिया। उन्हें वहाँ के निवासियो से पता हुआ कि उपर पहाडी पर एक बरसाती झरना है जो कि बरसात के दिनों लबालब बहता रहता है। उस पानी का कोई उपयोग नही हो पाता है और वह व्यर्थ ही बह जाता है। यह सुनकर संत जी ने गांव वालों के सहयोग से एक तालाब को खुदवाया और उसमें ऐसी व्यवस्था कर दी कि बरसात में उसे झरने से बहने वाला जल सीधे तालाब में आकर इकट्ठा होने लगा इसके साथ साथ उन्होने बरसात के पानी से भूमिगत जल स्तर बढाने के लिए गांव में कुए खुदवाये एवं आसपास फलदार वृक्ष लगवाकर एवं पौधारोपण को बढावा दिया। स्वामी जी के इन प्रयासों से अगली बरसात में तालाब पानी से लबालब भर गया एवं पौधारोपण के कारण भूमिगत जल का स्तर जो लगातार नीचे जा रहा था वह भी बढने लगा। बारिश की वजह से कुए भी पानी से भर गये। इस प्रकार उनके एवं गांववालो के संयुक्त प्रयास से बरसाती जल को इकट्ठा करने के कारण सूखे की समस्या का हमेशा के लिये निदान हो गया। वहाँ पर वृहद पौधारोपण के कारण हरियाली भी बढ गयी। इस प्रकार एक महात्मा के निस्वार्थ सेवा एवं मार्गदर्शन के कारण उस गांव को आदर्श ग्राम के रूप में शासन ने चुन लिया और अब उसी आधार पर अन्य सूखा प्रभावित गांवों में भी विकास कार्य प्रारंभ हो गये।

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