Lahrata Chand - 29 books and stories free download online pdf in Hindi

लहराता चाँद - 29

लहराता चाँद

लता तेजेश्वर 'रेणुका'

  • 29
  • महुआ की स्टेटमेंट से गैंग के कई बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गिरोहे के कुछ बदमाश लोग भाग निकले। महुआ को कई दिन तक पुलिस प्रोटेक्शन में रखा गया। फिर संजय ने अपने डिसपेंसरी में सहायक कर्मी के पद पर उसे रख लिया। महुआ स्टाफ के अन्य लोगों से धीरे-धीरे काम सीखने लगा।
  • अवन्तिका ने नौकरी के लिए कई जगह फॉर्म दे रखा था। कुछ दिनों में उसे एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी मिल गई। सूफी ने भी काम करना शुरू कर दिया साथ ही घर बैठे ब्लॉगिंग भी करने लगी। अंजली के कहने पर शैलजा खुद को इतर कामों में व्यस्त रखने लगी। साहिल और अनन्या दिन भर ऑफिस में होते हुए भी कुछ अलग से महसूस करने लगे। अनन्या को साहिल की आँखों में झाँकने की हिम्मत नहीं हो रही थी। साहिल को अनन्या का दूर-दूर रहना पीड़ादायक था। एक दिन लंच समय में अनन्या और स्नेहल हॉल में बैठकर अपने अपने लंच बॉक्स से खाना खा रहे थे। तब साहिल अनन्या के खाने के टेबल पर आकर बैठा।
  • - हाय साहिल हाऊ आर यू। स्नेहा ने साहिल से पूछा।
  • - बढ़िया तुम किसी हो स्नेहा ?
  • - मज़ा मा। गुजराती में जवाब दिया स्नेह ने।
  • - और तुम कैसी हो अनन्या ?
  • - अच्छी हूँ। आप कैसे हो?
  • - आप? आर यू सीरियस, मैं तुम से आप कब बन गया? आश्चर्य से पूछा।
  • अनन्या कुछ नहीं बोली।
  • - तुम इतनी फॉर्मल कब से हो गई हो अनु जी। हँसते हुए कहा।
  • अनन्या ने कुछ नहीं कहा। तभी स्नेह, "आप लोग बैठकर बात करो, मैं अभी आई।" कहकर वाशरूम की ओर चली गई। अनन्या साहिल के इस तरह आने की आशा नहीं कर रही थी। साहिल को देखकर किंचित हैरान हो गई लेकिन तुरंत खुद को सँभाल लिया।
  • - अनन्या तुमसे कुछ पूछना है क्या मेरी बात का सही-सही जवाब दोगी?
  • - पूछो! स्पून को लंच बॉक्स में धीरे-धीरे हिलाते हुए अनन्या ने कहा।
  • - तुम ठीक तो हो न अनन्या? कुछ दिनों से तुम मुझसे ठीक से बात तक नहीं कर रही हो अलग अलग रहने लगी हो, क्या मुझसे कोई गलती हो गई? साहिल ने पूछा।
  • - अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं। बस .. यूँ ही काम की वजह से.. और कुछ नहीं।
  • अगर इतनी सी ही बात है तो ठीक है, पता नहीं कुछ खोई खोई सी दिख रही हो, खैर बताओ सब ठीक तो है ना?
  • - हाँ सब ठीक है। तुम्हारा अमेरिका जाने का क्या हुआ?
  • - अगले हफ्ते जाना है, पर मुझे जाने का बिल्कुल मन नहीं है।
  • ऐसा क्यों?
  • - घर की हालत सब तुम्हें पता है, अब माँ और सूफी को अकेले छोड़कर जाने को दिल नहीं कर रहा।
  • - तो क्या सोचा है? फिर जाना है कि नहीं?
  • - तुम कहो क्या करूँ? जाऊँ या नहीं।
  • - ये फैसला तुम्हें लेना है साहिल।
  • - मैं चला जाऊँगा तो तुम मिस नहीं करोगी?
  • - नहीं मैं क्यों मिस करूँगी? उल्टा सवाल किया। फिर कहा, "साहिल मेरा खाना खत्म हो गया है और ऑफिस का टाइम भी हो रहा है अब हमको चलना चाहिए। चेहरे पर भावों को छिपाते हुए उठ खड़ी हुई अनन्या।
  • - लेकिन मेरी बात अभी खत्म नहीं हुई है अनन्या। मुझे तुमसे बहुत सारी बात करनी है।
  • - सॉरी साहिल देर हो रही है अब जाना चाहिये।
  • - तुम मुझसे ठीक से बात नहीं कर रही हो। अगले हफ्ते मैं वैसे भी जा रहा हूँ कुछ समय मेरे साथ बैठ नहीं सकती? तुम जानती नहीं हो कि मुझ पर क्या बीत रही है।
  • - क्यों साहिल, अब ऐसा क्या हो गया? कहकर अपना लंच बॉक्स लेकर वहाँ से उठ खड़ी हुई।
  • - अचानक तुम्हें क्या हो गया अनन्या? क्यों तुम मुझसे कटी कटी रहती हो अगर कुछ बात है तो कह दो मैं अपनी गलती सुधार लूँगा? तुम कहो तो अमेरिका नहीं जाऊँगा अनन्या मगर इस तरह बेरुखी से बात मत करो।
  • - ऐसी कोई बात नहीं साहिल। मैं कौन होती हूँ तुम्हें रोकने वाली?
  • - दोस्त हो यार, सबकुछ हो लेकिन क्यों अनन्या मुझसे ठीक से बात नहीं करती हो?
  • - आखिर तुम कहना क्या चाहते हो सहिल, मेरे पीछे क्यों पड़े हो? मुझे जाने दो।
  • साहिल, अनन्या की रास्ता रोक कर खड़ा हो गया। वह खुद आश्चर्यचकित था उसमें इतनी हिम्मत कहाँ से आ गई।
  • - रुक जाओ अनन्या, आज मेरी बात खत्म किये बगैर तुम्हें जाने नहीं दूँगा। जाते हुए अनन्या के सामने आ खड़ा होकर कहा, "मैं तुम से प्यार करता हूँ अनन्या, सालों से लेकिन कभी कह नहीं सका। मुझे ये बात बताना जरूरी नहीं लगा क्यों कि मुझे पूरा यकीन था कि तुम मेरे प्यार को समझती हो।
  • - फिर आज बताने की जरूरत क्यों पड़ी?
  • - क्योंकि मेरे अमेरिका जाने से पहले मुझे यह जानना जरूरी हो गया है कि क्या तुम भी मुझसे उतना प्यार करती हो जितना कि मैं तुम्हें करता हूँ। क्योंकि यही याद मुझे मेरे वापस लौट आने तक का हौसला देती रहेगी।
  • अनन्या ने कुछ नहीं कहा।
  • साहिल ने पलट कर अनन्या के पीछे खड़े कहे जा रहा था, "अनन्या, प्लीज रुक जाओ मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ।" जाती हुई अनन्या के कदम रुक गए।
  • "हाँ अनन्या सच है कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ। जब तुम्हारा किडनैप हो गया था तब तुम्हारे बिना मेरा क्या हाल हो गया था मैं ही जानता हूँ। पागल से हो गया था मैं। अनन्या मैं तुम्हारे बिना जीने की सोच भी नहीं सकता 'आई लव यू अनु आई लव यू' अनन्या।"
  • साहिल अनन्या की ओर मुड़कर कहा, "ऐसे चुप न रहो अनु कुछ तो बोलो।"
  • अनन्या से कोई जवाब न पाकर "ठीक है अनु कोई बात नहीं तुम जितना चाहे समय ले लेना। तुम अगर नहीं चाहती मैं तुम्हें मजबूर नहीं करूँगा। मैं दो दिनों में अमेरिका जा रहा हूँ। पूरे साल भर के लिए। अगर तुम मुझसे कभी भी प्यार किया हो तो मेरे लिए इंतज़ार करना। तुम्हारी एक हाँ के लिए पूरी जिंदगी इंतज़ार करूँगा। मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरे आने तक मेरा इंतेज़ार करोगी।" कहकर वह बड़े-बड़े कदमों से बाहर चला गया।
  • अनन्या साहिल की ओर देख नहीं रही थी। वह एक पत्थर की तरह खड़ी थी और साहिल उसके बिल्कुल पीछे खड़ा था। साहिल के थरथराते चंद लफ्ज़ अनन्या के पैर रोक लिए थे। उसकी आँखें नम थी।
  • स्नेह जब वाशरूम लौटकर टेबल के पास आई। दोनों की बातें सुनकर वह कुछ दूरी पर ही रुक गई। अनन्या की आँखों की नमी उसकी नज़र से छिप नहीं पाई। लेकिन वह समझ नहीं पाई अनन्या अगर साहिल को प्यार करती है तो साहिल से छिपा क्यों रही है? उसके परिवार में उसे स्वतंत्र निर्णय लेने का पूरा आज़ादी है। फिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जो वह साहिल से अपना प्यार जाहिर नहीं कर पा रही है। कुछ समय पहले तक दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी। स्नेह अच्छी तरह जानती है कि साहिल अनन्या को चाहता है और अनन्या भी साहिल को पसंद करती है फिर अचानक क्या हो गया दोनों में?
  • अनन्या भी पलटकर देखे बिना ही वहाँ से चल पड़ी। स्नेहल उसके पीछे हॉल से अपने ऑफिस रूम की तरफ़ बढ़ गई।
  • ****
  • साहिल कुछ दिनों से परेशान लग रहा था। उसका अमेरिका जाने का तय हो गया था। लेकिन वह मानिसक रूप से अकेली माँ और छोटी बहन को छोड़कर उसका चले जाना स्वार्थ से भरा लग रहा था। ये अवसर उस वक्त आया जिस वक्त उसकी परिवार को उसका बहुत ज्यादा जरूरत है। साहिल बचपन से ही जिम्मेदार इंसान है। जब भी उसके पापा बाहर जाते या देर से लौटते वह शैलजा को हर जरूरत के चीज़ ला देता था। अगर कभी माँ बीमार रहती वह अपने हाथों से चाय और नाश्ता बनाकर खिलाता था। उसका माँ के साथ एक दोस्ती का रिश्ता है।

    इन दिनों परिवार की हालात को देखते उसका नौकरी छोड़ कर पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने की सोचना मुश्किल था। लेकिन उसे पढ़ाई के साथ अच्छे स्टाइपेंड मिलना उसके लिए बेहतर मौका भी था। भाई होने के नाते सूफी के लिए बहुत कुछ करने की ख्वाहिश रखी थी उसने। उसकी कमाई ही अभी उस घर का आधार है। एक तरफ परिवार और दूसरी ओर नौकरी के साथ पढ़ाई का भी अवसर आसानी से नहीं मिल सकता था।

    साहिल के भविष्य की चिंता और उसकी तरक्की के आगे कोई बाधा उत्पन्न हो शैलजा बरदाश्त नहीं कर सकती थी। पढ़ाई खत्म होने तक यह 11महीने उसका अमेरिका में ही रुकना निश्चित था। शैलजा ने अपनी कसम देकर साहिल को मनाया और उसकी अमेरिका जाने की तैयारी करने लगी। घर के समस्याओं से साहिल की पढ़ाई और उसका भविष्य पर कोई आँच आये ये शैलजा होने नहीं दे सकती थी।

    साहिल अनन्या के बर्ताव से दुखी था। उसने अपनी उदासीनता छिपाने ऑफिस से बाहर आ गया। वह ऑफिस से सीधे मुंबई की चौपाटी के किनारे लहरों के पास आ खड़ा हुआ। चौपाटी उसके ऑफिस से 2 किमी दूरी पर है। संमुन्दर की लहरों के बीच खड़े एकटक लहरों की ओर देख रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था आखिर उससे गलती कहाँ हुई? अनन्या किस बात को लेकर उससे नाराज़ है?

    मुंबई में गर्मी के दिनों की दुपहरी धूप से लोगों का हाल बेहाल था। लहरों के थपड़े उसके पैर को चूम रहे थे। जल का ठंड़ा स्पर्श उसके ज्वलंत हृदय को पिघला नहीं पा रहा था। उसके मन में कई लहरें उसके मन की उथल-पुथल को रोक नहीं पा रही थी। सरसराती ठंडी हवा उसपर हावी हो रही थी। अमेरिका जाने में कुछ ही दिन रह गया है। सोचा था जाने से पहले अनन्या को उसके प्यार का इजहार कर देगा। लेकिन हुआ क्या?

  • इन कुछ ही दिनों में ऐसे कई लहरें उसकी जिंदगी में आ चुकी थीं। लेकिन उसने कभी खुद को इतना अकेला महसूस नहीं किया था। अनन्या का किडनैप होना, अभिनव का किसी अन्य के साथ रिश्ता का उजागर होने, अपनी माँ से धोखा होने का दुःख, फिर पापा का घर से बाहर चले जाना जितना असह्य था उससे भी ज्यादा असह्य आज का दर्द था क्यों कि प्यार के दर्द के सामने सब कुछ छोटा लगता है। क्यों कि प्यार साथ हो तो जिंदगी की कई लड़ाइयाँ एक साथ भी लड़ने की हिम्मत देता है। कहीं न कहीं उसके अपनों से जुड़े रिश्तों पर से उसका भरोसा टूटा नहीं था। लेकिन अनन्या के बर्ताव से उसे जीवन में पहली बार बहुत दुख हुआ। अनन्या का बिना कोई गलती बताए सज़ा देना साहिल के लिए दुश्वार था।
  • जब उसके पैर थकने लगे तब उल्टे पाँव वह घर पहुँचा और सीधे कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर दिया। रात को शैलजा के कहने पर सूफी ने खाने के लिए बुलाया लेकिन उसने खाने से इनकार कर दिया।
  • उसका बुझा हुआ चेहरा गुमशुम रहना शैलजा को परेशान कर रहा था। सुबह तक हँसते खिलखिलाते साहिल के अचानक चुप से हो जाने का कारण जानने वह उसके कमरे में गई। लेकिन साहिल अपने पलँग पर लैटे हुआ था। वह शैलजा के पग का आहट को सुन कर भी यूँ ही चुपचाप पलँग पर आँखे बंदकर सोए रहा। शैलजा ने अंदाज़ा लगाया कि हो न हो ये अनन्या और साहिल के बीच की मामला है। उसे जगाए बिना कमरे का दरवाजा उड़काए वहाँ से चुपचाप बाहर आ गई।
  • 'दो प्यार करने वालों के बीच कुछ भी कहना सही न होगा। 2 दिन में सब ठीक हो जाएगा।' सोचकर चुप रही शैलजा।
  • चार दिन गुजर गए। साहिल का जाने का वक्त नज़दीक आया। वह क्या खा रहा है क्या नहीं उसका भी होश नहीं। एक मशीन की तरह सुबह उठता नाश्ता किये बिना ऑफिस चला जाता । जब वापस घर आता लंच बॉक्स में खाना यूँ ही रहता। रात को शैलजा की जोर से दो निवाला खा लेता। साहिल को इस तरह देख शैलजा परेशान थी।
  • उसका गुमसुम रहना शैलजा को पीड़ा दे रहा था, आखिर माँ जो है, बच्चों के दुख को नज़र अंदाज़ कैसे कर सकती थी। जैसे-जैसे दिन नज़दीक आने लगे उसकी बेचैनी बढ़ती गई, साहिल में कोई बदलाव नहीं हुआ। सहिल को उसने कभी इतना उदास नहीं देखा। पूछने पर उसने अनन्या और उसके बीच हुई बातें बताई।
  • - सच माँ मैने कभी भी उसका दिल नहीं दुखया फिर वह मुझसे क्यों मुँह फेर रही है?"
  • - उसने तुमसे कुछ कहा?
  • - नहीं माँ कुछ कहती तो मुझे यह तो पता चलता कि मेरी गलती क्या है लेकिन वह मेरे तरफ देखने से भी रही । ऐसा क्या गलती कर दी है मैने?
  • - कारण क्या है मैं पता लगाने की कोशिश करूँगी। अनन्या को तूने प्यार किया है अगर उसके दिल में तेरे लिए थोड़ा सा भी प्यार है तो मैं उसे वापस ले आऊँगी। तू चिंता मत कर।" साहिल के सिर पर हाथ फ़िराए आश्वासन देते हुए कहा।

  • "ठीक है माँ, मैं तो जा रहा हूँ । वापस आने तक सूफी का और अपना ख्याल रखिए। और अनन्या का भी..." चुपके से कहा।
  • - अनन्या को छोड़कर अमेरिका जा रहा है इसलिए वो नाराज़ तो नहीं?
  • - पता नहीं माँ, हो भी सकता है।
  • - यही तो बात है, नहीं तो वह तुझसे नाराज़ कैसे हो सकती है। तू चिंता न कर मैं अनन्या से बात करूँगी। तू लड़की के दिल की बात समझ भी नहीं सकता बड़ा बुद्धू है।
  • माँ की बातों से उसे थोड़ी सी राहत मिली और वह मुस्कुरा दिया। साहिल को मुस्कुराते देख शैलजा की मन की बेचैनी दूर हो गई। दो दिन बाद ही उसका अमेरिका जाना तय था। शैलजा उसी तैयारी में व्यस्त हो गई।
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