लहराता चाँद - 23 Lata Tejeswar renuka द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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लहराता चाँद - 23

लहराता चाँद

लता तेजेश्वर 'रेणुका'

  • 23
  • साहिल जब घर पहुँचा शैलजा ने दरवाज़ा खोला। साहिल अंदर आकर सोफ़े पर बैठा। शैलजा दरवाज़ा बंदकर साहिल के पास बैठी। साहिल अपनी माँ की गोद में सर रखकर सो गया। शैलजा ने उसकी सर पर हाथ फेरते हुए पूछा, "साहिल इतनी देर तक कहाँ रह गया बेटा मुझे तेरी बहुत फ़िक्र हो रही थी।"
  • - माँ अनन्या का पता चल गया और आज वह घर भी आ गई।" शैलजा के प्रश्नों के बदले कहा।
  • - ओह! शुक्र है, बच्ची मिल गई। दो दिन से कहाँ थी? कुछ पता चला?"
  • - हाँ, माँ उसे किडनैप कर लिया गया था। गुंडों ने उसे बंदी बना लिया था।"
  • - अब कैसी है? वह ठीक तो है ना?
  • - हाँ माँ वह ठीक है।"
  • - बहुत हैरानी की बात है एक पत्रकार को इस तरह उठा ले गए, न जाने क्या मकसद था। एक पत्रकार को भी नहीं बख्शा ऐसे में शहर में हो क्या रहा है?"
  • - पत्रकार हमेशा सच्चाई की ख़ोज करता हैं, जिससे समाज को जागरूक कर सके। लेकिन कई ऐसे लोग हैं जो ऐसा नहीं चाहते जिससे उनका धंधा बंद हो जाएगा और ऊपर की कमाई बंद हो जाएगी। इसलिए उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश में लगे रहते हैं। ये राजकीय दल अपने गुनाह कलाबाज़ारी के बारे में रहस्य उजागर न हो जाए इस डर से ऐसी हरकत करते हैं।
  • - बेटा तू कभी भी कहीं भी चला जाता है, जरा सँभल के रहना ऐसे लोगों से।"
  • - मुझे कुछ नहीं होगा माँ चिंता मत कर, मेरी माँ का आशीर्वाद जो है।
  • - फिर बता अनु कहाँ मिली?"
  • "नक्सलों ने जंगल में एक कुटिया में बंद कर रखे थे।" शैलजा की गोद में सोए हुए कहा। उसकी मन में कई तरह की आशंकाएँ उमड़ रही थी। उसके पापा और उस औरत का चित्र उसकी आँखों के सामने बार-बार आ खड़ा हो जाता। उसके मन में कई तरह की सोच उमड़ रही थी। क्या उसे पापा के बारे में माँ को सब कुछ बताना चाहिए? या .. नहीं? क्या वह माँ के हँसते चेहरे पर दुख और अपमान का बोझ सह पाएगा?
  • - बेटा बिना पुलिस के सहारे आप दोनों को जंगल में नहीं जाना चाहिए था।" साहिल के मन में चल रहे द्वंद से अनजान उसके दोनों हाथ पकड़कर कहा।
  • - हाँ, माँ हमने जंगल में जाने से पहले अंकल को फ़ोन कर दिया था। अंकल भी समय पर पुलिस लेकर वहाँ पहुँच गए।" साहिल ने पूरी कहानी सुनाई। माँ का दिल बेटे की इस साहसिक कार्य को सराहाना चाह तो रहा था लेकिन उसे डर भी था कि अगर उसे कोई हानि पहुँचती तो ... ऐसे कार्यों में प्राणहानि की संभावनाएँ बहुत होती है, कई बार दूसरों को बचाने की चक्कर में खुद पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है।
  • - तुम्हें कोई चोट तो नहीं पहुँची है ना साहिल, डर से मेरा मन बैठा जा रहा है।"
  • - नहीं माँ बस छोटी छोटी खरोंच आई है पर सब ठीक है, देखो मैं तुम्हारे सामने हूँ। मुस्कुराते हुए कहा।
  • शैलजा रसोई से बर्तन में गुनगुना पानी ले आई साहिल के हाथ पर लगी चोटों को धोकर अच्छे से पट्टी बाँधी।
  • - माँ सूफ़ी कहाँ है, सो गई है?
  • - हाँ बहुत देर तक तेरी राह देखती रही फिर सो गई। मुझे और तेरे पापा को तुम्हारा बहुत चिंता हो रही है बेटा। जहाँ भी जाओ अपने साथ किसीको ले जाना और अपना ख्याल भी रखना। तुम्हारा काम भी ऐसा है कि न जाने कब कहाँ से मुसीबत आन पड़े।" शैलजा ने रुद्ध गले से कहा।
  • - "आप फिक्र मत करो माँ हम अपना ख्याल रखेंगे। ये सब तो हमारे लिए आम बात है।"
  • "यह अच्छा हुआ कि सब कुछ ठीक रहा। अनन्या भी घर पहुँच गई। बिन माँ की बच्ची है न जाने कैसी-कैसी मुसीबत झेलनी पड़ रही है। कल जाकर मिल आती हूँ।"
  • नहीं माँ कल नहीं, दो दिन उसे आराम करने दो। जिन हालातों का सामना किया है उसे ठीक होने में कुछ समय लगेगा।"
  • तू कहता है तो ठीक है। चल बहुत देर हो गई है खाना परोस देती हूँ?"
  • - "माँ,. .... पापा आ गए?" संदेह से देखते हुए पूछा।
  • - मीटिंग से देर रात घर लौटे। तेरे लिए पूछ रहे थे।" साहिल भोलीभाली माँ को देखता रह गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या माँ पहले से सब कुछ जानती थी? क्या सब जानकर भी मौन रखी है या सच में अनजान है? हाय री, मासूम औरत तू कब समझेगी कब सँभलेगी? एक वह है जिसने शादीशुदा जानकार भी डैड के साथ... और एक माँ है जो ऐसे एक पुरुष से प्यार किया जिन्होंने बड़ी आसानी से उन्हें धोखा दे रहा है।
  • वह निर्णय नहीं ले पा रहा था कि उसने जो देखा क्या माँ को बता देना चाहिए या सही वक्त का इंतज़ार करना चाहिए? आखिर वह कौन सा वक्त सही होगा जिस वक्त माँ को डैड की सच्चाई बतानी पड़ेगी। साहिल की आँखें नम हो गई। वह अचानक पीछे मुड़कर वहाँ से जाने लगा।
  • "अरे बेटा रात भर कुछ खाया नहीं कुछ खा ले। भूख लगती होगी?"
  • साहिल समय देखा साढ़े चार बज चुका है। "अभी बहुत देर हो गई है माँ । मुझे बहुत नींद आ रही है प्लीज अभी मुझे सोने दो।" कहकर दो कदम आगे जाकर रुक गया, " माँ, आप ने खाना खाया है कि नहीं?"
  • "नहीं, तेरा इंतज़ार कर रही थी। पर अब बहुत देर हो चुकी है अब खाया नहीं जायेगा। जा तू सो जा, मुझे भी नींद आ रही है।"
  • "ठीक है माँ।" साहिल अपने कमरे में चला गया।
  • ##
  • सुबह साहिल तैयार होकर नाश्ता कर रहा था। अभिनव ऑफिस के लिए तैयार होकर जल्द-जल्द सीढियाँ उतरकर टेबल के पास आया। उसके हाथ में लैपटॉप बैग था। साहिल को नाश्ता करते देख, "साहिल, कैसा चल रहा है? ऑफिस में सब ठीक है?" नाश्ते के टेबल पर बैठते हुए साहिल से पूछा। साहिल ब्रेड में माखन लगा कर ब्रेड को खाते हुए कहा, "सब ठीक है।"

  • अभिनव मुस्कुरा कर टेबल पर से जूस दो ग्लास में भरे एक खुद लेकर एक साहिल की तरफ बढ़ाया। साहिल अनमने जूस लेकर पीने लगा।
  • तभी शैलजा ने अभिनव से पूछा - "आप के लिए नाश्ता लगा दूँ?"

    - "नहीं। मैं ऑफिस में खा लूँगा।" कह कर हॉल में आया अभिनव।

    साहिल को पहली बार पापा के व्यवहार में बनावट दिखाई दी। कितने अच्छे से बनावटीपन का नकाब पहन कर सभी को धोखा दे रहे हैं। बहुत सफाई से झूठ बोलने की आदत हो गई है किसीको आज तक शक भी नहीं हुआ। विचित्र है पुरुष का मन। एक अनन्या के पापा हैं जो रम्या आँटी के गुजर जाने के 12 साल बाद भी उन्हीं की याद में जी रहे हैं। और एक मेरे पापा हैं जो शादीशुदा पत्नी को धोखा देकर दोहरी जिंदगी जी रहे हैं और पत्नी के जीते जी दूसरी औरत के साथ... ।

  • अभिनव ने जूसकर पीते हुए साहिल से कहा, "साहिल आज सूफी को कालेज में छोड़ देना मैं गाड़ी लेकर जा रहा हूँ।"
  • - " ह्म्म।" कहकर साहिल ने नाश्ता करने लगा।। शैलजा सूफी के लिए भी प्लेट लगा दी। सूफी भीतर से आवाज़ दी, "माँ मेरा नाश्ता तैयार हुआ कि नहीं? कॉलेज के लिए देर हो रही है।"
  • "हाँ, हो गयी है। आकर नाश्ता तो कर ले, भूखी जाएगी क्या कॉलेज?"
  • "माँ कॉलेज जाकर खा लूँगी। जूस दे दो बस।"
  • - ऐसे कैसे चलेगा सूफ़ी नाश्ता तो पेट भर के खा ले। शरीर को पौष्टिक आहार की जरुरत है कि नहीं। भर पेट नाश्ता करेगी तभी दिन भर भाग दौड़ के लिए ताकत मिलेगी।"
  • - माँ मोटी हो जाऊँगी।" हँसते हुए कहकर टेबल पर से टिफ़िन डिब्बा उठा कर बैग में रखा और "भाई चलो देर हो रही है ।" कह कर दरवाज़े की ओर बढ गई।
  • - अरे सुन तो सूफी बेटा... भाई को आने दो।
  • - मैं चली जाउँगी, बाय ब्रो... कहकर बाहर चली गई।
  • - ऐ मोटी रुक मैं छोड़ दूँगा। पीछे से साहिल ने चिढ़ाया।
  • - माँ, देखो तो भाई मुझे मोटी कह रहे हैं।
  • - और नहीं तो क्या नाश्ता क्यों नहीं खा रही?
  • "माँ... देखो ना..." शिकायत भरी नज़रों से माँ की तरफ देखकर बोली।
  • साहिल जोर जोर से हँसने लगा।
  • अभिनव सोफ़े पर बैठ कर पेपर पढ़ रहा था।
  • शैलजा अभिनव के लिए कॉफ़ी ले आई। "शैलू आज ऑफिस से आने में देर हो जाएगा, कॉलेज में कुछ पेंडिंग काम है पूरा करना है।" अभिनव ने कहा।
  • यह बात सुनकर नाश्ता करते हुए साहिल ने ब्रेड को प्लेट पर छोड़ उठ खड़ा हुआ। उसके पिता का वह जरूरी काम क्या है वह देख चुका था। अब वह इतना छोटा भी न रहा, कि बात को न समझे। उसे अभिनव का किसी दूसरी औरत के संग होने का दृश्य आँखों के सामने घूमने लगा। उसे पता था अगर वह कुछ बोल बैठा तो घर में पहाड़ टूट पड़ेगा और बिना कुछ कहे माँ के साथ होते अन्याय को सहन भी नहीं कर सकता था। वह नाश्ता छोड़कर बाहर की ओर बढ़ गया।
  • तभी शैलजा ने आवाज़ दिया, "साहिल पापा कुछ पूछ रहे हैं।"
  • साहिल बिना पलटे ही "माँ मैं ऑफिस जा रहा हूँ।" कहकर जाने लगा।
  • सूफी पीछे से आवाज़ दिया, "भैया रुको मैं आ रही हूँ।" कहते हुए बैग लेकर भागती हुई उसके बाइक पर जा बैठी।
  • अभिनव की हर वह बात उसकी दिमाग में घूम रहा था। उसके पापा पर उसे पहली बार शर्मसार महसूस हुआ। उसे इस बारे में उसके पिता से पूछना भी था लेकिन सही समय का इंतज़ार करना होगा। वह चुपचाप अपना बाइक लेकर ऑफिस के लिए निकल गया। अगर बात सामने आई तो माँ का प्रतिक्रिया क्या होगी? उसका घर जो बिखर जाएगा? सूफी का भविष्य का क्या होगा? माँ किस तरह सामना करेगी? क्या गुजरेगी उनपर?
  • जब किसी के व्यक्तित्व पर ऊँगली उठती है तो उससे जुड़ी कई जिंदगियाँ तहस-नहस हो जाती हैं। जो उसने देखा था वह गलत भी हो सकता है, भगवान करे ऐसा ही हो उसका शक सिर्फ शक ही हो। वह अंदर ही अंदर कई सवालों से घिरा हुआ था। ना किसी को कहने का साहस कर पा रहा था ना चुप रहते बनता था। साहिल बहुत प्यार करता था अपनी माँ और पापा से। वह कोई भी ऐसा काम नहीं कर सकता था जिससे उसके माँ और पिताजी को दुःख पहुँचे।
  • साहिल का पापा से बात किये बिना चले जाना शैलजा को आश्चर्य में डाल दिया। ऑफिस जाते साहिल को देखते हुए रह गई। "ऑफिस में काम का प्रेशर है, इसलिए जल्दी चला गया।" कहकर उसने अभिनव से साहिल के रूखे बर्ताव को छुपाने की कोशिश की।
  • अभिनव साहिल के इस बर्ताव से खिन्न हो कर कहा, "साहिल को क्या हुआ ? वह ऐसे क्यों चला गया? बात भी नहीं की।"
  • - ऑफिस के लिए देर हो रही थी। आप की बात नहीं सुनी होगी और कुछ नहीं।"
  • - नहीं कुछ तो बात है।" अभिनव को साहिल का इस तरह नज़र अंदाज़ कर चले जाना ठीक नहीं लगा। कल तक जो साहिल पापा की हर बात से हाँ में हाँ मिलाया करता था आगे पीछे घूमा करता था अचानक उसकी व्यवहार में बदलाव ने अभिनव को चकित कर दिया।