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विभोम.स्वर - समीक्षा

समीक्षा ‘‘हिन्दी चिंतन का विश्व व्यापी निनाँद’

प्रमुख संपादक सुधा ओम ढींगरा-पत्रिका ‘‘विभोम.स्वर’’-जनवरी मार्च2017

समीक्षक- वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’

पत्रिका विभोम स्वर:- हिन्दी भाषा विषयक एक अनूठी स्वर साधना है। जिसकी मुखरता आवरणीय चित्र की मूक स्वर लहरी में,पल्लवी त्रिंवेदी जी ने अनूठी बानगी प्रस्तुत की है। जो पत्रिका का मुखर आईना है। साहित्य गगन की निरभ्र नीलमा की शिक्षा सुधा ओम ढींगरा जी की सम्पादकीय विमल धरोहर है। उपन्यास पारिजात हेतु वर्श 2016 की विजय श्री में नासिरा शर्मा जी को अनेकशः बधाईयाँ। मित्रनामा की अपनी धरती सुधा रस सिंचित है।

साक्षात्कार का गहरा चिंतन उशा प्रिंयवदा और सुधाओम ढींगरा की हिन्दी सेवी भावना की रस सिक्त धरती है जो अनेको प्रश्न उत्तरो में अवतरित की गई है।

कहानी की कसौठी में पुर्नजन्म की गहरी चिंतन अवनी नया सोच लेकर बोलती दिखी यथा-‘‘तुम्हारी अपार असीम शक्तियों के आगे वे बोने प्रतीत होगे। वो तुम्हे पंखे पर नही लटका पायेगें क्योंकि वो तुम्हे नही पहचान पायेगें.............. ।’’

यह कथन कहानी का अनूठा उपसहांर है। इसी तरह अरूणा सव्वरवाल की कहानी छोटा सा षीश महल तथा किस गाँव ठहरी डायन प्रेम गुप्ता मानिका का चिंतन झरोका इस कहानी में नयी दिशा दर्शाता दिखा एवं कविता विकास की कहानी बसंत लौट रहा है में- जीवन की गहराईयों को उकेरने का सुंदर प्रयाश रहा। यथा ‘‘बाँहो की जकडन कम हुई तो देखा षब्द भी गहरी निद्रां में डूब चुका था.......।’’ सभी कहानियों में भावों के गहरें आघात मिले ।

लघु कथाए भी कहीं भी पिछे रहना पंसद नहीं करती दिखीं जिनमें रास्ता तो यहीं से जाता हे जिसके डा. पूर्ण सिंह गहरे चितेरे हैं कम शब्दों में अधिक कुछ कह जाना अपनी उनकी वानगी है। यथा- लघुकथा फोटो, बचा लो उसे तथा अन्धा रास्ता की चिंतन चेतना बहुत गहरी रही। इसी तरह दीपक मशाल की लघुकथाये यकीन और खाई की शुरूआत गहरा संवेदन लिए चली साथ ही गोविद शर्मा जी भी अपनी वानगी में पिछे नही है। यथा भोले लोग और अच्छा दोस्त लघुकथा में मानव मन को गहराई कों छुआ गया है।

भाषान्तर की पहल में मुस्तफा की मौत कहानी हमें शा जीवित रहने वाली अनूठी पहल है। जिसे अनुवाद दिया है। आर. सांतासुन्दरी जी ने जो सास्वत सा लगा। जिसमें वर्तमान भूत भविश्य बोलता दिखा।

आलेख की अवधारणा में सुवोध शर्मा जी का प्रवासी साहित्य का स्वरूप एवं अवधारणाये हिन्दी भाशा की गहरी और विस्तृत धरती का विस्तार परोसता है। दृश्टीकोण की धरती अधिक संजीली दिखी जिसमें डा. अनिता कपूर का चिंतन महिला लेखन की चुनौतियॉं और संभावना नारी विमर्श की अनूठी पहल है साथ ही नारी सशक्तिकरण का नवीन अध्याय भी।

सोध आलेख - इसमें रेणु यादव का गहन चिंतन-राधा का प्रेम और अस्तित्व नये धरातल को नये संर्दभो के साथ परोसता है। जो काफी रूचकर लगा।

वंग्य की धरती हमें शा ही संजीदगी लिए रही है। जिसे और अधिक व्यापकता दी है सुशील सिदार्थ जी ने अपने व्यंग वाणो की साधना से -पूर्व,अपूर्व,अभूतपूर्व के सरसंधान से तथा अरूण आर्णव खरे जी की नूकीली दूधारी ने-मुरारीलाल की नरक यात्रा को परोसकर।

गजलो और कविताओं में श्री राकेश जोसी जी की दोनो गजले कर्इ्र जीवन झारोखे खोलती दिखी। अशोक मिजाज भी अपनी वानगी परोसने में पीछे नही रहे। आशासैली ओर चन्द्रशेन विराट भी नये भोर के पहरेदार से लगे साथ ही प्रवुध सौरभ की गजले जिन्दगी की राहें दिखाती दिखी ‘‘यथा-रात ढले जुगनू ने रस्ता दिखलाया,दिन वाले थे’’ भटकाने की कोशिश में।

रसमी प्रभा और षोभा रस्तोगी की कथायें विभिन्न संदर्भो को छुती हुई चली। अनीता सक्सैना, संगम वर्मा तथा विनिता तिवारी, दिलेर आसना,गीता धिरौलिया एवं आस्थानवल का रचना संसार भोर की किरण लिये चलता दिखा। दोहों की गहरी पकड में रघुविन्द यादव बहुत आगे लगे- बधार्इ्रयॉं। शिखावर्स्णेय की पहल-शहरों की रूह तथा सूर्यवाला का उपन्यास अंस-वेणु की डायरी-नये दरवाजे का आगाज सा है।

अलोचना शीर्षक में -सुधा अरोडा कृत-यह रास्ता उसी अस्पताल को जाता है लघु उपन्यास विवेचन समीक्षक-सगंवेश नाम वर द्वारा उपन्यास में गहरी दृश्टि दी गई है जिसके आधार विन्दु रामचनद्र शुक्ल से चलकर माधुरी खोसला तक के चिंतन की रूपरेखा प्रस्तुत करते है। विवेचन आधुनिक मॉंग के अनुकूल है।

पुस्तक समीक्षा में-एक पेग जिन्दगी पूनम डोंगरा समीक्षक घनश्याम मैथली, शौर्य गाथायें शशीपाधा-गौतम राजऋशी, इस पृथ्वी की विराटता नरेन्द्र पुण्डरीक-कालूलाल कुलभी तथा पीले रूमालो की रात नरेन्द्र नागदेव-मुकेश निर्विकार पूर्णरूप से सफल रहे है। समाचार सार और आखरी पन्ना- पंकज सुवीर जी की साहित्यक धरोहर को सादर समर्पित हे साथ ही विभोम स्वर के सभी सह साथीयों का बहुत-बहुत वंदन और अभिनंदन। धन्यवाद के साथ रचना धर्मिता निरंतर विकाश गामी रहे इन्ही शुभाकाक्षांओ के साथ।

आपकी चिरायु का मंगलाकॉंछी

दिनांक 04-06-2017 वेदराम प्रजापति ‘मनमस्त’

गायत्री शक्ति पीठ रोड

गुप्ता पुरा डबरा ग्वालियर म.प्र.

मो-9981284867

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