अनचाहा रिश्ता (शादी मुबारक) 9 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता (शादी मुबारक) 9

अब तक आपने पढ़ा की मीरा और स्वप्निल एक अनजानी जगह आकर रह गए हैं।

जिंदगी में पहली बार उसे डर और फ़िक्र एक साथ सता रही थी। मीरा इतनी खास क्यों है ? या सिर्फ उम्र में छोटी होनी की वजह से स्वप्निल उस की फ़िक्र करता था? या फिर शायद उसे उसी दिन वो पसंद आ गई थी जब उसने कहा था कि वो अपने पापा की कंपनी के लायक बनने के बाद उसे संभालेगी? स्वप्निल का हमेशा से मानना था लड़कियों को अपने डिसीजन खुद लेने चाहिए। उसने उस वक़्त मीरा की बुराई की थी। पर वो उसके इरादे आजमा रहा था अब आगे......

दूसरे दिन सुबह सुबह १० पुलिस कर्मियों के साथ मीरा स्वप्निल मि. दोषी ओर तिंबक जंगल पोहचते है।

तिंबक : इन दिनों हमारा २५ सालो के बाद आनेवाला खास त्योहार आया है। जिसमे नए शादीशुदा ५० जोड़े बैठते है। सब आदिवासी उन्हीं जोड़ो को धुड़ने में लगे है। इसलिए हर तरफ शादी का मौहोल है। सरदार भी खुश होंगे आप बस शांति से बात कीजिएगा काम हो जाएगा।

स्वप्निल : ठीक है। ये भी आजमा लेते है। वरना फिर उन्हे दंडे की भाषा समझनी होगी।

स्वप्निल की ये कड़वी बात सुन तिंबक का मुंह उतर जाता है। उस से मिलने से पहले तिंबक ने उसके बारे में बाते सुनी थी। स्वप्निल कितना जिद्दी ओर अड़यल है इससे वहा सब लोग वाकिफ थे। तिंबक को भी उसकी इस चीज की वजह से मीरा की फ़िक्र होने लगी।

घोड़ों पे सवार कुछ लोग वहा आकर हर तरफ से उन्हे घेर लेते है। तिंबक झुक कर उन में से सबसे बुड्ढे आदमी को सलाम करता है।

तिंबक : तात इनसे मिलिए ये सरकार की तरफ से बातचीत करने आए हैं। मि स्वप्निल और उनकी होनेवाली पत्नी कुमारी मीरा।

ये बात सुन मीरा आगे बढ़ कुछ कहे उस से पहले स्वप्निल उसका हात पकड़ उसे पीछे खींच लेता है।

स्वप्निल : हम सरकार की तरफ से जंगल के बीचों बीच एक रिसर्च सेंटर बनाएंगे। ये जंगल काफी विशेषताओं से भरा हुआ है। यहां कई तरह की खास औषधे है। जो आज के वक़्त में संजीवनी बूटी जैसा काम कर सकती है। सरकार उसे सारे लोगो तक पोहचाना चाहती है और...

स्वप्निल आगे कुछ कह पाता उस से पहले तात बोल पड़े,

तात : हमारे जंगल की विशेषताएं अब तुम हमे बताओगे बच्चे। हमे अच्छे से पता हैं सरकार क्या करना चाहती है। में यहां तुम्हे सिर्फ हमारा फैसला सुनाने आया हूं। तुम्हे जो भी बनाना है, समुंदर के किनारे बनाओ। ये जंगल यहां के जानवरो का घर है। यहां से एक भी पेड़ नहीं कटेगा। सरकार को जितनी औषधे चाहिए हम लाकर देंगे। लेकिन अगर आप लोगो में से किसीने जंगल को छुआ तो हमारे कानून आप के कानून से कई ज्यादा अलग है ये बात हम सरकार को याद दिला देंगे।

उसकी ये सारी बाते सुन स्वप्निल का गुस्सा आसमान में था। मौके की नजाकत देख मीरा बात संभालने की कोशिश करती है।

मीरा : में समझ सकती हूं, के आप अपने घर के लिए चिंतित है। पर हमारी भी मजबूरी है। जो वैज्ञानिक यहां रहेंगे उन्हे जंगल में चीजे धूंडने के लिए घूमना होगा और किनारा यहां से काफी दूर है। साथ ही साथ में जो पेड़ काटे जाएंगे उन्हे हम उनकी जगह से हटाकर कहीं और लगाएंगे । आप बेफिक्र रहिए पेड़ों को या आपके घरवालों को नुकसान नहीं होगा।

तात : बात तो तुमने सही कही बच्ची। पर तुम तो यहां नहीं रहोगी हमेशा हमारी तकलीफे सुनने। आज तुम शहरी लोगों को जमीन चाहिए इस लिए मीठी मीठी बाते कर रहे हो । कल जब तुम्हारा काम खत्म हो जाएगा तो तुम अपनी दुनिया अपने घर वापस चली जाओगी। यहां जो लूटेगा वो हमारा घर होगा। तुम लोग जो यहां सिर्फ काम के भरोसे आते हो। जिन्हे बस अपनी पगार से मतलब है। उनके लिए हम अपनी जगह अपनी मिट्टी क्यों गवाए ???
स्वप्निल : जिसे आप अपनी जगह अपनी मिट्टी कह रहे है। यकीनन उसके कागजाद होंगे आप के पास। हमे दिखा दीजिए हम चले जाएंगे। वरना...
वो बात करते करते रुक गया पर उसके शब्दों से उसका घमंड और गुस्सा छलक चुका था। इसी वजह से अब उसने बात बिगाड़ दी थी।

तात : रुक क्यों गए आगे भी तो बताओ वरना क्या???

तिंबक : माफ कीजिए तात। बीच में बात करने जा रहा हूं, पर हमारे साहब यहां नए है। ये प्रोजेक्ट उनके बरसो की मेहनत है। इसलिए उनकी इस गुस्ताख़ी को माफ कर दीजियेगा।

स्वप्निल तिंबक की तरफ देखता है। वो स्वप्निल को चुप रहने का इशारा करता है। एक लड़का घोड़े से उतर उन लोगो के आस पास कब से चक्कर लगा रहा था। जो अब अपने सरदार के पास जा उन्हे कानो में कुछ केहता है।

तात : क्या कहा था आपने अभी। हा कागजाद । हम आपको ये हमारी मिट्टी होने का सबूत दे। चलिए दे देते है। हमारे घर सब अपनी मर्जी से आते है। पर यहां से उनके घर वो हमारी मर्जी से जाते है।

स्वप्निल - मीरा : क्या?

वहा क्या हो रहा है, ये कोई समझ पाए उससे पहले हर तरफ से तीरो की बरसात शुरू हो गई। सारे पुलिसकर्मी एक एक कर बेहोश होने लगे। आखिर में वहा सिर्फ चार लोग बचे थे। मि.दोषी, तिंबक, स्वप्निल और मीरा। स्वप्निल ने मीरा का हात कस कर पकड़ रखा था। जब उन्हे बंदी बनाया गया था तब से अब तक। अभी वो तीनो कबीले के बीच किसी पिंजरे में थे।

स्वप्निल : क्या तुम्हे डर लग रहा है ?

मीरा : पता नहीं।

स्वप्निल उसे अचंभे के साथ देखता है, "अब ये भला कैसा जवाब हुआ"

मीरा : मतलब ये कि मुझे लगना तो डर चाहिए लेकिन मज्जा आ रहा है। आस पास के घर देखिए ये कितने खूबसूरत है ऐसा लग रहा है। कोई पुराने फिल्म की शूटिंग चल रही है। में भी पापा से कहूंगी मुझे भी ट्री हाउस चाहिए।

स्वप्निल : ओ जस्ट शट अप। पहले अपने पापा के पास जिंदा पोहचने का रास्ता ढूढो। मि दोषी तिंबक को धुड़ये हमे यहां छोड़ कहा चला गया वो।

मि दोषी : हम क्या करे सर हमारी तो डर के मारे बोलती ही बंद हो गई है। हम अभी भी अपने आंखो के आगे का मंजर भूले नहीं है। जब मीटिंग की जगह एक एक कर सारे पुलिसकर्मी गिर रहे थे। हर तरफ से मानो तिरो की तो बारिश हो रही थी।

मीरा : क्या सारे पुलिसवाले मर गए। मुझे भी देखनी थी तीरो की बारिश। आपने मुझे कवर क्यों किया था उस वक़्त ? अब में कैसे देख पाऊंगी तीरो की बारिश ओ वेट... सारे पुलिसवाले मर गए तो अब हमे कोन बचाएगा ???

स्वप्निल : अच्छा हुआ तुम जल्द अपनी काल्पनिक दुनिया से बाहर आ गई और हा वो लोग मरे नहीं है बस बेहोश हुए है।
दूर से तिंबक़ को आते देख स्वप्निल चौंक जाता है।

तिंबक़ : मैने तात से बात की वो आप लोगो को कुछ नहीं करेंगे। वो आप लोगो को यहां कुछ अलग मकसद से लाए है।

स्वप्निल : मतलब में समझ नहीं पा रहा हूं ?

तिंबक़ : मुझे लगता है। आपने उन्हे वहा जो कानून सिखाया था ना अब यहां वो आपको अपना कानून दिखाएंगे। वो लोग आप से बात करने ही आ रहे है।

तभी वहा कबीले के कुछ लोग हात में बड़ी बड़ी थलिया लेकर आते है और उन्हे पिंजरे से बाहर निकालते है। उनके पीछे से उनका सरदार एक औरत के साथ वहा पोहचता है।

तिंबक़ : माताई प्रणाम स्वीकार कीजिए। ये हमारे सरकार की तरफ से आए लोग है। जंगल का कानून पता ना होने की वजह से इनसे कुछ गुस्ताखियां हों गई पर ये बुरे लोग नहीं है। इन्हे अपनी शरण में लेकर माफी प्रदान कीजिए वो महान तात और माताई।

माताई मीरा का चेहरा छूती हैं, " खूबसूरत बेहद खूबसूरत। हम नहीं चाहेंगे के तुम्हे सजा हो। हमारे पास तुम्हारे लिए कुछ है।"

वो औरत उन बड़ी थालियों पर से रुमाल उठाती है। सोने के टुकड़े, चांदी की पथर मोतियों की मालाए और नजाने कितने कीमती पथरो से सजे जवाहरात। स्वप्निल और मीरा की आंखे खुली रह गई उन्हे देख।

मीरा : वाउ । ये सब मेरे लिए।

माताई : बिल्कुल सही। तुम्हारे यानी हमारी होनेवाली बहू के लिए।

गहनों को देख हुई खुशी मीरा के चहरे पर ज्यादा देर टीक नहीं पाई।

मीरा : मतलब ???

तात : तुम्हे देख पहली बार मेरे बेटे ने मुझसे शादी की जिद की और इससे बड़ी बात क्या हो सकती है के हमारे शुभ उत्सव में तुम दोनों की शादी होगी। हमारे उत्सव के लिए एक जोड़ा कम पड़ रहा है। अभी एक घंटे में तुम दोनों की शादी होगी ।

मीरा : क्या ? आप ऐसा नहीं कर सकते। आपने सुना ना में इनकी होनेवाली बीवी हू।

मीरा स्वप्निल को कस कर पकड़ लेती है। स्वप्निल भी अपना हात उसके कंधो पर रख देता है।

तात: होनेवाली हो हुई तो नहीं हो। सगाई कभी भी तोड़ी जा सकती हैं।
इतना कह वो वहा खडी कुछ औरतो को उन्हे अलग करने का इशारा करता है। दाई तरफ से कुछ आदमी स्वप्निल को खींचने की कोशिश करते है। स्वप्निल बस दो मिनट में उन चार आदमियों को जमीन दिखा देता है और फिर से मीरा को अपनी तरफ खींच उसे अपने पीछे छुपा लेता है।

मीरा : लेकिन में इनसे प्यार करती हू। बोहोत सारा प्यार अगर आपने मेरी शादी जबरदस्ती कराई तो में आग में कूदकर जान दे दूंगी।

तात : तुम अपनी जिद के चलते सब की जिंदगियां खतरे में डाल रही हो।

कुछ आदमी फिर से पीछे से मि. दोषी को पकड़ लेते है ओर भाला उनके सर पर लगा देते है।

तिंबक़ : रेहम माताई तात रेहम। ये लोग निर्दोष है। इन्हे हम कैसे सजा दे हमारे शुभ उत्सव में हम दो प्यार करने वाले जीवों को अलग कैसे कर सकते है।

माताई : सही कहा। लड़की लड़के से प्यार करती है। और अभी हुई घटना को देख लगता है, लड़का भी लड़की को पसंद करता है। शादी की तैयारियां कीजिए। ठीक आधे घंटे में शुभ उत्सव के शुभारंभ के साथ हम हमारे रीति रिवाजों के चलते दोनो की शादी करवाएंगे। हमारे उत्सव का सबसे शुभ पल इन दोनों के प्यार का साक्षी बनेगा। तैयारियां शुरू कीजिए।

किसने भी वहा बिना कुछ कहे, बिना किसी सवाल के विनम्रता के साथ माताई को नमस्कार किया। मीरा और स्वप्निल ने एक दूसरे की तरफ देखा, कई सवाल थे दोनो के पास पर अब क्या? ये सही वक़्त है?

वक़्त एक ऐसी चीज है, जिसे कभी मुठ्ठी में किया नहीं जा सकता। हम हमारे हर पल को तस्वीर के जरिए कैद करने की कोशिश करते हैं। पर हम कितने कामयाब हो पाते है, तस्वीरों के जरिए याद किया जाने वाला वक़्त एक गुजरे कल के अलावा कुछ नहीं होता। इसीलिए गुजरे हुए वक़्त को याद करने से अच्छा है, अपने जी रहे पल को सवारे। ये पल इन दोनों के लिए इनका आने वाला भविष्य लिखने वाला है, देखते हैं आगे ओर क्या क्या होता है।