anchaha rishta - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

अनचाहा रिश्ता (कही घूम आए) - 4

( अब तक आपने पढ़ा, स्वप्निल की तसल्ली के लिए समीर मीरा से उसके कुछ निजी सवाल पूछ लेता है। जिस के बाद स्वप्निल ओर मीरा गलती से एक ही जगाह शादी पर जा रहे थे अब आगे)

स्वप्निल अपनी गाड़ी पार्किंग में लगाता है। तब उसे ध्यान आता है कि मीरा ने उसके डाटने के बाद से कुछ भी नहीं कहा है। उसे गिल्टी फील होता है। गुस्से भरे मौहौल को हल्का करने के लिए, वो मीरा से कहता है....

स्वप्निल: चलो देखते हैं कि अंदर आखिर चल क्या रहा है ? कौन किस से शादी कर रहा है ?

स्वप्निल की इस बात को अनदेखा कर सिर्फ सर हिला कर मीरा आगे बढ़ने लगती है तभी उसका पैर साड़ी में फस मूड जाता है, वो गिरने वाली होती है कि स्वप्निल उसका हात पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लेता है। एक आह के साथ मीरा अपने आप को स्वप्निल की बाहों में पाती है।

फिर कुछ मिनटों तक दोनो उसी हलात में एक दूसरे को घूरते है। ये पहली बार था जब मीरा किसी आदमी के इतने करीब थी। स्वप्निल ने अभी भी उसे कवर किए हुए था, की तभी वहा से शादी में जाने वाले कुछ बुजुर्ग निकलते है, " ये आज कल के लड़के ओर लड़कियों को शर्म ही नहीं आती, जहा जगह मिली शुरू हो जाते हैं।" पहले बुजुर्ग की हा में बाकी सब अपनी हा मिलते है।

ये बाते सुनते ही, दोनो होश में आ जाते है। स्वप्निल मीरा को छोड़ २ कदम पीछे ले लेता है।

स्वप्निल: मुझे माफ़ करदो, में बस तुम्हे गिरने से बचा रहा था ओर.....
मीरा : आप को माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। में समझती हू।
स्वप्निल : गाड़ी में कहीं बातो के लिए भी सॉरी।
मीरा : हा उसके लिए आप कभी भी मुझे ट्रिट दे दीजिए उस के बाद वो भी ठीक हो जाएगा।
स्वप्निल : ठीक है । अगर अब तुम्हारा मूड अच्छा है तो चलो चले।
मीरा : हा पर शायद मेरा पैर थोड़ा मूड गया है आपकी गाड़ी में फर्स्ट एड किट होगा ???

स्वप्निल गाड़ी से स्प्रे निकाल कर उसके पैर पर लगा देता है, मीरा की चलने की कोशिश देख स्वप्निल अपना हात आगे कर उसकी मदत करता है।
शादी के उस बड़े से हॉल में मीरा स्वप्निल का हात पकड़ के अंदर आती हैं।
स्वप्निल : तुम्हारे दोस्त कहा है?

मीरा कॉल कर के अजय को पूछती है। अजय दरवाजे पर उसे स्वप्निल का हात पकड़े देख दंग रह जाता है। स्वप्निल मीरा को वहा तक छोड़ने चला जाता है। वहा मीरा उसे अपने सारे दोस्तो से मिलाती है जिस में अजय की होने वाली बीवी आरतीभी शामिल हैं। आरती एक कि काफी सुलझी हुई महिला है। वो समझ जाती है के स्वप्निल के मीरा के साथ होने से अजय कुछ खुश नहीं है। स्वप्निल के वहा से जाते ही उनकी बाते शुरू हो जाती है।

अजय: तू उसे शादी में क्यों ले कर आई?
मीरा : हा! में कौन होती हू उसे शादी में लाने वाली वो लेकर आए है मुझे और हा शादी उनके भाई की है।
ये कहकर मीरा स्टेज की तरफ इशारा करती है।

स्वप्निल अपने चाचा के परिवार के साथ स्टेज पर खड़ा सबसे बाते कर रहा था ३५ का होने के बावजूद उसके चेहरे पर डिंपल के साथ आने वाली उस हसी पर कोई भी लड़की आसानी से फिदा हो जाए, खूबसूरत चेहरा, कसा हुआ शरीर, थोड़ी देर पहले मीरा उस के इतने करीब थी, के अभी भी उसको इस तरीके से देख बस उसकी याद में खो गई।

स्टेज से स्वप्निल ने जब एक नजर मीरा की दिशा में डाली, तब उसने देखा कि मीरा उसे ही घुर रही है, उसने अपने मोबाइल से एक मेसेज भेजा, "क्या तुम ठीक हो? पैर में दर्द हो रहा है?"। मेसेज के आते ही मीरा होश में आ जाती है। उसका चेहरा शर्म से लाल हो जाता है, वो अपनी आंखे किसी ओर दिशा में घूमा लेती है। स्वप्निल समझ नहीं पाता कि अब इसका क्या मतलब हुआ? वो अपने आप को ऑरो से बाते करने में बिजी कर लेता है।

अजय और आरती इस लुक को समझ जाते है। पर अजय गुस्सा हो जाता है।
अजय : मीरा ठीक है। उसने मदत की अब इससे आगे उसके बारे में मत सोच। वो वहीं खडूस है जो तुझे सताता है और आगे भी यही करेगा।
मीरा उस के बारे में सोचने में इतनी व्यस्त थी, की उसे फर्क नहीं पड़ रहा था अजय की इन बातो से। आरती ने अजय को कुछ लेने के बहाने वहा से भेज दिया। मीरा का हात पकड़ आरती ने कहा, " कब से देख रही हूं, जब से आई हो चुप चुप सी हो। क्या कोई बात है। कुछ हुआ है? किसी ने कुछ कहा ?"
मीरा: क्या चुप रहने पर में ज्यादा खूबसूरत लगती हू?
ये बात सुन कर आरती हस पड़ी।
आरती : ये किस ने कहा तुमसे?
मीरा ने सिर्फ आखो से स्टेज की तरफ इशारा कर दिया, आरती सारी बात समझ गई।
आरती : हा लगती तो हो। पर इतना भी खूबसूरत क्यों लगना
है तुम्हे? ये तो बताओ आखिर उस वो की बाते इतना क्यों परेशान कर रही हैं तुम्हे?

मीरा होश में आकर उसे थपकी लगाती है "धत में परेशान हू ओर तुम्हे मजाक सुच रहा है" इस बात के बाद आखिरकार मीरा अपना ध्यान स्वप्निल से हटाती है और दोस्तो के साथ मजे करने में व्यस्त हो जाती है।

शादी कुछ समय में खत्म ही होने वाली होती है, के मीरा को स्वप्निल से एक और मेसेज आता है "हॉल के गेट पर आओ"। मीरा को हॉल के बाहर स्वप्निल एक लड़की के साथ मिलता है।

स्वप्निल: आओ इनसे मिलो मीरा ये सीमा है। इनके पापा की मुंबई में फैक्ट्री है। सीमा ये मीरा है, मैंने अभी अभी तुम्हे बताया।
वो लड़की मीरा की तरफ देख उससे कुछ कहे बिना वहा से चली जाती है।
मीरा : आपने मुझे यहां क्यों बुलाया और वो कौन थी?
स्वप्निल : (एक प्यारी सी हसी के साथ) वो । अगर तुम नहीं आती तो वो मेरा हफ्ते भर का सरदर्द होती।
मीरा : मतलब?
स्वप्निल : मतलब वो मेरी मैच मेकिंग थी। जिसे मैने कहा कि में एक लड़की से प्यार करता हूं, जो गरीब है। पर में उसे किसी कीमत पर नहीं छोडूंगा। और बिल्कुल सही वक़्त पर तुम आई।
मीरा : क्या? में उसको बता कर आती हूं ? ऐसी कोई बात नहीं है।
मीरा जल्दबाजी में वहा से जाने लगती है के फिर उसका पैर मूड जाता है। स्वप्निल फिर से उसे थाम लेता है।
स्वप्निल : क्या तुम ठीक हो ?
मीरा : हा लेकिन मुझे उसे सब सच बताना है।
फिर जाने लगती है, वो उसका हात पकड़ उसे अपनी तरफ खींच लेता है, मीरा की आंखो में आंखे डाले कहता है " तुम मेरी हेल्प के लिए आई थी ऑफिस में तो हेल्प करो प्लीज" मीरा हा में अपना सर हिलाने के अलावा कुछ नहीं कह सकी। स्वप्निल मीरा पर अपनी पकड़ ढीली करता है। तब जाकर उसकी बढ़ी हुई धड़कन कम होती हैं। स्वप्निल अच्छी तरह से जानता है, किसी लड़की से हा कहलवाना। वो समझ रहा था मीरा अभी अजीब सी कश्मकश में थी फिर भी उसे सता रहा था, नाजाने क्यों ? उसे मजा आ रहा था या शायद बात कुछ और थी।
मीरा : ठीक है। अब में जाती हूं।
स्वप्निल : तुमने खाना खाया?
मीरा : नहीं
स्वप्निल : ठीक है अपनी दोस्त से मिल लो फिर हम खाना खाने बाहर चलते है। ये मेरी ट्रीट होगी। वैसे भी अब मेरा यहां कोई काम नहीं। अगर तुम्हे परेशानी ना हो तो?
मीरा : मुझे भी कोई परेशानी नहीं है? बस में अजय को बता देती हू।
स्वप्निल : चलो में साथ आता हूं।
मीरा: अजय में अब निकलती हू। ये मुझे घर छोड़ देंगे।
अजय : लेकिन में कार लाया हू। तुझे ड्रॉप कर दूंगा।
आरती : अजय हमे लेट होगा मुझे ओर भी लोगो से मिलना है उसे जाने दो।

मीरा आरती की बाते सुन खुश हो जाती है। दोनों एक दूसरे के साथ कुछ इशारे करती है। फिर मीरा स्वप्निल के साथ स्टेज पर चली जाती है। स्टेज पर दूल्हा दुल्हन के साथ दोनो तस्वीरें खींचते है। स्वप्निल के चाचा ये सब देख रहे होते है। किसी को फोन मिला कर वो स्वप्निल के शादी तोड़ देने की खबर सुनाते है।

स्वप्निल मीरा को अपने साथ पार्किंग में ले जा रहा था लेकिन मीरा के पैर पर सूजन आने की वजह से उस से चला नहीं जा रहा था। वो उसे अपनी बाहों में उठा लेता है। फिर वही हरकत ये मीरा के दिल को आज हुआ क्या है ? बार बार इतनी तेजी से धड़कना। तभी स्वप्निल किसी को देख रुक जाता है। मीरा भी उस दिशा में देखती है जहा उसकी नजर रुकी होती हैं।

एक ३० या ३२ की औरत। खूबसूरत। गहरी आंखे। स्वप्निल को घुरे जा रही थी। स्वप्निल बिना कुछ कहे वहा से चला जाता है। पर वो आंखे अभी भी मीरा को घुरे जा रही थी।
मीरा: ये भी आप का कोई टूटा हुआ रिश्ता थी।
स्वप्निल : नहीं। उसे जाने दो उसकी कहानी ओर भी लंबी है। किसी ओर दिन सुनाऊंगा। अभी डॉक्टर के पास चलते
हैं। वैसे दिखती नही हो पर तुम काफी भारी हो।
ये कहकर वो उसे गिराने का अभिनय करता है मीरा उसे और भी कसकर पकड़ लेती हैं।
मीरा: क्या कर रहे हैं आप पहले मेरा पैर तोड़ा अब कमर तोड़ेंगे?
स्वप्निल (मुस्कुराते हुए) : सोच रहा हूं। अब जब तुम चल नहीं पा रही तुम्हे किडनैप कर लू फिर तुम्हारे पापा को बैल्क मेल करूंगा।
मीरा:वो मेरे पापा है। कहीं से भी मुझे ढूंढ निकालेंगे मुझे।
हसी मजाक करते हुए वो आखिरकार मीरा को हॉस्पिटल ले जाकर उसकी पट्टी करवा देता है। उसके बाद दोनो होटल जाने के लिए निकलने वाले होते हैं कि वहा नर्स कहती है, "मि. एंड मिसेज पाटिल आपकी रिपोर्ट्स"
दोनों अचंभे से एक दूसरे की तरफ देखते हैं, " मिसेज. पाटिल" ........


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