अनचाहा रिश्ता ( नया सफर २) 8 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता ( नया सफर २) 8

प्लेन में बैठ मीरा और स्वप्निल अपनी मंजिल की ओर चल पड़े हैं।

जिस जगह वो दोनो जा रहे है उस जगह के काफी सारे किसे और कहानियां है। हमारी सरकार के आदेश पर वहा के जंगल का कुछ हिस्सा काट वहा एक रिसर्च सेंटर बनाने जा रहे है दोनो। वहा के जंगलों में आदिवासियों के एक कबीले का राज है। आज भी ये कबीला इंसानों से काफी कटा कटा सा रहता है। पेड़ इन के भगवान है और कुछ बाहर के लोग आकर उनके भगवान को छुए उन्हे पसंद नहीं। इसिवजह से आखरीबार यहां काम करने गए कुछ मजदूरों के उन्होंने हात काट दिए थे।

यहां तक कि खबर ये भी थी, कुछ लोग जो गलती से घूमते घूमते वहा चले गए थे उनके सर जंगल की सरहद पर लटके मिले थे।

मीरा और स्वप्निल आज उसी जगह को देखने और कुछ कबीले वालो से बात करने जा रहे थे।

अंदमान एयरपोर्ट पर मि.दोषी स्वप्निल की राह देख रहे थे। उसे बाहर आते देख फूलों का बड़ा सा गुलदस्ता उन्होंने स्वप्निल के हाथ में थमा दिया।

मि.दोषी : हैलो सर। में दीपक दोषी। आपका और आपकी वाइफ का यहां स्वागत करता हूं।

स्वप्निल : दीपक ये मेरी वाइफ नहीं है। मेरी असिस्टेंट है।

मि.दोषी : ओह मुझे माफ कर दीजिए। आपने बताया नहीं की कोई ओर भी साथ आ रहा है।

स्वप्निल : हा वो इनका आना अचानक तय हुआ। मीरा दीपक से मिलो यहां से मेरे साथ पूरा कॉर्डिनेट यहीं करता है। बेहत मेहनती और बेहत तत्पर में कभी भी इसे कहूं तुरंत काम कर देता है। आज हम पहली बार मिल रहे है। क्यों दीपक??

मि.दोषी : मि. पाटिल आपके साथ काम करना मुझे बोहोत पसंद है। शुक्रिया सर। हैलो मैडम। यकीनन आप भी खुशनसीब हैं। सर हमेशा अच्छा गाइडेंस देते है। मुझे उन्होंने मुंबई ऑफिस से ही बोहोत ज्यादा मदत भेजी। में इनका हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा। प्लीज यहां से आयीए।

स्वप्निल : क्या हुआ मेरी तारीफ सुन तुम्हारी शक्ल क्यों उतर गई ?

मीरा : आपकी तारीफ सुन नहीं उतरी। उस बेचारे की गलतहमियां दूर होगी तो उसको कितना दुख होगा ये सोच कर उतरी।

स्वप्निल : अच्छा तो में बुरा हू। पत्थर तुड़वाता हू तुमसे जो ये कह रही हो।

मीरा : उस से भी बुरा। आपने खुद माना ये इस सफर की सबसे अच्छी बात है। चलिए अब वो आगे चले गए।

दोनों झगड़ा करते हुए ही एयरपोर्ट से बाहर निकलते हैं। गाड़ी के पास आकर रुकते हैं।

मि.दोषी : सर ये तिंबक है। हमारा ड्राईवर और उन कबीलों वालो में से एक।

दोनों उसे देख हैलो में सर हिलाते है और एक दूसरे की तरफ देख फिर से मुंह चढ़ा कर अलग अलग खड़े हो जाते है। तिंबक उनका सामान ले गाड़ी में रखने लगता है।

तिंबक : दीपक दोनो मिया बीवी में अभी अभी झगड़ा हुआ लगता है।

मि.दोषी : मैंने पूछा तो सर ने कहा उनकी बीवी नहीं है।

तिंबक : मंगेतर होगी । देखो तो दोनो एक दूसरे को कैसे देख रहे है।

मि.दोषी : हा पर जाने दे। जल्दी कर सर वक़्त के पक्के है।
चारो कार में बैठ होटल की तरफ निकल पड़ते हैं।

स्वप्निल : तिंबक तुम उन कबीले वालो में से एक हो फिर भी हमारा साथ दे रहे हो। वो तुम्हे कुछ नहीं करते?

तिंबक : में उन का जमाई हू सर। वो क्या है, हमारे यहां सबसे ज्यादा सम्मान जमाई का इसीलिए मुझे थोड़ी छूट है।

मीरा : आपको डर नहीं लगा वहा शादी करने में ? मेरा मतलब मैंने वहा की कहानियां सुनी है बस इसीलिए पूछा।

स्वप्निल ने उसे गुस्से आंखे दिखाई इसी लिए उसने सवाल के साथ साथ उसके पूछने की वजह भी बताई।

तिंबक : वो सारी तो बस कहानियां है मैडम। वो लोग काफी अच्छे है। पर हर समाज की तरह उनके भी कुछ अपने नियम कानून है। जो उनके इस कानून के बीच में आता है उसे वो लोग सजा देते है। में जानता हूं आप किस खबर के बारे मै बात कर रही है। जिन लड़को को जंगल में मारा गया लोगो ने सिर्फ ये बताया कि आदिवासियों ने मारा। ये नहीं बताया कि उन लड़को से क्या गलती हुईं।

मीरा : मतलब उन्होंने कुछ किया था ?

तिंबक : हा। उन्होंने वहा का एक कीमती पेड़ उखाड़ा। ये जंगल बोहोत सारे जानवर वो कुछ खास किस्म के पेड़ों से भरा पड़ा है। वो विदेशी उन्हीं पेड़ की चाह में आए थे। पहले कबीले में पोहोचे, वहा सबसे दोस्ती की, फिर चुपके से उनका एक जरूरी पेड़ तोड़ लिया।

स्वप्निल : पर एक पेड़ तोड़ने पर मौत की सजा कौन सुनाता है ?

तिंबक : सिर्फ पेड़ तोड़ा होता तो वो लोग जाने देते उन्हे शायद हात काट कर छोड़ देते। लेकिन उस के बाद उन्होंने कबीले की लड़की को छेडा, उसे गलत तरीक़े से छूने की कोशिश की। इस चीज के लिए उन्हे जान गवानी पड़ी। यहां असलियत में किसी को दिलचस्पी नहीं है। कबीले वाले पुराने जमाने के है। पर उनके हिसाब से उनकी लड़कियां और औरतें उनके भगवान का दिया एक खूबसूरत तौफा है। जिनकी मर्जी के बैगैर वहा कुछ नहीं होता। मुखिया भले ही एक मर्द है। पर अगर उनकी लेडी बॉस ने एक बार जवाब दे दिया तो बात खत्म। आगे कोई बहस नहीं होती।

स्वप्निल : तो अगर तुम शहर के हो तो तुम्हारी शादी कैसे हूई ?

तिंबक : वो क्या है ना सर में जंगल में औषधे तोड़ने जाता था। एक दिन गलतिसे उनके इलाके में चला गया, और पेड़ पर से फिसल कर गिर गया। ना जाने कितने दिन बेहोश था। जब होश आया तो एक लड़की मेरे पास बैठी मुझे घुर रही थी। पहले में बोहोत डर गया था। पर होश में आने के बाद भी १५ दीन उन लोगो के साथ रहा। मुझे उस लड़की से प्यार हो गया। मैने उस से शादी की बात की, उसने अपने घरवालों को मना लिया और हो गई हमारी शादी।
मीरा : वाउ। क्विक लव स्टोरी। पहली नजर का प्यार। आप तो बिल्कुल परियो वाली कहानी सुनाते हैं।

तिंबक : अरे नहीं मैडम जी। ये असली कहानी है। कहने का मकसद सिर्फ इतना था, वो लोग बुरे नहीं है। थोड़े गुस्सेवाले कहा जा सकता है। बस आप उनके समाज और पेड़ों के बारे ने कुछ गलत बात मत करिए। तो सब ठीक रहेगा।

स्वप्निल : नॉनसेंस। ये जमीन सरकार की है। हम उनकी मर्जी से यहां आए हैं। उन्हे बात माननी होगी। कल उन्होंने ४ आदमियों के हाथ काटे। अब ४०० आएंगे तो क्या करेंगे???
मीरा : आप को ठीक से सुनाई नहीं देता क्या? इन्होंने कहा ना प्यार से बात करनी है। तो उलटे रास्ते क्यों जाए?
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तिंबक : हा सर आप ऐसे बात करेंगे तो वो सब को उठा कर ले जाएंगे। यहां जंगल में वहीं सरकार है और वही कायदा। आपको क्या लगता है, सरकार में से कोई क्यों नहीं आया आपके साथ? सिर्फ एक कागज भेज दिया। ये कबीले और उनके पूर्वजों ने कई हजारों सालो से इन जंगलों पर राज किया है। वो हमारे देश के काम में अड़चन नहीं बनेंगे पर थोड़ा आप लोगो को भी समजना होगा। उन्हे बस जंगल की फ़िक्र है। ये जंगल उनका घर है। कोई आपके घर को तोड़ेगा तो आप थोड़ी चुप रहेंगे।

मीरा : समझे। प्लीज मुझे यहां से सही सलामत जाना है। अपने सारे हात और पाव के साथ

स्वप्निल : तुम चुप रहो। में संभाल लूंगा।

दीपक : हा मैडम। उन्होंने कुछ किया तो सर ने भी तो कराटे सीख रखा है। वो संभाल लेंगे ।

मीरा : बिल्कुल सही कहा आपने। सर ऐसे और वैसे सारी लड़ाइयों में अव्वल है।

तिंबक : देखिए बातो बातो में होटल आ गया। में आप तीनो को कल सुबह १० बजे उनसे मिलाने ले चलूंगा। अब में चलता हूं।

तीनो उस से विदा ले रूम में चले जाते है। कुछ देर बाद स्वप्निल और दीपक खाने की मेज पर मीरा का इंतेज़ार करते हैं।

स्वप्निल : वो तिंबक रहने के लिए कहा है?

मि.दोषी : यही से कुछ आधे घंटे पर बस्ती है। में आपसे कहना चाहूंगा कि आप उसकी बातो को नजंदाज मत कीजिए गा। वो अच्छे से जानता है इन कबीलों के बारे मैं। उसी ने मुझे बताया उनका कोई खास उत्सव चल रहा है। जिस में ५० शादी शुदा जोड़े बैठते है। ये उत्सव हर २५ वर्ष बाद आता है। इसमें बैठने वाला हर जोड़ा भगवान का खास आशीर्वाद पाता है। इसीलिए इन दिनों ये लोग किसी को मारते नहीं। इसी मौके का फायदा उठाने के लिए मैंने आपको बुला लिया। अच्छा हुआ आप साथ मैडम भी ले आए उनकी बात से वजन बढ़ेगा। आप बस उनसे लडाई मत किजिए सारी औरतें जब बीवी बनने वाली होती हैं। ऐसे ही नखरे करती हैं। हमे शादी तक सब सहना पड़ता है।

स्वप्निल : ये किस तरह की बात कर रहे हैं अप ? वो कोई मेरी...

उतने में मीरा आकर मेज पर बैठ जाती हैं।

मि.दोषी : आयए मैडम आपकी ही बात चल रही थी।

मीरा : सच में। क्या बात हो रही थी ?

वो एक प्यारी सी मुस्कान के साथ स्वप्निल को देखती है। स्वप्निल उसे देख मुंह फेर लेता है।

मि.दोषी : कल मीटिंग में आप की बात से वजन पड़ सकता है। इसलिए आप ज्यादा बात कीजिए गा।

मीरा : हा में भी यही सोच रही थी। मैंने तो उनके लिए कई सवाल तैयार रखे हैं। जैसे वो लोग यहां कितने सालो से है ? क्या वो लोग हमे मेडिसिन सप्लाई करेंगे पैसों के बदले ? तो में अपने डैड से कह कर यहां एक फार्मा कंपनी शुरू करवा दूंगी जिस में सब आदिवासियों को काम मिलेगा और खूब पैसा भी.....

स्वप्निल : मुझे नहीं पता था तुम हमारी कंपनी में मि. पटेल की जासुस बनकर काम कर रही हूं। मुंबई जाते ही अपना रेजिग्नेशन तैयार रखना में दस्तखत कर दूंगा।

मीरा : आ...... अब मैंने क्या किया ?

स्वप्निल : कल मीटिंग में तुम वहीं कहोगी जो में तुम्हे बताऊंगा। कोई फिजूल सवाल या बहस नहीं चाहिए मुझे। मेरा वक़्त बोहोत कीमती है मीरा और ये प्रोजेक्ट भी जरूरी है। इसीलिए वहा कोई मजाक या बेवकूफी भरी बात मत करना। और जो बाते अभी कहीं है, उन्हे अपने दिमाग में ही दफना दो समझी।

मीरा : ठीक है। अब अगर आपके ऑर्डर्स हो तो में खाना खावू।

तीनो खाना खा कर जल्द ही सोने चले जाते है।
स्वप्निल अपने कमरे में कल की मीटिंग्स की तैयारियां शुरू कर देता है। पर कहीं ना कहीं उसे एक डर सता रहा है " क्या ऐसी जगह मीरा को लाना बेवकूफी है ? वो अपनी जिद के लिए उसकी जिंदगी खतरे में डाल रहा था ? इस प्रोजेक्ट पर वो ३ सालो से काम कर रहा था उसकी मेहनत का सवाल है ? पर आज वो इतनी दुविधा में क्यों है ? उसने कई बार ऐसी घटनाएं सुलझाई है। जो होगा देखा जायेगा में उसे कुछ नहीं होने दूंगा " उसने खुद को यकीन दिलाया।

कभी कभी कुछ लोगो पर हम इसलिए भी गुस्सा होते है क्यों कि हमे उनकी फ़िक्र रहती हैं। इस एहसास को समझना मुश्किल नहीं है। पर शायद इतना आसान भी नहीं। किस्मत अपना खेल रच चुकी है। अब देखते है आगे क्या होता है....