अनचाहा रिश्ता (शादी मुबारक)10 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • क्या लड़की होना गुनाह है

    आज की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए जो अपने परिवार के बीच होत...

  • Black Queen ( A Mysterious Girl )

    Rathore's club ( काल्पनिक नाम )यह एक बहुत बड़ा क्लब था ज...

  • Revenge Love - Part 1

    जय द्वारिकाधिश..जय श्री कृष्ण.. जय भोलेनाथ...... ॐ नमः शिवाय...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 48

    अब आगे थोड़ी देर बाद डॉक्टर का केबिनरूही और रुद्रा डॉक्टर के...

  • जिंदगी

    खुद के एहसासों को कुछ इस तरह बिखेरना चाहती हूमैं रहूं तुझमें...

श्रेणी
शेयर करे

अनचाहा रिश्ता (शादी मुबारक)10

अब तक आपने पढ़ा, मीरा और स्वप्निल की शादी का फ़रमान सुना कर आदिवासियों माताई लौट गई अब आगे।
उस छोटे से कमरे में चक्कर काटते हुए स्वप्निल अभी कुछ देर पहले हुई सारी घटनाएं अपने दिमाग में दौहरा रहा था।
उसे नदी पर ले जाया गया, कुछ पवित्र मंत्र बुलवाकर नहाने पर मजबुर किया गया। फिर पूरे आदिवासियों के रिवाज के मुताबिक उसकी और मीरा की शादी करा दी गई थी। मीरा वो कितनी अलग लग रही थी उस दुल्हन के रुप में। उसने कभी नहीं सोचा था उसकी दुल्हन इस तरीके से उसकी जिंदगी में आएगी। वो क्या कर रहा था यहां। नैना के उसकी जिंदगी से चले जाने के बाद उसने किसी लड़की के लिए अपने दिल का दरवाजा नहीं खोला था। आज जब उसने मीरा को देखा उसके जेहन में बस वही थी। दूर दूर तक नैना का खयाल भी नहीं था। उसे बस मीरा को यहां से सही सलामत मुंबई ले जाना था। उसे यकीन था समीर किसी भी वक़्त उसे धुड़ता हुआ वहा पोहोंच जाएगा। पर मीरा कहा है, वो अब तक क्यों नहीं आई कमरे में। क्या उसे भी तिंबक ने सब बता दिया होगा जो कि उसने स्वप्निल से कहा था। वो उन बातो को अपने जेहन में फिर से दोहराता है जब शादी के बाद तिंबक कमरे में आया था कुछ फल देने।
तिंबक : स्वप्निल सर मुझे आपसे कुछ जरूरी बात केहनी है। मुझे पता है इन बातो के लिए ये सही वक़्त नहीं लेकिन ये अभी जरूरी है।
स्वप्निल : जो भी केहना है बेजीझक कहो। में मीरा पर किसी भी तरह की कोई मुसीबत आने नहीं दे सकता। बोलो तिंबक।
तिंबक : ये शादी तब तक शादी नहीं मानी जाती जब तक पति पत्नी के बीच शारीरिक संबंध ना बन जाए।
स्वप्निल : तुम क्या कहना चाहते हो ? विस्तार से बताओ।
तिंबक : आज आप दोनो की शादी हुई है। कल सुबह मैडम को चेक करने औरतें आएंगी और अगर उन्हें सच्चाई पता चली कि आप दोनो के बीच कोई संबंध नहीं है। तो वो मैडम को कबीले के किसी भी मर्द को चुनने का मौका देंगे या फिर यूं कह लीजिए मैडम को उनकी मर्जी के खिलाफ़ भी किसी को चुनना होगा और जहा तक में सरपंच के बेटे को जानता हूं। वो मैडम को अपनी बीवी बना कर ही मानेगा इसीलिए अगर आप उन्हे और अपने आप को बचाना चाहते हैं, तो आपको ना चाहते हुए भी ये संबंध बनाने होंगे। आज की रात आप दोनो के लिए जरूरी है ये याद रखियेगा ।
स्वप्निल : पुलिस किसी भी वक़्त आती होगी। में एक कंपनी के सीनियर पोजिशन पे हू। मेरा फोन १५ मिनिट भी बंद रहेगा तो कंपनी समझ जाएगी। मेरे लिए सिक्योरिटी किसी भी वक़्त आती होगी ओर जिस वक़्त में यहां से बाहर जाऊंगा उस वक़्त ये पूरा कबीला मेरे गुस्से का सामना करेगा। जो बदसलूकी इन्होंने मीरा के साथ की है, उसकी कीमत चुकाएंगे ये लोग।
तिंबक : आप फ़िक्र मत कीजिए मीरा मैडम बिल्कुल सही सलामत है। औरतों के कमरे है और आराम फरमा रही है। में अब चलता हू। आप मेरी बातो को याद रखियेगा।
इतना कह वो वहा से चला गया था। पर मीरा के ख़यालो में स्वप्निल तब से यू खोया था कि उसे समय की भी परवाह नहीं थी। तभी बाहर से कुछ औरतो की हसी सुनाई दी। दरवाजा एक पल के लिए खुला और मीरा वहा से अंदर आई फिर किसी ने दरवाजा बाहर से बंद कर लिया।
मीरा के अंदर आते ही स्वप्निल ने उसे अपनी बाहों में खींच कस के गले लगा लिया। स्वप्निल की बढ़ी हुई धड़कनों से मीरा समझ गई थी, की वो उसकी फ़िक्र कर रहा था।
मीरा : में बिल्कुल ठीक हू। सही सलामत। अब छोड़ीये मुझे।
स्वप्निल होश में आकर तुरंत उस से दूर हट जाता है।
स्वप्निल : यहां आओ बैठो दिखाओ मुझे तुम्हे कुछ किया तो नहीं ना उसने ? ठीक हो।
मीरा : में बिल्कुल ठीक हू। देखिए पर अब मुझे एक बात की फ़िक्र हो रही है।
स्वप्निल : क्या तिंबक ने कुछ कहा तुमसे?
मीरा : नहीं मैंने उसकी बीवी से बात की आगे के रिवाजों के बारे में। तब जाकर उसने मुझे बताया। इन लोगो के हिसाब से शारीरिक संबंध सबसे जरूरी रिश्ता है मिया बीवी के बीच का। अगर हमने ये नहीं किया तो कल मेरी शादी किसी और से करवा कर वो लोग आपको मार डालेंगे।
स्वप्निल : मुझे कुछ नहीं होगा फिक्र मत करो। पुलिस किसी भी वक़्त आती होगी यहां हमे धुड़ने।
मीरा : मगर पुलिस कुछ मिनिटों से भी चूक गई तो???
स्वप्निल : तो क्या ?
मीरा : मुझे नहीं करनी उस सरपंच के बेटे से शादी। मुझे प्यास लगी है।
स्वप्निल उसे तिंबक का लाया दूध पिलाता है।
मीरा : ये काफी मजेदार है। पर ये दूध नहीं है आप भी चखिए।
मीरा आधा ग्लास स्वप्निल को पिला देती है। उसको पीने के बाद स्वप्निल समझ जाता है कि वो कोई दूध नहीं बल्कि भांग दे कर गया था। दोनों को हल्का हल्का नशा सा चढ़ने लगा था। गर्मी की वजह से पहले से ही मीरा बेहाल थी उस पर भांग के नशे ने कमी पूरी कर दी। स्वप्निल की तरफ उसका खीचाव अब ज्यादा समझ आ रहा था तो दूसरी तरफ शराब की आदत के चलते भांग स्वप्निल को नशा नहीं करवा पाई थी। क्या ये सही वक़्त था ? उनकी सुहागरात के लिए। वो समझ ने की कोशिश ही कर रहा था कि मीरा उठ कर बाहर जाने लगी, उसे रोकते हुए स्वप्निल ने उसके दोनो हात पकड़ लिए।
स्वप्निल : इस वक़्त कहा जा रही हो?
मीरा (नशे की हालत में) : सरपंच से झगडा करने। ऐसे कैसे वो मेरी शादी करा सकता हैं अपने बेटे से। में तो आपको पसन्द करती हूं ना तो। अब में जाकर उससे झगड़ा करूंगी ओर कहूंगी के I Love U ना की वो।
स्वप्निल उसे खींच फिर से बेड पर बिठा देता है, " हा में समझ गया। लेकिन अब तो हमारी शादी हो गई है ना आज हमारी सुहागरात है। तो तुम मुझे छोड़ कर जावोगी।"
मीरा उसे गले लगा लेती है, " नहीं। में आपको कभी छोड़ कर नहीं जाऊंगी। मेरा वादा। पापा कहेंगे ना फिर भी नहीं छोडूंगी। कभी नहीं।" इतना कह वो फिर से उसे गले लगा लेती है।
"मेरा भी वादा में तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा यहां से सहिसलामत अपने साथ ले जाऊंगा" स्वप्निल उसके कानो में फुसफुसाता है। फिर वो धीरे से अपने ओठ उसके ओठोपे रख देता है। इसी तरह से उन चार घंटों के बीच दोनो में पूरी तरह पति पत्नी वाले संबंध बन जाते है। रात के कुछ १ बज रहे थे जब कबीले में हो रहे शोर शराबे को सुन स्वप्निल की आंख खुली। वो समझ गया था कि वक़्त आ गया है, यहां से निकलने का। उसने तुरंत मीरा को जगाया वो अभी भी कुछ कमजोर महसूस कर रही थी। स्वप्निल ने उसे सहारा देते हुए खडा किया था कि २ पुलिसकर्मी दरवाजा खोल अंदर आ गए।
१पुलिसवाला : मि स्वप्निल क्या आप ठीक है ? हमे आपकी सुरक्षा का फरमान मिला है। आप दोनो हमारे साथ चलिए।
वो उन दोनों को सही सलामत पुलिस थाने पोहोंचा देते है।
स्वप्निल वहा पोहोच अपने सीनियर से बात करता है, " में और मीरा हम सब ठीक है सर। थैंक्स। समीर का कॉल लग नहीं रहा। क्या वो निकल चुका है। में उसके लिए मेसेज छोड़ देता हूं। हा यहां सब ठीक है। पुलिसवालों ने पूरा कंट्रोल अब अपने हाथ में ले लिया है। हा में सुबह बाकी बाते करता हूं।
पुलिस कमिशनर : आपको हुई तकलीफ के लिए माफी चाहते है। फिलहाल आप जाकर आराम कीजिए हम सुबह में आपका बयान ले लेंगे।
पुलिस वालो को शुक्रिया कह स्वप्निल मि.दोषी और मीरा गेस्ट हाउस के अपने अपने कमरों में वापस आ जाते है। कबीले से पुलिस स्टेशन और पुलिस स्टेशन से गेस्ट हाउस तक का पूरा सफर मीरा ने स्वप्निल के कंधो पर तय किया था। स्वप्निल उसे उसके बिस्तर पर लेटा कर अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ा ही था। उतने में पीछे से किसीने उसका शर्ट खींचा।
मीरा आधी नींद से जग चुकी थी।
मीरा: हम कहा है ? वापस गेस्ट हाउस पोहोच गए ?
" हा अभी अभी पोहोचे है। " उसके हाथो से अपने शर्ट की पकड़ छुड़ाते हुए स्वप्निल ने जवाब दिया " अब तुम आराम करो में अपने कमरे में जा रहा हू।"
ये सुन मीरा ने उठ कर उसका हाथ पकड़ लिया। " मुझे यहां अकेला छोड़ आप कहा जा रहे है। में भी आपके साथ चलूंगी प्लीज।"
" मीरा में पास के कमरे में आराम कर रहा हू बस एक दीवार से दूर हू। कुछ नहीं होगा तुम्हें सो जाओ अब, कल बात करेंगे।" स्वप्निल हाथ छूडवाकर वहा से जाने की कोशिश करता है।
"प्लीज प्लीज मत जाइए। प्लीज आज रात यही रुक जाइए।" मीरा उसे पीछे से कस कर पकड़ लेती है। उसकी इस जिद को अब छुड़वाना नामुमकिन था। हालात देखते हुए स्वप्निल उसकी तरफ मुड़ता है। "ठीक है। में यही रुकता हू। तुम सो जाओ "
"नहीं आप यहां सो जाइए मेरे पास।" वो बिस्तर पर लेट उसे इशारा करती हैं।
स्वप्निल उसके बगल में लेट जाता है। मीरा अपना सर उसके कंधे पर रख सो जाती है। उसके पास कोई रास्ता नहीं था। उसने अपना हाथ उसके सर के नीचे देकर उसे अपनी तरफ खींच लिया। तब जाकर मीरा को चैन की नींद आती हैं।
स्वप्निल की गायब होने की खबर मिलते ही समीर पहली फ्लाइट से अंदमान के लिए नीकल चुका था। फ्लाइट में देरी होने की वजह से उसे गेस्ट हाउस पोहोचने में सुबह हो गई थी। वहा पोहोचते ही वो स्वप्निल के कमरे की तरफ दौड़ा पर कमरे में कोई नहीं था। उसे निराशा हुई। उसने मि दोषी से बात करने की कोशिश की वहा से उसे जंगल में हुई सारी घटनाओकी की जानकारी मिली। जिस में मीरा और स्वप्निल की शादी भी शामिल थी। मि दोषी ने है समीर को सलाह दी थी, एक बार मैडम का कमरा भी चेक करले क्योंकि आखरी बार उन्होंने स्वप्निल को वहीं जाते देखा था। उन्हीं के सलाह के भरोसे समीर मीरा के कमरे तक तो पोहौचा था लेकिन वहा स्वप्निल के मिलने की उम्मीद उसे नहीं थी। पर कमरे के अंदर का नजारा देख उसे अब मि दोषी की कहीं सारी बातो में सच्चाई नजर आ रही थी। एक बिस्तर पर स्वप्निल मीरा को कवर किए हुए, उसके साथ बिना शर्ट के लेटा हुआ था। समीर को उसे उठाना जरूरी नहीं लगा। वो धीरे से कमरे का दरवाजा बंद कर वहा से चला जाता है।

एक लड़का और एक लड़की जब पति और पत्नी का किरदार निभाते है, तो वो होते तो वहीं लोग है बस हालात थोड़े बदल जाते है। अब तक कहानी में नशे की वजह से किसी किरदार को उनकी असलियत पता नहीं है। कल जब नशा उतरेगा और उनके रिश्तों की कहानी उन्हीं के सामने आएगी तब क्या होगा ? मि पटेल क्या उनकी एकलौती बेटी की शादी मानेंगे ? मीरा को अपना किया वादा याद रहेगा ? स्वप्निल अपने कल और आज में अब तक क्यों उलझा हुआ है?
हर हालत अपने साथ कई सवाल लेकर आ रहे है। देखते है आगे क्या होगा।