अनचाहा रिश्ता (किसकी गलति) - 11 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता (किसकी गलति) - 11

सुबह नौ बजे के आसपास स्वप्निल की आंख खुली उसने एक नजर अपने पास सो रही मीरा पर डाली। कितनी शांत और सुंदर लगती है वो सोते वक्त। मानो जैसे बोलना आता ही ना हो इसे पर उतनी ही खतरनाक हैं जब झगडा करती है। अपने इन्हीं ख़यालो पर लगाम लगा वो असलियत में वापस आ गया।
" हे भगवान ये क्या हो गया मुझसे। शादी । कैसे कर सकता हूं में ?" वो तुरंत बिस्तर से उठ अपने कमरे में चला गया।
कमरे में जाते ही उस की नजर समीर पर पड़ी। दोनों एक दूसरे को देखते ही गले मिले।
समीर : अब चैन आया। कल से अजीब बैचैनी हो रही थी।

स्वप्निल : मुझे इंतेज़ार था। मुझे पूरा यकीन था तू आएगा।

समीर : आना ही था। मेरा भाई जो यहां था। तू ठीक तो है ना ? हॉस्पिटल क्यों नहीं गया चेक अप के लिए ? चल हम अभी चलते हैं।

समीर और स्वप्निल की बचपन की दोस्ती थी। दोनो एक ही गाव से । साथ पढ़े साथ बड़े हुए। यहां तक कि आज तक समीर उस से बड़ा होने के बावजूद हमेशा उसके इंतेज़ार में रुकता था। स्वप्निल उसके लिए उसके छोटे भाई से ज्यादा था। और इस वक्त ऐसी जगह स्वप्निल के फसे होने की खबर से उसके सर पर मानो आसमान गिर गया था। फोन आने के आधे घंटे के भीतर उसने घर छोड़ दिया था। और वो सीधा अंदमान लिए के लिए रवाना हो गया था। वहा उस गेस्ट हाउस में पोहोचने के बाद जब उसने स्वप्निल को देखा, तो वो वहीं रुक गया था। उसे वहा सो रही मीरा से कोई फर्क नहीं पड़ा था। उसे बस नजर भर अपने उस यार को देखना था, जिसके लिए वो तड़पता हुवा यहां तक आया है।
एल
स्वप्निल : में बिल्कुल ठीक हू। मुझे कुछ नहीं हूवा। पर शायद मुझसे कुछ गलत जरूर हो गया है। तू बैठ में फटाफट नाह कर आता हूं। फिर बात करेंगे।

आधे घंटे बाद स्वप्निल उसे उन लोगो के साथ हुई सारी घटनावोकी जानकारी देता है। जंगल में किस तरह मीरा को बचाने के लिए उसे शादी यहां तक की सुहागरात भी मनानी पड़ी थी। इन सब के बारे मै बताता है।

समीर : शादी तक तो ठीक है। पर अब कल रात का क्या करेगा ? शायद मीरा को याद ही ना हो की क्या हुवा है। या फिर शायद वो शादी के बारे में भी भूल गई हो।

स्वप्निल : मुझे नहीं लगता वो कुछ भूल गई होगी। और जहा तक रही कल रात की बात तो में मीरा के लिए जिम्मेदार हू। में इन बातो से पीछे नहीं हटूंगा। मुझे एहसास है कि मैंने क्या किया है। पर उस वक्त मीरा ने बेहोशी में एक बात कही थी.......


पिछली रात के सारे दृश अभी भी उसकी आंखो के आगे घूम रहे थे। किस तरह उसके कमरे में आते ही स्वप्निल ने उसे गले लगाया था। किस तरह उसे डर लग रहा था की वो लोग स्वप्निल को मार डालेंगे। उसने कुछ छास जैसी चीज पी थी जो कि स्वाद में मीठी थी। उस के बाद उसने स्वप्निल को गले लगाकर कहा था, की वो उसे पसन्द करती है। यहां तक की किस तरह स्वप्निल ने उसे छुआ था। वो एहसास, उस रात की हर एक छोटी से छोटी बात उसे नशे में होने के बावजूद भी याद थी।

रुको उसने उसे क्या कहा ??????????

एक झटके में मीरा की सारी नींद खुल गई वो अपने बिस्तर पर बैठ खड़ी हुई।

"ये एक सपना था। हा सपना ही होना चाहिए। पर इतना सच्चा सच्चा क्यों लग रहा है।" एक आह के साथ वो अपने खयालों से दूर हो गई ।

मीरा के कमरे से आने वाली आवाज सुन स्वप्निल और समीर ने अपनी बातचीत बंद कर उसके पास जाना ठीक समझा।
जब वो दोनो कमरे में पोहचे तो मीरा रो रही थी। उसे देख स्वप्निल तुरंत उसके पास बैठ गया।

स्वप्निल : क्या हुवा ? तुम रो क्यों रही हो।

मीरा : मुझे पेट में बोहोत दर्द हो रहा है। पता नहीं क्यों ? ऐसा दर्द तो पहले नहीं हूवा ?

स्वप्निल और समीर एक दूसरे को देखते है। समीर स्वप्निल को उससे कुछ पूछने का इशारा करता है।

स्वप्निल : मीरा दर्द पेट में हो रहा है। या पेट के आस पास ????

मीरा : शायद आस पास।

दोनो मीरा की तकलीफ समझ जाते है। स्वप्निल उसे एक ग्लास गरम पानी पीने के लिए देता है।

स्वप्निल : थोडी देर शायद तुम्हे तकलीफ हो पर एफआईआर ठीक हो जायेगा। ये पानी पीयो और अन्दर जाकर नहा लो । में और समीर नाश्ते पर बाहर तुम्हारा इंतजार कर रहे है। ठीक है।

मीरा : हा।

वो फिर स्वप्निल की तरफ देख चुप हो जाती है। समीर पहले कमरे से बाहर चला जाता है। स्वप्निल मीरा की उठने में मदत करता है। दर्द की वजह से उसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। शायद रात को नशे में होने की वजह से उसे कुछ समझ ना आया हो। पर अब उसे कुछ कुछ बाते समझती दिखाई दे रही थी। यहां तक की उसे उस सपने को हकीकत मालूम पड़ गई थी।

"मीरा बेवकूफ वो बॉस है तेरे, तू ये कैसे कह सकती है। वो क्या सोच रहे होंगे, पर रुको उन्होंने भी तो मेरे साथ वो सब किया जो दो प्रेमी एक दूसरे के साथ करते है। क्या वो भी मुझे पसंद करते है।" अपने आप को कोसते कोसते अचानक एक अलग लाली उसके चहरे पर छा गई। नहा कर जल्द ही वो अच्छे से तैयार हो गई। उसे आज खुद को आईने में देखने का दिल कर रहा था, तभी पेट से आवाज आई। कल रात से उसने कुछ खाया नहीं था। अब उसे बोहोत भूख लग रही थी। वो तुरंत स्वप्निल और समीर के पास नाश्ते के टेबल पर पोहोची।

समीर : बैठो मीरा। अब कैसी है तुम्हारी तबियत ?

मीरा एक नजर उठाकर स्वप्निल को देखती हैं, उसका चेहरा फिर से लाल पड़ने लगता है।

स्वप्निल : मीरा मुझे तुमसे कल शाम के बारे में कुछ बात....

उसकी बात बीच में रोक मीरा अपने नाश्ते का प्लेट उठाती है।

मीरा : मेरे डैड कहते है, खाना खाते वक्त बात नहीं करनी चाहिए। हम पहले नाश्ता कर ले फिर बात करते है। वैसे भी मैंने कल शाम से कुछ नहीं खाया।

स्वप्निल : हा पर हमारी बात भी जरूरी है।

मीरा : प्लीज बॉस मेरा सर पहले से ही घूम रहा है। और तो और कल रात की वजह से मुझे पहले से ही बॉडीपेन हो रहा है।

इतना कह देने के ५ मिनिट बाद उसे तुरंत समझ आ गया की उसने क्या कह दिया है। उसने चोर नजर से स्वप्निल को देखा, उसे वो नाराज लगा इसलिए मीरा ने तुरंत अपनी नजरे उस पर से हटा ली। वहीं दोनो की बाते सुन समीर को हसी आ रही थी। पर दिल ही दिल में वो बोहोत खुश था, क्यों ना हो पहली बार उसे लग रहा था की स्वप्निल सच में किसी ओर की फिक्र कर रहा है। स्वानिल भले ही कितना भी चीखे और चिल्लाये की उससे ये शादी जबरदस्ती करवाई गई है। पर समीर उसे अच्छे से जानता था, जब तक उसका दिल राजी ना हो वो कोई काम नहीं करता। जहा तक रही मीरा की बात वो अभी भी शान्ति से नाश्ता कर रही थी। रात को वाकई दोनो ने बड़ी मेहनत जो कि थी। सारी बाते सोच समीर मुस्कुरा देता है।

स्वप्निल : तुझे क्या हुवा ? बिना किसी बात के हस क्यों रहा है।

समीर : कुछ नहीं। जोक याद आ गया था।

स्वप्निल : खैर। मीरा हो गया तुम्हारा नाश्ता या और कुछ खाना है ?

मीरा : हो गया हो गया । कहिए क्या कह रहे थे आप।

स्वप्निल : वो कल जो हुवा, मतलब शादी और सब

मीरा : वो आप की गलती है।

स्वप्निल : क्या वो मेरी गलती कैसे ? मैंने तुम्हारे लिए वो किया अपने उसूलों के खिलाफ।

मीरा : कौनसे उसूलों की बात कर रहे है आप। और हा आप की गलती है। अगर आप सही वक्त पर पहली शादी कर लेते, तो दूसरी शादी खुदबखुद रद्द हो जाती। आज आप अपने परिवार के पास होते और में अपने। पर देखिए आपने क्या किया ? सीधा दूसरी शादी की, अब आप ही की वजह से मै भी इस शादी में फस गई हू।

स्वप्निल : ऑफिस में लड़कियों से बात तक नहीं करता में। और तुम्हे बचाने के लिए शादी कर ली मैंने। लेकिन तुम्हे देखो एहसान फरामोश। तुम्हे उन आदिवासियों के पास ही छोड़ कर आना चाहिए। वहीं सही जगह है तुम्हारी।

मीरा : ठीक है। ठीक है। ज्यादा होशियारी नहीं बॉस क्यों की मै शादी नहीं करती तो वो आपको भी मार डालते। तो हम दोनो ने एक दूसरे की जान बचाई। इसीलिए हम दोनो बराबरी के हिस्सेदार।

समीर : क्या बात कही है मीरा। बिजनेस मैन की बेटी लगती हो।

एक पल के लिए मीरा के चेहरे पर आया घमंड ये बात सुन तुरंत खो जाता है।

मीरा : बिजनेस मैन। मेरी डैड। सर आपने उन्हें तो कुछ नहीं ना बताया ?

समीर : नहीं मीरा। फिक्र मत करो। हमारे बॉस इतना डर गए थे तुम दोनो की गायब होने की खबर सुन उन्हे कुछ सूझा ही नहीं। उन्होंने मुझे कॉल किया, और मैंने इस बात को ऑफिशियली क्लोज कर बाहर जाने से बचा लिया।

मीरा : पर घर जाकर तो मेरे पापा को पता चलेगा ही ना तब हम क्या करेंगे ?

स्वप्निल : उस से भी ज्यादा हमे इस शादी का क्या करना है ? कुछ सोचा तुमने।

मीरा : मुझे क्या पता शादी के बाद क्या करते है ? ये मेरी पहली शादी है।

समीर तुरंत उत्सुकता से बीच में बोल पड़ता है।
समीर : हालाकि मेरी भी अभी पहली शादी चल रही है। पर मुझे पता है शादी के बाद क्या क्या होता है। तुम चाहो तो में समझा सकता हू ???

स्वप्निल उसे एक गुस्सेभरी नजर से देखता है।

समीर : गृहप्रवेश। में गृहप्रवेश की बात कर रहा था।

स्वप्निल : मेरी भी पहली ही शादी है मीरा। लेकिन मैंने शादी के बाद नहीं, शादी का क्या करना है पूछा था। समझी।

मीरा : क्या मतलब ? अब में कुछ नहीं कर सकती अब जो भी करेंगे मेरे डैड करेंगे। में उनसे कुछ नहीं छिपाती नाही ये बात छिपाऊंगी। आप मेरे साथ चल कर उन्हें पूरा सच बताएंगे मुझे नहीं पता कैसे। पर आप उन्हें सब बताएंगे। चाहे तो मेरी बीमार पड़ने वाली बात काट सकते है। लेकिन शादी का पूरा सच आपको उन्हे बताना होगा।

स्वप्निल : ठीक है। पूरा ही सच बताना है, तो वो बात क्यों छुपानी। सब बता दूंगा।

इतना कह वो वहीं बैठ जाता है। दोनो में से कोई किसी को नहीं देख रहा दोनो अपनी अपनी जिद में लगे हुए है। समीर दोनो को देख एक लंबी सी मुस्कान पहने वहीं बैठा रहा। जब आप किसी के साथ रिश्ता तय करने जाते है। सबसे पहले जन्मपत्री मिलाई जाती है। कहते है ३१ गुन जुडना शुभ होता है। लेकिन यहां तो पूरे ३६ गुन है जो जुड़ चुके है। रिश्ते बदलने नहीं चाहिए थे। लेकिन बदल चुके है। ऐसे में भला कौन और किसे समझाएं। जिम्मेदारी कौन उठाए। ये तो वक्त ही बताएगा।