तभी पीछे से यश की पैंट खींचकर विहान यश से पूछता है'क्या हुआ भैया किसे ढूंढ रहे हो आप'... यश एक गहरी सांस लेता है और यश को गोद मे उठा लेता है.... ""तुझे ही ढूंढ रहा था, कहाँ गया था तू?"
'मै वो बस, वाशरूम गया था'...
"अच्छा ठीक है, तूने लंच किया?"....यश के पूछते ही विहान एकदम चुप हो गया..लेकिन यश ने बात को वहीँ खत्म कर के विहान को लंच के लिए पूछा …..
"मेरे साथ लंच करेगा,चल आज दोनों भाई साथ मे लंच करेंगे"...विहान सुन कर थोड़ा खुश हो गया लेकिन वो थोड़ा डरा भी था क्यूंकि उसका लंच तो सुबह ही बस मे खत्म हो गया था।
विहान को नीचे उतार कर यश उसे सीधे अपनी क्लास मे ले गया और उसे लेजा कर अपनी सीट पर बैठा दिया और खुद एक टेबल सरका कर उसके सामने बैठ गया, यश ने अपना बैग खोला और अपना टिफिन खोलकर विहान के आगे रख दिया….टिफ़िन खुला ज़रूर रखा था लेकिन विहान ने टिफ़िन की तरफ देखा तक नहीं, उसकी नज़रें तो बस यश के पीछे एक कोने मे बैठकर रोते हुए हर्षित को देखे जा रही थी…,... जो कि वहां से विहान और यश को घूर रहा था….
"विहु क्या हुआ? तुझे भूख नहीं लगी, शुरू कर ना जल्दी से नहीं तो लंच टाइम ओवर हो जायेगा…." विहान ने यश के पूछने पर कोई जवाब ही नहीं दिया…"तेरा पेट तो ठीक है ना…" यश के दोबारा पूछने पर भी उसने कोई हरकत नहीं कि तब यश ने गौर किया कि विहान डरा सहमा सा किसी को देख रहा है…..उसने तुरंत पीछे घूमकर देखा तो हर्षित ने अपनी नज़रें फेर लीं जो विहान और यश को गुस्से से घूर रहा था …..यश टेबल पर हाथ मारकर गुस्से से उठा…""तेरी तो…"" तभी उसे विहान का ख्याल आया और सर की समझायी बातें….
यश ने टिफ़िन उठाया और विहान का हाथ पकड़ा..""चल विहान आज हम लोग प्लेग्राउंड मे बैठकर लंच करेंगे"" और वो क्लास से चले गए….लंच करते टाइम यश ने सोचा की वो विहान से सुबह के बारे मे कुछ पूछे...वो कुछ पूछता तब तक विहान बोला..""भाई मैंने खा लिया, अब नहीं"...फिर यश ने विहान को भी थोड़ा परेशान जानकर उस से कुछ भी पूछना ठीक नहीं समझा.....""अरे तूने तो कुछ भी नहीं खाया, चल मे खिलाता हूँ तुझे ""...दोनों ने लंच किया, घंटी बजी और सब अपनी क्लास मे जाने लगे, यश ने भी फटाफट टिफ़िन बंद किया और विहान को उसकी क्लास मे ले जाने लगा जो कि यश की क्लास से थोड़ी दूरी पर थी…
विहान की टीचर क्लास मे आ चुकी थीं…
""जा विहान अपनी सीट पर और छुट्टी मे मै लेने ना आऊं तब तक कहीं जाना मत, ठीक है""...यश ने विहान के कपडे ठीक करते हुए कहा, विहान ने हाँ मै सर हिलाया और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया और यश भी अपनी क्लास मे जाने लगा…..,.... लेकिन यश, विहान को लेकर थोड़ा परेशान और डरा हुआ था... प्रिंसिपल सर की कही बातें उसे बार बार परेशान कर रही थीं.... तो उस से रहा नहीं गया वो वापस विहान की क्लास मे गया और उसकी मैडम को बाहर बुलाकर मैडम से बोला…""एक्सक्यूज़ मी मेम! मेम लास्ट क्लास आपकी यहीं होती है, तो अगर आज छुट्टी के बाद, विहान को लेने आने मे मुझे अगर देर हो जाये…,.. तो क्या आप इसे अपने साथ ले आएँगी""
'हाँ! हाँ!यश बेटा क्यों नहीं? ज़रूर ले आउंगी'….यश स्कूल का हेड बॉय था तो लगभग पूरा स्कूल उसे जानता था...इतना कहकर यश जा ही रहा था की मैडम ने उस से पूछ ही लिया....'यश! क्या हुआ बेटा?...कोई बात?....आज तुम थोड़ा परेशान सा लग रहे हो और विहान की तरफ देख कर बोलीं…,.. विहान भी कई दिनों से बड़ा गुमसुम सा रहने लगा है...एनी प्रॉब्लम'....
यश सुनकर थोड़ा हिचकिचा गया और बोला…""नहीं मेम कुछ नहीं, वो बस थोड़ा पढ़ाई का स्ट्रेस है बस….एक्साम्स आ रहे है ना सबके, बस isiye शायद''"....इतने मे विहान की क्लास मे बच्चे शोर मचाने लगे, तब मेम बिना किसी और सवाल जवाब के अपनी क्लास को सँभालने लगी...इधर यश भी जल्दी से वहां से निकला और अपनी क्लास की तरफ़ जाने लगा….
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