राम रचि राखा - 6 - 8 Pratap Narayan Singh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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राम रचि राखा - 6 - 8

राम रचि राखा

(8)

बाबा के रूप में मुन्नर कुटी पर स्थापित हो चुके थे और उनके चमत्कारों के छोटे-मोटे किस्से कभी-कभी प्रकाश में आने लगे थे-- कभी एक ही क्लास में दो साल से फेल हो रहा मँगरू पास हो जाता। कभी पंद्रह दिन से बीमार चल रहे रामजनम के बेटे का बुखार बाबा के स्पर्श मात्र से ही उतर जाता। कभी परवतिया का भूत बाबा के सामने आने से ही भाग खड़ा होता। कभी जीतन की भैस, जो दो बार से पड़वा जन रही थी, इस बार पड़िया को जन्म दे देती। कभी गाँव में डकैती डालने की योजना बना रहे डकैत, डकैती से पहले ही पुलिस के द्वारा पकड़ लिए जाते।

गाँव की बहुत सी छोटी-बड़ी घटनाएँ बाबा के तपोबल से प्रभावित होने लगी थीं।

यदि किसी को बाबा के आशीर्वाद का इच्छित फल नहीं मिल पाता तो वह यही सोचता कि श्रद्धा में कहीं कमी रह गयी होगी या फिर ईश्वर ही विपरीत होंगे। आस-पास के गाँव के लोग भी गाहे-बगाहे बाबा का आशीर्वाद लेने चले आते। ललिता पंडित के ऊपर बाबा की विशेष कृपा थी। वे बिना बाबा के आशीर्वाद के एक खर भी इधर से उधर नहीं करते थे।

लेकिन उस दिन गजब हुआ जब पड़ोस के गाँव के चन्द्रबली सेठ अपनी कार से उतरे और बाबा के पैरों में लेट गये। साथ में आई लारी से फलों की टोकरी, मिठाई के डिब्बे , गद्दे, रजाई, सखुआ की लकड़ी का बना सुन्दर तख्त जिसके पायों पर नक्काशी की गयी थी, उतरने लगा।

बाबा अपनी झोपड़ी में तख्त पर बैठे थे। सामने एक दरी बिछी हुयी थी जिस पर श्रद्धालु आकर बैठते थे। चन्द्रबली का घुटना जमीन पर टिका था और माथा बाबा के पैरों पर। आँखों से आँसुओं की धार बह निकली थी। ख़ुशी के आँसू थे।

आज से एक साल पहले यही चन्द्रबली इसी झोपड़ी में बाबा का दर्शन करने पत्नी सहित आये थे। मुख पर क्लेश था। होता भी क्यों नहीं। कहाँ-कहाँ नहीं जा चुके थे। कोई भी मंदिर-मजार, पीर- फकीर, साधु -महात्मा, डाक्टर-वैद्य उनकी जानकारी में न बचा था, जहाँ वे सिर न नवा चुके हों। किन्तु फिर भी पत्नी की गोद हरी न हो पायी थी। हर जगह नाउम्मीदी ही हाथ लगी थी।

भगवान का दिया सब कुछ था। अच्छा खासा कारोबार। धन-दौलत, घोड़ा-गाड़ी सभी कुछ। कुछ न था तो वो महल जैसे घर के आँगन को अपनी किलकारियों से भरने वाली संतान। संतान सुख के लिए दिन रात छटपटा रहे थे। विवाह हुए सात साल हो चुके थे, किन्तु संतान का मुख देखने को तरस गए थे।

उस दिन जब बाबा के चरणों में सिर नवाकर अपना दुखड़ा सुनाये तो बाबा ने कहा था - " ईश्वर पर भरोसा रखिये, सब ठीक हो जाएगा।" और पास में पड़ी कठौती में से लाचीदाना का प्रसाद उठाकर पति-पत्नी दोनों को दिए। बाबा के पास जो भी याचना लेकर आता था, बाबा उसकी मनोकामना पूर्ण करने के लिए इसी मंत्र का प्रयोग करते।

चन्द्रबली के घर आज बेटे ने जन्म लिया है। जिस ख़ुशी के लिए वर्षों से तरस रहे थे, आज वह आँसुओं में ढलकर बाबा के चरणों को प्रक्षालित कर रही थी। बाबा ने उन्हें शांत कराकर बैठाया। दरी पर कुछ और भी भक्त गण बैठे हुए थे।

"बाबा! आप तो साक्षात देवता हैं, आपके आशीर्वाद से ही मेरा भाग्य उदित हुआ। आप मेरे लिए भगवान है...।" चन्द्रबली सेठ भाव विभोर हो उठे थे और बाबा की शक्तियों की आराधना करने लगे ।

पूरे क्षेत्र में बच्चा-बच्चा जान गया कि कुटी के बाबा असीम शक्तियों के स्वामी हैं। कुछ भी करने में सक्षम। गाँव के कुछ संभ्रांत लोग जिनके मन में अभी तक शंका थी, उन्हें भी बाबा के चमत्कारों पर अब अविश्वास न रहा। जो लोग पहले बाबा की कुटी तक कभी नहीं जाते थे या किसी के साथ चले भी गए तो दूर से ही प्रणाम करके निकल लेते थे। अब उनके पास जाकर पूरी श्रद्धा से सिर नवाने लगे।

कुटी की कायापलट होने लगी। चन्द्रबली सेठ ने दो पक्के कमरे बनवा दिए, एक दूसरे से जुड़े हुए। एक में बाबा के सोने के लिए पलंग थी और दूसरे में बाबा दोपहर के भोजनोपरांत ध्यान लगाते थे। एक छोटा सा मंदिर भी बन गया था, जिसमें रामजी की मूर्ति थी, सीता मैया के साथ और एक दीवार से लगी भक्त हनुमान की मूर्ति थी। गाँव के लोग भी यथाशक्ति बाबा के आराम के साधन जुटाते रहे ।

धीरे-धीरे बाबा की कुटी तक आधुनिक संसाधन भी आने लगे। अभी तक गाँव में सरकारी ट्यूबवेल के अलावा कुछ एक बहुत ही सम्पन्न लोगों के घर पर ही बिजली थी लेकिन अब बाबा की कुटिया भी बिजली की रोशनी में चमकने लगी। बिजली के पंखे भी लग गए थे। रिकॉर्ड प्लेयर आ गया। बाबा रोज सुबह उठकर मुकेश का गाया राम चरित मानस का रिकॉर्ड लगा देते थे। पूरी कुटी भक्तिमय स्वर लहरियों में डूब जाती।

कई वाद्य यन्त्र भी आ गए। गाँव के कई गवैये और भक्त शाम को कुटी पर आ जाते और रोज कीर्तन होता। ढोल, मजीरों की आवाज से कुटी गूँज उठती। अब कुटी सुबह- शाम चहल-पहल से भरी रहने लगी।

क्रमश..