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इलाहाबादी चिट्ठी बाबू जी के नाम

प्रिय बाबू जी,

आपका पत्र हमको मिला। हम यहाँ कुशल से हैं और आशा करते है की वहाँ भी सब कुशल ही होगा।

बाबू जी आपको सूचित करते हुये बहुत हर्ष हो रहा है कि इस बार फिर हमारा समीक्षा अधिकारी का मेन्स निकल गया है। इंटरव्यू की डेट अगले महीने आयेगी। एस एस सी का प्री भी निकाल लिये हैं वही जिसका पिछली बार इंटरव्यू में एक नम्बर से रह गया था। इस बार हमारा इंटरव्यू पर पूरा फोकस है अबकी कोई गड़बड़ नहीं होगी।

पत्र में आपने जो प्रश्न हमसे पूछे थे उनका जवाब हम इसमें लिख रहें हैं। लेकिन उससे पहले आपको ये बताते चले कि हमें पता है कि शर्मा अंकल ने आपको ये सब तेल मिर्च लगा के बताया है। एक नम्बर के बैलेठ आदमी हैं। पिछले हफ्ते वो यहाँ अपने लड़के से मिलने आये थे तो यहाँ भी आये थे। उनका लड़का पिछले चार साल से यहाँ पड़ा है आज तक एक प्री तक नहीं निकला है उसका। रोज शाम को सुट्टा मारते मिलता है। उनके पहले अपने लड़के पे ध्यान देने की जरूरत है मगर वो हैं कि सारी दुनिया में मीन मेख ढूँढते फिरते हैं।
अच्छी बात बनाई उन्होंने कि हमें शहर की हवा लग गयी है।
अब आपके सवालों पर आता हूँ। जिस बोतल का जिक्र आपने किया है असल में वो एक दिन तेल लेना था हमारे पास कुछ था नहीं तो दुकान वाले भैया ने उसी में भर कर दे दिया। तेल खत्म हुआ तो बोतल वैसे ही रख दिये क्या पता फिर काम आ जाये वही शर्मा अंकल बड़े ध्यान से देख रहे थे। दूसरा सोने वाली बात तो बाबू जी जिस दिन शर्मा अंकल आये थे उस दिन रात में काफ़ी देर तक पढ़े थे और कोचिंग की भी छुट्टी थी तो सुबह उठने में जरा देर हो गयी उससे पहले ही शर्मा अंकल धमक पड़े। तीसरा वो लड़की की कापी वाली तो बाबू जी इस बार घर आये थे तो एक दो क्लास छूट गयी थी आपको बताया भी था उसी की नोट्स पूरा करने के लिये सर ने एक लड़की से कापी दिलवा दी वही कापी शर्मा अंकल ने देख ली बस इतनी सी बात है। बाकी लड़की का कोई चक्कर नहीं है। बाल बढ़ाने वाली बात भी ऐसे ही है बाबू जी पिछले दो रविवार एक्स्ट्रा क्लास होने की वजह से कटा नहीं पाये इसीलिये थोड़े से बढ़ गये हैं। रही बात पढ़ाई की तो हम पूरा मन लगा के पढ़ रहे हैं जल्द ही आपको परिणाम भी अवश्य देखने को मिलेगा।

बाबू जी अंत में यही कहना है कि हमें अपनी जिम्मेदारियों का पूरा अहसास है। हम कभी आपके सम्मान को पलीता न लगने देंगे और कोई भी ऐसा काम नहीं करेंगे की आपको ठेस पहुँचे।

कई दिनों से आपसे कह रहा हूँ कि धनिया अब बूढ़ी हो चली है दूसरी बढ़िया नस्ल की भैंस ले आइये जिससे अच्छा दूध मिल सके। अम्मा भी यही चाहती है। अगले महीने दीवाली की छुट्टी में घर आयेंगे। इस बार कटाई के बाद कुछ बचत हो तो दलान गिरवा कर पक्का कराना है। दिदिया के ब्याह के लिये भी जरूरी है। देखुवार लोग सब आते हैं तो घर दुआर भी देखते हैं। ब्याह की चिन्ता मत करिये तब तक हमारा कहीं न कहीं फाइनल हो ही जायेगा।

अम्मा को हमारा चरणस्पर्श और छुटकी को प्यार देना।
चरणस्पर्श।

आपका,
रामदीन

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