राधा Abhinav Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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राधा

1.
दिवस और साँझ मिलकर एक हो रहें हैं। नीले अम्बर में हल्का सिंदूरी रंग घुला हुआ है। गोमती की जल तरंगे आपस में अठखेलियां करते कल-कल ध्वनि के साथ प्रवाहमान है। चाँद ने अभी अभी आसमान की चादर हटाकर झाँकना शुरू किया है। अमन गोमती पर बने पुल पर खड़ा पानी को बहते हुये देख रहा है मानो गहराई की थाह लेना चाहता हो। पैन्ट की जेब से फोन निकाल कर कोई नम्बर डायल करता है घण्टी जाती है दूसरी तरफ एक लड़की फोन उठाती है।
हैलो! अमन हैलो!
‘हाँ प्रीति’ अमन ने काँपते हुये स्वर में उत्तर दिया।
कहाँ हो तुम? कब से मैं फोन मिला रही थी। क्या हुआ? पापा से बात हुयी?
नहीं। बात करने का मतलब तब है जब उसका फायदा हो। मुझे पता है वो नहीं मानेगें।“ अमन की आवाज का कम्पन अब सिसकियों में बदल चुका था।
अच्छा कोई नहीं। मैं करूँगी बात। तुम मत परेशान हो बस।“ प्रीति ने दिलासा दी
नहीं तुम कुछ बात नहीं करोगी। तुम नहीं समझ रही वो नहीं मानेगें।
हाँ ठीक है मैं भी नहीं करूँगी बात। तुम ये बताओ तुम हो कहाँ पर?
गोमती पुल पर खड़ा हूँ।
गोमती पुल? प्रीति ने जरा जोर देकर पूछा।
हाँ
वहाँ क्या कर रहे तुम?
देख रहा हूँ कितनी गहरी है ये नदी। कितना कुछ समेट कर बह रही है। मन करता है अपना सारा दर्द सारी पीड़ा इसी के जल में घोल दूँ। इसके साथ ही बहता चला जाऊँ।
कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे। तुम अभी घर जाओ नहीं तो मैं कुछ कर लूँगी। पागल हो गये हो तुम।
मेरे बिना रह लोगी तुम?” अमन ने अचानक से प्रश्न किया।
ये कैसा बेकार सा सवाल है। चुपचाप घर जाओ तुम।
बताओ ना?
नहीं कभी नहीं। नहीं रह सकती तुम्हारे बिना। बस अब हाथ जोड़ के कह रही प्लीज घर जाओ।
चला जाऊँगा अभी। यहाँ सुकून मिलता है।“ इतना कहकर अमन ने फोन काट दिया। इसके बाद लगातार फोन रिंग करता रहा। अमन ने फोन साइलेंट कर जेब में रख दिया।
अमन और प्रीति साथ पढ़ते थे। दोनों शहर के ही कालेज से बीएससी कर रहे थे। वहीं दोनों की मुलाकात हुई पहले दोस्ती फिर धीरे धीरे प्यार और प्यार भी ऐसा कि एक दुसरे की नींद सोते और जागते। अभी प्यार परवान चढ़ा ही था कि प्रीति के घर वालों को उसके विवाह की पड़ गयी। फिर क्या रिश्ते आने लगे लड़के देखे जाने लगे। उधर अमन के पिता विश्वेश्वर मिश्रा जनेऊधारी ब्राह्मण थे धर्म कर्म के पक्के और प्रीति ठहरी कायस्थ अमन जानता था वो इस रिश्ते के लिये कभी हाँ नहीं कहेगें। माँ से बात करके भी कोई विशेष लाभ न हुआ। फिर क्या न खाने पीने में मन लगता न तो पढ़ने लिखने में दिन रात किसी और ही दुनिया में खोया रहता। हालांकि उसके व्यवहार में यह परिवर्तन उसके दोस्तों उसके घरवालों सभी ने महसूस किया पर कभी किसी ने उससे बात नहीं की और जख़्म अंदर ही अंदर नासूर बनने लगा।
यूपी में प्रेम की विफलता कोई नयी बात नहीं। बल्कि यहाँ तो ज्यादातर इश्क़ के किस्से शुरू ही होते हैं अपने हिस्से में एक दुखान्त लेकर। मोहब्बत तो हम किसी से भी कर सकते हैं लेकिन शादी नहीं मोहब्बत में जरूरी है कि आप एक दूसरे को समझते हों, एक दूसरे पर भरोसा करते हों मगर शादी की तो पहली शर्त है कि आप एक दूसरे की जाति के हों। ये बात और है कि एक जाति के तो भगवान राम और माता सीता भी नहीं थे लेकिन उनकी बात और है वो भगवान हैं। वैसे भी अमन मध्यम वर्गीय समाज का हिस्सा है उसके लिये दूसरे जाति की लड़की से विवाह का स्वप्न देखना ऐसे ही है जैसे पत्थर पर पेड़ उगना। एक बात और अमन पीपल था भी नहीं कि पत्थर में भी पनप आये।


2.
दिन भर ख़्यालों में खोये रहना, देर रात तक घर से बाहर रहना आजकल अमन की दिनचर्या हो चली थी।
रोज शाम को गोमती के पास एक निर्जन स्थान पर आकर बैठता और घण्टों वहीं बैठा रहता। नदी उस पार श्मशान था वहाँ जलती चिताओं को देखता। यहाँ उसे अलग ही सुकुन मिलता था।
अमन आज भी वहीं बैठा अपनेआप में खोया हुआ है। अचानक ऐसा महसूस होता है जैसे कोई पीछे से चलता आ रहा हो। अमन ने पीछे मुड़ कर देखा तो एक काया उसकी ओर बढ़ती प्रतीत हुयी। धीरे धीरे पास आती गयी अब वह स्पष्ट देख सकता था। एक लड़की कोई बीस एक वर्ष की लम्बे लटदार बाल, दूध सा सफेद वर्ण काले रंग की छींट वाली सलवार और समीज। सुंदरता ऐसी कि कोई भी देखे तो देखता रह जाये। अमन आश्चर्य में था यहाँ निर्जन स्थान पर शायद ही कोई आता हो उस पर ये लड़की यहाँ पता नहीं क्या कर रही। खैर लड़की नजदीक पहुँची तो अमन नजर हटाकर फिर से गोमती की लहरों में खो गया।
हैलो! पास से आवाज़ आयी
अमन ने फिर से नजर घुमायी, लड़की उसके बगल थोडी दूरी पर बैठी थी।
अमन थोड़ा हिचकिचाया और जवाब में हल्का सा मुस्कुरा कर फिर नजर हटा ली।
परेशान हो।“ लड़की ने बिना अमन की तरफ देखते हुये पूछा।
नहीं। क्यों?
झूठ मत बोलो। तुम्हारे चेहरे पर लिखा है।
तुमसे क्या?
लड़की ने जोर का ठहाका लगाया और बोली,”बस यूँ ही सोचा कि तुम्हारा दर्द बाँट लूँ।
तुम मेरा दर्द नहीं बाँट सकती। वैसे भी इतनी रात में तुम्हें यहाँ नहीं होना चाहिये।
मेरी छोड़ो। मैं रोज यहाँ आती हूँ।
झूठ! मैंने नहीं देखा तुम्हें कभी।
हाँ! क्योंकि मैंने दिखाया नहीं। तुम्हें रोज देखती हूँ यहाँ बैठे हुये ऐसा लगता है कि किसी सवाल का जवाब ढूँढ रहे। मुझे लगा शायद मेरे पास जवाब हों।
मेरे सवालों का जवाब किसी के पास नहीं।
देखो बात तो करनी चाहिये। बातें हर समस्या का हल ढूँढ लाती हैं। चलो अब बताओ भी क्यों परेशान हो परीक्षा से, परिवार से या फिर प्यार से?
प्यार! अमन ने एक कंकण नदी में फेंकते हुये कहा।
हाहा! मुझे लगा ही था। आजकल की सबसे बड़ी समस्या यही है। प्यार में धोखा मिला?
नहीं। मैं जिससे प्यार करता हूँ उसके घर वाले उसकी शादी करना चाहते हैं।
अच्छा और वो क्या चाहती है?
वो कौन?
जिससे प्यार करते हो और कौन?
वो मेरे बिना नहीं रह सकती और मैं उसके।“ अमन की आँखो में आँसू आ गए।
घर पर बात की?
नहीं पर मुझे पता है पापा नहीं मानेगें।
बिना बात किये ही मान लिया। वाह। अजीब हो यार प्यार भी करते हो डरते भी हो।
डरता नहीं हूँ। कह नहीं पाता।
तो फिर आगे क्या सोचा है?
कुछ नहीं सोचना क्या है। अगर हम साथ नहीं जी सकते तो जीने का कोई मतलब नहीं है।
लड़की ने फिर से जोर का ठहाका लगाया।
इसमें हँसने की क्या बात है? अमन ने उसे देख कर पूछा।
हँसूं न तो और क्या करूँ? घरवालों से बात करने कि हिम्मत तो तुम्हारे अंदर है नहीं बातें करते हो साथ जीने और मरने की। मरने क्या सब कुछ ठीक हो जायेगा?
नहीं ठीक नहीं होगा पर रोज रोज किसी की याद में मरने से अच्छा है एक ही बार में सब ख़त्म कर लेना।
और तुम्हारे घर वालों का क्या? उनके बारें में कभी सोचा?
सोचा है। क्या लोग मरते नहीं हैं? आदमी के जाने के बाद लोग उसके बिना जीना सीख जाते हैं। वो भी रह लेगें।
तुम एक लड़की के बिना नहीं रह सकते और वो तुम्हारे बिना रह लेगें। प्यार तो वो भी करते हैं तुमसे।
हाँ पर मेरा प्यार अलग है। मैं प्रीति के बिना नहीं रह सकता।
बच्चू मरना बहुत आसान है लेकिन एक दर्द के साथ जीना बहुत मुश्किल हर रोज खुद से लड़ना पड़ता है इंसान को और तुम तो बिना लड़े ही हार मान गये।
तुम मेरी बात नहीं समझोगी। वही समझ सकता है जिसने कभी किसी से सच्चा प्यार किया हो।“ अमन ने गुस्से में कहा और उठकर जाने लगा।
अरे रूको कहाँ जा रहे सुनो तो।
मुझे नहीं रूकना।
अच्छा आओ तुम्हें एक कहानी सुनाती हूँ। रूक जाओ।
मैं क्यों सुनूँ तुम्हारी कहानी?
सुन लो तुम्हारे काम की है।
अमन रूक गया।
बैठो भी। आज पहली और आखिरी बार मिली हूँ कल से ना करूँगी परेशान फिर तुम आराम से बैठना यहाँ।
हम्म! क्या सुनाने वाली थी तुम।“ अमन ने रूखेपन से पूछा।
हाँ। एक कहानी जो मुझे यहाँ लेकर आती है।
एक सहेली थी मेरी राधा। हम बचपन से साथ खेले, पढ़े कालेज भी साथ ही गये।...
थी मतलब अब नहीं है क्या?” अमन ने बात काटते हुए पूछा।
चुपचाप सुनो बता रही हूँ।“ लड़की ने कहा और कहानी को आगे बढ़ाया
तो हम कालेज साथ गये। कालेज हम लोग के लिये सुंदर स्वप्न जैसा था। नये दोस्त नयी जगह सब कुछ जैसा हम सोचा करते थे। राधा और मैं अक्सर कालेज की कैंटीन में बैठते गप्पें मारते धीरे धीरे हमारा एक ग्रुप बन गया था। मैं राधा रोहन गीता और विकास। हम पाँच हमेशा साथ ही रहते। कालेज की मस्ती में फर्स्ट ईयर कब बीत गया पता ही नहीं चला। सेकेंड ईयर की शुरूआत में मैं और राधा कैंटीन में बैठे बातें कर रहे थे इतने में रोहन वहाँ आया उसके हाथ में एक गुलाब था। हमारे पास आते ही उसने गुलाब राधा की ओर बढ़ा दिया। हम दोनों अवाक् रह गये। गुलाब के साथ एक कार्ड था जिसपर आई लव यू लिखा था। उसमें एक लेटर भी था। रोहन कुछ बोला नहीं कार्ड देकर वापस चला गया। हमने लेटर खोला और पढ़ना शुरू किया...
राधा.....
मुझे नहीं पता ये तुम्हें सही लगेगा या नहीं पर मैं खुद को रोक नहीं पाया। सुबह शाम मुझे तुम दिखती हो तुम्हारी मुस्कान तुम्हारी बातें तुम्हारी आँखे। मैं खुद को भूल जाता हूँ तुम्हें याद करते करते। मैं तुमसे प्यार करता हूँ और ये बात तुमसे कब से कहना चाहता था कह नहीं पाता था। आज दिल की बात इस पन्ने पर लिख दी है तुम्हारा जवाब जो भी होगा मुझे मंजूर है।
तुम्हारा और सिर्फ़ तुम्हारा
रोहन
सच बात तो ये थी कि राधा भी रोहन को पसंद करती थी जो बात वो खुद कभी नहीं कह पाती रोहन ने कह दी। हम वहाँ से सीधे घर गये। रात में ना जाने कितनी बार राधा ने मुझे फोन किया रोहन के बारे में पूछने के लिये। उसे कल का इंतजार था उसके पास रोहन का नंबर भी था पर वो ये बात सामने करना चाहती थी।
दूसरे दिन रोहन कालेज के गेट पर ही खड़ा था हम उसके पास पहुँचे तो मैं आगे बढ़ गयी राधा उसके पास रूक गयी। दोनों में कुछ बातें हुयीं फिर दोनों मुस्कुराते हुये बढ़ने लगे। हम सब खुश थे हाँ इतना जरूर था कि उस दिन से हमारे ही ग्रुप के दो हिस्से हो गये एक राधा और रोहन का बाकी हम लोगों का।
सब कुछ अच्छा चल रहा था। राधा बहुत खुश रहती थी। लेकिन अच्छे दिनों की एक बुरी बात होती है कि वो कब गुजर जाते हैं पता ही नहीं चलता। राधा के घर वालों को उसके और रोहन के रिश्ते की भनक लग गयी उन्होंने उसकी शादी तय कर दी। राधा ने रोहन को ये बात बतायी दोनों परेशान रहने लगे लेकिन दोनों में से किसी ने कभी खुलकर अपने दिल की बात नहीं बतायी। कभी कभी हम अपने ही डर की वजह से हार जाते हैं।राधा और रोहन अक्सर यहाँ बैठा करते थे इसी जगह न वो किसी से कुछ कह पाते न ही किसी ने उनके दिल का हाल जानने की कोशिश की। शादी की तारीख नजदीक आते आते रोहन और राधा का मिलना जुलना भी बंद हो गया। राधा अंदर ही अंदर घुटने लगी यहाँ आकर घण्टों तुम्हारे जैसे ही इस बहती हुयी नदी को देखा करती। वो खुद से लड़ती रही दुनिया की इस भीड़ में भी अकेली। एक दिन जब सारी आशायें धूमिल हो गयीं तो इसी गोमती पुल से छलाँग लगा दी। मैंने देखा उसके पिता को उसके मृत शरीर पर रोते हुये काश कि राधा ने उनसे अपनी बात कही होती। काश उसने लड़ने की कोशिश की होती। लेकिन उसने अपने लिये अंधकार चुना और अपने परिवार को भी अंतहीन अंधेरे में ढकेल दिया। उसके माता पिता बस इतना ही कहते हैं कि बेटी तुमसे बढ़ कर मेरे लिये कुछ भी नहीं था।
ये कहानी तुम मुझे क्यों सुना रही” अमन ने उस लड़की को देख कर पूछा।
क्योंकि मुझे तुम्हारे भीतर राधा की परछाई दिखी वैसी ही निराशा वैसी ही व्याकुलता। मुझे लगा कहीं तुम एक और राधा न बन जाओ।
तुम्हें अपने पापा से बात करनी चाहिए। यहाँ नदी पर बैठकर तुम्हें तुम्हारे सवालों के जवाब नहीं मिलेंगे उसके लिये तुम्हें लड़ना होगा। हम जीत के करीब आकर लड़ना छोड़ देते हैं। एक हार से जिन्दगी हार जाते हैं मगर ज़िन्दगी हार और जीत नहीं है आशा है उम्मीद है। जितनी उम्मीदें टूटती हैं भविष्य के गर्भ में उतनी ही पुनः आकार लेती हैं।
अमन चुपचाप सब सुन रहा था। कई बार हम ज्यादा परेशान संवाद की अनुपस्थिति के कारण हो जाते हैं। बात से हर समस्या का हल निकल सकता है। अमन और उसके पिता के बीच प्रेम तो अथाह था पर संवाद नहीं था अगर होत तो अमन इस परिस्थिति में नहीं होता।
घर जाओ उनसे बात करो। उन्हें मनाओ। तुमसे बढ़ कर उनके लिये कुछ भी नहीं। कोई समाज कोई सम्मान तुमसे बढ़ कर नहीं। वो नहीं भी माने तो आत्महत्या विकल्प नहीं है ये कायरता है तुम्हें लड़ना होगा हर कदम पर हर मोड़ पर।
अमन को ऐसे ही संवाद की आवश्यकता थी। उसका मन एकाकी होने के कारण ज्यादा हताश था जिस वजह से तरह तरह के ख्याल उसे अपनी ओर खींच रहे थे। इस संवाद ने उसके मन में एक विश्वास पैदा किया। अमन खड़ा हुआ आगे बढ़ा ही था कि रूककर पीछे मुड़ा और उस लड़की से पूछा,
मुझसे बात करने के लिये धन्यवाद! पर तुमने अपना नाम नहीं बताया।
नाम जरूरी नहीं है। लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा
अमन ने भी दुबारा नहीं पूछा उसने बाइक स्टार्ट की और घर को चल पड़ा।

3.
उस दिन अमन बदला बदला सा लग रहा था। कई दिनों के बाद उसने पापा से बात की। बात बही बात में उसने अपनी और प्रीति की बात भी उन्हें बतायी। पिता जी गुस्सा हुये उसे डाँटा भी पर अमन विचलित नहीं हुआ। उसने पापा को बताया कि वो उनसे बहुत प्यार करता है उनकी हर बात मानना चाहता है बस वो चाहता है कि वो एक बार प्रीति के घर वालों से बात कर लें। उसने ये भी कहा कि उसे अभी शादी भी नहीं करनी वो दोनों अपना करियर बनाना चाहते हैं बस उन्हें एक मौका दिया जाय खुद को साबित करने का। इसके बाद कई दिनों तक अमन और उसके पिता के बीच कोई बात नहीं हुयी फिर एक दिन उसके पिता ने खुद ही उससे कहा कि वो प्रीति के घरवालों से बात करने जायेंगे। अमन की खुशी का ठिकाना न रहा। अमन और प्रीति के घर वालों की बातचीत भी सार्थक रही। प्रीति के घर वाले उसकी शादी टालने को तैयार हो गये। अब दोनों के पास समय था एक दूसरे को साबित करने का अपने रिश्ते को बचाने का।
उस शाम अमन बहुत खुश था। वो ये बात उस लड़की को भी बताना चाहता था आखिर उसी की वजह से अमन को एक उम्मीद मिली थी और वो घर पर बात कर सका। अमन तैयार हुआ और नदी पर जाने के लिये निकल पड़ा। वहाँ पहुँच कर देखा तो आसपास वो लड़की नहीं दिखी उसने सोचा उस दिन उससे नम्बर ले लेना चाहिए था। अमन काफी देर तक वहाँ बैठा रहा।। रात के आठ बज गये लड़की नहीं आयी। अमन वापस लौट गया उसके बाद वो तीन चार दिनों तक वहाँ आता रहा पर उस लड़की से मुलाकात नहीं हुयी। अमन को याद आया उसने कहा था कि ये उसकी पहली और आखिरी मुलाकात है उसे लगा शायद अब वो इधर ना आये उस दिन के बाद से अमन ने भी वहाँ जाना बंद कर दिया।



4.
महीने भर बीत गये। अमन और प्रीति का रिश्ता फिर से पटरी पर आ गया था। अब वो अपने भविष्य को लेकर ज्यादा संजीदा हैं। अमन ने कम्पटीटिव इग्जाम की कोचिंग शुरू कर दी है। प्रीति भी फाइनल ईयर के एग्जाम की तैयारी में लगी है साथ ही उसने एक डांस क्लास भी ज्वाईन की है वो डासिंग में अपना करियर बनाना चाहती है।
अमन आज अपने घर की सफाई में लगा है। सामान इधर उधर बिखरा पड़ा है। रद्दी वाले को बुलाया है पुराने पेपर बेचने हैं। अमन अंदर से पेपर निकाल कर बाहर रखता है। साल भर के पेपर थे बण्डल जमीन पर रखा तो ऊपर के कुछ पेपर खिसककर नीचे गिर गये। अमन की नजर सबसे ऊपर वाले पेपर पर पड़ी उसने पेपर उठाया और लेकर अपने रूम में चला गया। लोकल न्यूज का पन्ना था सबसे ऊपर खबर थी बड़े अक्षरों में
“अवसाद से ग्रसित बालिका ने गोमती पुल से कूद कर दी जान”
खबर के बगल फोटो छपी थी। वही आँखे, वही गुलाबी पखुड़ियों जैसे होंठ वही काले घने बाल वही चेहरा, वही काली छींट दार समीज।
नाम भी लिखा हुआ था। राधा..............!
अमन पसीने से भींग चुका था। शरीर के रोयें खड़े हो गये थे। दिल थरथरा रहा था पूरा शरीर काँप रहा था। वह चिल्लाना चाहता था लेकिन मौन था। वह इस घटना को सबसे बताना चाहता था लेकिन भला कौन विश्वास करता वह प्रमाणहीन था।


लेखक-
अभिनव सिंह “सौरभ”